Wednesday, December 19, 2018

घर में बिन बुलाया मेहमान अलेक्ज़ेन्ड्रियान पैराकीट -सतीश सक्सेना

विश्व में हमारे अलावा अन्य कितने ही जीव हैं ,जो हमारी तरह सांस लेते हैं,सोते हैं,जागते हैं,भोजन करते हैं, बात करते हैं, चलते हैं,उड़ते हैं मगर बहुत कम इंसान हैं जो अपने पूरे जीवन में कभी अन्य जीवों के बारे में  सोंचते भी हैं और निश्चित ही यह कमी मानव जीवन को एक महत्वपूर्ण आनंद से वंचित रखती है ! मैं उन खुशकिस्मत इंसानों में से एक हूँ जो इन जीवों से बात करने का प्रयत्न करता रहा हूँ और इनसे दोस्ती बनाए रखने में सफल हूँ ! आप यकीन करें या न करें प्यार का प्रत्युत्तर देने में यह सब जीव मानवों से बेहद आगे हैं ! इंसानों को सबसे अधिक प्यार करने वाले कुत्तों ( जिन्हें हम जाहिलों ने गाली का दर्जा दिया ),स्मार्ट खरगोश , खूबसूरत गिनी पिग ,के बाद पिछले दिनों अचानक एक अजनबी तोता हमारे घर आ गया जिसकी समझदारी ने हमारी धारणाओं को उड़ाकर रख दिया !

हमने इसे पकड़ने की कोशिश न करके इसके लिए भोजन में अमरुद, हरी मिर्च, सेब , बिस्किट आदि रखे और इसने सब कुछ खाया , बेहतरीन बात यह कि अगर मैंने रस को चाय में डुबोकर खाया तो इसने भी दिए गए रस (rusk ) को पहले सामने रखे पानी या दूध में उठाकर डाला और बाद में पलट कर
गुड़िया के साथ 
डाला ताकि और नरम हो जाए और बाद में उसे निकाल कर खाया ( वीडियो देखें ) , इंसान की आवाज की नक़ल करना उसका जवाब देने का इनसे मुकाबला और कोई जीव नहीं कर पायेगा ! कुछ ही दिनों में इसे मुझपर इतना विश्वास हो गया है कि अब मेरे ही साथ मेरे कम्बल में घुसकर एक घंटे से अधिक समय तक सोता रहा है जो इसकी प्रकृति के विपरीत है !
चाय पीते समय गरम कप में मुंह डाल कर अपनी जीभ जला चुका है ! मिट्ठू अच्छा बच्चा है जितनी बार मैं कहता हूँ यह हर बार जवाब देता है कि हाँ यह अच्छा बच्चा है !

 काश हम अपने को श्रेष्ठ न मानकर प्रकृति के अन्य जीवों को ध्यान से समझने का प्रयत्न करें तो शायद अलौकिक आनंद का अनुभव हो !मुसीबत में सिर्फ भगवान याद आते हैं जो हमें मिलने कभी नहीं आते हम उनके बनाये अन्य स्वरूपों को देखने, समझने का प्रयत्न ही नहीं करते !




Sunday, December 9, 2018

सारी धरती लोहा माने , इंसानी इकबाल का ! -सतीश सक्सेना

सत्येन दादा,उन लोकप्रिय लोगों में से एक हैं जिन्हें मैं सम्मान के साथ पढने ,समझने का प्रयत्न करता हूँ , हर एक
के प्रति संवेदनशील, स्नेही सत्येन भंडारी को अगर पढ़ना शुरू करें तो समाप्ति से पहले रुक नहीं पायेंगे , उनकी सहज अभिव्यक्ति,आसानी से आपको मुक्त नहीं करेगी बल्कि सोंचने को विवश कर देगी, ऐसी है उनकी लेख्ननी !
स्नेही संवेदनशील लोग अगर लेखक हों तो वे निस्संदेह उनके लेखन में अनूठापन और ईमानदारी स्पष्ट नजर आएगी ऐसे लोग अपनी तारीफ नहीं चाहते और न इसका प्रयत्न करते हैं सो अक्सर यह बहुमूल्य व्यक्तित्व साहित्य जगत में गुमनामी में ही रहते हैं ,हाँ, ढोल बजाते प्रशस्ति पत्र पाते लोगों से कोसों दूर इन लोगों की कुटिया में उनके भले मित्रों की कोई कमी नहीं होती !

आज Anand भाई के एक कमेन्ट के द्वारा Satyen Bhandari की अस्वस्थता के बारे में ज्ञात हुआ, सुनकर खराब लगा , हाइपरटेंशन वाकई खराब बीमारी है खासतौर पर यदि 50 के बाद हो तब, मैं खुद इसका 55-60 वर्ष की उम्र में शिकार रहा हूँ , पेट के इर्दगिर्द वजन , और चेहरे का भारी होना इसकी शुरुआत मानता हूँ ! इसके साथ ह्रदय आर्टरीज में रूकावट होने का खतरा हमेशा सामने रहता ही है ! आज सर्वाधिक डायबिटीज और ह्रदय रोगी हमारे देश में ही हैं जिनसे मेडिकल व्यवसाय जबरदस्त तरीके से फलफूल रहा है !

सर्विस रिटायरमेंट (2014) के समय मुझे यह सारी समस्याएं, जन्मजात भावुकता एवं संवेदनशीलता के साथ मौजूद थीं, किसी भी जीव के कष्ट में खुद को आत्मसात कर लेना , इस खतरे को चर्म सीमा पर पंहुचाने के लिए 
काफी था मगर मैं इस उम्र में रगड़ रगड़ कर मरना नहीं चाहता था और इन्हीं दिनों मैं अपनी जिम्मेवारियों से
मुक्त हुआ था और अब खुद के लिए जीने की तमन्ना थी सो बड़प्पन को एक तरफ झटक अभी तो पार्टी शुरू हुई है, के नारे के साथ शरीर को निरोग बनाने का फैसला , अभूतपूर्व विश्वास के साथ कर 61 वर्ष की उम्र में नियमित वाक शुरू किया था ...

पौराणिक कहानियों में मैंने भीष्म पितामह से एक सबक लिया कि जीवनीशक्ति पर किया आत्मविश्वास आपको विजयी बनाएगा बशर्ते इसपर कोई संशय न हो ! अगर आसन्न मृत्यु उन्हें डिगा नहीं पायी तो मैं अभी उस भयावह अवस्था में नहीं हूँ बस सबसे पहले यह ठान लेना होगा कि मुझे अगले 20 वर्ष बेहद मजबूती के साथ जीना हैं और उसके बाद तदनुसार खानपान सम्बन्धी उचित आचरण करना होगा !

लोग अक्सर मुझसे मेरे स्वास्थ्य का राज पूंछते हैं , ऐसा नहीं कि मुझे बीमारियाँ नहीं होतीं हर वर्ष जाड़ों में खांसी की समस्या मेरे बढ़िया स्वास्थ्य में रुकावट रही है ! पिछले दो माह से दिल्ली के प्रदूषण में दौड़ने का प्रयास और फलस्वरूप गले में इन्फेक्शन के कारण लगभग तीन किलो वजन बढ़ा है साथ ही स्वाभविक तौर पर लम्बी दूर की दौड़ पर प्रतिकूल प्रभाव भी दिख रहा है मगर यह समस्याएं आत्मविश्वास नहीं तोड़ पाएंगीं , कुछ दिनों में अन्धेरा दूर होगा और फिर वजन घटेगा और सतीश दौड़ेगा ...

अपने ऊपर यह भरोसा तुम्हें हर बीमारी से मुक्त रखेगा , हाँ यह सब एक दिन में न होकर काफी लम्बे समय में होगा जब तक जीना है शरीर को एक्टिव बनाए रखना होगा अन्यथा हल्की से मायूसी और खुद पर अविश्वास उसी दिन शरीर को जमीन पर लिटाने के लिए काफी होगा !

जिस व्यक्ति को यही नहीं मालूम कि उसके शरीर का मोटापा क्या खाने से बढ़ रहा है वह यकीनन अपने जीवन के प्रति लापरवाह है ! हर शरीर अलग है, अगर एक शरीर पर, मीठा वजन बढाने का दोषी है तो दूसरे शरीर पर चना या दूध यह काम बखूबी कर रहा होगा और यह पता करना कोई अधिक मुश्किल काम नहीं, 
याद रहे बढ़ा हुआ वजन हर बीमारी बढाने में समर्थ है !

हर व्यक्ति को लगभग ५ km रोज धीरे धीरे दौड़ना चाहिए , इतना दौड़ना शरीर को सिखाने के लिए , लगभग २ माह का समय लगता है ! और मजबूत शरीर के लिए आवश्यक दौड़ सीखने के लिए हर रोज वाक का आखिरी 200 मीटर, बिना हांफे भाग कर समाप्त करना चाहिए ! मानवीय बॉडी कोर में अवस्थित महत्वपूर्ण अवयव, दौड़ने से उत्पन्न कम्पन पाकर अपने आपको धन्य समझेंगे और नए जोश से आपके शरीर को नवऊर्जा संचार देंगे ! आपकी आन्तरिक शारीरिक प्रतिरक्षा शक्ति आपको धन्यवाद् देगी कि चलो इस उम्र में ही सही बुड्ढे में बुद्धि तो आई ....

और २०१५ में ६१ वर्ष की उम्र में मेरा बीपी कब ठीक होगया पता ही नहीं चला , हैं मैंने शरीर के साथ जबरदस्ती नहीं की धीरे धीरे उसे एथलीट बनाया और सफल भी रहा !

मैराथन आसान ,भरोसा हो क़दमों की ताल का
साथ तुम्हारे दौड़ रहा है, बुड्ढा तिरेसठ साल का !

इसी हौसले से जीता है, सिंधु और आकाश भी
सारी धरती लोहा माने , इंसानी  इकबाल का !

