Wednesday, December 24, 2008

नए वर्ष पर प्यार सहित, ये मेरे गीत तुम्हे अर्पण हैं !

बरसों पूर्व (1997) लिखा यह गीत बिना किसी बदलाव के प्रस्तुत कर रहा हूँ !

मन के सोये तार जगाती
याद तुम्हारी ऐसे आयी ,
ऐसी लगन लगी है मन में
गीत झरें बरसातों जैसे !
पहले भी थे गीत यही पर
गाने वाला मिला ना कोई
जबसे तुमने हाथ सम्हाला 
इन गीतों की हुई सगाई
जीवन भर की सकल कमाई,
इन कागज़ के टुकडों में है
नए वर्ष पर प्यार सहित , ये मेरे गीत तुम्हें अर्पण है !

प्रश्न तुम्हारा याद मुझे है ,
क्या मैं दे सकता हूँ तुमको
मेरे पास बचा ही क्या है ?
जो दे मैं उऋण हो जाऊं
रहा अकेला जीवन भर मैं,
इस जग की सुनसान डगर पर
अगर सहारा तुम ना देते ,
बह जाता अथाह सागर में
बुरे दिनों की साथी, तुमको
और भेंट मैं क्या दे सकता !
मेरे आंसू से संचित , ये मेरे गीत  तुम्हें अर्पण हैं !

ऐसा कोई मिला ना जग में
जिसको मन का दर्द सुनाऊं
जग भर की वेदना लिए मैं
किसको गहरी टीस दिखाऊँ
जिसको अपना समझा था 
उसने ही धक्का दिया मुझे 
ऐसी चोट लगी है दिल पर
सारा जग बंजर लगता है !
और मानिनी क्या दे सकता,
तुमको इस बिखरे मन से मैं
विगत वर्ष की अन्तिम संध्या पर , ये गीत तुम्हें अर्पण है !

Tuesday, December 9, 2008

भारतीय संस्कार - सतीश सक्सेना

"भाषा और शब्‍दावली किसी व्‍यक्ति की संस्‍कारशीलता की परिचायक होती है । जोर से और फूहड भाषा में कही बात सच हो, यह कतई जरूरी नहीं ।आप अशिष्‍ट शब्‍दावली और भाषा वाली टिप्‍पणियां मत हटाइए । लोगों को मालूम हो जाने दीजिए कि कौन अपने दामाद को 'मेरी लडकी का घरवाला' और कौन 'हमारे जामाता' कह रहा है ।
जिन्‍हें भाषा के संस्‍कार नहीं मिले उनसे शालीनता, शिष्‍टता, सभ्‍यता की अपेक्षा कर आप उन पर अत्‍याचार कर रहे हैं ।वे आक्रोश के नहीं, दया के पात्र हैं । बीमार पर गुस्‍सा मत कीजिए ।"

श्री विष्णु वैरागी जी ने यह बेहतरीन प्रतिक्रिया दी है, रोशन के ब्लाग दिल एक पुराना सा म्यूज़ियम है पर लिखे एक लेख "टिप्पणियों में संयत भाषा का प्रयोग करें" पर !

मुझे याद आया कि हम अपने संस्कार किस कदर भूल गए हैं, मगर हिंदू धर्म की मूलभूत शिक्षाएं भूल कर भी, हम धर्मरक्षा की बातें खूब करते हैं, कौन है दोषी इस बीमारी का ? कौन है जिम्मेदार है हमारे बच्चों के मध्य परस्पर प्यार और बड़ों के प्रति सम्मान की भावना समाप्त करने का ?

उन लोगों को दोष मुक्त किया जा सकता है, जिनको किसी ने कभी प्यार ही नही किया, मगर उनके लिए क्या कहें जिनके माता,पिता,भाई,बहिन और बड़े वुजुर्ग सबके होते हुए भी , उनकी भावनाओं से, प्यार और ममता को , यही पाश्चात्य सभ्यता, जिसमे वे पढ़े और बड़े हुए , निगल गयी !

