समाज में सड़ी गली मान्यताओं के कारण हम कई बार अपने को शर्मिंदा महसूस करते हैं ! ऐसी कुरीतियों को दूर करने के लिए, हमें तुरंत कदम उठाना होगा अन्यथा अपने ही परिवार में असंतोष और नफ़रत का वातावरण होगा और हमारे हमारी भूल के कारण, अगली पीढ़ी देरसबेर अपने आपको शर्मिंदा पाएगी !
घर के आँगन में लगे हुए
कुछ वृक्ष बबूल देखते हो
हाथो उपजाए पूर्वजों ने ,
इनमे फलफूल का नाम नहीं
काटो बिन मायामोह लिए, इन काँटों से दुःख पाओगे
घर में जहरीले वृक्ष लिए क्यों लोग मानते दीवाली ?
Thursday, October 28, 2010
घर में जहरीले वृक्ष लिए क्यों लोग मानते दीवाली ? -सतीश सक्सेना
Wednesday, October 27, 2010
आचरण बालि के जैसा कर क्यों लोग मानते दीवाली ? -सतीश सक्सेना
बच्चों मानवकुल ने अपने
कुछ लोग निकाले घर से हैं
बस्ती के बाहर ! जंगल में
कुछ और लोग भी रहते हैं
निर्बल भाई को बहुमत से , घर बाहर फेका है, हमने !
आचरण बालि के जैसा कर क्यों लोग मानते दीवाली?
कुछ लोग निकाले घर से हैं
बस्ती के बाहर ! जंगल में
कुछ और लोग भी रहते हैं
निर्बल भाई को बहुमत से , घर बाहर फेका है, हमने !
आचरण बालि के जैसा कर क्यों लोग मानते दीवाली?
Tuesday, October 26, 2010
अधिकार किसी का छीन अरे, क्यों लोग मनाते दीवाली ? -सतीश सक्सेना
सदियों का खोया स्वाभिमान
वापस दिलवाना है इनको ,
जो बोया बीज ,पूर्वजों ने ,
बच्चों ! उसको कटवाना है,
ठुकराए गए भाइयों का , अधिकार दिलाने आ आगे !
अधिकार किसी का छीन अरे, क्यों लोग मनाते दीवाली ?
वापस दिलवाना है इनको ,
जो बोया बीज ,पूर्वजों ने ,
बच्चों ! उसको कटवाना है,
ठुकराए गए भाइयों का , अधिकार दिलाने आ आगे !
अधिकार किसी का छीन अरे, क्यों लोग मनाते दीवाली ?
Monday, October 25, 2010
इन फूलों को अपमानित कर, क्यों लोग मनाते दीवाली -सतीश सक्सेना
बीसवीं सदी में पले बड़े
ओ धर्म के ठेकेदारों तुम
मन्दिर के द्वारे खड़े हुए ,
उन मासूमों की बात सुनो
बचपन से, इनको गाली दे , क्या बीज डालते हो भारी !
इन फूलों को अपमानित कर, क्यों लोग मनाते दीवाली ?
ओ धर्म के ठेकेदारों तुम
मन्दिर के द्वारे खड़े हुए ,
उन मासूमों की बात सुनो
बचपन से, इनको गाली दे , क्या बीज डालते हो भारी !
इन फूलों को अपमानित कर, क्यों लोग मनाते दीवाली ?
Labels:
दीवाली
Sunday, October 24, 2010
श्री बाल्मीकि - सतीश सक्सेना
मत भूलो रचनाकार प्रथम
श्री रामचरित रामायण के
थे महापुरुष श्री बाल्मीकि
ऋषि,ज्ञानमूर्ति,रामायण के
हो शूद्र कुलोदभव फिर भी जगजननी को पुत्री सा समझा
उनके वंशज अपमानित कर, क्यों लोग मनाते दीवाली ?
श्री रामचरित रामायण के
थे महापुरुष श्री बाल्मीकि
ऋषि,ज्ञानमूर्ति,रामायण के
हो शूद्र कुलोदभव फिर भी जगजननी को पुत्री सा समझा
उनके वंशज अपमानित कर, क्यों लोग मनाते दीवाली ?
Saturday, October 23, 2010
क्यों लोग मनाते दीवाली ? -सतीश सक्सेना
मानव कुल में ले जन्म, बाँट ,
क्यों रहे अरे अपने कुल को,
कर वर्ण व्यवस्था नष्ट,संगठित
कर पहले अपने कुल को !
