अपने बचपन के उन सबसे बुरे दिनों में,जब माँ की मृत्यु हुई , मैं इतना छोटा था कि अपनी माँ का चेहरा भी याद नहीं ……
काश एक बार वे सपने में ही दिख जाएँ ! ऐसी कौन सी भूल हुई मुझ बच्चे से, जो वे छोड़ कर हमेशा को, वहां चली गयीं जहाँ से कोई कभी बापस नहीं लौटा !!
यह मात्र एक रचना न होकर माँ को लिखा एक एक पत्र है,मेरा अपना, माँ के लिए ……
माँ ,तुझे वापस , बुलाना चाहता हूँ !
इक असंभव गीत , गाना चाहता हूँ !
काश एक बार वे सपने में ही दिख जाएँ ! ऐसी कौन सी भूल हुई मुझ बच्चे से, जो वे छोड़ कर हमेशा को, वहां चली गयीं जहाँ से कोई कभी बापस नहीं लौटा !!
यह मात्र एक रचना न होकर माँ को लिखा एक एक पत्र है,मेरा अपना, माँ के लिए ……
माँ ,तुझे वापस , बुलाना चाहता हूँ !
इक असंभव गीत , गाना चाहता हूँ !
इक झलक तेरी, मुझे मिल जाये तो,
एक कौरा ही, खिलाना चाहता हूँ !
मुझसे हो नाराज, मत मिलना मुझे,
अपने बच्चों से, मिलाना चाहता हूँ !
जानता हो अब न तुम आ पाओगी
सिर्फ सपने में , बुलाना चाहता हूँ !
जाने कितनी बार ये, रुक -रुक बहे !
माँ, मैं आंसू को, जिताना चाहता हूँ !
देख तो लो माँ , कि बेटा है कहाँ ?
तेरा घर तुझको दिखाना चाहता हूँ !
बहुत दिन से चल रहे हैं , बिन रुके !
आज दिनकर को बिठाना चाहता हूँ !
(आज पता चला कि यह कतील शिफ़ाई की जमीन पर लिखा गया , अनजाने में ) - ३१ अगस्त १५
मुझसे हो नाराज, मत मिलना मुझे,
अपने बच्चों से, मिलाना चाहता हूँ !
जानता हो अब न तुम आ पाओगी
सिर्फ सपने में , बुलाना चाहता हूँ !
जाने कितनी बार ये, रुक -रुक बहे !
माँ, मैं आंसू को, जिताना चाहता हूँ !
देख तो लो माँ , कि बेटा है कहाँ ?
तेरा घर तुझको दिखाना चाहता हूँ !
बहुत दिन से चल रहे हैं , बिन रुके !
आज दिनकर को बिठाना चाहता हूँ !
(आज पता चला कि यह कतील शिफ़ाई की जमीन पर लिखा गया , अनजाने में ) - ३१ अगस्त १५
दिल को छूने वाली भावुक पंक्तियाँ .....
ReplyDeleteNice..sharing:)
ReplyDeleteबहुत भावनात्मक। तारीफ के लिए शब्द ही नहीं हैं।
ReplyDeleteदर्द भरी अभिव्यक्ति पर निःशब्द हूँ...आँखें भर आईं !!
ReplyDeleteमाँ ,तुझे बापस , बुलाना चाहता हूँ !
ReplyDeleteइक असंभव गीत , गाना चाहता हूँ ! ....बहुत सुन्दर..गीत.
behad marmik ....
ReplyDeleteबढ़िया व सुन्दर रचना , सतीश भाई शेयर करने के लिए धन्यवाद !
ReplyDeleteनवीन प्रकाशन - जिंदगी हँसने गाने के लिए है पल - दो पल !
एक माँ के लिये इससे बडी कोई बात नही कि उसका बेटा उसे इस तरह याद करे । काश ऐसा स्नेह माँ के पास होते हुए रहे ..। आपका बेशक रहा होगा । बहुत भावपूर्ण रचना ।
ReplyDeleteबहुत भावुक रचना।
ReplyDeleteसतीश जी ,,मैं भी बहुत बचपन से इसी इच्छा को ले कर बड़ी हुई हूँ ,और ये कामना आज भी जीवित है, यदि कोई तरकीब मिले उन से मिलने की तो मुझे भी बताइयेगा :(
ReplyDeleteबहुत सुंदर भावपूर्ण रचना ।
ReplyDeleteमॉ तुम बहुत याद आती हो मैं बच्ची जैसे रोती हूँ ।
ReplyDeleteआँसूँ स्वयं पोछती रहती सुबक-सुबक कर रोती हूँ ।
गीत भले ही असंभव हो पर मन को भाव छूने में सक्षम है !
