हाँ जिज्जी ( मेरी बेटी ), क्या कर रही है ?
पप्पा ! वाशरूम से बाहर निकला हूँ !
कितने गिलास पानी पिया ?
३ गिलास आधा घंटे पहले पी चुकी हूँ , पापा मैं इससे अधिक नहीं पी सकती लगता है वोमिटिंग हो जायेगी , और ऑफिस भी जाना है !
ओके , अब क्या करना है ?
घर की बालकनी में बैठकर प्राणायाम करना है , जैसे अपने बताया है ..
वह तो क्रिया थी जो बतायी थी अब ध्यान से जो मैं कह रहा हूँ वह सुनों ....
प्राणायाम का अर्थ प्राण ( सांस ) पर नियंत्रण होता है ! शरीर में अगर सांस नहीं तो कुछ नहीं बेटा , गहरी सांस लेकर अपने फेफड़ों को पूरा फुलाना है , और निकालना है !पता है फेफड़ों को जब सांस से भर रही तो तो क्या होता है ?
-शुद्ध ऑक्सीजन जीवन का आधार है, ब्लड वैसेल ( रक्त वहितकाओं ) के जरिये यह हमारे शरीर के हर अंग को जीवित रखने में मददगार है ! शुद्ध ऑक्सीजन हवा के साथ हमारे फेफड़ों में जाकर, रक्त में मिलकर उसे शुद्ध और हल्का बनाती है और यही रक्त शरीर के दूर दूर तक के अंगों को फुर्तीला और मज़बूत बनाता है !
-शुद्ध ऑक्सीजन अंदर फेफड़ों में भर कर उन्हें फुला रही है , उससे फेफड़ों के बंद चेम्बर जो इस व्यायाम को न करने के कारण बंद हो गए थे, वे खुलेंगे और अधिक शक्तिशाली बन पाएंगे !
सांस बाहर छोड़ते समय विचार करो कि शुद्ध ऑक्सीजन अंदर खींचकर फेफड़ों के बंद चेंबर खोल रही हो उस समय सीना बाहर आएगा क्योंकि फेफड़े फूल हुए हैं कुछ देर सांस रोक कर रखो और पेट के ढीले ढाले हिस्से को अंदर खिंच कर पीठ से मिलाने का प्रयास करो ! प्राणायाम की इस क्रिया से फेफड़े और पेट के अन्य अवयवों जैसे किडनी , लीवर आदि का व्यायाम भी हो रहा है !
- जैसे जैसे हमारी बॉडी ऑक्सीजन का उपयोग करेगी उसमें से वेस्ट प्रोडक्ट के रूप में कार्बन डाई ऑक्साइड का निर्माण होगा जिसे हमारा शरीर सांस के जरिये बाहर निकाल देगा !
-सुबह की स्वच्छ हवा में मिली ऑक्सीजन का भरपूर सदुपयोग, पूरा जीवन ,निरोग रखने में सहायक होगा !
-इंसान को जीने के लिए हवा, पानी और भोजन आवश्यक है !
-शरीर को मोटापा रहित बनाने के लिए १२ - १५ गिलास जल रोज पीना होगा !
-सुबह वृक्ष के नीचे बैठकर आधा घंटे प्राणायाम करना होगा !
-हज़ारो साल पहले जंगलों में रहते इंसान के पास प्राकृतिक तौर पर भोजन के लिए पत्तियां और फल उपलब्ध थे ! सो हमेशा खूब सारी पत्तियां और अपने आप टूट कर गिरे पके फल ही हमारा भोजन होना चाहिए !
ध्यान रहे समोसा , परांठा , पकौड़े, गुलाबजामुन , जलेबी जंगलों में नहीं उगते थे यह हमने कंक्रीट के जंगलों में खुद बनाये थे सो इन्हें खाना छोड़ना है !
-चीनी और चीनी कि कोई भी बनायी गयी मिठाई जैसे खीर ,सिवइयां और तली हुई भोजन सामग्री शरीर में सबसे हानिप्रद है इसका उपयोग किसी भी रूप में बंद करना होगा !
आशा है आज का यह सबक मेरे बच्चे याद रखेंगे !
स्वस्थ और हँसते लम्बे जीवन की कामनाओं के साथ !
पापा
पप्पा ! वाशरूम से बाहर निकला हूँ !
कितने गिलास पानी पिया ?
३ गिलास आधा घंटे पहले पी चुकी हूँ , पापा मैं इससे अधिक नहीं पी सकती लगता है वोमिटिंग हो जायेगी , और ऑफिस भी जाना है !
ओके , अब क्या करना है ?
घर की बालकनी में बैठकर प्राणायाम करना है , जैसे अपने बताया है ..
वह तो क्रिया थी जो बतायी थी अब ध्यान से जो मैं कह रहा हूँ वह सुनों ....