हो एक महामानव विशाल ! त्यागो यह भेदभाव भारी !
तुलसी की विह्वलता में बंध, क्यों लोग मनाते दीवाली ?
क्यों रहे अरे अपने कुल को,
कर वर्ण व्यवस्था नष्ट,संगठित
कर पहले अपने कुल को !
हो एक महामानव विशाल ! त्यागो यह भेदभाव भारी !
तुलसी की विह्वलता में बंध, क्यों लोग मनाते दीवाली ?
Friday, October 22, 2010
ब्लाग पाठकों से अनुरोध -सतीश सक्सेना
कुछ दिनों से अपनी समझ के प्रति मोह भंग हुआ है, जिन लोगों को बेहतरीन मानता रहा हूँ वे अपनी असलियत बता गए ! अब तो अपनी समझ पर ही तरस आने लगा है ! अपनी उम्र के घिसे हुए लोगों से शिकायत नहीं है , कष्ट नयी कोंपलों से है जिनपर इस विश्व में, अपनी खूबसूरती और अस्तित्व का अहसास कराते हुए, एक नयी शक्ति का संचार करने का दायित्व है !
भारतीय नाम की गरिमा समस्त विश्व में बिखेरते यह शक्तिपुंज, वाकई आदर योग्य है ! इनकी इच्छा शक्ति और ज्ञान पर आज विश्व नतमस्तक है और इनकी अगुआई में आज हमारा देश, विश्व में धन के साथ साथ सम्मान भी अर्जित कर रहा है ! आज ब्लाग जगत में ऐसे कई युवा कार्यरत हैं जो देश और विदेश में अपने कार्य क्षेत्र के सिद्धहस्त विद्वान् हैं ! हिंदी ब्लाग जगत में, इनके क्षेत्र ( वैज्ञानिक तकनीक ) से हट कर ,अपना नाम कमाने की इच्छा में, विभिन्न विषयों और समाज पर लिखते लच्छेदार और घाघ लेख पढ़कर, यह सीधे साधे प्रतिभाशाली युवा आसानी से भ्रमित और मोहित किये जा सकते हैं !इन युवाओं से अपना गुणगान करवा लेना, हम जैसे घाघों के लिए यह बहुत आसान है !और यह फायदा इन दिनों खूब उठाया जा रहा है !
किसी भी लेख अथवा रचनाकार के व्यक्तित्व से प्रभावित होकर, निष्छल मन से तारीफ़ करते यह युवा मन यह नहीं समझ पाते कि वे सामान्य तारीफ़ करने की वजाय,जोश में परम चाटुकारिता की सीमा लांघ चुके हैं !और ऐसा कर वे एक चालाक, अवसरवादी कलम को घमंड की धार देकर और घातक बना रहे हैं !
इन मासूम युवा विद्वानों को, अपने दुश्मनों के खिलाफ प्रेरित करना बड़ा आसान है , केवल अपना रंजिश या ईर्ष्या से दुखता दिल दिखाने की जरूरत भर है , ये युवा लेख़क स्वाभाविक जोश में ,किसी भी ईमानदार को चोर, देशभक्त को गद्दार, विद्वान को मूर्ख और चरित्रवान को लम्पट लिख देने में देर नहीं लगायेंगे ! मगर मेरा विश्वास है कि देर सवेर ऐसे भ्रमित करते ,विद्वानों की औकात इन नवजवानों को पता चल जायेगी यह और बात है कि तब तक नुकसान हो चुका होगा !
प्रोत्साहन में बड़ी शक्ति होती है ! बहुत शक्तिशाली कलम भी प्रोत्साहन के अभाव में लडखडाने लगती है यहाँ अच्छे लेख और सद्भावना पूर्ण लेखों पर भी गाली देने वालों की कमी नहीं होती ! ईर्ष्या अथवा गुटबंदी के कारण, दुर्भावना युक्त ब्लाग महारथी अपने पीछे ताली बजाती भीड़ के कारण,अच्छे से अच्छे ब्लाग लेख़क को,हतोत्साहित करने में समर्थ हैं ! और इस चोट के कारण शक्तिशाली वैचारिक प्रतिभा के धनी लोग भी, चुटकियों में दम तोड़ देंगे ! इस निष्ठुर ब्लाग जगत में से कोई उसकी कब्र पर दो फूल अर्पित करने आएगा इसमें मुझे संदेह है !जहाँ एक तरफ अच्छे और उचित लेखों के लिए पाठकों की प्रतिक्रियाएं, वातावरण में सौहार्दपूर्ण मिठास घोलने कार्य करेंगी वहीँ नाज़ुक विषयों पर अनजाने और बिना सोचे समझे की गयी प्रतिक्रियाएं समाज का सत्यानाश कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है !