Wednesday, November 21, 2018

मेहनत का कोई विकल्प नहीं -सतीश सक्सेना

अकेले लॉन्ग रन पर जाने में , मन बहुत व्यवधान पैदा करता है ! कल सुबह बेमन घर से निकला कि 10 km दौड़ना है अन्यथा Millennium City Marathon - 4th Edition 2nd Dec 2018​ जिसमें कई अंडर ब्रिज की चढ़ाइयाँ पार करते हुए 21 km दौड़ना इतना आसान नहीं होगा ! पहले दो सौ मीटर दौड़ने में ही तरह तरह के
बहाने नजर आने लगे , आज कोहरा बहुत है  ...अन्धेरे में पैर गड्ढे में आ सकता है ...कुत्ते हो सकते हैं हाथ में डंडा भी नहीं है  ...आज पैर में दर्द है आदि आदि !

मगर मजबूत इच्छा शक्ति ने, मन को धमकाया कि हर हालत में आज लंबा दौड़ना है और मुश्किल रस्ते से जाना है जहाँ फ्लाईओवर आदि मिलें ! अगर बेमन रोते हुए दौड़े तो बेट्टा आज 25 किलोमीटर दौड़ने की सजा मिलेगी इसलिए चुपचाप 17-18 km दौड लो कोई बहाना मंजूर नहीं ! और मजबूत इच्छा शक्ति की इस धमकी के आगे मन अपना मन मसोस कर चुपचाप कोने में बैठ गया और पैरों को एक लम्बे नए रूट पर मजबूत संकल्प के साथ मुड़ते देखता रहा !

और इस चौसठ वर्षीय नवजवान ने तीन चार ब्रिज की चढ़ाइयाँ पार करते हुए लगभग 20 km की दूरी भारी ट्रेफिक के बावजूद, अकेले दौड़ते हुए , तय करने में सफलता प्राप्त की जिसके लिए मात्र ३ वर्ष पहले 100 मीटर भी दौड़ना एक बुरा सपना था !

पेन्क्रियास और ह्रदय की सुरक्षा के लिए आइये, दौड़ना सीखें, मेडिकल व्यवसाइयों से बचें, वे बेहद खतरनाक हैं , वे आपको बचाने की कोशिश भी नहीं करते हैं और न उनके हाथ में हैं , वे सिर्फ आपके गलते शरीर पर दवाओं का प्रयोग कर आपको प्रभावित करने का कामयाब प्रयत्न करते हैं ! 

Sunday, November 11, 2018

मरना है तो,मरो सड़क पर मगर आज हों, ब्रेक बैरियर ! -सतीश सक्सेना

कई दिन बाद,आज सुबह, लम्बा दौड़ने का फैसला कर दौड़ते हुए 13.20 Km का फासला बिना रुके , बिना पानी के तय किया ! यह दूरी 1घंटा 36 मिनट में तय की गयी ! रनिंग के तुरंत बाद, बॉडी कूल डाउन के लिए लगभग 6 km तेज वाक किया ! अब लग रहा है कि जैसे काफी दिन बाद शरीर तरो ताजा और आत्मविश्वास से लबालब हुआ !


लोग सोंचते होंगे कि यह किस्मत वाले वाले हैं कि इन्हें 64 वर्ष की उम्र में भी कोई बीमारी नहीं है , मगर यह सच नहीं है , सत्य है कि मुझे भी बीमारियाँ हैं और परेशान करने वाली बीमारियों हैं मगर मैं उन्हें याद ही नहीं रखता और न दवा खाता अन्यथा बचा जीवन कब का मेडिकल व्यापारियों की भेंट चढ़ गया होता !
मेरा मानना है कि ६४ वर्ष की उम्र में कम से कम 64 प्रतिशत शरीर का क्षरण अवश्य हुआ है और मेरे शरीर का हर अंग की क्षमता भी उसी हिसाब से कम हुई होगी वह और बात है कि मैं अपनी मशीनरी को अधिकतर एक्टिव रखने में कामयाब हूँ सो मेरे शरीर की चुस्ती और स्टेमिना, उम्र के हिसाब से कहीं अधिक है , यकीनन मैं बाद में बिस्तर पर लेटकर बीमारियाँ भोगने से काफी हद तक बचा रहूंगा !

बूढों को देखते ही,संभावित बीमारियों का टेस्ट कराने के लिए , अक्सर परिवारजन सलाह देते देखे जाते हैं , मुझे मेडिकल व्यवसाय से अधिक प्रभावी विज्ञापन आजतक देखने को नहीं मिले जहाँ बीमार होते ही पूंछा जाए कि दवा ले आये ? मतलब शरीर में जो बीमारी बरसों में पैदा हुई है वह गोली खाते ही ठीक हो जायेगी इसीलिए मेडिकल पढ़ाई की फ़ीस करोड़ों तक पंहुचती है क्योंकि उस धंधे में पैसों की कोई कमी नहीं , साठ से ऊपर का हर आदमी अपने जीवन भर की कमाई बचाए बैठा रहता है कि उसे देकर इलाज हो जाएगा उसे उससे आगे की सोंचना ही नहीं कि बाद में बचोगे कितने साल ?

हर शहर में मेडिकल टेस्ट लेब्स की भरमार है और एक एक लैब में रोज सैकड़ों टेस्ट सैंपल लिए जाते हैं कोई ज्ञानी यह समझने की कोशिश ही नहीं करता कि क्या इस लैब में इतने टेस्ट करने की क्षमता और मशीनें भी हैं ? एक सामान्य टेस्ट करने में ही लगभग आधा घंटा लगता है पूरे दिन में एक तकनीशियन सिर्फ 12 टेस्ट कर पायेगा फिर यह रोज की 100 टेस्ट रिपोर्ट क्या मंगल वासियों द्वारा किये गए हैं ?

खैर ....दोस्तों से निवेदन है कि भारत डायबिटीज और ह्रदय रोगों की राजधानी बन चुका है, रोज जवान और असमय मृत्यु सुनने को मिलती है सो इनसे और मेडिकल व्यवसाइयों से बचने के लिए खुद को दौड़ना सिखाइए और जीवन का आनंद लीजिये !

सस्नेह सादर ..

आज की पंक्तियाँ जो गाते हुए दौड़ा ....

भाड में जाए धड़कन दिल की
कमर दर्द , कमजोर हड्डियां
मरना है तो , मरो सड़क पर
मगर आज हों, ब्रेक बैरियर !

Thursday, November 8, 2018

कल दिवाली मन चुकी है ,जाहिलों के शहर में -सतीश सक्सेना

खांसते दम ,फूलता है 
जैसे लगती जान जाए 
अस्थमा झकझोरता है, 
रात भर हम सो न पाए
धुआं पहले खूब था अब  
यह धुआं गन्दी हवा में 
समय से पहले ही मारें,
चला दम घोटू पटाखे ,
राम के आने पे कितने 
दीप आँखों में जले,अब 
लिखते आँखें जल रही हैं ,जाहिलों के शहर में !

धूर्त, बाबा बन बताते 
स्वयं को ही राज्यशोषित 
और नेता कर रहे हैं ,  
स्वयं को अवतार घोषित 
चोर सब मिल गा रहे हैं 
देशभक्ति के भजन ,
दिग्भ्रमित विस्मित खड़े 
ये,भेडबकरी मूर्खजन !
राजनैतिक धर्मरक्षक 
देख ठट्ठा मारते, अब 
राम बंधक बन चुके हैं , जाहिलों के शहर में ! 

Monday, October 29, 2018

कहीं गंगा किनारे बैठ कर , रसखान सा लिखना -सतीश सक्सेना

इस हिन्दुस्तान में रहते , अलग पहचान सा लिखना !
कहीं  गंगा किनारे  बैठ कर , रसखान सा लिखना !
 
दिखें यदि घाव धरती के, तो आँखों को झुका लिखना  
घरों में बंद, मां बहनों पे, कुछ आसान सा लिखना !

विदूषक बन गए मंचाधिकारी , उनके शिष्यों के ,
अनुग्रह पुरस्कारों के लिए, अपमान सा लिखना !

किसी के शब्द शैली को चुराये मंच कवियों औ ,
जुगाड़ू  गवैयों , के बीच कुछ प्रतिमान सा लिखना !

व्यथा लिखने चलो तब, तड़पते परिवार को लेकर
हजारों मील, पैदल चल रहे , इंसान पर लिखना !

तेरे मन की तड़प अभिव्यक्ति जब चीत्कार कर बैठे
बिना परवा किये तलवार की, सुलतान सा लिखना !

Saturday, October 20, 2018

मजबूत ह्रदय,पेन्क्रियास के लिए शरीर को दौड़ना सिखाएं -सतीश सक्सेना

भारत में पचास वर्ष से अधिक उम्र का हर तीसरा व्यक्ति, हार्ट आर्टरीज में रुकावट का ख़तरा लिए हुए है इस उम्र में हर व्यक्ति 60-80 प्रतिशत आर्टरिज़ ब्लॉक कर चुका होता है, आलस्य और खानपान के कारण घर घर में आई डायबिटीज सोने पर सुहागे का कार्य करता है और अचानक किसी दिन आपके जीवन भर की कमाई और हँसी, मेडिकल व्यवसायी ले जाते हैं !

अगर आपको यह जानना हो कि आप ह्रदय रोगी हैं या नहीं तो सिर्फ सौ मीटर दौड़ कर देखें अगर इतने में सांस फूल जाती है तब आप तमाम बढ़िया टेस्ट रिपोर्ट के बावजूद, निस्संदेह खतरे में हैं ! इससे निजात पाने का सबसे बेहतर तरीका अपने भारी शरीर को धीरे धीरे दौड़ना सिखाएं आप जल्द पायेंगे कि अब आप एक किलोमीटर बिना हांफे थके, दौड़ने में सक्षम हैं !

शुरू में बेहद परेशान होंगे, खराब लगेगा मगर कुछ समय बाद यही बहता पसीना आनंद देगा और इतना आनंद देगा कि आप अक्सर दौड़ के बाद नाचते हुए घर में घुसेंगे ! एक रनिंग आपके आत्मविश्वास को कई गुना बढाता है, तमाम उम्र्जनित बीमारियाँ, डिप्रेशन और झुंझलाहट नजदीक नहीं आयेंगे ! दौड़ते समय पूरे शरीर में बॉडी वेट इम्पैक्ट के कारण उत्पन्न कम्पन आपके आन्तरिक सुस्त पड़े अंगों में वह उथल पुथल करते हैं कि उन सोये हिस्सों में नयी जान पड़ जाती है !

