कुछ दिन पूर्व, घर के बाहर, ४ नन्हें दुधमुहों ने जन्म लिया, माँ द्वारा एक झुरमुट में सुरक्षित छिपाए जाने के बावजूद ये नन्हे भाग भाग कर सड़क पर आ जाते और जाती हुई कारों को सावधानी से चलाने के लिए कहतीं इनकी माँ ,द्वारा कार के पीछे भौंकते हुए दौड़ने से, नींद में पड़ते खलल से, पडोसी परेशान थे !
गुडिया के कहने पर मैं बाहर गया तो एक को छोड़ सारे बच्चे, भाग कर माँ के पास छुप गए ! केवल एक था जो निडरता के साथ खड़ा रहा और बढे हुए हाथ की उंगलियाँ अपने नन्हे दांतों से काटने का प्रयत्न करने लगा ! कुछ बिस्कुट इन बच्चों और उस वात्सल्यमयी को देकर हम दोनों बापस आ गए !
अगले दिन सुबह ,घर के बाहर अजीब सन्नाटा देख बाहर गया दो दिल धक् से रह गया , वही निडर बच्चा,आजकल की तेज और असंवेदनशील कार द्वारा सड़क पर कुचला पड़ा था और उसकी माँ बिना भौंके अपने ३ बच्चों के साथ उदास निगाहों से मुझसे पूंछ रही थी मेरे बच्चे का कसूर क्या था , क्यों मार दिया तुम लोगों ने ??
उफ!
ReplyDeleteमार्मिक और दर्दनाक....!!
ReplyDeleteकभी 'शब्द-शिखर' पर भी पधारें !!
गाड़ी में बैठने के बाद हमें सिर्फ़ आसमान ही दिखाई देता है सतीश जी ,हम धरती और उस से जुड़ी हर चीज़ से कट जाते हैं शायद, चाहे वो जानवर हो या इंसान तभी तो आए दिन फ़ुट्पाथ पर रहने वाले इस का शिकार होते हैं
ReplyDeleteओह! मार्मिक ...
ReplyDeleteइसे नेचुरल रिजेक्शन तो नहीं कहेगें न !
ReplyDeleteउफ ...जिन्दगी का कोई पता नहीं होता कब मोत को गले लगा ले ...जो सत्कर्म कर सकते हो समय रहते कर लो ..
ReplyDeleteसच मे बहुत दुखद होती है ऐसी घटनाये। हम कम से कम सावधानी तो बरत ही सकते हैं कि उन्हें नुकसान ना हो।
ReplyDeleteओह . मार्मिक
ReplyDeleteSo sad...
ReplyDelete.
ReplyDeletepathetic !
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बस ऐसा कहीं सुन कर हमारी कोमल सम्वेदनाएं जाग उठे।
ReplyDeleteहमारे ह्रदय, गाडी के टायरों से निष्ठूर न बन जाय।
सतीश जी , बच्चे तो सभी मासूम होते हैं । फिर वो चाहे आदमी के हों या जानवरों के ।
ReplyDeleteaapka एनिमल लव प्रेम अत्यंत सराहनीय है ।
उफ़ ! बेहद मार्मिक्।
ReplyDeleteदुखद....
ReplyDeleteओह . मार्मिक
ReplyDeleteक्या कहें!!!
ReplyDeleteदुखद!
मन खराब हो गया.
ReplyDelete5/10
ReplyDeleteपठनीय
बहुत मार्मिक !!
ReplyDeleteमार्मिक
ReplyDeleteबहुत बुरा हुआ ..
ReplyDeleteदुखद !
ReplyDeleteआसमां पर है खुदा और जमीं पर हम।
ReplyDeletesaxena jee, very touching !
ReplyDeleteबहुत ही दुखद ....
ReplyDeleteयह कोई आवश्यक नहीं की कार वाले की ग़लती ही रही हो. जानवर के अक्ल ही कितनो होती है. सतीश जी सराहनीय है आप की यह पोस्ट. ऐसे इंसान तो हैं, इस जहाँ मैं जो जानवरों के दर्द को भी समझ सकते हैं.
ReplyDelete....
ReplyDeleteओह
ReplyDeleteक्या कहें..................।
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