ताऊ जैसे गुरुघंटाल से और क्या उम्मीद करूं ......खैर
होली के अवसर पर बुद्धिमान, मित्रों से अनुरोध है कि इस रचना में ,गंभीर अर्थ तलाशने के लिए बुद्धि प्रयोग न करें , केवल आनंद लें ! :)
आभार आपके आने का !
नमन करूं ,
गुरु घंटालों के !
पाँव छुऊँ ,
भूतनियों के !
ताऊ चालीसा को पढ़ते,
खेलें ब्लोगर होली है !
आओ छींटें मारे, रंग के, बुरा न मानो होली है !
गुरु है, गुड से
चेला शक्कर
गुरु के अली
पटाये जाकर !
गुरु भाई से राज पूंछकर,
गुरु की गैया,दुह ली है !
तीखे तीरंदाज़ ,सह्रदय , रंग मिज़ाज त्रिवेदी हैं !
चेले बन कर
नाम कमाते
गुरुघंटाल पे ,
बुदधि लगाते
बाते करते,हंसी हंसीं में,
शह और मात सीखली है !
घोडा बनकर,इस प्यादे ने,गुरु की धोती खोली है !
कबसे लिखते ,
आस लगाये !
इतना लिखा
न कोई आये !
नज़र न आये, कोई भौजी ,
किससे खेलें ? होली है !
कुछ तो आहट दरवाजे पर,कहीं तो पायल छनकी है !
ब्लोगिंग करते
सब चलता है !
कुछ भी लिखदो
सब छपता है !
जिनको कहीं न सुनने वाले,
यहाँ पर बजतीं ताली हैं !
यहाँ पन्त जी और मैथिली , अक्सर भरते पानी हैं !
चार कोस पे
पानी बदले ,
आठ कोस
पर बानी !
देसी बानी पढ़ी, न समझी,
अर्थ अनर्थ पहेली है !
किसके कपडे साफ़ बचे हैं,किसकी रंगत गोरी है !
कचरा लिख दो ,
कूड़ा लिख दो !
कुछ ना आये ,
कविता लिख दो
कवि बैठे हैं, माथा पकडे ,
कविता कैसी होली है !
एक पंक्ति में,दो शब्दों की, माला लगती सोणी है !
कापी कर ले ,
जुगत भिडाले !
ब्लोगर बनकर
नाम कमा ले ,
मधुर गीत की बातें अब तो ,
बड़ी पुरानी हो ली हैं !
ताऊ ने हाइकू लिखमारा,शिकी की गागर फोड़ी है !
अधर्म करते
धर्म सिखाते
बड़े रसीले,
शीर्षक लिखते !
नज़र बचाके ,कैसे उसने,
दूध में गोली, घोली है !
नया मुखौटा लगा के देखो,पीठ में मारे गोली है !
ब्लू लेवल
की बोतल आई ,
नई कार
बीबी को भायी
बाबू जी का,टूटा चश्मा,
माँ की चप्पल आनी है !
समय ने, बूढ़े आंसू देखे , यही तो प्यारे होली है !