दौड़ना आसान नहीं है , मैंने देखा है कि कोई नहीं पूंछता कि दौड़ना कैसे है , अधिकतर का माइंड प्रीसेट है कि दौड़ने में क्या है जबकि सच्चाई इसके विपरीत है आपका शरीर और मन आपको दौड़ने ही नहीं देगा और अगर जोश और हिम्मत के सहारे दौड़ते रहे तब कुछ दिनों में आन्तरिक मसल्स इंजरी के कारण इतने तरह के दर्द होंगे की आप भविष्य में दौड़ने के योग्य ही न रहें !

आराम पसंद मसल्स, अगर सामर्थ्य से अधिक कार्य करेंगे तब निस्संदेह आप कुछ समय में दौड़ना भूल जायेंगे हर रनर का पहला वर्ष बहुत महत्वपूर्ण होता है , जिसमें उसे अपनी मसल्स को मेहनत करना , आराम देना और उनकी शक्ति व tissues को regenerate करना होता है ! सो शुरुआत में कृपया ध्यान रखें

-सप्ताह में चार दिन से अधिक रन न करें !
- रविवार को लंबा दौड़ें(रन या वाक ) , सोम रेस्ट करें ताकि थकी मसल्स को आराम मिले और वे अधिक मजबूत हो सकें , मंगल बुध ब्रहस्पति तीनों दिन दौड़ें ( रन या वाक ), शुक्र को साइकिल चलायें शनिवार रेस्ट !
-पूरे सप्ताह पानी अधिक पीने की आदत डालें , रनिंग /वाकिंग में शरीर से पसीना बहता है पानी की कमी आपके मसल्स में क्रंप उत्पन्न करेगी, रनिंग में सबसे महत्वपूर्ण भाग आपके शरीर में जल का होना है इससे फ्लेक्सिबिलिटी रहेगी और दौड़ने में आनंद आएगा ! हाँ , दौड़ते समय जल नहीं पीना है पानी भरे पेट से आप दौड़ नहीं पायेंगे, प्यास होते समय गला तर करने को हाथ में ली हुई छोटी बोटल से सिप करें उतना काफी है !
-अगर GPS वाच नहीं है तब मोबाइल पर strava नामक app इंस्टाल करें और दौड़ या वाक के शुरू और अंत में स्टार्ट और बंद करना न भूलें ! खुद की मेहनत को देखना बेहद आनंद देता है !
-दौड़ते समय कपडे हलके पहने जो दौड़ने में रुकावट न करें , रनिंग शोर्ट और स्लीवलेस वेस्ट अच्छी रहती है ! रनिंग शोर्ट में जिप पॉकेट होती है जिसमें अपने मोबाइल को रखकर आप दौड़ सकते हैं ! हलके और आरामदेह जूते महत्वपूर्ण हैं !
- हर रनर को अपने साथ दौड़ते समय , पसीना से बचने के लिए हेडबैंड , मोबाइल , कुछ पैसे , ID कार्ड ,पानी की छोटी बोतल और कार की चावी
रखना होता है सो रनर शोर्ट में कम से कम दो ज़िप पॉकेट आवश्यक हैं !
अंत में फिर बता दूं कि मैंने रनिंग तमाम उम्र जनित बीमारियों के साथ, 61 वर्ष की अवस्था में सीखनी शुरू की तथा दो वर्ष में मोटा पेट और भारी भरकम चेहरे से निजात पा ली थी , लटकी हुई मांसपेशियां, झुर्रियां सब गायब हो चुकी हैं , पूरे जीवन पहले साठ बरसों में 100 मीटर न दौड़ पाने वाला मैं अबतक ४५०० km दौड़ चुका हूँ और बिना रुके ६५ वर्ष की उम्र में 21 किलोमीटर (2 घंटा 15 मिनट ) दौड़ने में समर्थ हूँ !
यकीन करें आप आराम से कर लेंगे और बीमारियों से मुक्त होंगे बस मेडिकल व्यवसाइयों की गोलियां पर भरोसा न करें बल्कि घर से निकल शरीर को फिट बनाएं और कुछ दिन बाडी आप ठठ्ठा मारकर हँसते हुए घर में दौड़ते हुए प्रवेश कर पायेंगे !

आप सबको मंगलकामनाएं !

बढ़ी उम्र में , कुछ समझना तो होगा !
तुम्हें जानेमन अब बदलना तो होगा !

उठो त्याग आलस , झुकाओ न नजरें
भले मन ही मन,पर सुधरना तो होगा !

Friday, October 19, 2018

शाब्बाश बुड्ढे ! यू कैन रन - सतीश सक्सेना

मेरी उम्र के लोगों को यह कविता पसंद नहीं आएगी , इसे बेहद दोस्ताना अन्दाज़ में लिखा गया है और वे इसके आदी नहीं हैं , 50 वर्ष से ऊपर के लोग बच्चों की तरह हंसने में असहज होते हैं उन्हें सिर्फ सम्मान चाहिए और वह भी सभ्यता के साथ और जीर्ण शरीर और बुढ़ापा भी यही चाहते हैं !
यह रचना दिल्ली में हो रहे रनर्स महाकुम्भ ADHM (Airtel Delhi Half Marathon 2018 ) के अवसर पर लिखी है जिसमें मैं हाफ मैराथन में भाग ले रहा हूँ !


शाब्बाश बुड्ढे ! यू कैन रन ! 
तवा बोलता छन छन छन !

सारे जीवन काम न करके
तूने सबकी वाट लगाईं !
ढेरों चाय गटक ऑफिस में
जनता को लाइन लगवाई !
चला न जाना अस्पताल में
बेट्टा , वे पहचान गए तो
जितना माल कमाया तूने 
घुस जाएगा डायलिसिस में
बचना है तो भाग संग संग
रिदम पकड़ कर छम छम छम , 
शाब्बाश बुड्ढे यू कैन रन !

जब से उम्र दराज बने हो  
सबके आदरणीय बने हो
सारी दुनिया के पापों को
खुलके आशीर्वाद दिए हो !

इस सम्मान मान के होते
देह हिलाना भूल गए हो
पिछले दस वर्षों से दद्दू 
छड़ी पकड़ के घूम रहे हो
आलस तुझको खा जाएगा
फेंक छड़ी को रन, रन, रन , शाब्बाश बुड्ढे यू कैन रन !

साठ बरस का मतलब सीधा
साठ फीसदी ताकत कम
ह्रदय बहाए खून के आंसू
बरसे जाएँ झम झम झम
चलना फिरना छोड़ा कब से
घुटने रोते , चलते दम !
साँसें गहरी, भूल चुका है
ऑक्सीजन पहले ही कम
अभी समय है रक्ख भरोसा
गैंग बना कर धम धम धम , शाब्बाश बुड्ढे, यू कैन रन !


डायबिटीज खा रही तुझको 
ह्रदय चीखता, जाएगा मर
सीधा साधा इक इलाज है
उठ खटिया से दौड़ने चल
आधे धड़ को पैर मिले हैं
उनको खूब हिलाता चल
ताकतवर शरीर होगा फिर
मगर तभी जब, मेहनत कर
सब देखेंगे जल्द , करेंगे
दुखते घुटने, बम बम बम , शाब्बाश बुड्ढे यू कैन रन !



Tuesday, October 9, 2018

सावधान ! रनिंग सीखने में लापरवाही ,आपकी जान लेने में भी समर्थ है - सतीश सक्सेना

दो दिन पहले इंग्लैंड में हो रहे कार्डिफ हाफ मैराथन की फिनिश लाइन पर पंहुच कर दो नौजवानों को हार्ट अटैक हुआ और वे बच नहीं पाए , इन दोनों McDonald एवं Dean Fletcher की उम्र क्रमश 25 और 32 वर्ष थी , जिसमें Mcdonald पहली बार हाफ मैराथन दौड़ रहे थे ! रनिंग वर्ल्ड के लिए यह घटना बेहद दुखद और सबक देने वाली है जिसमें सही प्रशिक्षण और जानकारी के अभाव में, दो नौजवानों की जान चली गयी जिन्होंने अभीतक जीवन सही से शुरू भी नहीं किया था !
(https://www.bbc.com/news/uk-wales-45789771)

आज के समय में दौड़ना आना मानवीय शरीर के लिए, एक वरदान है,आलसी शरीर बहुत जल्द फैट इकट्ठा
करने में समर्थ है और मोटापा ह्रदय की धमनियों में ब्लोकेज, बाकी का काम डायबिटीज पूरा कर देता है ! आज के समय में रनिंग के फायदों के प्रति लोगों की समझ  बढ़ी है और लोग रनिंग प्रतियोगिताएं में भरी संख्या में बिना रनिंग समझे और सीखे शामिल होने का प्रयत्न करते हैं !
CoachRavinder Singh भारतीय runners में एक सम्मानित नाम है , एनसीआर में प्रमुख आयोजक हैं जिन्होंने इस क्षेत्र में बहुत काम किया है ! मैंने उनकी कई पोस्ट पढ़ी जिनमें वे खिन्न मन से लिखते रहे कि इन्हें आश्चर्य होता है जब आजकल के नवोदित रनर पहले ही वर्ष हाफ मैराथन और मैराथन दौड़ने का प्रयत्न करते हैं ! वे कहते हैं कि उन्होंने अपना पहला मैराथन पूरा करने के लिए, 5 वर्ष लगाए थे !

अधिकतर नौजवान पहले हाफ मैराथन में जोश के साथ अपने परिवार जनों या मित्रों को अपना रिकॉर्ड दिखाने के लिए जरूरत से अधिक दौड़ने का प्रयत्न करते हैं जो उनके लिए कई बार जीवन भर के लिए अपंगता, इंजुरी अथवा असामयिक ह्रदय आघात का कारण बनता है !


मैंने 61वर्ष की उम्र में दौड़ना सीखना शुरू किया , एब्नार्मल पल्सरेट के चलते मेरी कोशिश रहती कि अपनी गति को बिना बढाए,दौड़ता रहने की प्रक्टिस जारी रखूं ! पिछले तीन वर्ष में लगभग 4500 km दूरी जिसमें 25 से अधिक हाफ मैराथन (21Km ) दौड़ चुका हूँ मगर अभी तक अपने आपको मैराथन 42km दौड़ने के लिए फिट नहीं मानता हूँ !

