हमारे यार, धनदौलत, जमीं, जायदाद रखते हैं !
नवाबी शौक़, सज़दे के लिए, सज्जाद रखते हैं !
मदद लेकर हमारी वे हुए , गद्दी नशीं जब से !
सबक यारों को देने, साथ में जल्लाद रखते हैं !
मदद लेकर हमारी वे हुए , गद्दी नशीं जब से !
सबक यारों को देने, साथ में जल्लाद रखते हैं !
वे अब सरदार हैं बस्ती के, हैरत में हूँ मैं तबसे,
हमारे संत धन्धों से , नगर आबाद रखते हैं !
ये चोटें याद रखने की, हमें आदत नहीं यारों !
वही कहलायेंगे शेरे जिगर, जंगल में रह के भी
वे अंतिम साँस में भी, हौसला फौलाद रखते हैं !
ये चोटें याद रखने की, हमें आदत नहीं यारों !
बड़े बेचैन हैं वे लोग , जो सब याद रखते हैं !