इसी सभ्यता का अनुकरण करते हुए नयी पीढी शायद कभी पछतावा भी न करे क्योंकि उन्होंने इस प्यार की गरमी और अपनत्व को कभी महसूस ही नही किया ! उनके लिए प्यार और स्नेह, केवल हाय, हेल्लो और थैंक्स तक ही सीमित है, फिर दोषी केवल वे परिवार हैं, जिनमें यह संस्कार कभी दिए ही नही गए और इन परिवारों में आपस में स्नेह का वह मज़बूत बंधन कहीं दीखता ही नही !आज के आधुनिक समय में, ऐसे लोगों से शिष्टता और शालीनता की अपेक्षा करने वाले को ही मूर्ख कहना उचित होगा !

Tuesday, December 2, 2008

नफरत या प्यार ?

मय्यत में कन्धा देने को, अब्बू तक पास न आयेंगे ! लेख के जवाब में प्रतिक्रियाएं प्राप्त हुईं , उनमें से नफरत भरी कुछ प्रतिक्रियाओं ने जो मैंने प्रकाशित नही की, मुझे मजबूर किया यह जवाब देने को ! उक्त प्रतिक्रियाओं में से एक प्रतिक्रिया मेरे पुत्र की उम्र के एक नवजवान की है जिनकी लेखन शैली मुझे बहुत पसंद है ! सशक्त लेखनी का धनी, इस भारत पुत्र के प्रति मेरा यह कर्तव्य है कि मैं स्पष्टीकरण दूँ !
कृपया विश्वास करें कि लेखन के प्रति, मेरा किसी वर्ग विशेष के प्रति मोह या उसमें लोकप्रियता अर्जित करना बिल्कुल नही है ! आप प्रतिक्रियाएं अगर ध्यान से देखें तो इस देश के अल्पसंख्यक  बच्चों ने मेरी कभी तारीफ़ नहीं की जिससे मैं उत्साहित होकर यह लेख लिख रहा हूँ ! मगर यह लेख इस समय की पुकार हैं, और जो मैं समाज को समझाना (सर्व धर्म सद्भाव ) चाहता हूँ, उसी की सफलता में देश की नयी पीढी और आपकी अगली पीढी का स्वर्णिम भविष्य सुनिश्चित होगा !
  • उग्रवादियों के बारे में मेरी कोई सहानुभूति नही है, यह एक देश के प्रति, नफरत में अंधे पथभ्रष्ट नवयुवक हैं, जिन्होंने कुछ अच्छे वक्ता एवं तथाकथित धर्मगुरुओं का अँधा आदेश मानते हुए निर्दोष बच्चों, स्त्रियों वृद्धों के खिलाफ महज इसलिए हथियार उठा लिए क्योंकि उनके दिलोदिमाग में नफरत और सिर्फ़ नफरत भरी गयी है, और इन लड़कों की नासमझी यह कि इन्होने इसके पीछे छिपे वास्तविक उद्देश्य को जानने का प्रयत्न ही नही किया ! इनके तथाकथित आकाओं का प्रभामंडल व व्यक्तित्व इतना शक्तिशाली था कि इन युवकों में अपना स्वर्णिम भविष्य तथा अच्छा सोचने समझने की शक्ति आदि सब नष्ट हो गयी !
  • इन बहके हुए मार्गदर्शकों ने उनकी मौत हो जाने की दशा में उनके परिवार की सुरक्षा का भरोसा दिलाते हुए इन पढ़े लिखे मगर अपरिपक्व बुद्धि वाले नवजवानों को, नफरत की आग में जलने के लिए प्रोत्साहित किया और उनकी शिक्षा और बुधिमत्ता का उपयोग, अपने अनुयाइयों में अपना नाम कमाने में किया !
  • अमेरिका और भारत जैसे उदार देशों पर हमला करते समय यह मुखिया ख़ुद आगे नही आए बल्कि आप जैसे नवजवानों को इस नफरत की आग में झोंक दिया !
  • चूंकि आप जैसे नवजवान ईमानदार और वचनवद्ध होते हैं , उनका उपयोग विध्वंसक होगा ही , यह पुरानी घटिया मानसिकता वाले , एवं इन नवजवानों के लिए श्रद्धेय लोग , यह बात भली भांति जानते हैं ! एक वर्ग विशेष के प्रति नफरत में जलते हुए , इन काइयां , धूर्त और चालक धर्मगुरुओं ने श्रद्धा का दुरूपयोग करते हुए इन जवान लड़कों को निर्मम हत्यारा बना दिया !
  • आपकी उम्र के लोगों से अपनी इच्छा पूर्ति करवा पाना बहुत मुश्किल कार्य नही होता है , सवाल सिर्फ़ एक बार सामने वाले के प्रभाव में आने का है ! कृपया सोचें कि आपकी पीठ पर किसी और का नाम तो नही लिखा है ?
  • अल्पसंख्यक  बच्चे इसी देश के नागरिक हैं , बहुमत होने के कारण हमारा यह कर्तव्य बनता है कि हम उन पर शक न करें और दूसरों के बहकावे में आकर आपस में न लड़ें !
  • नफरत का जहर हमें गुस्से के कारण चैन से जीने नही देगा और वही नफरत एक दिन हमारे घर में भी जरूर घर कर जायेगी ! आप किसी नफरत करने वाले व्यक्ति का चेहरा और एक निश्छल व्यक्ति का सौम्य चेहरा ध्यान से देखें और जरा सोचें क्या फर्क है !
  • क्या कोई कौम दूसरी कौम को ख़त्म कर पाई है अगर नही तो फिर आप लोग इस नफरत को फैला कर सिर्फ़ अपनी आदतें और भविष्य ख़राब कर रहे हो जिसका असर आपकी संतानों पर अवश्य पड़ेगा !अंत में मेरा अनुरोध है कि प्यार बाँटने का प्रयत्न करें, नफरत से सिर्फ़ तिरस्कार और बर्बादी बांटी जा सकती है और बदले में यही मिलेगी भी ! हो सके तो जो आपको उकसा कर, आपसे मदद ले रहा है उस चेहरे को पहचानने का प्रयत्न करें तो आप पायेंगे कि ऐसे चेहरे में ममता और प्यार का नामोनिशान नहीं मिलेगा !
  • मैं हमेशा इन अल्पसंख्यक  बच्चों के लिए लेख क्यों लिखता हूँ ?-मुसलमान - हिन्दुस्तान का दूसरा बेटा ! अवश्य पढ़ें ! क्योंकि मैं बहुमत से सम्बंधित हूँ और अल्पमत के लिए आवाज़ उठाना और उनको अपने समाज के दिल में जगह दिलाने का प्रयत्न करना ही मैं भारत माँ की सबसे बड़ी इच्छा मानता हूँ सो नफरत फैलाने वाले अपनी दूकान चलायें मैं प्यार बांटूंगा देखता हूँ कौन शक्तिशाली है ? नफरत या प्यार ?



