Tuesday, June 26, 2018

सावधान -सतीश सक्सेना

सावधान -सतीश सक्सेना
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कुछ वर्ष पहले के बेहद खूबसूरत चेहरे , चंद वर्षों में ही , बेडौल और भद्दे दिखने लगते हैं , बुरा हो उनके खैरख्वाहों की बजती तालियों और तोंद से नीचे बंधी बेल्ट का, जो उन्हें अहसास ही नहीं होने देतीं कि वे कितना कुछ खो चुके हैं !
और बुरा हो उन बहानों का जो बढ़ते वजन का कारण हैं , कोई बेचारा समय, कम होने के कारण मोटा है तो कोई दवाओं के कारण तो कोई घुटने के दर्द के कारण वाक् नहीं कर पाते तो दौड़ना कैसे सीखें ?
कुछ लोग खुद को तसल्ली दे लेते हैं कि वे रोज दोस्तों के साथ पार्क में टहलते हैं और कुछ तो जिम भी जाते हैं !
इन्हें नहीं मालुम कि बढ़ते फैट के कारण शरीर का हर अंग बीमार हो रहा है अगर वे दो मंजिल सीढियाँ या 100 मीटर दौड़ने में हांफ रहे हैं तो समझिये, ह्रदय घात कभी भी होगा और पछताने का मौक़ा नहीं देगा !
To avoid danger of Obesity, Diabetes and Heart attack, Learn Running ....

Wednesday, June 20, 2018

हेल्थ ब्लंडर -9

आप कई वर्ष से वाक कर रहे हैं, आप कई वर्ष से जानवरों का दूध पी रहे हैं , आप बरसों से रोटी,दाल,सब्जी खा
रहे हैं , यह सब आपकी आदत का हिस्सा बन गयी हैं और उसी तरह से आपका शरीर भी बरसों से एक शक्ल अख्तियार कर चुका है और वजन टस से मस नहीं हो रहा तो मान लीजिये शरीर ने इन आदतों को स्वीकार कर लिया है और आप यह सब करते रहिये शरीर इसी वजन के साथ थुलथुल शरीर के साथ जीने की आदत डाल लेगा और आप इस भुलावे में मस्त रहिये कि आप व्यायाम कर रहे हैं जबकि अब यह व्यायाम न होकर शरीर का एक रुटीन भर रह गया है जिससे शरीर में रत्ती भर बदलाव आना संभव नहीं !

अगर बदलाव लाना है तो अपने व्यायाम की एकरसता को तोडिये और अपनी एक्टिविटी में विविधिता लाइए शरीर में हलचल मचना शुरू हो जायेगी ! सप्ताह में चार पांच अलग गति और एक्शन के साथ वाक /रन करें अन्यथा लटके हुए मांस में बदलाव आना संभव नही ! अधिकतर एथलीट एक दिन साधारण वाक्, एक दिन तेज वाक, अगले दिन साईकिल, अगले दिन रेस्ट और फिर जोगिंग और एक दिन तेज रन करता हूँ !

जानवरों का दूध पीना लगभग एक माह बंद करके देखें इसके साथ ही वह सब कुछ महीने के लिए त्याग करें जो आपको बहुत खाने में बहुत अच्छा लगता हो, इनमें से कुछ खाद्य पदार्थ हो सकता है आपका नुकसान कर रहे हों , इनको छोड़ने के साथ वह प्राकृतिक खाद्य शुरू करें जो आपने बहुत कम खाया हो !

आप डरपोक हैं इसीलिए एक सप्ताह में कैंसर ठीक, जैसे न्यूज़ नुमा विज्ञापन ध्यान से पढ़ते ही नहीं बल्कि अपने तमाम दोस्तों को शेयर भी तुरंत करते हैं ! आकर्षक हैडिंग वाली ख़बरें आपको खींचती हैं उस माल को खरीदने के लिए जो मुफ्त में फायदा देने का झांसा दे रहा है तब आप मृत्यु के प्रति घबराए हुए तो हैं ही साथ ही मूर्ख और लालची भी हैं जो किसी व्यापारी के लुभावने ऑफर को धन्यवाद् सहित स्वीकार ही नहीं कर रहे बल्कि अनजाने में उसके एजेंट भी बन रहे हैं ! मृत्यु के प्रति यह भय आपकी जान ले लेगा और आपके जाते जाते मेडिकल व्यवसाइयों को धन दिलाने में कामयाब रहेगा !

