यह रचना दिल्ली में हो रहे रनर्स महाकुम्भ ADHM (Airtel Delhi Half Marathon 2018 ) के अवसर पर लिखी है जिसमें मैं हाफ मैराथन में भाग ले रहा हूँ !
शाब्बाश बुड्ढे ! यू कैन रन !
तवा बोलता छन छन छन !
सारे जीवन काम न करके
तूने सबकी वाट लगाईं !
ढेरों चाय गटक ऑफिस में
जनता को लाइन लगवाई !
चला न जाना अस्पताल में
बेट्टा , वे पहचान गए तो
जितना माल कमाया तूने
घुस जाएगा डायलिसिस में
बचना है तो भाग संग संग
रिदम पकड़ कर छम छम छम , शाब्बाश बुड्ढे यू कैन रन !
जब से उम्र दराज बने हो
सबके आदरणीय बने हो
सारी दुनिया के पापों को
खुलके आशीर्वाद दिए हो !
इस सम्मान मान के होते
देह हिलाना भूल गए हो
पिछले दस वर्षों से दद्दू
छड़ी पकड़ के घूम रहे हो
आलस तुझको खा जाएगा
फेंक छड़ी को रन, रन, रन , शाब्बाश बुड्ढे यू कैन रन !
देह हिलाना भूल गए हो
पिछले दस वर्षों से दद्दू
छड़ी पकड़ के घूम रहे हो
आलस तुझको खा जाएगा
फेंक छड़ी को रन, रन, रन , शाब्बाश बुड्ढे यू कैन रन !
साठ बरस का मतलब सीधा
साठ फीसदी ताकत कम
ह्रदय बहाए खून के आंसू
बरसे जाएँ झम झम झम
चलना फिरना छोड़ा कब से
घुटने रोते , चलते दम !
साँसें गहरी, भूल चुका है
ऑक्सीजन पहले ही कम
अभी समय है रक्ख भरोसा
गैंग बना कर धम धम धम , शाब्बाश बुड्ढे, यू कैन रन !
डायबिटीज खा रही तुझको
ह्रदय चीखता, जाएगा मर
सीधा साधा इक इलाज है
उठ खटिया से दौड़ने चल
आधे धड़ को पैर मिले हैं
उनको खूब हिलाता चल
ताकतवर शरीर होगा फिर
मगर तभी जब, मेहनत कर
सब देखेंगे जल्द , करेंगे
दुखते घुटने, बम बम बम , शाब्बाश बुड्ढे यू कैन रन !
बुड्ढा (मौगेंम्बो) खुश हुआ। :)
ReplyDeleteबहुत बढ़िया
ReplyDeletekamaal likha hai
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