कहीं बंध जाएँ खूंटे से आवारा दिल नहीं करता !
भरोसा करके सो जाए बंजारा,दिल नहीं करता !
दया पाकर कोई भिक्षा,फकीरों को नहीं भाती
तुम्हारे द्वार जाने को, दुबारा दिल नहीं करता !
भरोसा करके सो जाए बंजारा,दिल नहीं करता !
दया पाकर कोई भिक्षा,फकीरों को नहीं भाती
तुम्हारे द्वार जाने को, दुबारा दिल नहीं करता !
मेरे हिन्दोस्तां की शान खो जायेगी , नफरत में
बड़ी पहचान छोटी हो,गवारा दिल नहीं करता !
जमाने भर के भोजन को, मेरे पुरखों ने खोला है,
ये लंगर बंद करने को, हमारा दिल नहीं करता !
जिन्होंने साथ छोड़ा था मुसीबत में , पहाड़ों पर
उन्हीं बैसाखियों का लें सहारा दिल नहीं करता !
बड़ी पहचान छोटी हो,गवारा दिल नहीं करता !
जमाने भर के भोजन को, मेरे पुरखों ने खोला है,
ये लंगर बंद करने को, हमारा दिल नहीं करता !
जिन्होंने साथ छोड़ा था मुसीबत में , पहाड़ों पर
उन्हीं बैसाखियों का लें सहारा दिल नहीं करता !