ReplyDeleteबहुत भावुक गीत है।
ReplyDeleteजाने कितनी बार ये, रुक रुक बहे !
ReplyDeleteमाँ, मैं आंसू को,जिताना चाहता हूँ !.dil bhar aaya ......bhavuk karti rachna ....bahut dukhdayak hai ma ka algaw ....chahe jis umra me ho ....satish jee ....phir aapne to bachpan me khoya jyaada dukhdai hai ........
मर्मस्पर्शी
ReplyDeleteअत्यंत हृदयस्पर्शी ! मन व आँखों को नम करती बहुत ही उत्कृष्ट भावाभिव्यक्ति ! शुभकामनायें !
ReplyDeleteमार्मिक...सतीश भाई
ReplyDeleteबहुत खुबसूरत ....सादर नमस्ते
ReplyDeleteमाँ ,तुझे बापस , बुलाना चाहता हूँ !
ReplyDeleteइक असंभव गीत , गाना चाहता हूँ !
....माँ को प्रणाम
मर्मस्पर्शी !
ReplyDeleteमन को छूती हुई रचना ... आँखें नाम कर गयी हर पंक्ति ...
ReplyDeleteभावपूर्ण पंक्तियाँ मन को कहीं गहरे तक छू गयी। बहुत सुन्दर भावाभिव्यक्ति
ReplyDeleteMarmsparshi Bhav
ReplyDeleteनि:शब्द!!
ReplyDeleteअति मार्मिक कविता !
ReplyDeleteबहुत भावपूर्ण और मार्मिक...आँखें नम कर गयी...
ReplyDeleteदिल छूने वाली रचना
ReplyDeleteदिल से लिखते हो आप .......... सर !! मार्मिक अभिव्यक्ति !!
ReplyDeleteदिल को छु लेने वाली लेखनी....आंखे भीग गयी .....इतेफाक देखिये ....आज ही माँ पर एक लेख लिखा है मैंने भी
ReplyDeleteकुछ रिश्ते जब छूट जाते हैं, कितना भी पुकारो वापस नहीं आते, उम्र भर का दर्द दे जाते हैं. आपकी रचना से मुझे मेरे पिता की याद आ गई, जिनका चेहरा मैं भूल चुकी हूँ. बस स्वप्न में ही ऐसे आते हैं जैसे की मृत्यु हुई ही नहीं. बहुत मार्मिक रचना, दिल को छू गई. शुभकामनाएँ!
ReplyDeleteShaandar !! Speechless !!!
ReplyDeleteह्रदय भर आया..
ReplyDeleteThough the departed ones cannot be recalled but certainly their memories are integral part, and are immortal. Your sentiments are precious. Regards.
ReplyDeleteसुन्दर प्रस्तुति
ReplyDeleteभाव विह्वल कर गई ये रचना आपके ब्लॉग पर जब -जब आती हूँ आपकी हर रचना कुछ देर रुक जाने को विवश कर देती है बस क्या कहूँ माँ की याद आ गई .....:(
ReplyDeleteआपकी ये रचना दिल में उतर गयी और आँखे झिलमिला गयी,,,,,,,,,,,,,,,,,, निःशब्द हूँ
ReplyDeleteसुन्दर रचना
ReplyDeleteमाँ को पुकारता व्याकुल मन । काश सच ही कोई तरकीब होती कि माँ को सब दिखा पाते । भावपूर्ण रचना ।
ReplyDeleteसंवेदनात्मक बेहतरीन प्रस्तुति..आपकी कसक को सिर्फ आप ही समझ सकते हो लेकिन इस रचना ने बहुत कुछ हमें भी आपके अहसासों से परिचित कराने की कोशिश की है।।
ReplyDeleteनि:शब्द हूँ!
ReplyDeleteसुन्दर गीत !
ReplyDeleteशुभकामनाये !
दर्द भरी अभिव्यक्ति बहुत सुन्दर..!!
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ReplyDeleteअसंभव कार्य,असंभव गीत --जानेवाले कहाँ लौटते ,बेहद दर्दीले अहसास --दिल छू गई अभिव्यक्ति
सुन्दर और भावपूर्ण कविता!
ReplyDeleteमर्मस्पर्शी भावप्रबल रचना !!
ReplyDeleteभावपूर्ण पंक्तियाँ....
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