आज सुबह मैंने लम्बा दौड़ने के लिए संकल्प लेते हुए 17 km की दौड़ लगाई थी और यह पूरी दौड़ बिना हांफे मात्र 300 ml पानी के साथ पूरी हुई ! इस पूरी दौड़ में मैंने अपने दिमाग से एक चीज हटाये रखी कि मैं दौड़ रहा
हूँ और कहाँ तक दौड़ना है ! असली दौड़ वाही मानी जाती है जिसमें रनर को यह महसूस न हो कि वह दौड़ रहा है , ध्यान केन्द्रित पैरों पर हो अपने हाथों पर हो या अपने मूव होते कन्धों के रिदम पर हो , और आपको अहसास भी नहीं होगा कि आपने दौड़ पूरी कर ली है !

21km लगातार दौड़ने का अर्थ पूरे शरीर को लगभग ढाई घंटे तक जबरदस्त उथलपुथल का अहसास देना है इतनी देर तक दौड़ने के लिए शरीर की मसल्स में मजबूती के साथ लचीलापन और भरपूर पानी और साल्ट होना चाहिए ! इतनी देर दौड़ने पर लगभग तीन लीटर पसीना बहता है जिसके जरिये शरीर से बहुत अधिक मात्रा में मग्निसियम, कैल्शियम, पोटेशियम जैसे साल्ट निकल जाते है ! लगातार ढाई घंटे तक शरीर और मस्तिष्क में बॉडी वेट इम्पैक्ट के कारण कम्पन होते रहते हैं साथ ही हर उठकर गिरते कदम पर शरीर के वजन का तीन गुना इम्पैक्ट पड़ता है जिसे घुटनों के जॉइंट झेलते हैं ! इतनी जबरदस्त धुनाई इंसान को तभी करनी चाहिए जब वह अपने शरीर को इस योग्य बना ले और मानसिक तौर पर भी तैयार हो ! जल्दवाजी अक्सर घातक होती है अथवा पीड़ादायक इंजुरी जिससे महीनों जान नहीं छूटती ! मगर यह याद रहे कि इसे सीखने का अर्थ पूरे जीवन डायबिटीज और ह्रदय रोगों से शर्तिया बचाव एवं मेडिकल व्यवसाइयों के चंगुल से दूर रहना है सो दौड़ना सीखना बेहद आवश्यक है !

अंत में दौड़ने के लिए आवश्यक बातें दुबारा :
-एक रात पहले से पानी की मात्रा बढ़ा दें पानी आपके अंगों को लचीलापन देता है !
-सप्ताह में दौड़ चार दिन से अधिक न रखें लम्बी दौड़ के बाद अगले दिन आराम करना आवश्यक है
-सप्ताह में एक दिन साईकिल चलाना आवश्यक है इसके जरिये वे कमजोर मसल्स भी मजबूत होंगे जिनका उपयोग रनिंग के दौरान कम होता है अगर ऐसा न किया तब जांघों में विभिन्न तरह के दर्द महसूस होंगे जिस कारन आपको रनिंग करना मुश्किल होगा
-मसल्स इंजुरी से बचने के लिए, runner के लिए पहले और बाद की एक्सरसाइज करनी बेहद आवश्यक हैं यह एक्सरसाइज इन्टरनेट पर उपलब्ध हैं !
-जीपीएस वाच हो तो अच्छा है यह आपके रनिंग रिकॉर्ड को सहेजने में मददगार होगी जो भविष में आपको हिम्मत और प्रेरणा देगा
-हर रनर को पानी में नमक और नीम्बू क्रेम्प्स से बचने में मददगार हैं !
- अगर आप पांच किलोमीटर दौड़ने की प्रक्टिस कर रहे हैं तो सप्ताह में आपका एवरेज 10 km का होना चाहिए इसी तरह 10km रनर के लिए कम से कम 20 km हर सप्ताह और 21 km की ट्रेनिंग के लिए 42 km प्रति सप्ताह दौड़ना ही चाहिए !

एक तड़प सी उठती रही
अक्सर हमारी सांस से ,
जब तक रहेंगे हम यहाँ
कुछ काम होंगे,शान से !
गीत कुछ,ऐसे रचें जाएँ ,
जो सब के मन बसें !
हम विदा हो जाएँ तो, पदचिन्ह रहने चाहिए !

बात तो तब है कि वे
जगते रहे हों रात से !
और दरवाजे सजे हों 
प्यार, बंदनवार से !
आहटें पैरों की सुनकर,
साज़ भी थम जाएँ जब,
देखकर हमको वहां , कुछ ढोल बजने चाहिए !

Monday, October 1, 2018

तुम्हें जानेमन अब बदलना तो होगा -सतीश सक्सेना

"ऊर्जा को उसकी जड़ों तक पहुँचाने के लिए शरीर को अस्त व्यस्त कर देने वाली विधियों की ज़रूरत है, दौड़ना उन में से एक बेहतरीन विधि मानती हूँ मैं " सुमन पाटिल के इस कमेन्ट ने मुझे अपने तीन वर्ष दौड़ने के अनुभव के बारे में सोंचने को मजबूर कर दिया !

अभी तक साइंस,शरीर के बारे में नौसिखिया स्टेज पर ही है कि वे कौन से कारण हैं कि यह शारीरिक मशीनरी 100 वर्ष तक बिना थके चलने में समर्थ है ! बिना साइंटिफिक बुद्धि का उपयोग किये, हम सोंचें तो इसे सौ वर्ष चलाने के लिए जंगलों खेतों से जो भी खाने योग्य मिले वह थोड़ा सा भोजन, जल और हवा ही काफी है ! शरीर की बनावट ही ऎसी है कि इस जलपान को जुटाने के लिए आपको घर से निकलकर चलना पडेगा और चलते समय पैरों का उपयोग होगा तो हाथ खुद ब खुद चलने लगेंगे सारी मशीनरी हाथ पैरों द्वारा मेहनत करने पर ही निर्भर है 


शरीर के अधिकतर महत्वपूर्ण अंग पेट के अन्दर हैं उनको हर हालत में व्यस्त रखना आवश्यक है ! आधुनिक युग में मानव ने धन का उपयोग खुद को आराम देने के लिए करना शुरू किया और श्रम को निर्धनों की मजबूरी मान लिया ! इस मूर्खता पूर्ण सोंच से उनका शरीर तो बेडौल हुआ ही, शक्ति लगभग समाप्त ही हो गयी !

मानवीय शरीर को दुरुस्त रखने के लिए, आवश्यक हवा, भोजन, पानी के लिए चलना और दौड़ना बेहद

आवश्यक हैं दौड़ने से ही पेट (बॉडी कोर) के अंदरूनी अंगों में कम्पन होगा, उनमें जमा चर्बी पिघलेगी एवं वे अंग लम्बे समय तक शरीर को शक्ति देने योग्य रहेंगे ! आज आलसी लोगों से धन कमाने का सबसे बढ़िया तरीका,उन्हें विज्ञापन दिखाते रहिये कि चिंता न करें उनकी बरसों के आलस्य से पैदा बीमारी और मोटापे को ठीक करने के लिए १ ग्राम की मेडिकल गोली काफी होगी और उस डरपोक और काहिल इंसान की समझ को, बरसों तक जिन्दा रहने का एक फर्जी तरीका मिल जाता है !

लोग उम्रदराज होते ही सीखना बंद कर देते हैं और आने आसपास के हर व्यक्ति को सिखाने में और उसे अपना शिष्य बनाने में लग जाते हैं ! उन्हें लगता है किउनके प्रभामंडल से अधिक प्रतिभा और कहीं है ही नहीं काश वे अपनी बेवकूफियों को बताने वालों का सम्मान कर सकते तो निस्संदेह समझ के साथ उनकी उम्र में भी इजाफा होता !

मजेदार बात यह है कि यह सोंच मूर्खों में हो, ऐसा नहीं है, यहाँ के बड़े बड़े तथाकथित विद्वान् एवं सैकड़ों पुरस्कार पाए और आगे का जुगाड़ भिड़ाते , चेलों को आशीर्वाद देते मूर्ख गुरुजन, शामिल हैं ये जाहिल लोग अपने ऊपर मंडराते खतरे को देख ही नहीं पाते सिर्फ अपने जुगाडू नाम पर बजती तालियों से शक्ति पाकर खुश हो जाते हैं काश वे अपनी असमय ह्रदयघात से हुई मौत पर नकली आंसू बहाते अपने मित्रों को देख पाते तो उन्हें अहसास होता कि उन्होंने विद्वता के नशे में अपने ऊपर निर्भर परिवार जनों के साथ कितना बड़ा धोखा किया है !

किसी भी उम्र में सीखना अपमान नहीं है बल्कि समझदारी है इससे निस्संदेह आपका फर्जी आत्मविश्वास, वास्तविक रूप में निखरेगा अपने जीर्ण होते मजबूत शरीर को निखारने के लिए, मेहनत करना सीखिये उसे लम्बी दूर तक दौड़ना सिखाइए !

उठो त्याग आलस , झुकाओ न नजरें
भले मन ही मन,पर सुधरना तो होगा !

असंभव कहाँ, मानवी कौम में कब ?
तुम्हें जानेमन अब बदलना तो होगा !

सीढियां चढ़ते समय फूलती साँस नजरंदाज़ न करें -सतीश सक्सेना

अगर हार्ट अटैक एवं डायबिटीज से बचना चाहते हो तो पसीना निकलने तक की मेहनत करना सीखना होगा ! धन का उपयोग कर अपने शरीर को आराम देने वाले लोग जान लें कि अभी तक किसी भी खतरनाक बीमारी का, कोई भी इलाज नहीं जो पैसा देकर बीमारी ठीक कर, उम्र बढ़ा दे !
अगर आप सीढियां चढ़ते समय अपनी उखड़ती सांसों को नज़रन्दाज़ कर रहे हैं तो आप अपने आपको जबरदस्त धोखा दे रहे हैं !
अगले अटैक में ऑपरेशन थिएटर पंहुचते ही बचे जीवन में मजबूत आवाज में बात करने लायक नहीं रहेंगे !
अधिक उम्र में भी आसानी से दौड़ना सीखा जा सकता है टहलना और अखबार पढ़ना छोड़, शरीर से पसीना बहने तक, मेहनत करना सीखना ही होगा अन्यथा अधिक उम्र में दुर्दशा पक्की है !
गली मोहल्ले के रायचन्दों से बचें , हाथ पैरों को मेहनत करने के लिए बनाया गया है , इसका कोई विकल्प नहीं !
आइये, रनिंग सीखकर हम अपने आन्तरिक अंगों को , उत्पन्न कम्पनों के जरिये, मजबूत और रोग मुक्त बनाएं ! अंत में मेरी रचना की कुछ लाइनें पढियेगा ....