अकर्मण्यता की आदत से, है कितना लाचार आदमी !
जकड़े घुटने पकड़ के बैठा , ढूंढ रहा उपचार आदमी !

दुरुपयोग मानस का करके,ढेरो धन संचय कर.भयवश
निष्क्रिय औ भयभीत ह्रदय से करता योगाचार आदमी !

Tuesday, June 12, 2018

बिना समझे, दौड़ना खतरनाक हो सकता है -सतीश सक्सेना

६ जून की पोस्ट पर भाई लकी सिंह के स्नेहिल प्रश्न के जवाब में यह पोस्ट लिखनी आवश्यक हो गयी है मुझे दुःख है कि अधिकतर लोग ध्यान से बिना समझे रनिंग शुरू करते हैं जबकि यह बेहद घातक सिद्ध हो सकता है अतः आज रनिंग से सम्बंधित कुछ ख़ास बातें , फायदे और संभावित नुकसान की भी चर्चा आवश्यक है !

चूंकि रनिंग अकेली ऎसी एक्सरसाइज है जो डायबिटीज और ह्रदय आर्टरिज़ में आयी रूकावट को दूर करने में समर्थ है मगर रनिंग के बारे में कोई यह जानना नहीं चाहता कि रनिंग का सही तरीका क्या है, नुकसान क्या हो सकते हैं , उनका सोंचना है कि रनिंग के बारे में किसी से क्या पूंछना ? और वे दौड़ना शुरू कर देते हैं यही नहीं उनकी कोशिश होती है कि वे लम्बी दूरियां, बढ़िया स्पीड के साथ तय कर सकें ताकि साथियों में अपनी बुलंदी के किस्से सुनाये जा सकें और अधिकतर इस जोश का अंत किसी गंभीर मसल्स इंजरी के साथ ही होता है जिसके कारण कई लोगों की रनिंग पूरे जीवन नहीं हो पाती !


रनिंग एक हार्ड हाई इम्पैक्ट एक्सरसाइज है जिसमें शरीर के हजारो अंग एक  साथ वायब्रेट करते हैं और विभिन्न व्यक्तियों पर अपनी अपनी आदत के अनुसार उन पर अच्छा या बुरा असर पड़ता है ! अतः रनिंग करते समय हर व्यक्ति का ध्यान अपने शरीर पर होना चाहिए कि वह क्या कह रहा है , और हर शरीर अपने स्वस्थ होने या बीमार होने का संकेत काफी पहले ही देता है अगर इसे दौड़ने के जोश में, नज़रंदाज़ करेंगे तो यकीनन आपका नुकसान हो सकता है !

हर रनिंग में शरीर के मसल्स एवं जॉइंट्स को बहुत काम करना पड़ता है गिरते हुए हर कदम पर आपके शरीर के वजन का तीन गुना इम्पैक्ट जमीन पर पड़ता है इसका अर्थ यह है कि दौड़ते समय अगर आपका वजन 70 kg है तो हर गिरते कदम पर आपका पैर जमीन से 210 kg के वजन के साथ टकराएगा और हर बार 210 किलोग्राम  इम्पैक्ट का कम्पन आपके घुटने,हिप जॉइंट्स , बॉडी कोर, हृदय, फेफड़े और मस्तिष्क तक महसूस करेगा ! 5 Km दौड़ते हुए ,एक रनर लगभग 6000 बार अपने घुटनों और काफ मसल्स पर 210 किलोग्राम का इम्पैक्ट देता है , और यह झनझनाहट, शरीर के हर नाजुक जॉइंट्स से गुजरती हुई मस्तिष्क तक जाती है !

इतनी दुष्कर हाई इम्पैक्ट एक्सरसाइज अगर कोई आलसी वृद्ध व्यक्ति , या अनाड़ी जोशीला जवान एक दिन में करने की कोशिश करेगा तो इस मूर्खता स्वरुप उसकी मसल्स एवं जॉइंट्स में सूजन आ जाएगी और अधिक  करने पर,वे फटकर घायल भी हो सकती हैं जिनके हील होने में कई बार महीनों, बेडरेस्ट करना पडेगा और अगर मेडिकल व्यापारियों के पास चला गया तो वह ऑपरेशन के साथ,लोहे के घुटने लगा कर, बचे जीवन भर रनिंग को गालियां देता रहेगा !