और इसी प्रकार तात्कालिक जोश में एक सामान्य उत्साही ब्लागर द्वारा, तालियाँ बजाते हुए की गयी तारीफ़ पर, विद्वान् ( चालाक ),पथभ्रष्ट और अति उत्साहित लेखनी, समाज का वह विनाश करेगी जिसकी कोई कल्पना भी न कर सके ! आज आवश्यकता है कि आप नाज़ुक विषयों और ध्यान आकर्षित करने वाले लेखों पर प्रतिक्रिया देते समय, लेख़क की निष्पक्षता ,उद्देश्य और ईमानदारी के प्रति सावधान रहें !
Thursday, October 14, 2010
इस देश का यारो क्या कहना -सतीश सक्सेना
आपको याद होगा जब १९९१ में देश का फोरेक्स रिज़र्व घट कर १ बिलियन डालर से भी कम रह गया था और हमारे पास ३ सप्ताह तक के आयात लायक धन बचा था उस समय आने वाले खतरे से बचने के लिए हमें विदेशों में सोना गिरवी रखने के लिए मजबूर होना पड़ा था !
आज वही देश (लगभग २९५ बिलियन डालर फोरेक्स रिज़र्व के साथ ) अपनी मज़बूत अर्थव्यवस्था के साथ विश्व के अग्रणी देशों की कतार में है ! आज हमारे देश का फोरेक्स रिजर्व , अमेरिका , स्वित्ज़रलैंड , जर्मनी और फ़्रांस जैसे ताकतवर देशों से कहीं अधिक है !
बेहद कीमती आधुनिकतम फाइटर विमानों से लैस, भारतीय वायुसेना ,अमेरिका ,रूस और चीन के बाद चौथे नंबर की मारक शक्ति रखती है ! भारतीय वायु सेना के आधुनिकतम विमान , परमाणु हथियार और मिसाइल ले जाने की क्षमता रखते हैं और विश्व की किसी भी हमले को निष्प्रभावी बनाने में सक्षम हैं !
विश्व के सबसे शक्तिशाली देशों में से एक भारत सुरक्षा परिषद् की स्थायी सीट के लिए सबसे मज़बूत दावेदारों में से एक है और अगले कुछ वर्षों में भारत को सुरक्षा परिषद् में वीटो पावर मिल जाये, तो यह आश्चर्य जनक नहीं होगा !
बरसों बाद कामनवेल्थ देशों के खेलों का सफल आयोजन कर, इन समस्त देशों में दूसरे स्थान पर पंहुचने में कामयाब रहे हैं ! विश्व के विभिन्न कोनों से आकर एकत्र हुए पचास से अधिक देशों के बीच अंततः वह प्रसंशा हासिल करली जिसकी इस समय सबसे अधिक आवश्यकता थी ! समापन समारोह में जिस तरह देश और संगठनों के अध्यक्षों ने हमारे देश की सराहना करते हुए धन्यवाद दिया निस्संदेह हमारे नौजवानों में एक नया उत्साह और आत्मविश्वास जगाने के लिए काफी है !
आज वही देश (लगभग २९५ बिलियन डालर फोरेक्स रिज़र्व के साथ ) अपनी मज़बूत अर्थव्यवस्था के साथ विश्व के अग्रणी देशों की कतार में है ! आज हमारे देश का फोरेक्स रिजर्व , अमेरिका , स्वित्ज़रलैंड , जर्मनी और फ़्रांस जैसे ताकतवर देशों से कहीं अधिक है !
बेहद कीमती आधुनिकतम फाइटर विमानों से लैस, भारतीय वायुसेना ,अमेरिका ,रूस और चीन के बाद चौथे नंबर की मारक शक्ति रखती है ! भारतीय वायु सेना के आधुनिकतम विमान , परमाणु हथियार और मिसाइल ले जाने की क्षमता रखते हैं और विश्व की किसी भी हमले को निष्प्रभावी बनाने में सक्षम हैं !