ये जीवन जटिल हैं,समझना तो होगा !
तुम्हें जानेमन अब बदलना तो होगा !
उठो त्याग आलस , झुकाओ न नजरें
भले मन ही मन,पर सुधरना तो होगा !
अगर जीना है आओ हंसकर खुले में
शुरुआत में कुछ ,टहलना तो होगा !
यही है समय ,छोड़ आसन सुखों का
स्वयं स्वस्त्ययन काल रचना तो होगा !
असंभव कहाँ, मानवी कौम में कब ?
सनम दौड़ में,गिर संभलना तो होगा !

Thursday, September 20, 2018

रनिंग टिप्स - सतीश सक्सेना

-रनिंग सीखे बिना, दौड़ने की कोशिश करना, अधिक उम्र वालों के लिए घातक हो सकता है !
-अधिकतर प्रौढ़ व्यक्तियों या "समझदार" व्यक्तियों को दौड़ना नहीं आता है वे बच्चों की तरह, हांफते, रुकते, टहलते, दौड़ने का प्रयास करते हैं जिससे उनके हृदय पर विपरीत असर पड़ता है ! उन्हें लगता है कि रनिंग में सीखने जैसी क्या बात है !
- अगर रनिंग करते समय आनंद नहीं आ रहा तो वह रनिंग आपके हृदय को स्वस्थ नहीं बल्कि कमजोर बनाएगी इसीलिए शरीर को रनिंग सिखानी आवश्यक है कि उसे उसमें आनंद आये !


-अधिक उम्र वालों को स्मूथ रनिंग सीखने में, लगभग 2 से 3 वर्ष लगते हैं जो जल्दबाजी करते हैं उनकी रनिंग जल्द ही बंद हो जाती है !
- मैं 3वर्ष में 25 से अधिक बार हाफ मैराथन के साथ कुल 4285 km दौड़ चुका हूँ और अब भी खुद को रनिंग का जानकार नहीं समझता, मेरा हर नया रन एक नया सबक देता है !
-जब भी दौड़ते समय हांफने लगें मानियेगा कि आप ट्रेनिंग से अधिक तेज दौड़ने का प्रयास कर रहे हैं और शरीर रजिस्ट कर रहा है सो शरीर से जबरदस्ती नहीं करनी !
-आप लगातार 5 मिनट तक न दौड़ें बल्कि 2 मिनट दौड़ें और अगले चार मिनट वाक् करें जब सांस व्यवस्थित हो जाए तब दो मिनट फिर दौड़ें और फिर चार मिनट वाक, यह क्रम दुहराएँ !
-दौड़ते समय शरीर को शक्ति ऑक्सीजन से मिलती है सो दौड़ते समय सांस लेने का एक रिद्म बनता है जिससे मस्तिष्क और फेफड़ों को बेहतर एवं अधिक मात्रा में ऑक्सीजन मिलती है ! जो सही से सांस नहीं लेते वे जल्दी थक जाएंगे
-दौड़ने से पहले व्यायाम और एड़ी पंजें की स्ट्रेचिंग करें !
-पानी दौड़ के लिए और एक रनर के लिए बहुत आवश्यक है सारे दिन में कम से कम 12 गिलास पानी पियें इससे जोड़ों में लचीला पैन आएगा जो कि लम्बी दौड़ों के लिए बेहद आवशयक है !
-पूरे सप्ताह में आराम देना बहुत आवश्यक है कम से कम दो दिन दौड़ने को आराम दें !
सप्ताह में एक दिन साईकिल चलाने जैसी एक्सरसाइज बेहद आवश्यक है यह उन मसल्स को मजबूत करेगी जो रनिंग के द्वारा उपयोग में नहीं आते !
अगर रनिंग के सबसे आवश्यक टिप जानना हों तो पहले तीन टिप निम्न हैं
१.हायड्रेशन
२.हायड्रेशन
३.हायड्रेशन
अर्थात शरीर में अगर पानी अब्सॉर्व नहीं है तो शरीर दौड़ नहीं पायेगा इसका अर्थ यह नहीं कि दौड़ने से पहले एक बोतल पानी पीकर दौड़ा जाये बल्कि दौड़ने से पहले दिन अधिक पानी पीना है
- जिस दिन आप रनिंग 21 km दौड़ते हुए एन्जॉय कर पाएंगे समझियेगा कि आपकी सारी हार्ट आर्टरी ओपन हो चुकी हैं और याद रखें रनर को डायबिटीज तो हो ही नहीं सकती !

यूरोप भ्रमण और रनिंग -सतीश सक्सेना

यूरोप का ट्रिप ढाई महीने का रहा जो कि 25 सितम्बर को पूरा होगा, इस बार जर्मनी से बाहर खूबसूरत प्राग (चेकोस्लोवाकिया या चेकिया) , इंसब्रुक (ऑस्ट्रिया), वेनिस (इटली),  माउंट टिटलिस ( स्विट्ज़रलैंड) पेरिस ( फ्रांस ) और बार्सिलोना ( स्पेन )
घूमने का मौका मिला ! सिर्फ यूरोप में ही यह सुविधा है कि विभिन्न देशों में जाने के लिए आपको अलग अलग वीसा (फीस 60 यूरो ) अप्लाई  नहीं करना पड़ता ! यूरोप महाद्वीप के 26 देशों ने, अपने नागरिकों को, किसी भी देश में स्वतन्त्रता पूर्वक आने जाने के लिए, पूरी आज़ादी देते हुए अपने बॉर्डर समाप्त कर दिए हैं !

पूरे शेंगेन जोन ( Schengen zone ) में इंटरनेशनल बॉर्डर, मात्र मैप में ही नज़र आता है , 26 देशों के नागरिक बिना किसी पासपोर्ट चेक एवं कण्ट्रोल के एक दुसरे देश में कहीं भी आने जाने के लिए स्वतंत्र हैं ! इसी तरह विश्व के किसी भी देश का नागरिक शेंगेन वीसा के साथ इन 26 देशों में कहीं भी बेरोकटोक घूम सकता है ! यह समस्त देश आपस में बस, ट्रैन और फ्लाइट के माध्यम से जुड़े हुए हैं ! जैसे म्युनिक(जर्मनी) से प्राग(चेकिया), 380 km की दूरी तय करने में, बस का टिकिट 15 euro का है, हाँ बस में बैठने से पहले आपको अपना पासपोर्ट एवं टिकिट ड्राइवर को दिखाना होगा !

यह यात्रा मेरे लिए बेहद आनंद दायक रही क्योंकि मैंने अपने इस विदेश प्रवास में, चाहे वह प्राग का चार्ल्स ब्रिज हो या पेरिस में एफिल टावर के नीचे, सीन नदी का किनारा, बार्सिलोना (स्पेन) का खूबसूरत समुद्री किनारा , या वेनिस की जलभरी गलियां हर जगह दौड़ते हुए पार की ! मुझे याद है कि अपनी जवानी के दिनों में ऐसा करने में एक डर रहता था कि नए देश में रास्ता न भटक जाएँ ! अभी 64 वर्ष की उम्र में बिना परवाह के दौड़ना शुरू करता हूँ 5 km दौड़ने के बाद, जब तक शरीर गर्म होता है तबतक यह छोटे छोटे शहर का दूसरा किनारा नज़र आने लगता है ! मेरी फिलहाल दौड़ने की रेंज लगभग 25 km है उतने में पूरा शहर का चक्कर हो
जाता है सो खोने का कोई गम नहीं !

समय जाते पता नहीं चलता , मैंने सितम्बर 2015 से रनिंग सीखना शुरू किया तब से अबतक 582 बार और इन 582 प्रयासों में मैने अपने 61वें वर्ष के बाद, पिछले तीन वर्षों में, 4285 Km की दूरी दौड़ते हुए तय की ! जबकि पहले साठ वर्ष तक मैंने दौड़ते हुए, 1 km की बात छोड़िये, 100 मीटर की दूरी भी नहीं भाग सका ! मैं 80 वर्ष के यूरोपियन वृद्धों को साइकिल चलाते हुए देखता हूँ तब मैं सोंचता हूँ कि हम लोग अधेड़ होते ही यह क्यों मान लेते हैं कि अब हम इस काम को नहीं कर सकते, अब हमारी उम्र हो गयी है काश हम भारतीय, यह नेगटिव सोंचना बंद करें और मैं कर सकता हूँ इस सोंच के साथ, नया प्रयास आरम्भ करें !

Friday, September 14, 2018

जर्मनी से स्पेन, भोजन एवं स्वाद -सतीश सक्सेना

जर्मन लोगों को मैंने अक्सर ट्रेन या बस में शाम ६ बजे के आसपास नेपकिन में दबाये सैंडविच खाते देखा है , और वे यह बेहिचक करते हैं ! वे अक्सर अपना मुख्य भोजन दिन में खाना पसंद करते हैं उनके भोजन में  साबुत अनाज की ब्रेड , चीज़ ,योगर्ट , भुने मीट के स्लाइस एवं ब्रैटवुस्ट नामक पोर्क या बीफ या टर्की के बने सॉसेज होते हैं ! साथ में सलाद टमाटर एवं अचार (gherkins) एक्स्ट्रा स्वाद देते हैं !

यहाँ लोग नाश्ते में यह लोग अधिकतर ब्रेड टोस्ट , ब्रेड रोल जिसमें शहद, मार्मलेड , अंडे एवं हैम, सलामी एवं सॉसेज लेना पसंद करते हैं , जिसके बाद गर्म कॉफी, कोको या चाय पीते हैं ! कॉफी यहाँ चाय से अधिक लोकप्रिय है !