इस तरह की चोट लगने से बचाव के लिए, सबसे महत्वपूर्ण आवश्यकता अधिक मात्र में पानी पीना है ! अगर शरीर में पानी पर्याप्त मात्र में नहीं है तब दौड़ते समय मसल्स क्रेम्प्स आना और अंदरुनी जख्म के कारण दर्द होना, सामान्य बात है ! अतः हर रनर दौड़ने से पहले 24 घंटे अपने शरीर को, पर्याप्त हाइड्रेशन देने की व्यवस्था करता है अधिकतर जल, जूस , दूध या  लिक्विड भोजन इसकी जरूरत पूरी करता है !

हर लम्बी दौड़ के बाद एक या अधिक दिनों का आराम आवश्यक है जिसमे सूजे हुए मसल्स आराम के बाद ठीक होकर और शक्तिशाली बनकर अगली रनिंग के लिए अधिक मजबूती के साथ तैयार हो सकें ! इस प्रक्रिया को मसल्स अथवा शारीरिक रिकवरी कहते हैं यह रनिंग की सबसे बड़ी उपलब्धि है मैं इसे कायाकल्प कहता हूँ इस प्रक्रिया से ही शरीर ढीले मसल्स का त्याग कर , नौजवान मसल्स की शक्ल लेकर , नए
स्वरुप को प्राप्त करता है ! सो हर लम्बी मेहनत के बाद , ढेरों जल , लंबा आराम एवं बेहतरीन नींद अवश्यक है !
  

याद रहे हर रनर दौड़ से पहले बॉडी वार्मअप करता है फिर धीरे धीरे दौड़ना और दौड़ के समाप्ति पर कुछ देर तक जोगिंग मोड में दौड़ना बेहद आवश्यक होता है ! इतनी मेहनत के करने बाद रिकवरी के लिए निम्न टिप ध्यान में रखना आवश्यक हैं !
  • रनिंग के बाद एक या दो दिन आराम करें उसके बाद जब शरीर ठीक हो जाए तब अगली दौड़, पहली दौड़ से स्लो करें न कि जोश में और तेज दौड़ने का प्रयत्न करें यह भयानक भूल होगी आप यह न भूले कि आपके मसल्स ऊपर से भले सहज लग रहे हैं मगर वे भीतर से जख्मी हैं उन्हें और जख्म न दें !
  • बेहतरीन नींद ही सूजे हुए अंगों को ठीक करके स्वस्थ बनाने में समर्थ है सो 10 km या अधिक लम्बी दूरी के रनर कम से कम 8 घंटे या 10 घंटे की नींद अवश्य लें ! 
  • रनर के लिए हाइड्रेशन से महत्वपूर्ण कुछ नहीं होता हर रनिंग से पहले के 24 घंटे ढेरों पानी पीना है ताकि आपके शरीर में स्मूथनेस और शरीर से सफाई हो सके और इसी तरह रन के बाद अगले दो दिन खूब पानी एवं लिक्विड आहार लें ताकि मसल्स रिकवरी इफेक्टिव हो , हाँ दौड़ते समय पानी कम लेना चाहिए
    गला सूखते समय सिर्फ सिप भर लेना है ताकि गला गीला रहे ! भर पेट पानी दौड़ते हुए पीना मूर्खता होगी वह आपको दौड़ने नहीं देगा !
  • रनिंग के बाद बिना आराम किये, जोश में लोग, पिछली थकान को साथ लेकर अगले दिन फिर दौड़ने जाते हैं और सूजी हुई मसल्स को डैमेज करते हैं अगर इन्हीं मसल्स को समुचित आराम दिया जाता तो वे अगली रनिंग और अधिक ताकत के साथ बिना थके करने के लिए तैयार होती !
  •   सप्ताह में एक दिन रनिंग की जगह क्रॉस ट्रेनिंग बेहद आवश्यक है जिनके द्वारा उन मसल्स को मजबूत किया जाता है जिनका उपयोग रनिंग के समय नहीं होता बहुतायत में रनिंग इंजुरी इसी के न करने के कारण होती है ! और साइकलिंग को बेहतरीन क्रॉस एक्सरसाइज माना जाता है !सो सप्ताह में एक दिन साईकिल चलायें !
  • रनिंग से पहले बॉडी स्ट्रेचिंग एवं वार्मिंग रनिंग के दौरान सिप करने के लिए पानी की छोटी बोतल एवं रन के अंत में धीमे धीमे स्लो डाउन करते हुए रुकना , इंजुरी से बचने के लिए बहुत आवश्यक है !
  • सीनियर उम्र के रनर अगर जल्दवाजी और जोश में रनिंग करेंगे तो तरह तरह के दर्द होंगे जिन्हे मेडिकल व्यापारी  खतरनाक बताकर पैसे निकलवा लेंगे ! उन्हें खासतौर पर शरीर का लचीलापन बनाये रखने के लिए विभिन्न एक्सरसाइज करना होगा तथा अपने लिए गहरी  नींद , सप्ताह में दो दिन पूरा रेस्ट तथा एक दिन साइक्लिंग करनी ही होगी  तभी शरीर लम्बे समय तक रनिंग के लिए साथ देगा , थके हुए पैरों को लेकर लम्बी दौड़ नहीं करनी चाहिए !
निम्न वेब साइट पर जाकर आप अन्य जानकारी ले सकते हैं 
https://www.runnersworld.com/training/

