एशियाड १९८२ के दिनों में ,भारत में कलर टी वी का आगमन मुझे सबसे अच्छा लगा था ! उन दिनों बाज़ार में जाते हुए किसी टीवी के डिब्बे पर कलर टी वी लिखा होता था तो रुक के देखने का मन करता था ! काले सफ़ेद टी वी को देखने के आदी हम लोगों ने, जब पहली बार टी वी के पर्दें में कलर देखे तो एक सुखद आश्चर्य ही था ! और बहुत दिनों तक इस नशे से उबर नहीं पाए थे !
इस बार शायद बहुत कम लोगों को पता है कि कामनवेल्थ गेम्स में हाई डेफेनिशन टी वी का आगमन हुआ है , पहली बार भारतीय दूरदर्शन ने हाई डेफिनिशन प्रसारण शुरू किया है , बाज़ार में पहले से ही उपलब्ध टीवी सेट्स पर इस प्रसारण के फलस्वरूप गज़ब की क्लेअरिटी उपलब्ध हुई है !
दूसरी उपलब्धि संयोग से ही हाथ लग गयी ! आज यमुना भी नयी स्फूर्ति और स्वच्छ धारा के साथ बह रही थी , कुछ दिन पहले नाले के रूप में बह रही यमुना नए रूप और चमक के साथ जैसे विदेशियों का स्वागत कर रही हो ! इंद्रदेवता ने मानों अहसान किया हो दिल्ली पर सैकड़ों करोड़ की यमुना सफाई का असंभव कार्य , अभूतपूर्व बाढ़ के फलस्वरूप , सात लाख क्यूसेक पानी, द्वारा एक ही झटके में कर दिया गया !
तीसरी उपलब्द्धि दिल्ली की सड़कों और रास्तों का निर्माण रहा है ! पिछले एक सप्ताह के भीतर दिल्ली के दो रूपों को देखकर, अचानक आये परिवर्तन पर विश्वास नहीं होता ! स्वच्छ साफ़, विशाल चौड़ी सड़कें और फ्लाईओवर्स ,जगह जगह पर लगीं रेड लाईट जैसे गायब ही हो गयीं , नए रास्तों से पहले से,आधे समय में घर पंहुचने की चर्चा आज हर जगह हो रही है !देखते ही देखते दिल्ली की कायापलट हो गयी और लोगों को पता ही नहीं चला ! आज २० किलो मीटर दूर अपने आफिस पंहुचने में एक भी रेड लाईट पर न रुकना एक सुखद आश्चर्य ही रहा !
गेम्स विलेज में फाइव स्टार होटलों के शेफ द्वारा परोसे खाने को विश्व स्तरीय खिलाडियों द्वारा अब तक के खेलों में सबसे अत्युत्तम बताया जा रहा है ! अपनी डयूटी पर मुस्तैद एक लाख पुलिस अधिकारियों के साथ , आसमान पर निगाह लगाये तैनात एयरफोर्स के अधिकारी , किसी भी आने वाले खतरे को बेकार करने के लिए काफी हैं !
गर्व से कहें कि हमारा देश पूर्ण सक्षम है और विश्व की पहली कतार के देशों में से एक है ! हर देशवासी का आत्मविश्वास बढाने के लिए आज़ाद भारत का इतिहास काफी है जिस पर हमें गर्व है !
इस बार शायद बहुत कम लोगों को पता है कि कामनवेल्थ गेम्स में हाई डेफेनिशन टी वी का आगमन हुआ है , पहली बार भारतीय दूरदर्शन ने हाई डेफिनिशन प्रसारण शुरू किया है , बाज़ार में पहले से ही उपलब्ध टीवी सेट्स पर इस प्रसारण के फलस्वरूप गज़ब की क्लेअरिटी उपलब्ध हुई है !
दूसरी उपलब्धि संयोग से ही हाथ लग गयी ! आज यमुना भी नयी स्फूर्ति और स्वच्छ धारा के साथ बह रही थी , कुछ दिन पहले नाले के रूप में बह रही यमुना नए रूप और चमक के साथ जैसे विदेशियों का स्वागत कर रही हो ! इंद्रदेवता ने मानों अहसान किया हो दिल्ली पर सैकड़ों करोड़ की यमुना सफाई का असंभव कार्य , अभूतपूर्व बाढ़ के फलस्वरूप , सात लाख क्यूसेक पानी, द्वारा एक ही झटके में कर दिया गया !