यूरोप में अधिकतर लोग मीट प्रोडक्ट पर निर्भर होते हैं इनके भोजन में किसी न किसी रूप में मीट, उपलब्ध अवश्य होगा सो हमवेजीटेरियन लोगों को अतिरिक्त सावधानी बरतनी पड़ती है ! जल्दबाजी में ख़रीदे, रेडीमेड पास्ता एवं टू मिनट नूडल्स पहला  चम्मच खाने के बाद ही फेंकने पड़े !


मगर यूरोप में हम वेजिटेरियन लोगों का सहारा, पीता ब्रेड ( ग्रीक रोटी ) होती है जो अकसर यूरोपियन स्टोर में उपलब्ध रहती है , इसे खरीद कर बटर का उपयोग कर अपना देशी परांठा बनाया जा सकता है ! साथ में आलू उबालकर सूखी सब्जी बनाना अधिक मुश्किल काम नहीं , सहारे के लिए स्टोर्स में तरह तरह के योगर्ट ( दही ) उपलब्ध होता है ! 

म्यूनिख बवेरिया स्टेट की राजधानी है जो अपने बियर गार्डन के लिए मशहूर है , जहाँ खुले में बड़े मैदान में अथवा गार्डन में हजारों लोगों के बैठने की व्यवस्था होती है और फ्रेश बियर सर्व की जाती है , देखने में यह एक ऐसा खुला रेस्टॉरेंट लगता है जहाँ लोग इकट्ठे होकर किसी राष्ट्रीय त्यौहार पर एक साथ बियर पीकर, ख़ुशी मना रहे हों ! कुछ मायनों में हमारे देश के एक बड़े ढाबे जैसा माहौल होता है मगर एक विशेषता लिए होता है कि हजारों लोगों में से एक भी इंसान जोर से न बोलता है और न झूमता है !

आप किसी भी जर्मन मार्किट में चले जाएँ सड़क किनारे रेस्टुरेंट के फुटपाथ पर कुर्सियों पर बैठे लोग बियर पीते मिलेंगे मगर एक शालीनता और सभ्यता के साथ बिना किसी शोर शराबे के ! मैंने यहाँ हार्ड ड्रिंक्स, शराब, स्कॉच आदि बहुत
कम लोगों को पीते देखी , 80 प्रतिशत लोग बियर और बचे लोग वाइन का सेवन करते देखे हैं ! अगर आप एक दो दिन को यहाँ आएंगे तो जहाँ नजर डालें फुटपाथ पर पड़ी कुर्सियों पर बैठे लोगों के हाथ में बियर का ग्लास देखेंगे मगर एक भी आदमी शराबी व्यवहार करते नहीं दिखेगा !

हाँ, हम जैसे देसी वेजिटेरियन लोग भी मिलेंगे जिन्हें वहां बियर के साथ, उबले अंडे या नमकीन तो मिलने से रही सो विकल्प के रूप में वेज ब्रेड, ऑलिव्स और चीज़ की तलाश करते हैं ! जर्मन बेकरी सबसे अधिक व्यस्त दुकाने हैं जहाँ विभिन्न स्वाद की देश विदेश की नमकीन एवं मीठे ब्रेड , बिस्किट एवं केक उपलब्ध हैं जिनको खाने से मन नहीं भरता !
एक दिन बेहद भूख लगने पर मैंने बाजार से दो शहद की बिस्कुट जिनका वजन ५० ग्राम होगा फिलाडेल्फिया चीज के साथ खायीं तो भूख ऐसे गायब हुई जैसे भरपूर लंच लिया हो ! लाजवाब क्वालिटी के ऐसे फ़ूड प्रोडक्ट हमारे देश में दुर्लभ हैं , इन प्रोडक्ट के साथ अक्सर लोग सूप, कोकोकोला पीना पसंद करते हैं जिन्हें हमारे देश में देशी व्यापारियों ने त्याज्य घोषित कर दिया गया है !
Swimming in Sea  

कैटालोनिया कोस्ट पर बसे बार्सिलोना का नाम, यूरोप के उन बेहद खूबसूरत शहरों में शामिल होता है जो विश्व के टूरिस्ट नक़्शे में विख्यात हैं ! यह शहर नार्थ स्पेन रीजन में, मेडिटेरेनियन समुद्र तट पर , बसा है तथा अपने विशेष कैटलॉन संस्कृति, गौरव तथा व्यक्तित्व के लिए, एक अलग पहचान रखता है !

कल म्यूनिख से बार्सिलोना, स्पेन पंहुचे थे , एयरपोर्ट से ही 5 दिन का होला बार्सिलोना अनलिमिटेड पास (हेलो बार्सिलोना) ले लिया था, अन्यथा टैक्सी से एयरपोर्ट से शहर अपने अपार्टमेंट तक पंहुचने में ही लगभग 5000 रूपये पड़ जाता ! यह
बार्सिलोना टूरिस्ट  पास दो लोगों का 5000 रूपये का पड़ा और इसके द्वारा मैं पांच दिन तक किसी भी वाहन मेट्रो, ट्रेन , बस और ट्राम से पूरे शहर में कितनी ही यात्रायें करने को स्वतंत्र था ! 

मैं , रुकने के लिए होटल न लेकर, पुराने शहर के बीच प्राइवेट अपार्टमेंट लेना पसंद करता हूँ , इनका रेट लगभग होटल जितना ही पड़ता है मगर , अपना ताला चाबी, प्रायवेसी, अधिक जगह, अपना खुद का किचेन , बाथरूम , और बालकोनी का महत्व इस नयी जगह, संस्कृति के लोगों के बीच रहने की सुविधा मिलने के कारण, इनका महत्व अधिक होता है ! बार्सिलोना में यह अपार्टमेंट एयर बीएनबी के जरिये ऑनलाइन लिया था ! अधिकतर अपार्टमेंट पर पूरा पेमेंट पहले ही देना होता है ! वे इसके बाद आपको दरवाजे के इलेक्ट्रॉनिक बॉक्स का कोड भेजते हैं जिसे द्वार पर डॉयल करने पर बॉक्स ओपन हो जाता है और अंदर आपको चाबी मिलती है जिसके जरिये आप मेन डोर खोल सकते हैं ! 

अंदर आकर सबसे पहले बाथरूम , किचेन एवं बैडरूम का निरीक्षण किया तो पाया टॉवल्स सेट , सोप , चादर , ब्लैंकेट , वाशिंग मशीन , फ्रिज , ओवन , माइक्रोवेव , हॉट प्लेट , कॉफी मशीन, इलेक्ट्रिक प्रेस,  आवश्यक बर्तन आदि के अलावा पांच दिन के लिए, चाय कॉफी के लिए आवश्यक सामान , वर्जिन ओलिव आयल, जूस आदि उपलब्ध था ! सो अन्य मन
मुताबिक सामग्री जुटाने के लिए पहला काम, बाहर मोहल्ले के स्टोर पर जाना और अपनी मन मर्जी की आवश्यक सामान खरीद कर फ्रिज में रखना था !

जर्मनी, ऑस्ट्रिया, इटली, स्विट्ज़रलैंड , फ्रांस, स्पेन  सब जगह शहरी सप्लाई का पानी, पीने योग्य माना जाता है मगर स्वाद मीठा नहीं होता, हम भारतीयों को म्युनिसिपल सप्लाई वाटर में, नाले का पानी, मुफ्त में मिक्स होकर मिलने के कारण, हर घर में आर ओ ( रिवर्स ओसमोसिस )लगाना ही पड़ता है जोकि पीने में मीठा होता है मगर यूरोप के घरों में आर ओ कहीं नहीं देखा !  बाजार में बिकने वाला पानी मिनरल वाटर के रूप में उपलब्ध है जो बेहद मंहगा पड़ता है ! RO का नुकसान एक ही है कि वह पीने के पानी से, मानव शरीर के लिए आवश्यक मिनरल्स जैसे कैल्सियम, मैग्निसियम को भी नष्ट कर देता है जो कि हमारे लिए बेहद आवश्यक हैं शुक्र है कि हमारा शरीर यह मिनरल्स भोज्य सामग्री से आसानी से जुटा लेता है ! दूध, बियर और जूस से अधिक महंगा , आधा लीटर पानी का भाव भी ढाई यूरो है सो अक्सर पानी की जगह बियर से काम चलाने  के लिए तैयार रहना होगा !
बहरहाल यूँ देखने में यूरोप महंगा लगेगा मगर यहाँ कम पैसों में भी आराम से घूमा जा सकता , पूरे दिन का भोजन के लिए 6 से 10 यूरो में काम चल सकता है मगर यदि रेस्टॉरेंट में लंच और डिनर लेना है तो यही खर्चा 40 यूरो तक बैठेगा ! 

Wednesday, September 5, 2018

जर्मनी और राज भाटिया -सतीश सक्सेना

टिकट मशीन 
यूरोप के अधिकतर देशों में नगर उपनगर यातायात के लिए , मेट्रो , ट्राम , बस और ट्रेन उपलब्ध हैं और इसके लिए   बेहतरीन व्यस्था है कि आपको हर जगह अलग अलग एजेंसीज से अलग टिकिट लेने की आवश्यकता नहीं है ! मेट्रो स्टेशन या बस स्टैंड पर लगी ऑटोमेटिक मशीन से लिया गया एक टिकिट हर जगह मान्य है और यह टिकिट आप अपने मोबाइल पर भी ऑनलाइन ले सकते हैं ! म्यूनिख में जहाँ एक स्थान से दुसरे स्थान का एक तरफ का टिकिट, किसी भी साधन से,  2.90 यूरो (250 रूपये ) है वहीँ एक दो जोन के लिए एक सप्ताह का अनलिमिटेड पास 12 यूरो का और पूरे म्यूनिख नेटवर्क में पूरे दिन के लिए, अनलिमिटेड यात्रा पास 24 यूरो का है ! यूरोप में किसी शहर में घूमने के लिए, अगर उसे बेहतर समझना हो तो उस शहर का ट्रांसपोर्ट सिस्टम पहले समझना चाहिए , जहाँ आप ठहरे हैं उस स्थान से पॉपुलर रुट के स्टेशन और दिशा याद रखना आवश्यक है बाकी काम आसान हो जाता है ! ड्राइवर युक्त टैक्सी सर्विस बेहद महगीं हैं , 40 km की टैक्सी यात्रा लगभग 6000/=की पडेगी !  


