"इस्लाम को बदनाम करने वाले इन आतंकवादियों को भारत की सरजमीं पर नही दफनाया जाएगा !"
अखबारों में छपी ख़बर के अनुसार ,यह फ़ैसला है मुंबई की मुस्लिम संस्थाओं का, कि इन ९ हत्यारों की लाशों को, मैरिन लाइन बड़ा कब्रिस्तान में कोई जगह और इज्ज़त नहीं बख्शी जायेगी ! मुस्लिम काउन्सिल देश के बाकी संस्थाओं को भी यह मैसेज भेजने का प्रयत्न कर रही है!
इन उग्रवादियों ने सोचा होगा कि इस महान संगठित देश पर हमला करके वह हिन्दू मुस्लिम एकता में दरार डाल पाएंगे जिससे उन्हें शहीद का दर्जा मिलेगा ! शायद यह उन्होंने सपने में भी न सोचा होगा कि उनकी ऐसी दुर्दशा भी हो सकती है !
१५ अगस्त को प्रकाशित मेरे एक गीत ये समझ नहीं आता इनको में उन्हें कहा गया था .....
तुम मासूमों का खून बहा
ख़ुद को शहीद कहलाते हो
औ मार नमाजी को बम से
इस को जिहाद बतलाते हो
जब मौत तुम्हारी आएगी, तब बात शहादत की छोडो
मय्यत में कन्धा देने को, अब्बू तक पास न आयेंगे !
मुझे खुशी है कि इन मानवता के दुश्मनों का साथ देने कोई पास नही आया ! इस देश के बच्चों को आपस में लड़ाने की साजिश नाकाम हुई ! कुछ नासमझों की मानसिकता के बाद भी बहुमत हमारी एकता बनाये रखने में कामयाब होगा, ऐसा मेरा विश्वास है !
अखबारों में छपी ख़बर के अनुसार ,यह फ़ैसला है मुंबई की मुस्लिम संस्थाओं का, कि इन ९ हत्यारों की लाशों को, मैरिन लाइन बड़ा कब्रिस्तान में कोई जगह और इज्ज़त नहीं बख्शी जायेगी ! मुस्लिम काउन्सिल देश के बाकी संस्थाओं को भी यह मैसेज भेजने का प्रयत्न कर रही है!
इन उग्रवादियों ने सोचा होगा कि इस महान संगठित देश पर हमला करके वह हिन्दू मुस्लिम एकता में दरार डाल पाएंगे जिससे उन्हें शहीद का दर्जा मिलेगा ! शायद यह उन्होंने सपने में भी न सोचा होगा कि उनकी ऐसी दुर्दशा भी हो सकती है !
१५ अगस्त को प्रकाशित मेरे एक गीत ये समझ नहीं आता इनको में उन्हें कहा गया था .....
तुम मासूमों का खून बहा
ख़ुद को शहीद कहलाते हो
औ मार नमाजी को बम से
इस को जिहाद बतलाते हो
जब मौत तुम्हारी आएगी, तब बात शहादत की छोडो
मय्यत में कन्धा देने को, अब्बू तक पास न आयेंगे !
मुझे खुशी है कि इन मानवता के दुश्मनों का साथ देने कोई पास नही आया ! इस देश के बच्चों को आपस में लड़ाने की साजिश नाकाम हुई ! कुछ नासमझों की मानसिकता के बाद भी बहुमत हमारी एकता बनाये रखने में कामयाब होगा, ऐसा मेरा विश्वास है !
इस ज़ज्बे को सलाम!
ReplyDeleteआप का सूचना देने के लिए आभार!
सही फैसला, ये हिन्द के दुश्मन थे, इन्हें हिन्द में दफ़्न क्योंकर किया जाये? भेज दीजिये इन्हें बांग्लादेश, और पाकिस्तान.
ReplyDeleteजब मौत तुम्हारी आएगी, तब बात शहादत की छोडो
ReplyDeleteमय्यत में कन्धा देने को, अब्बू तक पास न आयेंगे !
Aap ki yah rachana aaj charitarha hui hai....aur yah ek such hai ki har desh , daram , jati me kuchh log bure hote hai to hum unki vajah se us desh, jati ya daram par sak ya anguli nahi utha sakte hai,hame apni samjhadari se vivek se en bato ko samjhana hoga aur desh ki ekata aur akhandata aur smridhi ke liye har daram aur jati ke logon ko apna sahyog dena hoga. Satish Bhai ke es vichar se mai puri tarah se sahamat hoo aur Satish ji Nivedan karta hoo ki aise hi achchhe aur sagarbhit kavitao aur lekho ko hum tak phuchate rahe... Bahut Bahut Badha
Aur Jo bhi blog ko padhane aur likhane wale log hai unase bhi nivedan hai ki Es tarha ki rachnao par apna comment jarur de...
kyaa aap us akhbaar kaa link yaa tareekh yaa koi aur saakshay dae saktey haen ?? janney ki utsukta haen kehaa niklaa haen
ReplyDeleteभारत में नगर पालिका का सफाई कर्मचारी अगर सस्पेंड हो जाता है तो लोग कहते हैं नगरपालिका में क्रान्ति हो गई.
