तीसरा खम्बा पर ओकील साहब ने एक सामयिक और बहुत अच्छा लेख लिखा है जिसमें हाल में ऑस्ट्रेलिया में हुए भारतीयों पर हमले के सन्दर्भ में तीन बीस वर्षीय आस्ट्रेलियाई दोषियों को लम्बी सजाएं सुनाई गयी हैं ! निस्संदेह हर भारतीय को सुन कर बहुत अच्छा लगा होगा कि परदेश में हमारे साथ की गयी क्रूरता के लिए, उसी देश के कोर्ट ने, अपने ही लोगों के खिलाफ, उदाहरण देने योग्य न्याय दिया !
हमारे देश में २२ जनवरी १९९९ को ग्राहम स्टेंस (५८ )और उनके दो मासूम बच्चे फिलिप( ११ ) और टिमोथी (८ वर्षीय ) जो कि अपनी वैन में सो रहे थे कुछ लोगों ने जला कर जघन्यतम हत्या कर दी थी ! यह ऑस्ट्रेलियन परिवार उडीसा के जंगलों में पिछले ३० सालों से रहकर आदिवासी कुष्ठ रोगियों की सेवा कर रहा था ! पूरे परिवार की इस जघन्य हत्या के बावजूद इनकी विधवा ग्लैडिस स्टेंस ने इस अपराध के लिए दोषियों को माफ़ कर दिया , और शेष जीवन में अकेले ही यह कार्य करते रहने की अपनी दृढ इच्छा प्रकट की है !
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"यद्यपि अपने पति के साथ की कमी और अपने बच्चों को बड़े होते देखने की कमी उन्हें हमेशा खलेगी तब भी उन्हें हत्यारों से कोई शिकायत नहीं है !
दोषियों के लिए उनका कहना है ..
"हमें माफ़ करना सीखना चाहिए , मुझे कोई कडवाहट नहीं है और अगर कडवाहट नहीं हो तो उम्मीद जगती है , सांत्वना ईश्वर से मिलती ही है ! विश्व के लोगों से मेरी प्रार्थना है कि आशा न छोड़ें और इस देश ( भारत ) के लिए प्रार्थना करें !
अशिक्षित,छुआछूत और धर्मांध लोगों के बीच सेवा कार्य करते हुए ग्राहम स्टेंस की इस विधवा के लिए शुभकामनायें और ईश्वर से प्रार्थना कि इनकी रक्षा करें !
धन्य है वह देश जिसने इस परिवार को जन्म दिया !
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"यद्यपि अपने पति के साथ की कमी और अपने बच्चों को बड़े होते देखने की कमी उन्हें हमेशा खलेगी तब भी उन्हें हत्यारों से कोई शिकायत नहीं है !
दोषियों के लिए उनका कहना है ..
"हमें माफ़ करना सीखना चाहिए , मुझे कोई कडवाहट नहीं है और अगर कडवाहट नहीं हो तो उम्मीद जगती है , सांत्वना ईश्वर से मिलती ही है ! विश्व के लोगों से मेरी प्रार्थना है कि आशा न छोड़ें और इस देश ( भारत ) के लिए प्रार्थना करें !
अशिक्षित,छुआछूत और धर्मांध लोगों के बीच सेवा कार्य करते हुए ग्राहम स्टेंस की इस विधवा के लिए शुभकामनायें और ईश्वर से प्रार्थना कि इनकी रक्षा करें !
धन्य है वह देश जिसने इस परिवार को जन्म दिया !