खांसते दम ,फूलता है
जैसे लगती जान जाए
अस्थमा झकझोरता है,
रात भर हम सो न पाए
धुआं पहले खूब था अब
यह धुआं गन्दी हवा में
समय से पहले ही मारें,
चला दम घोटू पटाखे ,
राम के आने पे कितने
दीप आँखों में जले,अब
लिखते आँखें जल रही हैं ,जाहिलों के शहर में !
धूर्त, बाबा बन बताते
स्वयं को ही राज्यशोषित
और नेता कर रहे हैं ,
स्वयं को अवतार घोषित
चोर सब मिल गा रहे हैं
देशभक्ति के भजन ,
दिग्भ्रमित विस्मित खड़े
ये,भेडबकरी मूर्खजन !
राजनैतिक धर्मरक्षक
देख ठट्ठा मारते, अब
राम बंधक बन चुके हैं , जाहिलों के शहर में !
जैसे लगती जान जाए
अस्थमा झकझोरता है,
रात भर हम सो न पाए
धुआं पहले खूब था अब
यह धुआं गन्दी हवा में
समय से पहले ही मारें,
चला दम घोटू पटाखे ,
राम के आने पे कितने
दीप आँखों में जले,अब
लिखते आँखें जल रही हैं ,जाहिलों के शहर में !
धूर्त, बाबा बन बताते
स्वयं को ही राज्यशोषित
और नेता कर रहे हैं ,
स्वयं को अवतार घोषित
चोर सब मिल गा रहे हैं
देशभक्ति के भजन ,
दिग्भ्रमित विस्मित खड़े
ये,भेडबकरी मूर्खजन !
राजनैतिक धर्मरक्षक
देख ठट्ठा मारते, अब
राम बंधक बन चुके हैं , जाहिलों के शहर में !
हम सब जगह पाये जाते हैं
ReplyDeleteशहर ही नहीं पूरा देश उजाड़ना चाहते हैं
राष्ट्र भक्ति की परिभाषाये बदल चुकी हैं अब सभी
वो सभी मूर्ख हैं
जो इनके
और इनके गिरोह के
सरदार की पूजा नहीं करवाते हैं।
सटीक।
सच कहा. प्रदूषण कहर बरपा रहा है.
ReplyDeleteप्रदूषण की मार सहते लोगों की पीड़ा को शब्द देती प्रभावशाली पंक्तियाँ
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