तीसरी उपलब्द्धि दिल्ली की सड़कों और रास्तों का निर्माण रहा है ! पिछले एक सप्ताह के भीतर दिल्ली के दो रूपों को देखकर, अचानक आये परिवर्तन पर विश्वास नहीं होता ! स्वच्छ साफ़, विशाल चौड़ी सड़कें और फ्लाईओवर्स ,जगह जगह पर लगीं रेड लाईट जैसे गायब ही हो गयीं , नए रास्तों से पहले से,आधे समय में घर पंहुचने की चर्चा आज हर जगह हो रही है !देखते ही देखते दिल्ली की कायापलट हो गयी और लोगों को पता ही नहीं चला ! आज २० किलो मीटर दूर अपने आफिस पंहुचने में एक भी रेड लाईट पर न रुकना एक सुखद आश्चर्य ही रहा !
गेम्स विलेज में फाइव स्टार होटलों के शेफ द्वारा परोसे खाने को विश्व स्तरीय खिलाडियों द्वारा अब तक के खेलों में सबसे अत्युत्तम बताया जा रहा है ! अपनी डयूटी पर मुस्तैद एक लाख पुलिस अधिकारियों के साथ , आसमान पर निगाह लगाये तैनात एयरफोर्स के अधिकारी , किसी भी आने वाले खतरे को बेकार करने के लिए काफी हैं !
गर्व से कहें कि हमारा देश पूर्ण सक्षम है और विश्व की पहली कतार के देशों में से एक है ! हर देशवासी का आत्मविश्वास बढाने के लिए आज़ाद भारत का इतिहास काफी है जिस पर हमें गर्व है !
आखिर सबको मानना ही पड़ेगा कि भारत में भी दम है ।
ReplyDeleteआपने जो नक्षा दिखाया है , वह शत प्रतिशत सही है । हमें इस बात पर गर्व है ।
अब हमारे खिलाडी भी इस गर्व को कायम रखें तो और भी बेहतर रहेगा । शुभकामनायें ।
khiladiyo ke liye hardik shubhkamnae hai.........
ReplyDeletebhavy swagtam to huaa hee hai......samapan bhee insha allah shaandar rahega..........
सही कहा! सर जी!!
ReplyDeleteकल का कार्यक्रम तो मंत्रमुग्ध कर देने वाल था। 40करोड़ के गुब्बारे नें तो सारे कार्य्रक्रम को जीवंत ही कर दिया!!
बहुत अच्छा लगा जानकर।
ReplyDeleteसतीश जी हमें तो ना केवल अपने देश पर गर्व है अपितु हमें तो उससे प्रेम भी है। मैं यह विश्वास करने लगी हूँ कि यह देव भूमि है। बस हम सारे ही नागरिक यदि अपना कर्तव्य निभाने लगे तो यह देश अनोखा देश होगा। कल का कार्यक्रम ऐतिहासिक था, मुझे तो कल्पनातीत लगा। भारतीयता में रंगा हुआ ऐसा कार्यक्रम दुनिया के किसी देश के पास नहीं है। जिन भी कलाकारों और निर्देशकों के नेतृत्व में यह कार्यक्रम हुआ उन्हें बहुत बधाई।
ReplyDeleteमतलब ये कि देश पर गर्व करना हो तो बाढ और राष्ट्र मंडल खेलों का सहारा बाकी रह गया है अब :)
ReplyDelete...jaandaar post !!!
ReplyDeleteदिल्ली की कायापलट की खबरें पढ के मन खुश हो गया... लग रहा है जल्दी ही देख लें, इस नई नवेली दिल्ली को.
ReplyDelete
ReplyDeleteहाँ बाबू यह सरकस है
और यह सरकस है कुछ दिनों का
पहला शो उद्घाटन है
दूसरा खेल आयोजन है
तीसरा समापन है
और उसके बाद
माई नहीं बाप नहीं डिसिप्लिन नहीं,
ये नहीं वो नहीं, कुछ भी नहीं
कुछ भी नहीं रहेगा जी
रहेगा तो बस
खाली टूटी कुर्सी है
खोयी खोयी फुर्ती है
जेब भरे बाबू हैं
मीडिया बेकाबू है
जो ना तेरा है..
