Wednesday, July 26, 2023

आंसू और पसीना पर , दोनों पानी हैं - सतीश सक्सेना

आंसू और पसीना पर , दोनों पानी हैं !
दोनों का ही अर्थ जाहिलों में पानी है ! 

बेचारी कहते हैं ये सब जग जननी को 
युगों युगों से ही सम्मान, यहाँ पानी है !

पुरुष कद्र न कर पायेगा अहम् में अपने 
नारी छली गयी सदियों से, बस रानी है !

पिता पुत्र पति नौकर चाकर या राजा हो  
पुरुषों की नजरों में,  सब पानी पानी है ! 

इनकी तारीफों का पुल ही बांधे रहिये  
नारी इन नज़रों में,  बस बच्चे दानी है  !

दोनों पानी छिन जाएंगे, तब  समझेंगे 
अभी तो पानी पर श्रद्धा, पानी  पानी है  !

बिन पानी जब तड़पेंगे तब कदर करेंगे  
बहा न आंसू और पसीना, सब पानी है !
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