एवं रनिंग ट्रेनिंग के लिए 
https://www.halhigdon.com/training/5k-training/

यह मत भूल जाना कि इन दिनों जिन के पेट का घेरा बढ़ा हुआ है वे सब हृदय आर्टरीज में चर्वी जमा कर चुके हैं और डायबिटीज के शिकार हैं और इससे मुक्ति का इलाज केवल और केवल रनिंग सीखना है ! उनका जबरदस्त प्रभामंडल , समाज से मिलता सम्मान का नशे में व्यस्त वे आसन्न मौत की आहट भी नहीं ले पाएंगे  !

उन्हें चाहिए कि अगर अपने यश और सम्मान का सुख लेना है तो थोड़ा समय उस भूल पर लगाएं जो उन्होंने वर्षों से की है, आज से मेहनत करना और पसीने के साथ दौड़ने में सुख लेने का प्रयत्न करें अन्यथा जिनके लिए जीना आवश्यक है उन्हें ही खतरे में डालकर अचानक जाने के लिए तैयार रहें !
मंगलकामनाएं आप सबको !

Friday, June 8, 2018

मृत्युभय और इम्यून सिस्टम (हेल्थ ब्लंडर 9) -सतीश सक्सेना

गिरिजा कुलश्रेष्ठ एवं शशि शर्मा जी का सवाल है कि इम्यून सिस्टम को मजबूत कैसे करें ? इसके जवाब में आधुनिक सिस्टम और मेडिकल व्यवसाय के अनुसार वही टोटके बताये गए हैं जो हर मालदार आसामी को कहे
जाते हैं जैसे खूब सारे फ्रूट्स , सब्जियां , मेवा , और प्रोटीन आदि खाइये और बीमारियों से  दूर रहिये अगर इनकी बात पर विश्वास करें तब गरीब आदमी, मेहनतकश मजदूर आदि जो सूखी रोटी खाते हैं उनमें इम्यून सिस्टम शायद सबसे कमजोर ही होता होगा ! जबकि एक गरीब रिक्शे वाला 50 वर्ष की उम्र में 150 किलो की दो तोंदवालों को बिठाकर दिन भर 100 km से अधिक चलता है और देर रात घर पंहुचने पर खाने के नाम पर उसे ४ रोटी और दाल मिलती है सुबह फिर रिक्शा लेकर अपने काम पर !

शुरू के दिनों में जब मैं अपने कमजोर मन और शरीर के साथ लड़ रहा था तब यही प्रश्न अल्ट्रा रनर एवं कई बार के आयरन मैन @अभिषेक मिश्रा से पूंछा था कि एक हाफ मैराथन रनर जो 60 वर्ष का हो उसे क्या खाना चाहिए  तो अभिषेक का जवाब था कि यह सब बेकार के चोचले हैं आप वही खाइये जो साधारण लोग खाते हैं दाल सब्जी रोटी और मौसमी फल , और आपका शरीर इनसे ही भरपूर शक्ति ले लेगा !

