यह कविता यवतमाल के किसानों का हाल जानने हेतु आचार्य विवेक जी द्वारा भारत पद यात्रा (15 अप्रैल से 19 अप्रैल 2015)
के अवसर पर लिखी गयी थी जिसमें मुझे शामिल होने का सौभाग्य मिला .....
बुरे हाल में साथ न छोड़ें देंगे साथ किसानों का
यवतमाल में पैदल जाकर जाने हाल किसानों का
जुड़ा हमारा जीवन गहरा भोजन के रखवालों से
किसी हाल में साथ न छोड़ें देंगे साथ किसानों का
इंद्रदेव की पूजा करके भूख मिटायें मानव की
राजनीति के अंधे कैसे समझें कष्ट किसानों का
यदि आभारी नहीं रहेंगे मेहनत और श्रमजीवी के
मूल्य समझ पाएंगे कैसे बिखरे इन अरमानों का
चलो किसानों के संग बैठें जग चेतना जगायेंगे
सारा देश समझना चाहे कष्ट कीमती जानों का
बुरे हाल में साथ न छोड़ें देंगे साथ किसानों का
यवतमाल में पैदल जाकर जाने हाल किसानों का
जुड़ा हमारा जीवन गहरा भोजन के रखवालों से
किसी हाल में साथ न छोड़ें देंगे साथ किसानों का
इंद्रदेव की पूजा करके भूख मिटायें मानव की
राजनीति के अंधे कैसे समझें कष्ट किसानों का
यदि आभारी नहीं रहेंगे मेहनत और श्रमजीवी के
मूल्य समझ पाएंगे कैसे बिखरे इन अरमानों का
चलो किसानों के संग बैठें जग चेतना जगायेंगे
सारा देश समझना चाहे कष्ट कीमती जानों का