Saturday, May 21, 2016

मन है भारी अगर, आइये दौड़िए - सतीश सक्सेना

लड़ना अवसाद से , आइये दौड़िये 
मन हो भारी अगर तो उठें, दौड़िये !

क्या पता,भूल से दिल दुखाया कोई 
गर ह्रदय पर वजन हो, तभी दौड़िए !

आने वाली नसल , आलसी न बने  
इनकी हिम्मत बढ़ाने को ही दौड़िए !

वायदे कुछ किये थे, किसी हाथ से 
अंत तक है निभाना , तो भी दौड़िये !  

शक्ति ,साहस, भरोसा, रहे अंत तक 
हाथ में जब समय हो, जभी दौड़िए !

4 comments:

  1. हमें पता है आप
    दौड़ रहे हैं
    दौड़िये खूब दौड़िये
    हम भी दौड़ रहें हैं
    मत कहियेगा
    अजी छोड़िये
    आपके दौड़ने
    और हमारे दौड़ने
    में बस जरा सा फर्क है
    आप खेल में दौड़ रहे हैं
    पसीना भी बहा रहे हैं
    हम बैठे बैठे घर से
    दौड़ते दौड़ते दौड़ने
    के सपने की फिलम
    बिना हीरोइन के ही
    बना रहे हैं
    दौड़ते जा रहे हैं । :)

    आपकी दौड़ के लिये शुभकामनाएं ।

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  2. बहुत सुंदर संदेश

    ReplyDelete
  3. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" रविवार 2 मई 2016 को लिंक की जाएगी .... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ....धन्यवाद!

    ReplyDelete

एक निवेदन !
आपके दिए गए कमेंट्स बेहद महत्वपूर्ण हो सकते हैं, कई बार पोस्ट से बेहतर जागरूक पाठकों के कमेंट्स लगते हैं,प्रतिक्रिया देते समय कृपया ध्यान रखें कि जो आप लिख रहे हैं, उसमें बेहद शक्ति होती है,लोग अपनी अपनी श्रद्धा अनुसार पढेंगे, और तदनुसार आचरण भी कर सकते हैं , अतः आवश्यकता है कि आप नाज़ुक विषयों पर, प्रतिक्रिया देते समय, लेखन को पढ़ अवश्य लें और आपकी प्रतिक्रिया समाज व देश के लिए ईमानदार हो, यही आशा है !


- सतीश सक्सेना

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