Monday, December 1, 2008

मय्यत में कन्धा देने को, अब्बू तक पास न आयेंगे !

"इस्लाम को बदनाम करने वाले इन आतंकवादियों को भारत की सरजमीं पर नही दफनाया जाएगा !"

अखबारों में छपी ख़बर के अनुसार ,यह फ़ैसला है मुंबई की मुस्लिम संस्थाओं का, कि इन ९ हत्यारों की लाशों को, मैरिन लाइन बड़ा कब्रिस्तान में कोई जगह और इज्ज़त नहीं बख्शी जायेगी ! मुस्लिम काउन्सिल देश के बाकी संस्थाओं को भी यह मैसेज भेजने का प्रयत्न कर रही है!

इन उग्रवादियों ने सोचा होगा कि इस महान संगठित देश पर हमला करके वह हिन्दू मुस्लिम एकता में दरार डाल पाएंगे जिससे उन्हें शहीद का दर्जा मिलेगा ! शायद यह उन्होंने सपने में भी न सोचा होगा कि उनकी ऐसी दुर्दशा भी हो सकती है !

१५ अगस्त को प्रकाशित मेरे एक गीत ये समझ नहीं आता इनको में उन्हें कहा गया था .....

तुम मासूमों का खून बहा
ख़ुद को शहीद कहलाते हो
औ मार नमाजी को बम से
इस को जिहाद बतलाते हो
जब मौत तुम्हारी आएगी, तब बात शहादत की छोडो
मय्यत में कन्धा देने को, अब्बू तक पास न आयेंगे
!


मुझे खुशी है कि इन मानवता के दुश्मनों का साथ देने कोई पास नही आया ! इस देश के बच्चों को आपस में लड़ाने की साजिश नाकाम हुई ! कुछ नासमझों की मानसिकता के बाद भी बहुमत हमारी एकता बनाये रखने में कामयाब होगा, ऐसा मेरा विश्वास है !


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