राज भाटिया के साथ 
अगर यूरोप में वास्तविक प्राकृतिक खूबसूरती और रहनसहन का माहौल देखना हो तो किसी गांव में जा कर देखिये आपको आनंद आ जाएगा ! राज भाटिया म्यूनिख से लगभग ४५ km दूर एक गाँव इज़ेन में रहते हैं , उनका आमंत्रण पहले दिन से मेरे पास था मगर जाने का मौका कल मिला जब मैं किसी को छोड़ने एयरपोर्ट गया था और मेरी जेब में पूरे म्यूनिख नेटवर्क का पास था ! मैंने अपने आने के बारे में उन्हें इन्फॉर्म किया तो उनका कहना था कि आप गाँव तक पब्लिक ट्रांसपोर्ट से न आएं बल्कि मैं आपको लेने आपके नजदीकी स्टेशन श्वाबिन मार्किट तक आ रहा हूँ आप वहीँ पर मेरा इंतज़ार करें ! जब मैं वहां पंहुचा तो राज भाई अपनी ऑडी के साथ इंतज़ार कर रहे थे ! खूबसूरत साफ सुथरे रास्तों से होते हुए जब उनके गांव पंहुचे तो हमारे जैसा गांव तो कहीं नजर नहीं आया समझ ही नहीं आया की प्रकृति का इतना सुंदर नज़ारा और शोर शराबे रहित, शांत जगह जहाँ धूल का नामोनिशान न हो , गाँव कैसे हो सकता है ! अगर हमारे देश में, शहर के नजदीक गलती से भी ऐसे गांव रहे होते तो निश्चित ही वहां बड़े सरकारी अधिकारियों के निवास स्थान बन गए होते और उसे सिविल लाइन्स का नाम दिया जाता क्योंकि शहर के सबसे बेहतरीन एरिया में रहने का हक़ कलक्टर एन्ड कंपनी का ही होता है ! बाकी तो सब कीड़े मकोड़े हैं कहीं भी रह लेंगे  ...... 


हमारे देश में अब अतिथि सत्कार दिखावा और बीते दिनों की बात हो चली है , मगर देश से इतनी दूर , भाटिया दम्पति ने जिस प्यार से विशुद्ध भारतीय भोजन कराया वैसा बहुत कम ही नजर आता है ! भोजन अच्छा तभी लगता है जब वह प्यार से कराया जाय इस मायने में श्रीमती भाटिया साक्षात् अन्नपूर्णा सी लगीं  यूँ भी जर्मनी में किसी भी भारतीय घर में, भारतीय भोजन की उपलब्धता होना आसान नहीं, अधिकतर जगह आपका स्वागत वेस्टर्न नाश्ते या भोजन से होगा क्योंकि यहाँ देशी सामग्री इम्पोर्टेड है और अधिकतर सामान जैसे तेल , देशी घी , हरी मिर्च , मसाले सब तलाश करने के लिए इंडियन स्टोर में ही जाना होगा एवं अत्यंत महंगे (गेंहू का आटा 5किलो 1200 रुपया) भी हैं ! 3000 sqft एरिया में बना उनका साफ़ सुथरा घर बॉलीवुड की फिल्म बनाने योग्य था इतने बड़े घर में धूल और अव्यवस्था का नाम नहीं उसके लिए इन दोनों की जितनी तारीफ की जाय वह कम ही होगी ! 

उसके बाद वे हमें गाँव भ्रमण पर ले गए एक साफ़ सुथरे खेत के बाहर एक छोटे स्टाल पर ताज़ी निकली सब्जियां जिसमें विभिन्न रंग के ऑक्टोपस नुमा कद्दू देखकर हम आश्चर्यचकित थे , सब्जियों पर रेट लिखा था साथ में छोटा सा मनी बॉक्स परन्तु बेंचने वाला कोई नहीं ! आप अपनी मन पसंद सब्जी उठाइये और पैसे बॉक्स में डाल दीजिये कोई देखने वाला नहीं कि आपने पैसे डाले भी कि नहीं  ..... 

एक अन्य जगह अंडे रखे दिखे, यहां भी रेट के साथ मनी बॉक्स था उठाइये, जितने चाहिए और पैसे डाल दीजिये ! आप बेईमानी करना चाहते हैं मुफ्त में ले जाइये कोई आप पर शक नहीं करेगा , सब आपसी विश्वास और भरोसा ! भाटिया जी ने यह भी कहा कि हम अधिकतर समय, घर खुले छोड़ आते हैं कोई ख़तरा नहीं, यहाँ कोई बेईमानी की सोंच भी नहीं सकता ! पुलिस या अन्य सरकारी विभाग रिश्वत लेने अथवा देने की कोई सोंच भी नहीं पाता ! 

इस छोटे से जर्मन गांव में , जब कोई व्यक्ति जब सड़क या पगडण्डी से, कुत्ते के साथ निकल रहा हो तब उसकी जेब में एक
डॉग पूप के लिए थैली यहाँ से लें 
छोटा लिफाफा होगा जिसे वह कुत्ते का पूप कलेक्ट करने के लिए रखता है इसके अलावा पगडण्डी के साथ साथ एक छोटा बक्सा होगा जिससे कोई भी लिफाफा निकाल सकता है किसी भी हालत में, कोई व्यक्ति  कुत्ते की पूप बाहर नहीं फेंकेगा ! 

यहाँ कौन देख रहा  .... वाले शब्द बोलने वाले लोगों के देश से आये हुए मेरे जैसे व्यक्ति के लिए यह सब देखना आश्चर्य के सिवा और कुछ नहीं था  .....

इस गांव में हर रास्ते में फूल और फल लगे देखे जिन्हें सुबह के अँधेरे में आकर भगवान की पूजा के लिए कोई नहीं चुराता ! पके हुए सेब हर घर में  लगे हैं और बाहर भी लटके हैं , इस खूबसूरती की हम अपने यहाँ कल्पना भी नहीं कर सकते , अगर किसी की जेब से टहलते हुए कोई तौलिया रूमाल या मोबाइल गिर जाए तो घबराने की कोई बात नहीं वह अगले दिन सुबह भी वहीँ पड़ा मिलेगा ! इस राम राज्य की कल्पना हमारे पूर्वजों ने सैकड़ों बरसों से की थी और लगता नहीं कि हमारे देश में जहाँ हर व्यक्ति चतुरसेन पहले है, अब कभी भी पूरी होगी ! पश्चिमी देशों की, बिना उन्हें देखे, समझे, मूर्खों की तरह  जमकर 
उनकी बुराई करते हैं यही हमारी सभ्यता को पहचान बची है ! अगर रामराज्य कहीं है तो वह वाकई इन देशों में है जिन्हें हम गाली देना अपनी शान समझते हैं !

यहाँ की सड़क पर स्पीड लिमिट तोड़ने को कोई कोशिश नहीं करता अगर किसी कैमरे में आ गयी तो जुर्माना जो लगभग १५००० रूपये होगा घर आ जाएगा और सफाई देने की कोई गुंजाइश नहीं ! मानव जीवन को यहाँ बहुमूल्य माना जाता है अगर आप
मुसीबत में हैं तब डिस्ट्रेस कॉल में एम्बुलेंस पंहुचने का समय ३ मिनट और अगर डॉ उपलब्ध न हो तो हैलकॉप्टर एम्बुलेंस तत्काल हाजिर होगी और मुफ्त का इलाज होगा ! राज भाई के 3 हार्ट ऑपरेशन हुए और बिलकुल मुफ्त , बदकिस्मती से आपके घर में बच्चे आपका ख़याल रखने और तीमारदारी करने को उपलब्ध नहीं हों तो नर्स की मुफ्त सेवा है आपका एक पैसा खर्च नहीं होगा ! सारा भारी भरकम बिल का खर्चा इंस्युरेन्स कम्पनियाँ उठाएंगी और बिना वह भी किसी लिखा पढ़ी के, सीधा हॉस्पिटल के साथ  !

शराब पीकर ड्राइविंग करना आपको कम से कम 40000 रूपये से 120000 रूपये तक महंगा पड़ सकता है यहाँ तक कि आपकी साइकिल पर अगर लाइटिंग इक्विपमेंट नहीं लगे हैं तब 2000 रुपया जुर्माना होगा अगर वह रेड लाइट क्रॉस करता है तो 60 यूरो ( 5000 रूपये ) जुर्माना है और पैदल चलने वाले को भी माफ़ी नहीं है , पेडस्ट्रियन क्रॉसिंग पर अगर आपने पैदल चलते हुए जल्दी से रेड लाइट जंपिंग की है तो 400 रुपया देने को तैयार रहिये !

यहाँ घर पर नौकर रखना और मरम्मत करवाना बेहद खर्चीला साबित होगा क्योंकि कामगरों की तनख्वाह बहुत अधिक हैं उनसे व्यक्तिगत काम कराना नया सामान खरीदने जितना पड सकता है अतः घरों में मरम्मत, रिपेयर, पेण्ट आदि खुद करना होता है !
सो यहाँ के लोग कामचोर नहीं है इसीलिए फिटनेस की कोई समस्या नहीं ! साईकिल से बाजार जाना , बगीचे की तथा अपने घर से बाहर की घास काटना, झाड़ू लगाना, बर्तन धोना , घर का फर्श आदि सब कुछ आपको खुद करना होगा वह और बात है कि अधिकतर काम के लिए आप मशीनों का उपयोग करते हैं ! 

राज भाई के घर में इन्होने एक कमरा वर्कशॉप में बदल रखा है , उनके पास हर तरह के टूल्स देखकर पता चला कि समय ने इन्हें हर काम खुद करना भी सिखा दिया इनके घर से निकलते समय एक संकल्प मैंने भी लिया कि अब से घर में अधिकतर काम और रिपेयर खुद करना है जब राज भाई यह कर सकते हैं तो मैं क्यों नहीं ! 

