Monday, February 10, 2014

नीची नज़रों वाले अक्सर, तीखी चोटें करते हैं - सतीश सक्सेना

चंदा, सूरज, बादल ,कितना काम हमारा करते हैं !
कुदरत की ताकत बतलाने, सिर्फ इशारा करते हैं !

खुशी हमारी देख हमेशा, जलते हैं दुनिया वाले !
नज़र लगाने वाले अक्सर, नज़र उतारा करते हैं !

लड़के अक्सर ही लुट जाते चूड़ी, सुरमा, लाली से  
संवेदना, समर्पण पाकर, दिल को हारा करते हैं !

करुणा दया से रिश्ता कैसा, पथरीली चट्टानों से 
डूबते दिल को, बैठे साहिल सिर्फ निहारा करते हैं 

नज़र बचा के चलने वालों, से रहना चौकन्ने ही   
नीची नज़रों वाले , तीखी चोटें , मारा करते हैं !

26 comments:

  1. इस गीत को पढ़ते हुए एक हल्की सी मुस्कुराहट तिर जाती है होठों पर! ख़ास कर यह पंक्तियाँ:
    खुशी हमारी देख हमेशा, जलते हैं दुनिया वाले !
    नज़र लगाने वाले अक्सर, नज़र उतारा करते हैं !
    ट्रक के पीछे अक्सर लिखा होता है "देखो मगर प्यार से" या फिर "बुरी नज़र वाले तेरा मुँह काला".. गुजरात में मैंने देखा एक ट्रक के पीछे लिखा था "ऐसे मत देख - प्यार हो जाएगा"... और हमें तो पह्ले ही प्यार हो गया आप्के गीतों से... अगला संकलन छपने की तैयारी में है!
    ज़्यादा नहीं कहुँगा, नहीं तो आप कहेंगे
    खुशी हमारी देख हमेशा, जलते हैं दुनिया वाले !
    नज़र लगाने वाले अक्सर, नज़र उतारा करते हैं !

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  2. नज़र बचाके चलने वालों, से रहना चौकन्ने ही
    नीची नज़रों वाले , तीखीं चोटें , मारा करते हैं !
    बहुत खूब !
    नई पोस्ट : फागुन की धूप

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  3. तजुर्बे की बात बताई है बड़े भाई.

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  4. वाह, हर एक शेर खूबसूरत
    सादर !

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  5. खूबसूरत ऑब्ज़र्वेशन...

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  6. बहुत सुंदर ग़ज़ल......!! हर लाइन एक से बढ़ कर एक .....

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  7. वाह वाह निकलता है मुंह से ... लाजवाब ...

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  8. नज़र बचाके चलने वालों, से रहना चौकन्ने ही
    नीची नज़रों वाले , तीखीं चोटें , मारा करते हैं !
    ....बहुत सही कहा आपने ...गहन अनुभव की परिणति से उपजी सार्थक रचना ऑंखें खोलती हैं

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  9. लाजबाब ,सटीक प्रस्तुति...!
    RECENT POST -: पिता

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  10. नीची नज़रों वाले , तीखीं चोटें , मारा करते हैं !.....गज़ब!! क्या पहचाना है नीची नजरों को...सन्नाट!!

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  11. नज़र लगाने वाले अक्सर, नज़र उतारा करते हैं !

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  12. कहॉ-कहॉ से ढूढ-ढूढ कर शब्द पिरोया करते हैं ?

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  13. बेहतरीन गज़लें लिख रहे हो भाई।

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  14. सटीक चोट की है, सच में, बच कर ही रहना होता है।

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  15. नीची नजरों वालों से अब सावधान रहेंगे। अच्‍छी रचना।

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  16. नज़र बचाके चलने वालों, से रहना चौकन्ने ही
    नीची नज़रों वाले , तीखीं चोटें , मारा करते हैं !
    अच्छी रचना। शुभकामनायें !

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  17. अब सभी लोग आपकी तरह कलात्मक रूप से भड़ास तो निकाल नहीं सकते ना साहब :)

    लिखते रहिये

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  18. लाजबाब ,सटीक प्रस्तुति...!

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  19. नज़र बचाके चलने वालों, से रहना चौकन्ने ही
    नीची नज़रों वाले , तीखीं चोटें , मारा करते हैं !
    ....वाह...बहुत सुन्दर और सार्थक अभिव्यक्ति.....

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  20. .नज़र बचाके चलने वालों, से रहना चौकन्ने ही
    नीची नज़रों वाले , तीखीं चोटें , मारा करते हैं !
    सुन्दर.और यह काम इंसान ही कर सकता है जमीं और आसमान नहीं.

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  21. खुशी हमारी देख हमेशा, जलते हैं दुनिया वाले !
    नज़र लगाने वाले अक्सर, नज़र उतारा करते हैं !
    वाह वाह हासिले ग़ज़ल है ये शेर तो ,बहुत बढ़िया ग़ज़ल लिखी है तहे दिल से दाद कबूलें

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  22. खुशी हमारी देख हमेशा, जलते हैं दुनिया वाले !
    नज़र लगाने वाले अक्सर, नज़र उतारा करते हैं !
    वाह वाह ,,,हासिले ग़ज़ल है ये शेर तो ,उम्दा ग़ज़ल दिली दाद कबूलें

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  23. वाह ...बेहतरीन पंक्तियाँ

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  24. ख़ूब ऑब्ज़र्वेशन है आपका -बड़े मार्के का लिख रहे हैं आजकल !

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  25. नज़र बचाके चलने वालों, से रहना चौकन्ने ही
    नीची नज़रों वाले , तीखीं चोटें , मारा करते हैं !
    ....बहुत सही कहा आपने ...बेहतरीन पंक्तियाँ

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  26. नज़र बचाके चलने वालों, से रहना चौकन्ने ही
    नीची नज़रों वाले , तीखीं चोटें , मारा करते हैं !
    ...यह शेर तो सवासेर लगा...मस्त..लाज़वाब!

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- सतीश सक्सेना

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