Sunday, April 20, 2014

इक असंभव गीत, गाना चाहता हूँ -सतीश सक्सेना

              अपने बचपन के उन सबसे बुरे दिनों में,जब माँ की मृत्यु हुई , मैं इतना छोटा था कि अपनी माँ का चेहरा भी याद नहीं ……
               काश एक बार वे सपने में ही दिख जाएँ ! ऐसी कौन सी भूल हुई मुझ बच्चे से, जो वे छोड़ कर हमेशा को, वहां चली गयीं जहाँ से कोई कभी बापस नहीं लौटा !! 

             यह मात्र एक रचना न होकर माँ को लिखा एक एक पत्र है,मेरा अपना, माँ के लिए …… 

माँ ,तुझे वापस , बुलाना चाहता हूँ !
इक असंभव गीत , गाना चाहता हूँ !

इक झलक तेरी, मुझे मिल जाये तो,
एक कौरा ही, खिलाना चाहता हूँ !

मुझसे हो नाराज, मत मिलना मुझे,
अपने बच्चों से, मिलाना चाहता हूँ !

जानता हो अब न तुम आ पाओगी
सिर्फ सपने में , बुलाना चाहता हूँ !

जाने कितनी बार ये, रुक -रुक बहे !
माँ, मैं आंसू को, जिताना चाहता हूँ !

देख तो लो माँ , कि बेटा है कहाँ ?
तेरा घर तुझको दिखाना चाहता हूँ !

बहुत दिन से चल रहे हैं , बिन रुके !
आज दिनकर को बिठाना चाहता हूँ !

(आज पता चला कि यह कतील शिफ़ाई की जमीन पर लिखा गया , अनजाने में ) - ३१ अगस्त १५  

47 comments:

  1. दिल को छूने वाली भावुक पंक्तियाँ .....

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  2. बहुत भावनात्मक। तारीफ के लिए शब्द ही नहीं हैं।

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  3. दर्द भरी अभिव्यक्ति पर निःशब्द हूँ...आँखें भर आईं !!

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  4. माँ ,तुझे बापस , बुलाना चाहता हूँ !
    इक असंभव गीत , गाना चाहता हूँ ! ....बहुत सुन्दर..गीत.

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  5. बढ़िया व सुन्दर रचना , सतीश भाई शेयर करने के लिए धन्यवाद !
    नवीन प्रकाशन - जिंदगी हँसने गाने के लिए है पल - दो पल !

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  6. एक माँ के लिये इससे बडी कोई बात नही कि उसका बेटा उसे इस तरह याद करे । काश ऐसा स्नेह माँ के पास होते हुए रहे ..। आपका बेशक रहा होगा । बहुत भावपूर्ण रचना ।

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  7. सतीश जी ,,मैं भी बहुत बचपन से इसी इच्छा को ले कर बड़ी हुई हूँ ,और ये कामना आज भी जीवित है, यदि कोई तरकीब मिले उन से मिलने की तो मुझे भी बताइयेगा :(

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  8. बहुत सुंदर भावपूर्ण रचना ।

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  9. मॉ तुम बहुत याद आती हो मैं बच्ची जैसे रोती हूँ ।
    आँसूँ स्वयं पोछती रहती सुबक-सुबक कर रोती हूँ ।

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  10. गीत भले ही असंभव हो पर मन को भाव छूने में सक्षम है !

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  11. जाने कितनी बार ये, रुक रुक बहे !
    माँ, मैं आंसू को,जिताना चाहता हूँ !.dil bhar aaya ......bhavuk karti rachna ....bahut dukhdayak hai ma ka algaw ....chahe jis umra me ho ....satish jee ....phir aapne to bachpan me khoya jyaada dukhdai hai ........

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  12. अत्यंत हृदयस्पर्शी ! मन व आँखों को नम करती बहुत ही उत्कृष्ट भावाभिव्यक्ति ! शुभकामनायें !

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  13. मार्मिक...सतीश भाई

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  14. बहुत खुबसूरत ....सादर नमस्ते

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  15. माँ ,तुझे बापस , बुलाना चाहता हूँ !
    इक असंभव गीत , गाना चाहता हूँ !
    ....माँ को प्रणाम

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  16. मर्मस्पर्शी !

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  17. मन को छूती हुई रचना ... आँखें नाम कर गयी हर पंक्ति ...

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  18. भावपूर्ण पंक्तियाँ मन को कहीं गहरे तक छू गयी। बहुत सुन्दर भावाभिव्यक्ति

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  19. बहुत भावपूर्ण और मार्मिक...आँखें नम कर गयी...

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  20. दि‍ल छूने वाली रचना

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  21. दिल से लिखते हो आप .......... सर !! मार्मिक अभिव्यक्ति !!

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  22. दिल को छु लेने वाली लेखनी....आंखे भीग गयी .....इतेफाक देखिये ....आज ही माँ पर एक लेख लिखा है मैंने भी

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  23. कुछ रिश्ते जब छूट जाते हैं, कितना भी पुकारो वापस नहीं आते, उम्र भर का दर्द दे जाते हैं. आपकी रचना से मुझे मेरे पिता की याद आ गई, जिनका चेहरा मैं भूल चुकी हूँ. बस स्वप्न में ही ऐसे आते हैं जैसे की मृत्यु हुई ही नहीं. बहुत मार्मिक रचना, दिल को छू गई. शुभकामनाएँ!

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  24. Shaandar !! Speechless !!!

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  25. ह्रदय भर आया..

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  26. Though the departed ones cannot be recalled but certainly their memories are integral part, and are immortal. Your sentiments are precious. Regards.

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  27. सुन्दर प्रस्तुति

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  28. भाव विह्वल कर गई ये रचना आपके ब्लॉग पर जब -जब आती हूँ आपकी हर रचना कुछ देर रुक जाने को विवश कर देती है बस क्या कहूँ माँ की याद आ गई .....:(

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  29. आपकी ये रचना दिल में उतर गयी और आँखे झिलमिला गयी,,,,,,,,,,,,,,,,,, निःशब्द हूँ

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  30. सुन्दर रचना

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  31. माँ को पुकारता व्याकुल मन । काश सच ही कोई तरकीब होती कि माँ को सब दिखा पाते । भावपूर्ण रचना ।

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  32. संवेदनात्मक बेहतरीन प्रस्तुति..आपकी कसक को सिर्फ आप ही समझ सकते हो लेकिन इस रचना ने बहुत कुछ हमें भी आपके अहसासों से परिचित कराने की कोशिश की है।।

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  33. नि:शब्द हूँ!

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  34. सुन्दर गीत !
    शुभकामनाये !

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  35. दर्द भरी अभिव्यक्ति बहुत सुन्दर..!!

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  36. असंभव कार्य,असंभव गीत --जानेवाले कहाँ लौटते ,बेहद दर्दीले अहसास --दिल छू गई अभिव्यक्ति

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  37. सुन्दर और भावपूर्ण कविता!

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  38. मर्मस्पर्शी भावप्रबल रचना !!

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  39. भावपूर्ण पंक्तियाँ....

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एक निवेदन !
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- सतीश सक्सेना

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