Sunday, August 19, 2018

निराशाओं के दौर में जीना कर्तव्य बन जाता है : सतीश सक्सेना

बढ़ती उम्र, घटती सामर्थ्य, अपनों में ही कम होता महत्व, बुढ़ापा जल्दी लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है ! पूरे जीवन सम्मान से जीते हुए इंसान के लिए, निराशाओं के इस दौर में हँसते हुए जीना कर्तव्य होना चाहिए साथ ही बदलते समय से समझौता कर, अपने कार्यों का पुनरीक्षण करना, लगातार होती हुई गलतियों में सुधार भी, परिपक्व उम्र की आवश्यकता होती है ! 
निराशा बेहद खतरनाक रोल अदा करती है इससे बाहर निकलने के लिए नयी रुचियाँ और उत्साह पैदा करना होगा अन्यथा यह निराशा असमय जान लेने में समर्थ है ! 

गोपालदास नीरज की यह कालजयी रचना मुझे बेहद पसंद है 

जिन मुश्किलों में मुस्कुराना हो मना,
उन मुश्किलों में मुस्कुराना , धर्म है।

जिस वक़्त जीना गैर मुमकिन सा लगे,
उस वक़्त जीना फर्ज है इंसान का,
लाजिम लहर के साथ है तब खेलना,
जब हो समुन्द्र पे नशा तूफ़ान का
जिस वायु का दीपक बुझना ध्येय हो
उस वायु में दीपक जलाना धर्म है।


जब हाथ से टूटे न अपनी हथकड़ी
तब मांग लो ताकत स्वयं जंजीर से
जिस दम न थमती हो नयन सावन झड़ी
उस दम हंसी ले लो किसी तस्वीर से
जब गीत गाना गुनगुनाना जुर्म हो
तब गीत गाना गुनगुनाना धर्म है।

Sunday, July 29, 2018

आसान यूरोप यात्रा -सतीश सक्सेना

इस बार यूरोप यात्रा का संयोग गौरव की जर्मनी पोस्टिंग के कारण हुआ उसकी इच्छा थी कि पापा और माँ मेरे पास लम्बे समय आकर रहें सो पहली बार घर को लगभग ढाई महीने के लिए छोड़ने का फैसला किया पिछली पोस्ट पर मित्रों का अनुरोध था कि इस यात्रा का विवरण लिखूं सो यह पोस्ट आवश्यक हो गयी है !
यूरोपियन ढाबा पर जौ का रस, मशहूर ब्रेड, ब्रीज़ल के साथ !

-विदेश यात्रा को अधिकतर लोग हौआ मानते हैं और उस पर अक्सर बात करने से या जाने की योजना बनाने से झिझकते ही नहीं बल्कि सोंचने में भी कतराते हैं और इसके पीछे धन का अभाव न होकर अक्सर आत्मविश्वास की कमी ही होती है कुछ अन्य कारण निम्न हैं  ....

- पहला कारण विदेशियों से कम्युनिकेशन में आत्मविश्वास का न होना, अधिकतर का मानना है कि उनकी बेहतरीन फर्राटेदार इंग्लिश समझना और बेहतरीन इंग्लिश में बात करना बहुत मुश्किल है जबकि वास्तविकता इसके उलट है लगभग पूरे विश्व में सामान्य विदेशियों की इंग्लिश काफी कमजोर है अधिकतर जगह पर वे टूटी फूटी इंग्लिश में और हावभाव के साथ ही संवाद करते हैं और तो और हमारी मैडम एयरपोर्ट से लेकर शानदार मॉल तक में धड़ल्ले से अपनी हिंगलिश और हिंदी मिलाकर चमत्कृत करने वाली देसी अंग्रेजी में जर्मन लोगों को समझाने में कामयाब रहीं हैं !

-झिझक का दूसरा कारण विदेश यात्रा में अधिक खर्चे का अनुमान होना होता है जबकि यह कई बार देशी यात्रा से भी कम बैठता है ! दिल्ली से पेरिस या म्यूनिख का एक व्यक्ति के आने जाने का खर्चा लगभग 36000/- है और लगभग 5000 रूपये प्रति दिन में अच्छा होटल मिल जाता  है जिसमें एक समय का खाना शामिल होता है ! इस प्रकार एक मध्यम आय वाले पति पत्नी, सवा लाख रूपये में, ५ दिन के लिए रोम जाकर बापस आ सकते हैं !

-विश्व के किसी भी भाग की यात्रा, बिना जानकारी करना पहले असंभव थी जबकि अब इन यात्राओं को गूगल ने बेहद आसान बना दिया है, अगर स्मार्ट फोन आपके पास है तब आप कहीं किसी शहर में खो नहीं सकते, जीपीएस टेक्नोलॉजी के जरिये आपकी लोकेशन हर वक्त आपके पार्टनर के पास होती है इसके लिए आपने अपने परिवार के सदस्यों या मित्रों को अपनी लाइव लोकेशन शेयर करनी भर होती है, आजकल हर व्यक्ति को जीपीएस सिस्टम की जानकारी रखना आवश्यक है !


-आपके शहर से हजारों किलोमीटर दूर अनजान शहर में आपको उस शहर में कदम रखने से पहले, गूगल मैप के जरिये ,अपने बस स्टॉप और बस नंबर तक का पता चल जाता है और कितने स्टॉप बाद उतर कर किस दिशा में, कितने कदम चलना है गूगल मैप की मदद से आप अपने गंतव्य पर आसानी से पंहुच जाते हैं !

-अपना टिकिट अपने मोबाइल पर घर बैठे ऑनलाइन खरीद लीजिये और जहाँ चाहे यात्रा करिये कोई चेक करने नहीं आता न कहीं कोई रेलवे टिकिट कलेक्टर जैसा कोई इंसान दिखता, हर जगह एक भरोसा सा महसूस होता है कि आप भले इंसान हैं और चोरी नहीं कर सकते ! अगर किसी वीरान बसस्टॉप या ट्राम पर खड़े हैं तो टिकिट आपको अपने मोबाइल पर खरीदने की सुविधा है ! 

-हर सड़क पर पदयात्रियों के फुटपाथ , साइकिल के लिए अलग ट्रेक बना है ! पैदल चलते व्यक्ति को सड़क पार करते देख गाड़ियां जबतक इंतज़ार करती हैं जबतक वह इंसान सड़क पार न कर ले ! मोहल्ले में कोई शोर शराबा नहीं लेट इवनिंग में आप घर में तेज आवाज में टीवी अथवा ड्रिल से दीवार में या लकड़ी में छेद नहीं कर सकते शोर मचाना या जोर जोर से बोलना  असभ्यता की निशानी माना जाता है ! नियम पालन यहाँ का समाज अपनी जिम्मेदारी समझ कर पालन करता है !
यूरोप के विभिन्न देशों के बीच सीमा नहीं है हर व्यक्ति बिना किसी परमिट के किसी भी देश में जाने को स्वतंत्र है !

-पूरा वातावरण बेहद स्वच्छ है धूल उड़ते कहीं नहीं दिखती , इस बार मैं एक सफ़ेद शर्ट कई दिन से पहने हूँ कॉलर गंदा ही नहीं होता ! ठन्डे और साफ़ वातावरण में सुबह सुबह इसार नदी के किनारे दौड़ने का आनंद ही कुछ और है काश विश्व के देशों की सीमाएं समाप्त हो जाएँ और हम सब एक साथ मिलकर हंसना रहना सीख सकें !

कितना सुंदर सपना होता 
पूरा विश्व  हमारा  होता । 
मंदिर मस्जिद प्यारे होते 
सारे  धर्म , हमारे  होते ।  
कैसे बंटे,मनोहर झरने,
नदियाँ,पर्वत,अम्बर गीत । 
हम तो सारी धरती चाहें , स्तुति करते मेरे गीत ।  

काश हमारे ही जीवन में 
पूरा विश्व , एक हो जाए । 
इक दूजे के साथ  बैठकर,
बिना लड़े,भोजन कर पायें ।
विश्वबन्धु,भावना जगाने, 
घर से निकले मेरे गीत । 
एक दिवस जग अपना होगा,सपना देखें मेरे गीत । 

Monday, July 9, 2018

तुम्हें जानेमन अब बदलना तो होगा - सतीश सक्सेना

बढ़ी उम्र में , कुछ समझना तो होगा !
तुम्हें जानेमन अब बदलना तो होगा !

उठो त्याग आलस , झुकाओ न नजरें 
भले मन ही मन,पर सुधरना तो होगा !

अगर सुस्त मन दौड़ न भी सके तब 
शुरुआत में कुछ ,टहलना तो होगा !

यही है समय ,छोड़ आसन सुखों का 
स्वयं स्वस्त्ययन काल रचना तो होगा !

असंभव नहीं , मानवी कौम में  कुछ  ?
सनम दौड़ में,गिर संभलना तो होगा !

Tuesday, June 26, 2018

सावधान -सतीश सक्सेना

सावधान -सतीश सक्सेना
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कुछ वर्ष पहले के बेहद खूबसूरत चेहरे , चंद वर्षों में ही , बेडौल और भद्दे दिखने लगते हैं , बुरा हो उनके खैरख्वाहों की बजती तालियों और तोंद से नीचे बंधी बेल्ट का, जो उन्हें अहसास ही नहीं होने देतीं कि वे कितना कुछ खो चुके हैं !
और बुरा हो उन बहानों का जो बढ़ते वजन का कारण हैं , कोई बेचारा समय, कम होने के कारण मोटा है तो कोई दवाओं के कारण तो कोई घुटने के दर्द के कारण वाक् नहीं कर पाते तो दौड़ना कैसे सीखें ?
कुछ लोग खुद को तसल्ली दे लेते हैं कि वे रोज दोस्तों के साथ पार्क में टहलते हैं और कुछ तो जिम भी जाते हैं !
इन्हें नहीं मालुम कि बढ़ते फैट के कारण शरीर का हर अंग बीमार हो रहा है अगर वे दो मंजिल सीढियाँ या 100 मीटर दौड़ने में हांफ रहे हैं तो समझिये, ह्रदय घात कभी भी होगा और पछताने का मौक़ा नहीं देगा !
To avoid danger of Obesity, Diabetes and Heart attack, Learn Running ....
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