मत भूलो रचनाकार प्रथम
श्री रामचरित रामायण के
थे महापुरुष श्री बाल्मीकि
ऋषि,ज्ञानमूर्ति,रामायण के
हो शूद्र कुलोदभव फिर भी जगजननी को पुत्री सा समझा
उनके वंशज अपमानित कर, क्यों लोग मनाते दीवाली ?
Sunday, October 24, 2010
18 comments:
एक निवेदन !
आपके दिए गए कमेंट्स बेहद महत्वपूर्ण हो सकते हैं, कई बार पोस्ट से बेहतर जागरूक पाठकों के कमेंट्स लगते हैं,प्रतिक्रिया देते समय कृपया ध्यान रखें कि जो आप लिख रहे हैं, उसमें बेहद शक्ति होती है,लोग अपनी अपनी श्रद्धा अनुसार पढेंगे, और तदनुसार आचरण भी कर सकते हैं , अतः आवश्यकता है कि आप नाज़ुक विषयों पर, प्रतिक्रिया देते समय, लेखन को पढ़ अवश्य लें और आपकी प्रतिक्रिया समाज व देश के लिए ईमानदार हो, यही आशा है !
- सतीश सक्सेना
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विडम्बना है समाज की।
ReplyDeleteऋषि और महर्षि कि कोई जात नहीं होती थी. वो तो अपने कर्मो के आधार पर और अपने ज्ञान के कारण श्रेष्ट होते थे. महर्षि बाल्मीकि संसार के श्रेष्ट महर्षियों में से एक थे.
ReplyDeleteमें उनको प्रणाम करता हूँ और आप को भी.
bahut badhiyaa !
ReplyDeletekyaa baat hai!
ab to deewali tak roz aisee panktiyon ka intezar rahega
विचारणीय है ।
ReplyDeleteबेशकीमती रचना है यह...
ReplyDeleteधन्यवाद..
संजो के रखने वाली पोस्ट
ReplyDeleteसही समय पर सही सवाल।
ReplyDeleteअति सुंदर भाव.
ReplyDeleteरामराम.
बहुत सुंदर बात कही आप ने अपनी इस विचारिया रचना मै धन्यवाद
ReplyDeleteइन नकली उस्ताद जी से पूछा जाये कि ये कौन बडा साहित्य लिखे बैठे हैं जो लोगों को नंबर बांटते फ़िर रहे हैं? अगर इतने ही बडे गुणी मास्टर हैं तो सामने आकर मूल्यांकन करें।
ReplyDeleteस्वयं इनके ब्लाग पर कैसा साहित्य लिखा है? यही इनके गुणी होने की पहचान है। अब यही लोग छदम आवरण ओढे हुये लोग हिंदी की सेवा करेंगे?
सच है..
ReplyDeleteबहुत सजग चिन्तन है सतीश जी ,
ReplyDeleteआदि कवि का प्रथम छंद भी क्रौंची की करुण वेदना से व्याकुल हृदय से फूट पड़ा था .
बहुत कुछ कहते हैं ये शब्द...
ReplyDeleteregards
श्री रामचरित रामायण
ReplyDeleteits vaalmiki ramayan
and
its tulsidaas ramcharit maanas
dont twist facts
@ अनाम ,
ReplyDeleteयह गीत है कोई इतिहास नहीं श्रीमान बुद्धिमान !
बहरहाल शिक्षा के लिए आभार
@ अनाम,
ReplyDeleteआप अपने नाम से लिखें आपको जवाब अवश्य मिलेगा !
naam mae kyaa rakha haen mr satish saxsena
ReplyDeleteblog par itna galat kyun likhna ??
aur meri bhasha mae naa to tanch thaa naa abhdrataa phir bhi aap keh rahey haen श्रीमान बुद्धिमान
afsos ki aap khud bhasha par sayam nahin rakhtey
yae kament to aap kyaa hi publish karaegae
@ अनाम,
ReplyDeleteमाफ़ कीजिये ,आपका दिल दुखाना मेरा उद्देश्य नहीं था ! मैं अपना अर्थ बता चुका हूँ !