और न मेरा है
ऎ भाई जरा देख कर चलो
आगे ही नहीं पीछे भी
धुत्त यहाँ तो मॉडरेशन है
जो लगाना एक फैशन है
टीपने से डरता है क्यों
ठेलने से डरता है क्यों
हर जगह सेक्यूरिटी है
वहाँ भी है, तो यहाँ भी
ऎ भाई जरा देख कर चलो
सतीश भाई
ऎ भाईऽऽऽऽ..
हम तो शुरु से आशान्वित थे कि सब शुभ-शुभ होगा। लोगों की तो आदत है सब में मीन-मेख निकालना। बहुत गहराई से विवेचन किया आपने। और भी हाल चाल देते रहिएगा ताकि हम अपडेट रहें और गर्व कर सकें अपनी उपलब्धियों पर। बहुत अच्छी प्रस्तुति। हार्दिक शुभकामनाएं!
ReplyDeleteयोगदान!, सत्येन्द्र झा की लघुकथा, “मनोज” पर, पढिए!
ईस्ट और वेस्ट इंडिया इस द बेस्ट..... मेरा भारत महान!
ReplyDeleteजय हो!
@सतीश जी ,
ReplyDeleteआपका आलेख तपते मरुथल में नखलिस्तान जैसा अनिर्वचनीय आनंद दे रहा है ..
बाकी तो हम सभी में अहमन्यता का कम बेसी पुट होता है ...हम सबकी अपनी अपनी बेवकूफियां (इदियोसिनक्रैसीज) हैं ..
किसी को मानव मात्र से लगाव होता है ,किसी को महिला मात्र से ,किसी को रूपसी संज्ञाराशियों से तो अनूप लोगों को नारी सर्वनामों से ....ये भी एक अनूप व्यक्तित्व है जिन्हें महज सम्मान के साथ स्थापित करना चाहिए ...
अरे टिप्पणी क्या प्रसंग- निरपेक्ष हो गयी क्या ?
Our Great India !!
ReplyDelete___________________
'पाखी की दुनिया' में अंडमान के टेस्टी-टेस्टी केले .
@ डॉ अमर कुमार,
ReplyDeleteकुछ लोग अपनी फिक्स मानसिकता के गुलाम होते हैं देश और समाज के प्रति गैर जिम्मेवार यह लोग, अपनी माँ और पुत्री के प्यार के प्रति भी संवेदनशील नहीं होते ऐसे व्यक्तियों को मैं सिर्फ तब तक महत्व देता हूँ जब तक उन्हें पहचान न पाऊँ, ऊपर से देखने में वे कितने ही अभिजात्य क्यों न लगें मगर देर सवेर वे अपनी असलियत अपने आप ही दिखा देते हैं !
जीर्ण मानसिकता के शिकार यह लोग अपनी राजनीतिक विचारधारा के ही दास बन कर रह जाते हैं ! बसों, पान की दूकान और नुक्कड़ों पर यह महा विद्वान् लोग,खुद कुछ नहीं करते मगर विरोधी पार्टी के कार्यों के प्रति बहस करते, एक दूसरे का सर फोड़ते नज़र आ सकते हैं
बेहतरीन कामों पर भी यह लोग तारीफ़ नहीं करेंगे न ही अपनी संकुचित समझ के आगे किसी और की बात को सुनेंगे ! अतः इनकी बात को सम्मान न देने तथा अन्य किसी भी विचारधारा का अपमान अपने माध्यम से न होने देने के लिए,माडरेशन का होना बेहद आवश्यक है !
आशा है इस बार ध्यान से पढेंगे,
खेद सहित
आपकी सकारात्मक सोच को सलाम !
ReplyDeleteपाठक गण कृपया दुबारा ध्यान दें !
ReplyDeleteकिसी व्यक्ति विशेष अथवा राजनीतिज्ञों का अपमान करने वाली टिप्पणी छापने का अर्थ, प्रकाशक ब्लाग भी उस व्यक्ति अथवा पार्टी विशेष की मान हानि कर रहा है...ऐसा न्यायालय के एक जजमेंट में कहा गया है !
चूंकि मैं किसी ऐसे समूह और आलोचना का हिस्सा नहीं हूँ अतः ऐसी टिप्पणी को अपने ब्लाग में जगह नहीं दे सकता ! राजनीतिक विचारधारा से प्रेरित मित्रों से निवेदन हैं कि वे कृपया ऐसे कमेंट्स न दें आशा है वे बुरा नहीं मानेंगे !