विश्व के सबसे शक्तिशाली देशों में से एक भारत सुरक्षा परिषद् की स्थायी सीट के लिए सबसे मज़बूत दावेदारों में से एक है और अगले कुछ वर्षों में भारत को सुरक्षा परिषद् में वीटो पावर मिल जाये, तो यह आश्चर्य जनक नहीं होगा !
बरसों बाद कामनवेल्थ देशों के खेलों का सफल आयोजन कर, इन समस्त देशों में दूसरे स्थान पर पंहुचने में कामयाब रहे हैं ! विश्व के विभिन्न कोनों से आकर एकत्र हुए पचास से अधिक देशों के बीच अंततः वह प्रसंशा हासिल करली जिसकी इस समय सबसे अधिक आवश्यकता थी ! समापन समारोह में जिस तरह देश और संगठनों के अध्यक्षों ने हमारे देश की सराहना करते हुए धन्यवाद दिया निस्संदेह हमारे नौजवानों में एक नया उत्साह और आत्मविश्वास जगाने के लिए काफी है !
Labels:
राष्ट्रमंडलीय खेल,
सैन्य शक्ति
Tuesday, October 12, 2010
भाषा इन मासूमों की -सतीश सक्सेना
कुछ दिन पूर्व, घर के बाहर, ४ नन्हें दुधमुहों ने जन्म लिया, माँ द्वारा एक झुरमुट में सुरक्षित छिपाए जाने के बावजूद ये नन्हे भाग भाग कर सड़क पर आ जाते और जाती हुई कारों को सावधानी से चलाने के लिए कहतीं इनकी माँ ,द्वारा कार के पीछे भौंकते हुए दौड़ने से, नींद में पड़ते खलल से, पडोसी परेशान थे !
गुडिया के कहने पर मैं बाहर गया तो एक को छोड़ सारे बच्चे, भाग कर माँ के पास छुप गए ! केवल एक था जो निडरता के साथ खड़ा रहा और बढे हुए हाथ की उंगलियाँ अपने नन्हे दांतों से काटने का प्रयत्न करने लगा ! कुछ बिस्कुट इन बच्चों और उस वात्सल्यमयी को देकर हम दोनों बापस आ गए !
अगले दिन सुबह ,घर के बाहर अजीब सन्नाटा देख बाहर गया दो दिल धक् से रह गया , वही निडर बच्चा,आजकल की तेज और असंवेदनशील कार द्वारा सड़क पर कुचला पड़ा था और उसकी माँ बिना भौंके अपने ३ बच्चों के साथ उदास निगाहों से मुझसे पूंछ रही थी मेरे बच्चे का कसूर क्या था , क्यों मार दिया तुम लोगों ने ??
Friday, October 8, 2010
मौन को आजमाना चाहिए - सतीश सक्सेना
"है मुमकिन दुश्मनों की दुश्मनी पर सबर कर लेना
मगर यह दोस्तों की बेरुखी , देखी नहीं जाती "
हमारे बड़े कहते रहे हैं कि जब मन शांत न हो तो मौन व्रत रखें , इस बार यह आजमाते हैं !
शुभकामनायें ! हमारे बड़े कहते रहे हैं कि जब मन शांत न हो तो मौन व्रत रखें , इस बार यह आजमाते हैं !
Thursday, October 7, 2010
मेरे ब्लाग के आदरणीय पाठकों से एक विनम्र अनुरोध -सतीश सक्सेना
वे शंकित, कुंठित मन लेकर,
कुछ पत्थर हम पर फ़ेंक गए
हम समझ नही पाए, हमको
क्यों मारा ? इस बेदर्दी से ,
हम चोटें लेकर भी दिल पर, अरमान लगाये बैठे हैं !
मेरे ब्लाग के आदरणीय पाठकों से एक विनम्र अनुरोध है कि मेरे लेख पढ़ते समय कृपया ध्यान रखें -
- वे नफ़रत बांटे इस जग में हम प्यार लुटाने बैठे हैं ...मेरा प्रमुख उद्देश्य है ! और यहाँ छपे प्यार के लेख दिखावटी नहीं बल्कि दिल से निकले हैं ! किसी व्यक्ति , धर्म अथवा पार्टी का नाम लेकर, अपमान करने के उद्देश्य से कहे कमेन्ट यहाँ नहीं छापे जायेंगे ! कुछ लोगों का यह मानना है कि विरोध की आवाज सहन करने की हिम्मत नहीं है वे इसे शौक से मेरी कायरता मान लें इसमें मुझे कोई आपत्ति नहीं है !
