Thursday, October 22, 2020

विश्व की पहली कविता, जिसकी रचना मैराथन दौड़ते दौड़ते हुई -सतीश सक्सेना

२४ मार्च २०१७ को मैराथन रनिंग प्रैक्टिस में दौड़ते दौड़ते इस रचना की बुनियाद पड़ी , शायद विश्व में यह पहली कविता होगी जिसे 21 किलोमीटर दौड़ते दौड़ते बिना रुके रिकॉर्ड किया ! लगातार घंटों दौड़ते समय ध्यान में बहुत कुछ चलता रहता है उसकी परिणिति इस रचना के रूप में हुई !

न जाने दर्द कितना दिल में, लेकर दौड़ता होगा
कभी छूटी हुई उंगली किसी की, ढूंढता होगा !

सुना है जाने वाले भी , इसी दुनियां में रहते हैं !
कहीं दिख जाएँ वीराने में,आँखें खोजता होगा !

कोई सपने में ही आकर, उसे लोरी सुना जाए
वो हर ममतामयी चेहरे में ,उनको ढूंढता होगा !

छिपा इज़हार सीने में , बिना देखे उन्हें कैसे 
पसीने में छलकता प्यार, उनको भेजता होगा !

अकेले धुंध में इतनी कसक, मन में लिए पगला
न जाने कौन सी तकलीफ लेकर ,दौड़ता होगा !

Thursday, October 15, 2020

कोरोना वारियर डॉ पंकज कुमार , के लिए दुआ करें -सतीश सक्सेना

ONGC हेडक्वार्टर दिल्ली में मेडिकल सर्विसेज के इंचार्ज , डॉ पंकज कुमार (MBBS MS) जून के पहले सप्ताह से अपोलो हॉस्पिटल , सरिता विहार , दिल्ली में कोरोना से जिंदगी और मौत की लड़ाई लड़ रहे हैं , आज लगभग ५ माह होने को आये , वे लगातार आई सी यू में ऑक्सीजन सपोर्ट पर हैं , जब भी मास्क हटाया जाता है उनका ऑक्सीजन लेवल डाउन होते हुए खतरे के लेवल से नीचे पंहुच जाता है ! 

डॉ पंकज कुमार बेहतरीन इंसान हैं , फेफड़ों उनके पहले से ही कमजोर हैं यह जानते हुए भी उन्होंने कोरोना कॉल में , लगातार ऑफिस जाते हुए ,अपनी जान खतरे में डालकर , रोगियों की देखभाल करते रहे , उन्हें पता था कि संक्रमण होने की स्थिति में उनके फेफड़े उनका साथ नहीं देंगे फिर भी वे घर वालों की बात न मानकर लगातार अपनी ड्यूटी पर जाते रहे और अंततः उन्हें कोरोना से लड़ने का मुआवजा भुगतना पड़ा !

पंकज उन डॉ में से एक हैं जिन्होंने बिना अपनी सेहत और परिवार की परवाह किये , हमेशा अपनी जिम्मेवारियों को अधिक तरजीह दी , रात रात भर जगकर दोस्तों की सेवा की , आज वे अपने जीवन की सबसे बड़ी लड़ाई लड़ रहे हैं ! मैं भगवान पर भरोसा नहीं करता मगर आज मैं भी उनके दरबार में बैठा हूँ कि अगर सच्चे हो तो अपने इस भक्त की रक्षा करो , उसने तो तुम्हारी बहुत पूजा की है !

पंकज उन डॉक्टर्स में से एक हैं जिन्होंने मानवता को बचाकर रखा और धन को कभी महत्व नहीं दिया , मुझे याद है एक मशहूर नर्सिंग होम से नौकरी रिजाइन सिर्फ इसलिए करना पड़ा था , क्योंकि उन्होंने एक वृद्धा के मामूली पेटदर्द को बिना ऑपरेट किये एक गोली देकर ठीक कर दिया था !


पंकज का मुझ से खून का कोई रिश्ता नहीं है मगर उन्होंने मुझे पिछले २५ वर्ष से बड़े भाई का दर्जा दिया है , उस नाते मैं अपने समस्त मित्रों से अपील करता हूँ कि इस ईमानदार कोरोना वॉरिअर की रक्षा के लिए कुछ उपाय करें !

कितने कष्ट सहे जीवन में
तुमसे कभी न मिलने आया
कितनी बार जला अग्नि में
फिर भी मस्तक नही झुकाया
पहली बार किसी मंदिर में
मैं भी , श्रद्धा लेकर आया !
आज तेरी सामर्थ्य देखने ,
तेरे द्वार बिलखने आया !
आज किसी की रक्षा करने, साईं तुझे मनाने आया !
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