सादर
आपका नजरिया बहुत प्यारा और सकारात्मक है जी।
ReplyDeleteएक पौधे पर कोई गुलाब भी देखता है और कोई केवल कांटे ही कांटे,
हालांकि दोनों उस पौधे पर मौजूद हैं।
और अगर सूखे पौधे पर किसी सुबह एक कली के जन्मने के भी लक्षण दिख जाते हैं तो कितनी खुशी होती है ना
पता नहीं क्यों लोग जो सचमुच काबिल-ए-तारीफ है उसकी तारीफ क्यों नहीं सुनना चाहते?
प्रणाम स्वीकार करें
Thank you sir!
ReplyDeletePerhaps we again got carried away by Khushdeep ji's comment, perhaps u are right.
सतीश जी ये शायद दूसरी या तीसरी पोस्ट है जिसमे की अपने देश के स्वाभिमान का ध्यान रखा गया है। पिछले दिनो मीडिया और कई ब्लाग्ज़ पर केवल भारत की बुराई ही सुनी। पता नही क्यों लोग ये भूल जाते हैं कि पचास वर्ष पहले उनके पास क्या था। आखिर तो यहाँ तक पहुंचे हैं तो कुछ तो हुया ही है। बहुत अच्छा लगािआपकी पोस्ट पढ कर। मुझे भी गर्च है कि मै भारतवासी हूँ ,भारत की बेटी हूँ। जय हिन्द।
ReplyDelete@ संवेदना के स्वर,
ReplyDeleteमुझे आपके कहे पर विश्वास है या नहीं ? इस प्रश्न का जवाब मेरे लेखन की पालिसी से जुड़ा मानिए, शायद आपको शिकायत नहीं होगी ! यकीन मानिए खुशदीप भाई और खुद आप मेरे लिए उन लोगों में से हैं जिनका आदर मैं उनकी लेखनी के कारण और व्यक्तिगत शानदार स्वभाव के लिए करता हूँ !
मगर हम लोगों में मतभेद न हों ऐसा नहीं है ! मैं व्यक्तिगत आलोचना के खिलाफ नहीं हूँ मगर व्यक्तिगत तौर पर किसी की मान हानि भूल से भी न हो जाए चाहे वे ब्लाग जगत के हूँ अथवा राजनीतिज्ञ, इससे हमेशा बचता रहा हूँ !
मेरा विश्वास है कि जिन कमेंट्स में व्यक्तिगत आक्षेप लगाया गया हो वे कमेंट्स गलत हैं और नहीं होने चाहिए ऐसा कोर्ट के निर्देश भी हैं ! अगर मैं ऐसे कमेंट्स प्रकाशित करता हूँ तो मैं भी किसी व्यक्ति विशेष की मान हानि का दोषी स्वतः ही माना जाता हूँ !
आप यकीन करें मैं हर पार्टी के नेताओं का पक्षपात रहित समान आदर करता हूँ मगर ब्लाग जगत में ऐसा नहीं है ! ऐसे बहुत से ब्लाग हैं जो मुझे बहुत अच्छे लगते हैं मैं उन्हें पढ़ कर कमेंट्स भी देता रहा हूँ मगर उन ब्लाग्स मालिकों ने कभी मेरे ब्लाग पर आकर एक शब्द नहीं लिखा ! मैं जानता हूँ वे मेरा लिखा पसंद नहीं करते मगर मुझे इसका कभी बुरा नहीं लगता !
पारिवारिक सौहार्द, अंतरधर्मीय एवं अंतरजातीय समस्याएं और अब इस प्रकार की राजनीतिक द्वेष भावना, मैं इनका विरोध करने का प्रयत्न करता रहूँगा और कोशिश करूंगा कि इसमें मैं पाठकों को अपनी पूरी ईमानदारी भी दे सकूं तो मैं अपने को सफल मानूंगा !
सादर
गर्व से कहें कि हमारा देश पूर्ण सक्षम है और विश्व की पहली कतार के देशों में से एक है ! हर देशवासी का आत्मविश्वास बढाने के लिए आज़ाद भारत का इतिहास काफी है जिस पर हमें गर्व है
ReplyDeletebahut yathath-prak avampraprabhavshali lekh.
poonam
badhai bhai ji....sakaratmak soch bhi jeewan ka pahlu hi hai...sadhuwaad..
ReplyDeleteaakhir bharat ne apne aap ko sabit kar hi diya ... kash aisa intzam hamesha rahe...
