Sunday, September 9, 2012
आह ...-सतीश सक्सेना
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Saturday, September 1, 2012
भरी जवानी में , ये बातें , किस गुस्ताख ने छेड़ी हैं - सतीश सक्सेना
तब तक दिल में,बसी रहेगी, गंध उसी कस्तूरी की !
तब तक वे,न जाने देंगीं, दिल से धमक जवानी की !
जब तक कोई कान लगाये, आहट सुनता क़दमों की !
तब तक यह मुस्कान रहेगी , कसमें पद्म भवानी की !
भरी जवानी में , ये बाते, किस गुस्ताख ने छेड़ी हैं !
हाथ मिलाएं, हमसे आकर, हो पहचान गुमानी की !
जब तक ह्रदय मचलता उनके जूड़े ,कंगन,गजरे पर
लाखों जनम निछावर उन पर, है इच्छा कुर्बानी की !
जब तक ह्रदय मचलता उनके जूड़े ,कंगन,गजरे पर
लाखों जनम निछावर उन पर, है इच्छा कुर्बानी की !
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