ReplyDeleteतुम मासूमों का खून बहा
ReplyDeleteख़ुद को शहीद कहलाते हो
इस्लाम को बदनाम करने वाले इन आतंकवादियों को भारत की सरजमीं पर नही दफनाया जाएगा !"
" ऐसे देश के दुश्मनों को कही भी जगह नही मिलनी चाहिय , एक फ़ैसला तो सही किया कम से कम ... आभार इस सुचना के लिए
@रचना जी!
ReplyDeleteटाईम्स ऑफ़ इंडिया दिसम्बर एक, फ्रंट पेज . सन्दर्भ मतीन हफीज़, टी एन एन न्यूज़ सर्विस !
पुनश्च :@रचना जी !
ReplyDeleteयाद दिलाने के लिए और आपकी पैनी नज़र के लिये आभारी हूँ आशा है आपका यह स्नेह मिलता रहेगा !
@देव जी !
बेहतर प्रतिक्रिया के लिए आभारी हूँ, आप मेरे अन्य लेख इसी विषय पर अवश्य पढ़ें ! दुख है कि अधिकतर लोग प्रतिक्रिया बिना ठीक से पढ़े ही देते हैं उद्देश्य सिर्फ़ अहसान करना होता है कि हम आपको पढ़ते हैं ! काश लोग इस विषय के महत्वा को समझ कर पढ़ें ! हमारे देश में विद्वता की कमी नही है सिर्फ़ बड़े दिल की कमी अवश्य कई बार खलती है !
मगर आशान्वित हूँ !
thnaks satish ji
ReplyDeletepar aap ko lagtaa haen ki yae khabar itni badii haen ki is par ek post banaadi jaaye . mujhe to umeed thee ki aap ki kalam sae kuch unkae liyae niklaegaa jinki jaan chalegayee is kaand mae afsos hua ,
shiv kumar mishra ji bilkul sahii keh rahaae haen
"इस्लाम को बदनाम करने वाले इन आतंकवादियों को भारत की सरजमीं पर नही दफनाया जाएगा !"
ReplyDelete----
आप सोचते हैं कि यह भीषण काम का अंजाम बिना इनसाइड सपोर्ट के हुआ है?
सही वक्त पर सही फैसला घर घर तक ले जायेंगे।
ReplyDeleteआतंकी के अब्बू अब क्यों काँधा देने आयेंगे।।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
मुश्किलों से भागने की अपनी फितरत है नहीं।
कोशिशें गर दिल से हो तो जल उठेगी खुद शमां।।
www.manoramsuman.blogspot.com
कि इन ९ हत्यारों की लाशों को, मैरिन लाइन बड़ा कब्रिस्तान में कोई जगह और इज्ज़त नहीं बख्शी जायेगी ! मुस्लिम काउन्सिल देश के बाकी संस्थाओं को भी यह मैसेज भेजने का प्रयत्न कर रही है!
ReplyDeleteसतीश जी बहुत शुकून दायक और सराहनीय कृत्य है ! पर बात इसके अलावा भी दूर तक जा रही है ! शायद लोगो ने ध्यान नही दिया की इस बात के मायने क्या होंगे ? मेरी समझ से तो ये पाकिस्तान के गले में घंटी बाँधना है ! अगर इन लाशो का क्रियाक्रम यहाँ नही होता है तो पाकिस्तान तो इनको लेने से रहा ! क्योंकि पाकिस्तान का तो इतिहास रहा है की वो अपने सैनिको की लाशें भी लेने से इनकार करता रहा है, यह कह कर की ये हमारे सैनिक नही कोई और ही हैं ! और इस मामले में तो वो अपना इन्वाल्व्मैन्ट होने से ही मना करता है !
बहुत उचित कदम है यह !
रामराम !
well what to say,hindustan ki hameshamesha parampara rahi hai ke marne ke baad insaan par shanti se kriyakarm karte hai chahe wo dushman hi sahi,those people were terrorist and have got enough punishment forwhatthe did.wo to behkaye hue bachhe thay,asli log iske pichhe koi aur hi hai.wo terrorist hai olke nahi keh rahe hum,but any dead body should rest in peace.baki unke liye dil mein gussa jayaz hai.
ReplyDeleteयह समाचार पढ़कर बहुत अच्छा लगा । ऐसे लोगों को मरने के बाद भी कहीं जगह नहीं मिलनी चाहिए । वैसे इन्हें अजायबघर या फिर संसद में रख देना चाहिए । संसद बेहतर जगह होगी याद तो दिलाते रहेंगे कि भारतीयों के खून की हमारे नेताओं ने क्या कीमत आंकी है !