ReplyDeleteदेश पर तो हमें गर्व होना ही चाहिए ... और अगर हमारा देश CWG जैसे खेल को सफलतापूर्वक आयोजन कर सके तो क्या बात है ... पर हर प्रकार के माध्यमों (टीवी, इन्टरनेट, इत्यादि) में जो बात सामने आ रही है वो कुछ निराशाजनक है ... पता नहीं सच क्या है और झूठ क्या पर यदि कोई गडबड होती है तो देश का नाम खराब होता है ...
ReplyDeleteचलिए कुछ प्रकृति और कुछ प्रशासन की मेहरबानी ही सही दिल्ली दुल्हन तो बनी.
ReplyDeleteयमुना का फोटो देख कर मन खुश हो गया.वरना जब भी उधर से गुजरे नाक पर रुमाल रखना पड़ता था और आत्मा तडप उठती थी.
देश का आर्थिकविकास हुआ है इसमें कोई शक नही.लाख भ्रष्टाचार हो मगर हमारे देश की प्रोग्रेस को ना कोई रोक पाया है ना रोक पायेगा.
पच्चीस साल पहले के गाँव,शहर,देश को जिसने देखा है वो ही बता सकता इस परिवर्तन को.
सभी खिलाडी अच्छा प्रदर्शन करे.अपनी छाप छोड़े हार जीत चलती रहती है.
चलिए कुछ प्रकृति और कुछ प्रशासन की मेहरबानी ही सही दिल्ली दुल्हन तो बनी.
ReplyDeleteयमुना का फोटो देख कर मन खुश हो गया.वरना जब भी उधर से गुजरे नाक पर रुमाल रखना पड़ता था और आत्मा तडप उठती थी.
देश का आर्थिकविकास हुआ है इसमें कोई शक नही.लाख भ्रष्टाचार हो मगर हमारे देश की प्रोग्रेस को ना कोई रोक पाया है ना रोक पायेगा.
पच्चीस साल पहले के गाँव,शहर,देश को जिसने देखा है वो ही बता सकता इस परिवर्तन को.
सभी खिलाडी अच्छा प्रदर्शन करे.अपनी छाप छोड़े हार जीत चलती रहती है.
.
ReplyDeleteआपकी आँखों से सत्य का पहला पक्ष देखा
आँखों को दूसरा पक्ष देखते रहने की आदत सी पड़ गयी थी.
ऎसी सोच से सुख और सौहार्द का प्रसार ही होता है.
इस सकारात्मक विचारधारा की बेहद जरूरत है समाज को.
नहीं तो विष-वमन करते-करते विषधर बन जाने का डर था.
शायद हम विषधर हो चुके हों और हमें पता न हो!
_____________________
पसंद आया आपका चिंतन.
.
very good darling
ReplyDeleteहर भ्रष्टाचारी द्वारा अपने कारनामों को ढ़कने के लिए देश के गौरव की ढपली बजाई जाती है, आप उसमें रम गए लगता है।
ReplyDeleteali जी का कहना बिल्कुल ठीक है कि देश पर गर्व करना हो तो बाढ और राष्ट्र मंडल खेलों का सहारा बाकी रह गया है क्या?
आपने दिल्ली का जो चित्रण किया है क्या वह इन खेलों के बिना नहीं हो सकता था?
दिल को बहलाने गालिब-ए-ख्याल अच्छा था
डॉ टी एस दराल said...
ReplyDeleteआखिर सबको मानना ही पड़ेगा कि भारत में भी दम है ।
आपने जो नक्षा दिखाया है , वह शत प्रतिशत सही है । हमें इस बात पर गर्व है ।
अब हमारे खिलाडी भी इस गर्व को कायम रखें तो और भी बेहतर रहेगा । शुभकामनायें ।
सक्सेना साहब !
डा० साहब की इस टिपण्णी से सहमत हूँ मगर आदतन कुछ कहूंगा ;
आज मयखाना बना फिर रहा जो कलतक था माड़ी,
अब तो चल ही निकली है उसके कॉमनवेल्थ की गाडी !
जाने कौन मुआ कह गया, मिंया जूते तो जरूर पड़ेंगे,
इसलिए बेचारा कभी-कभार सहमकर सहलाता है दाडी !!
आपने बहुत ही अच्छा लिखा है। बधाई।
ReplyDeletehttp://sudhirraghav.blogspot.com/
.
ReplyDeleteये कमेन्ट लिखने तक भारत की झोली में ११ स्वर्ण, ८ रजत और ५ कांस्य पदक आ चुके हैं। हमें नाज़ है हिंद पर। !
.