कुछ श्राप भी दुनिया में आशीर्वाद हो गए,
जब भी तपाया आग में, फौलाद हो गए !
यह राह खतरनाक है , सोचा ही नहीं था ,
हम जैसे सख्तजान भी, बरबाद हो गए !
कितने तो कट गए बिना आवाज किये ही
बच वे ही सके, जो कहीं आबाद हो गये !
ख़त ध्यान से पढ़ने की जरूरत ही नहीं थी
हर शब्द के मनचाहे से, अनुवाद हो गए !
क्यों दर पे तेरे आके ही सर झुक गया मेरा
काफिर न जाने क्यों यहाँ , सज़्ज़ाद हो गए !
न जाने कब से तेरे सामने बेबस रहे थे हम
इस बार उड़ाया तो , हम आज़ाद हो गए !
जब भी तपाया आग में, फौलाद हो गए !
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjPdI_44E1xqzJ4WFmc_ttHr_XMgJOg8u15kcOI1fgV2P0BnxjVCbaUvzfgvfe8FfZ18g6AnhmblNQpYqCh80ZIM54-RO1_i5lwFB9J54IEVOh5yj0F5FVTqoJjzvVCePntpShuS6XAB15d/s200/IMG_20160324_111742.jpg)
हम जैसे सख्तजान भी, बरबाद हो गए !
कितने तो कट गए बिना आवाज किये ही
बच वे ही सके, जो कहीं आबाद हो गये !
ख़त ध्यान से पढ़ने की जरूरत ही नहीं थी
हर शब्द के मनचाहे से, अनुवाद हो गए !
क्यों दर पे तेरे आके ही सर झुक गया मेरा
काफिर न जाने क्यों यहाँ , सज़्ज़ाद हो गए !
न जाने कब से तेरे सामने बेबस रहे थे हम
इस बार उड़ाया तो , हम आज़ाद हो गए !