- आपके दिए गए कमेंट्स बेहद महत्वपूर्ण हो सकते हैं, कई बार पोस्ट से बेहतर जागरूक पाठकों के कमेंट्स लगते हैं,प्रतिक्रिया देते समय कृपया ध्यान रखें कि जो आप लिख रहे हैं, उसमें बेहद शक्ति होती है,लोग अपनी अपनी श्रद्धा अनुसार पढेंगे, और तदनुसार आचरण भी कर सकते हैं , अतः आवश्यकता है कि आप नाज़ुक विषयों पर, प्रतिक्रिया देते समय, लेखन को पढ़ अवश्य लें और आपकी प्रतिक्रिया समाज व देश के लिए ईमानदार हो, यही आशा है !
- ब्लागजगत में , मैं अपनी की गयी प्रतिक्रियाओं अथवा लेखों से पहले मैं यह जानने की कोशिश कभी नहीं करता कि जिनकी मैं तारीफ़ कर रहा हूँ वे काफी समय से मुझसे नफरत करते रहे हैं अथवा बेहद नाराज हैं ! जो व्यक्तित्व मुझे अच्छे लगे मैंने उनसे बिना चर्चा किये और बताये उनकी तारीफ और सम्मान में ही लिखा अगर उन्हें मेरे द्वारा अपनी तारीफ करना ख़राब लगा हो या किसी विशेष उद्देश्य को लेकर लगा हो तो मुझे बताएं ताकि मैं अपनी गलती सुधार सकूं अथवा स्पष्टीकरण दे सकूं !कमसे कम इसका उद्देश्य उनका सहयोग पाना तो बिलकुल नहीं रहा है ! हाँ अपनी "मूर्खता " और उनके "बड़प्पन" को न समझ पाने पर, पछतावा अवश्य रहा है !
- मेरे लेख पढ़ते समय गलत फहमी न पालें कृपया ध्यान रहे कि मुझे गीत ,कविता और ग़ज़ल के शिल्प का कोई ज्ञान नहीं है न ही हिंदी भाषा का विद्वान् हूँ तथा लिखते समय टंकण तथा वर्तनी की गलतियाँ स्वाभाविक हैं !
- मेरा उद्देश्य किसी को भावनात्मक चोट पंहुचाने का कभी नहीं रहा अगर किसी को दुःख हुआ हो तो हार्दिक क्षमा प्रार्थी हूँ !
उनका जो फ़र्ज़ है वो अहले सियासत जाने
मेरा पैगामें मुहब्बत है , जहाँ तक पंहुचे !
Labels:
ब्लागर
Monday, October 4, 2010
स्वागत है नवीन दिल्ली का - सतीश सक्सेना
एशियाड १९८२ के दिनों में ,भारत में कलर टी वी का आगमन मुझे सबसे अच्छा लगा था ! उन दिनों बाज़ार में जाते हुए किसी टीवी के डिब्बे पर कलर टी वी लिखा होता था तो रुक के देखने का मन करता था ! काले सफ़ेद टी वी को देखने के आदी हम लोगों ने, जब पहली बार टी वी के पर्दें में कलर देखे तो एक सुखद आश्चर्य ही था ! और बहुत दिनों तक इस नशे से उबर नहीं पाए थे !
इस बार शायद बहुत कम लोगों को पता है कि कामनवेल्थ गेम्स में हाई डेफेनिशन टी वी का आगमन हुआ है , पहली बार भारतीय दूरदर्शन ने हाई डेफिनिशन प्रसारण शुरू किया है , बाज़ार में पहले से ही उपलब्ध टीवी सेट्स पर इस प्रसारण के फलस्वरूप गज़ब की क्लेअरिटी उपलब्ध हुई है !
दूसरी उपलब्धि संयोग से ही हाथ लग गयी ! आज यमुना भी नयी स्फूर्ति और स्वच्छ धारा के साथ बह रही थी , कुछ दिन पहले नाले के रूप में बह रही यमुना नए रूप और चमक के साथ जैसे विदेशियों का स्वागत कर रही हो ! इंद्रदेवता ने मानों अहसान किया हो दिल्ली पर सैकड़ों करोड़ की यमुना सफाई का असंभव कार्य , अभूतपूर्व बाढ़ के फलस्वरूप , सात लाख क्यूसेक पानी, द्वारा एक ही झटके में कर दिया गया !