ReplyDeleteकविता बढ़िया है, परन्तु काश ऐसा होता ! ऐसा होता तो बहुत कम ही आतंकवादी बनते ।
घुघूती बासूती
देश को जरूरत है ऐसे समाचारों को आम जनता तक पहुँचाने की क्यों कि जो हो गया उसके बाद सबसे अधिक आवश्यकता है ये सोच विकसित करने की मारने वाला विकृत मानसिकता का और गलत दिशानिदेश का शिकार था न कि किसी विशेष सम्प्रदाय की धर्म शिक्षा का...!
ReplyDeleteइस कार्य हेतु धन्यवाद
देश को जरूरत है ऐसे समाचारों को आम जनता तक पहुँचाने की क्यों कि जो हो गया उसके बाद सबसे अधिक आवश्यकता है ये सोच विकसित करने की मारने वाला विकृत मानसिकता का और गलत दिशानिदेश का शिकार था न कि किसी विशेष सम्प्रदाय की धर्म शिक्षा का...!
ReplyDeleteइस कार्य हेतु धन्यवाद
सतीश भाई, इस खबर को देने के लिए शुक्रिया!
ReplyDeleteबहुत सुकून मिला!
"जब मौत तुम्हारी आएगी, तब बात शहादत की छोडो
ReplyDeleteमय्यत में कन्धा देने को, अब्बू तक पास न आयेंगे !"
आख़िर वही हुआ. पढ़ समझ कर ही लिख रहा हूँ. आभार.
ऐसा कह कर या घोषणा कर देश पर कोई अहसान नहीं किया उस कमेटी ने,यह तो न्यूनतम होना ही चाहिए। पर ऐसा ऐलान इमाम बुखारी के दड़बे से और अलीगढ़ यूनि. से आता व ऐसों के खिलाफ़ फ़तवा जारी किया जाता तो सन्देह की सुई जरा हिलती।
ReplyDeleteआपने सकारात्मक को बढ़ावा देने के दृष्टि से इसे सब तक पहुँचाया, आभार।
वैसे गद्दार जाति-विशेष में ही नहीं वे जाति बन्धन से बहुत ऊपर व परे हैं। हमारे जैसा प्रत्येक व्यक्ति गद्दार है, जो स्वार्थवश कुछ भी करने को तत्पर है।
बहुत सही लिखा आप ने धन्यवाद
ReplyDeleteAakhir bure logon kaa anjaam bura hi hota hai!...ho sakata hai ki inaki laashon ke paas chil-kauwe bhi na faraken!
ReplyDeleteसतीश जी आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता उसकी बन्दूक से निकली हुई गोली हिंदू या मुसलमान में भेद नहीं करती...हमें अलगाव वादी ताकतों का डट कर मुकाबला करना है क्यूँ की अगर हम आपस में ही लड़ने लगेंगे तो आतंकवादियों का मकसद कामयाब हो जाएगा...वैसे भी ये समय शुब्द हो कर एक दूसरे पर कीचड उछालने का नहीं है...ये समय है हमें अपने व्यक्ति गत स्वार्थ से पहले अपने देश को रखने का...जिस दिन देश हमारी पहली आवश्यकता हो जाएगा इस तरह की कार्यवाहियां स्वतः ही थम जाएँगी...
ReplyDeleteआपने बहुत अच्छी ख़बर को सब तक पहुँचाया है...
नीरज
सतीश जी आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता उसकी बन्दूक से निकली हुई गोली हिंदू या मुसलमान में भेद नहीं करती...हमें अलगाव वादी ताकतों का डट कर मुकाबला करना है क्यूँ की अगर हम आपस में ही लड़ने लगेंगे तो आतंकवादियों का मकसद कामयाब हो जाएगा...वैसे भी ये समय शुब्द हो कर एक दूसरे पर कीचड उछालने का नहीं है...ये समय है हमें अपने व्यक्ति गत स्वार्थ से पहले अपने देश को रखने का...जिस दिन देश हमारी पहली आवश्यकता हो जाएगा इस तरह की कार्यवाहियां स्वतः ही थम जाएँगी...
ReplyDeleteआपने बहुत अच्छी ख़बर को सब तक पहुँचाया है...
नीरज
आभार इस खबर का.
ReplyDeleteसतीश जी, मैं आपकी भावनाओं को प्रणाम करता हूँ। लेकिन कुछ मुस्लिम संस्थाओं के इस एक ऐलान से मुझे कोई आशा बँधती नहीं दिखती है। मुस्लिम समाज के वृहद पटल पर देखें तो यह असहिष्णुता, कट्टरता, पिछड़ेपन, दकियानूसी रूढ़िवादिता और अशिक्षा के अपार सागर में एक सूक्ष्म द्वीप की भाँति है। पता नहीं इस धर्म में ऐसा क्या है जो इस विध्वंसक मानसिकता के लिए उर्वरक का कार्य कर रहा है। पोलिटिकली करेक्ट बात न कर पाने के लिए क्षमा प्रार्थी हूँ।
ReplyDeleteबहुत सही समय पर सही खबर दी आपने । वरना लोग तो अपने साथ काम करने वालों पर सहपाठियों पर भी शक करने लगे हैं । और आपकी कविता तो कमाल की है ,पूरी कहाँ मिलेगी ।
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