अधिक उम्र में इम्यून सिस्टम बढ़ाने के लिए :
सबसे पहले अपने आप को हंसना सिखाइये जो कि बीमारी के भय और नकारात्मक विचारों के साथ जीते हुए व्यक्ति के लिए मुश्किल होता है ! मैं ऐसे तमाम लोगों को जानता हूँ जो अपने विगत सम्मान का ढिंढोरा पीटते हैं और अपने चेहरे को पेंट करने में ही अधिकतर समय बिताते हैं ऐसे लोग कुछ समय में ही निढाल हो जायेंगे ! सम्मान की चाहत ही, बुढापे की निशानी है और यह अधिकतर परिपक्व अवस्था में ही आती है ! किसी बच्चे को किशोर अवस्था तक, आपने सम्मान के लिए प्रयास रत नहीं देखा होगा , सम्मान योग्य कर्म कीजिये और उसके बदले में बिना आशा किये उसे भुला दीजिये अगर वह कार्य विशुद्ध मन से किया होगा तो अपने निशान अवश्य छोड़ेगा, जिसे लोग अपनाएंगे भी ! यही सच्चा सम्मान होगा चाहे आपके सामने मिले या पीठ पीछे !

स्वस्थ वही होगा जो प्रसन्नचित होगा, अपने आपको वृद्ध मानना और वैसा ही आचरण करना सबसे अधिक नुकसान करता है ! कुछ लोग अधिक उम्र में अपना गुणगान , अपने किये गए कार्यों का बखान , और सम्मान की चाहत में ,कमउम्र संगति में गंभीरता ओढ़े रहते हैं यह बड़प्पन ही आपको वृद्ध बनाने के लिए काफी है आपको समझना होगा कि सम्मान वह नहीं जो किसी के द्वारा दिया जाए यह सिर्फ खुद को भुलावे में रखने का आधार मात्र है ! ऐसे लोग चेहरे पर आयी झुर्रियों से मुक्ति नहीं पा सकते !

अगर आप खुद को वृद्ध नहीं मानते हैं तब आपका शरीर भी जवानों की फुर्ती रखने में कामयाब रहता है ! खुद को दी गयी मजबूत सलाह और आत्म विश्वास ही बेहतर प्रतिरक्षा शक्ति की कुंजी है सो मेडिकल व्यवसाय द्वारा  दिया ज्ञान भूलकर, बीमारी को लाइलाज न मानकर, मात्र शारीरिक प्रतिक्रिया मानिये जो कुछ दिन में सामान्य हो जायेगी और ऐसा करते समय मृत्युभय न रखें अन्यथा स्वस्थ होने में रूकावट आएगी !

उत्साह का मर जाना मृत्यु और उत्साह का होना ही जवानी है ,अपने ऊपर विश्वास के साथ नए कार्य सीखने का उत्साह होना सबसे आवश्यक है अगर ऐसा नहीं कर पा रहे तो आप नकारात्मक व्यक्तित्व के साथ जवान बनने का प्रयास कर रहे हैं ! सामाजिक वर्जनाओं को आँख बंद कर न अपनाएँ , लोग क्या कहेंगे कि इस उम्र में ..... जैसे सुझावों से मुक्ति पाएं और मन को प्रसन्न रखने के लिए तैरना, झूला झूलना ,साईकिल चलाना, और दौड़ना सीखना ,नए फैशन के कपडे पहनना शुरू करें ! शारीरिक एक्टिविटी जिसमें शरीर के हर अंग में कम्पन हो, व्यायाम हो उसमें लिप्त होना सबसे अधिक आवश्यक है !रनिंग जैसी एक्टिविटी आपको दीर्घ और स्वस्थ आयु दिलाने में समर्थ है ! 

अपने जीवन में कोई बैरियर न लगायें , मैं यह नहीं खा सकता मुझे यह पसंद नहीं ! वह हर चीज खाइए  जो विश्व में खायी जाती हो और उसे एन्जॉय करते हुए खाएं  वेज, नॉन वेज , बियर ,व्हिस्की, कॉफी, चाय , मिठाई , नमकीन मगर गुलाम किसी का न बनें !

अंत में भीष्म प्रतिज्ञा जैसी इच्छा शक्ति का विकास करें कि मैं अपना जीवन 100 वर्ष तक चाहता हूँ और वह भी मजबूती के साथ और यह मैं लेकर रहूँगा ! इस वरदान को लेने के लिए मंदिर जाकर ईश्वर की तपस्या आवश्यक नहीं है बल्कि बिना मेडिकल व्यवसाइयों के उपचार और टेस्ट के अपने मन को मजबूत भरोसा दिलाना ही ,शरीर को सौ वर्ष ज़िंदा रखने के लिए पर्याप्त होगा ! 