तीसरी उपलब्द्धि दिल्ली की सड़कों और रास्तों का निर्माण रहा है ! पिछले एक सप्ताह के भीतर दिल्ली के दो रूपों को देखकर, अचानक आये परिवर्तन पर विश्वास नहीं होता ! स्वच्छ साफ़, विशाल चौड़ी सड़कें और फ्लाईओवर्स ,जगह जगह पर लगीं रेड लाईट जैसे गायब ही हो गयीं , नए रास्तों से पहले से,आधे समय में घर पंहुचने की चर्चा आज हर जगह हो रही है !देखते ही देखते दिल्ली की कायापलट हो गयी और लोगों को पता ही नहीं चला ! आज २० किलो मीटर दूर अपने आफिस पंहुचने में एक भी रेड लाईट पर न रुकना एक सुखद आश्चर्य ही रहा !
गेम्स विलेज में फाइव स्टार होटलों के शेफ द्वारा परोसे खाने को विश्व स्तरीय खिलाडियों द्वारा अब तक के खेलों में सबसे अत्युत्तम बताया जा रहा है ! अपनी डयूटी पर मुस्तैद एक लाख पुलिस अधिकारियों के साथ , आसमान पर निगाह लगाये तैनात एयरफोर्स के अधिकारी , किसी भी आने वाले खतरे को बेकार करने के लिए काफी हैं !
गर्व से कहें कि हमारा देश पूर्ण सक्षम है और विश्व की पहली कतार के देशों में से एक है ! हर देशवासी का आत्मविश्वास बढाने के लिए आज़ाद भारत का इतिहास काफी है जिस पर हमें गर्व है !
इस बार शायद बहुत कम लोगों को पता है कि कामनवेल्थ गेम्स में हाई डेफेनिशन टी वी का आगमन हुआ है , पहली बार भारतीय दूरदर्शन ने हाई डेफिनिशन प्रसारण शुरू किया है , बाज़ार में पहले से ही उपलब्ध टीवी सेट्स पर इस प्रसारण के फलस्वरूप गज़ब की क्लेअरिटी उपलब्ध हुई है !
दूसरी उपलब्धि संयोग से ही हाथ लग गयी ! आज यमुना भी नयी स्फूर्ति और स्वच्छ धारा के साथ बह रही थी , कुछ दिन पहले नाले के रूप में बह रही यमुना नए रूप और चमक के साथ जैसे विदेशियों का स्वागत कर रही हो ! इंद्रदेवता ने मानों अहसान किया हो दिल्ली पर सैकड़ों करोड़ की यमुना सफाई का असंभव कार्य , अभूतपूर्व बाढ़ के फलस्वरूप , सात लाख क्यूसेक पानी, द्वारा एक ही झटके में कर दिया गया !
तीसरी उपलब्द्धि दिल्ली की सड़कों और रास्तों का निर्माण रहा है ! पिछले एक सप्ताह के भीतर दिल्ली के दो रूपों को देखकर, अचानक आये परिवर्तन पर विश्वास नहीं होता ! स्वच्छ साफ़, विशाल चौड़ी सड़कें और फ्लाईओवर्स ,जगह जगह पर लगीं रेड लाईट जैसे गायब ही हो गयीं , नए रास्तों से पहले से,आधे समय में घर पंहुचने की चर्चा आज हर जगह हो रही है !देखते ही देखते दिल्ली की कायापलट हो गयी और लोगों को पता ही नहीं चला ! आज २० किलो मीटर दूर अपने आफिस पंहुचने में एक भी रेड लाईट पर न रुकना एक सुखद आश्चर्य ही रहा !
गेम्स विलेज में फाइव स्टार होटलों के शेफ द्वारा परोसे खाने को विश्व स्तरीय खिलाडियों द्वारा अब तक के खेलों में सबसे अत्युत्तम बताया जा रहा है ! अपनी डयूटी पर मुस्तैद एक लाख पुलिस अधिकारियों के साथ , आसमान पर निगाह लगाये तैनात एयरफोर्स के अधिकारी , किसी भी आने वाले खतरे को बेकार करने के लिए काफी हैं !
गर्व से कहें कि हमारा देश पूर्ण सक्षम है और विश्व की पहली कतार के देशों में से एक है ! हर देशवासी का आत्मविश्वास बढाने के लिए आज़ाद भारत का इतिहास काफी है जिस पर हमें गर्व है !
Labels:
राष्ट्रमंडलीय खेल,
संस्मरण
Subscribe to:
Posts (Atom)