रोज सवेरे वाक करके स्वस्थ रहने की ग़लतफ़हमी पालने वालों के लिए अरुण द्विवेदी की तल्ख़ टिप्पणी को ध्यान से पढ़ना चाहिए शायद वे अपनी गलती महसूस करें !
वाकई में यह वाक उनके किसी काम का नहीं , बरसों से आरामदेह शरीर , अपनी नियमित क्रियाएं भूल चुका है और आलसी आदमी अपने शरीर की प्रतिरक्षा शक्ति पर ध्यान न देकर कम मेहनत और बिना पसीना बहाये सेठ रामदेव की ओर, किसी संजीवनी बूटी की आशा में देख रहा है !
मृत्यु भय और बढ़ती उम्र में आलसी शरीर के कारण उत्पन्न बीमारियां उसे अपने शरीर का ध्यान रखने के लिए सुबह वाक करने को मजबूर करती हैं और इस बोरियत से बचने के लिए वह अपने किसी संगी साथी की तलाश करता है जिसे वह अपने बड़प्पन के किस्से सुनाकर खुश महसूस करे साथ ही यह मुसीबत का समय भी बढ़िया कटे ! ऐसे लोगों को जब हृदय आघात होता है तब साथी चर्चा करते हैं कि यह तो नियमित टहलने जाते थी फिर इन्हें हार्ट अटैक क्यों हुआ ?
इसे ही ब्लॉक माइंड कहते हैं इन्हें समय ही नहीं है अपने गलते शरीर या अपनी प्रतिरक्षा शक्ति की चीत्कार सुनने का और न इसकी समझ कि मैं बेवकूफी क्या कर रहा हूँ , पछताना सिर्फ तब होता है जब मेडिकल व्यवसाय का कोई अनाड़ी डॉक्टर ,इनके शरीर के ऊपर ऑपरेशन थियेटर में, बेतुकी जगह पर चीरफाड़ करते हुए ऑपरेशन करना सीखता है फलस्वरूप यह लोग अपनी बची हुई जिंदगी ,रेंगते हुए बिताने को मजबूर होते हैं !
कोई भी डॉ अपने मरीज को उसके इम्यून सिस्टम के बारे में जानकारी देने का प्रयत्न नहीं करता कि वह (इम्यून सिस्टम ) उसे बचाने के लिए क्या करता है और न वह यह बताता है कि इन गोलियों के खाने से आपके शरीर का कितना नुकसान होगा !
बीमारी कोई भी हो हर डॉ सबसे पहले विभिन्न टेस्ट करवाता है और अधेड़ शरीर में कम से कम दो तीन स्वाभाविक उम्र जनित बीमारियां निकल ही आती हैं जिनके उपाय में, मेडिकल व्यवसाइयों को अच्छी खासी राहत और एक डरा हुआ मरीज अगले कुछ वर्षों के लिए नोटों का थैला लिए हुए मिल जाता है !
कितने ही पढ़े लिखे जाहिल, अपने शरीर से संवाद न करके इन व्यवसाइयों की सलाह पर निर्भर होकर अपने दुखते घुटने , कमर , किडनी और हृदय रोगों की दवा खाते जी रहे हैं साथ ही अपने आपको तसल्ली देते रहते हैं कि अब हमारी उम्र बीमारियों की तो है ही और मैं "इलाज" भी बढ़िया डॉ से करा रहा हूँ ! काश इन बेवकूफों को पता हो कि इसका विश्व में कोई इलाज उपलब्ध ही नहीं इन गोलियों को खाने से बेहतर बिना दवा लिए जीना है सिर्फ अपने इम्यून सिस्टम से बाते करना सीखना होगा !
इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाओ, शरीर झूम उठेगा ! वह किसी भी बीमारी, जिसका नाम कुछ भी हो, को खुद ठीक करने में समर्थ है बशर्ते कि तुम भयभीत होकर न जी रहे हो !
मंगलकामनाएं सदबुद्धि के लिए !