विश्व में वे लाखों व्यक्ति पूरे 100 वर्ष जिए हैं जिन्होंने जीवन में मृत्यु का भय दिलाने, विभिन्न बीमारियों का नाम और ज्ञान देने वाले व्यवसाइयों से मिलने में परहेज रखा !

Wednesday, June 6, 2018

हेल्थ ब्लंडर 8 -सतीश सक्सेना

रोज सवेरे वाक करके स्वस्थ रहने की ग़लतफ़हमी पालने वालों के लिए अरुण द्विवेदी की तल्ख़ टिप्पणी को ध्यान से पढ़ना चाहिए शायद वे अपनी गलती महसूस करें !


वाकई में यह वाक उनके किसी काम का नहीं , बरसों से आरामदेह शरीर , अपनी नियमित क्रियाएं भूल चुका है और आलसी आदमी अपने शरीर की प्रतिरक्षा शक्ति पर ध्यान न देकर कम मेहनत और बिना पसीना बहाये सेठ रामदेव की ओर, किसी संजीवनी बूटी की आशा में देख रहा है !

मृत्यु भय और बढ़ती उम्र में आलसी शरीर के कारण उत्पन्न बीमारियां उसे अपने शरीर का ध्यान रखने के लिए सुबह वाक करने को मजबूर करती हैं और इस बोरियत से बचने के लिए वह अपने किसी संगी साथी की तलाश करता है जिसे वह अपने बड़प्पन के किस्से सुनाकर खुश महसूस करे साथ ही यह मुसीबत का समय भी बढ़िया कटे ! ऐसे लोगों को जब हृदय आघात होता है तब साथी चर्चा करते हैं कि यह तो नियमित टहलने जाते थी फिर इन्हें हार्ट अटैक क्यों हुआ ?

इसे ही ब्लॉक माइंड कहते हैं इन्हें समय ही नहीं है अपने गलते शरीर या अपनी प्रतिरक्षा शक्ति की चीत्कार सुनने का और न इसकी समझ कि मैं बेवकूफी क्या कर रहा हूँ , पछताना सिर्फ तब होता है जब मेडिकल व्यवसाय का कोई अनाड़ी डॉक्टर ,इनके शरीर के ऊपर ऑपरेशन थियेटर में, बेतुकी जगह पर चीरफाड़ करते हुए ऑपरेशन करना सीखता है फलस्वरूप यह लोग अपनी बची हुई जिंदगी ,रेंगते हुए बिताने को मजबूर होते हैं !

कोई भी डॉ अपने मरीज को उसके इम्यून सिस्टम के बारे में जानकारी देने का प्रयत्न नहीं करता कि वह (इम्यून सिस्टम ) उसे बचाने के लिए क्या करता है और न वह यह बताता है कि इन गोलियों के खाने से आपके शरीर का कितना नुकसान होगा !

बीमारी कोई भी हो हर डॉ सबसे पहले विभिन्न टेस्ट करवाता है और अधेड़ शरीर में कम से कम दो तीन स्वाभाविक उम्र जनित बीमारियां निकल ही आती हैं जिनके उपाय में, मेडिकल व्यवसाइयों को अच्छी खासी राहत और एक डरा हुआ मरीज अगले कुछ वर्षों के लिए नोटों का थैला लिए हुए मिल जाता है !

कितने ही पढ़े लिखे जाहिल, अपने शरीर से संवाद न करके इन व्यवसाइयों की सलाह पर निर्भर होकर अपने दुखते घुटने , कमर , किडनी और हृदय रोगों की दवा खाते जी रहे हैं साथ ही अपने आपको तसल्ली देते रहते हैं कि अब हमारी उम्र बीमारियों की तो है ही और मैं "इलाज" भी बढ़िया डॉ से करा रहा हूँ ! काश इन बेवकूफों को पता हो कि इसका विश्व में कोई इलाज उपलब्ध ही नहीं इन गोलियों को खाने से बेहतर बिना दवा लिए जीना है सिर्फ अपने इम्यून सिस्टम से बाते करना सीखना होगा !

इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाओ, शरीर झूम उठेगा ! वह किसी भी बीमारी, जिसका नाम कुछ भी हो, को खुद ठीक करने में समर्थ है बशर्ते कि तुम भयभीत होकर न जी रहे हो !

मंगलकामनाएं सदबुद्धि के लिए !
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