प्राणायाम का अर्थ प्राण ( सांस ) पर नियंत्रण होता है ! शरीर में अगर सांस नहीं तो कुछ नहीं बेटा , गहरी सांस लेकर अपने फेफड़ों को पूरा फुलाना है , और निकालना है !पता है फेफड़ों को जब सांस से भर रही तो तो क्या होता है ?
-शुद्ध ऑक्सीजन जीवन का आधार है, ब्लड वैसेल ( रक्त वहितकाओं ) के जरिये यह हमारे शरीर के हर अंग को जीवित रखने में मददगार है ! शुद्ध ऑक्सीजन हवा के साथ हमारे फेफड़ों में जाकर, रक्त में मिलकर उसे शुद्ध और हल्का बनाती है और यही रक्त शरीर के दूर दूर तक के अंगों को फुर्तीला और मज़बूत बनाता है !
-शुद्ध ऑक्सीजन अंदर फेफड़ों में भर कर उन्हें फुला रही है , उससे फेफड़ों के बंद चेम्बर जो इस व्यायाम को न करने के कारण बंद हो गए थे, वे खुलेंगे और अधिक शक्तिशाली बन पाएंगे !
सांस बाहर छोड़ते समय विचार करो कि शुद्ध ऑक्सीजन अंदर खींचकर फेफड़ों के बंद चेंबर खोल रही हो उस समय सीना बाहर आएगा क्योंकि फेफड़े फूल हुए हैं कुछ देर सांस रोक कर रखो और पेट के ढीले ढाले हिस्से को अंदर खिंच कर पीठ से मिलाने का प्रयास करो ! प्राणायाम की इस क्रिया से फेफड़े और पेट के अन्य अवयवों जैसे किडनी , लीवर आदि का व्यायाम भी हो रहा है !
- जैसे जैसे हमारी बॉडी ऑक्सीजन का उपयोग करेगी उसमें से वेस्ट प्रोडक्ट के रूप में कार्बन डाई ऑक्साइड का निर्माण होगा जिसे हमारा शरीर सांस के जरिये बाहर निकाल देगा !
-सुबह की स्वच्छ हवा में मिली ऑक्सीजन का भरपूर सदुपयोग, पूरा जीवन ,निरोग रखने में सहायक होगा !
-इंसान को जीने के लिए हवा, पानी और भोजन आवश्यक है !
-शरीर को मोटापा रहित बनाने के लिए १२ - १५ गिलास जल रोज पीना होगा !
-सुबह वृक्ष के नीचे बैठकर आधा घंटे प्राणायाम करना होगा !
-हज़ारो साल पहले जंगलों में रहते इंसान के पास प्राकृतिक तौर पर भोजन के लिए पत्तियां और फल उपलब्ध थे ! सो हमेशा खूब सारी पत्तियां और अपने आप टूट कर गिरे पके फल ही हमारा भोजन होना चाहिए !
ध्यान रहे समोसा , परांठा , पकौड़े, गुलाबजामुन , जलेबी जंगलों में नहीं उगते थे यह हमने कंक्रीट के जंगलों में खुद बनाये थे सो इन्हें खाना छोड़ना है !
-चीनी और चीनी कि कोई भी बनायी गयी मिठाई जैसे खीर ,सिवइयां और तली हुई भोजन सामग्री शरीर में सबसे हानिप्रद है इसका उपयोग किसी भी रूप में बंद करना होगा !
आशा है आज का यह सबक मेरे बच्चे याद रखेंगे !
स्वस्थ और हँसते लम्बे जीवन की कामनाओं के साथ !
पापा
बड़ा कठिन है , हर बार नियम बनता है , फिर टूट जाता है। मगर फिर कोशिश करेंगे !
ReplyDeleteek achhi jaankari ke liye aabhar ..
ReplyDeleteस्वास्थ्य सर्वोपरि है, यथासंभव बनाये रखें, सुख के लिये आवश्यक शर्त।
ReplyDeleteमस्त मजेदार तथा उपयोगी पोस्ट है
ReplyDelete@ध्यान रहे समोसा , परांठा , गुलाबजामुन , जलेबी जंगलों में नहीं उगते थे यह हमने कंक्रीट के जंगलों में खुद बनाये थे सो इन्हें खाना छोड़ना है ! चीनी और तली हुई भोजन सामग्री शरीर में सबसे हानिप्रद है इसका उपयोग किसी भी रूप में बंद करना होगा !
उपरोक्त पंक्तियों को पढ़कर हंसी आ रही है :)
प्रतिदिन का आहार हमारे जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है !
उसकी मात्रा कितनी है गुणवत्ता कैसी है ? उससे हमारा विकास निर्भर है भोजन में कितनी सात्विक रजस तमस की मात्रा है किस मनस्थिति में भोजन हमारे पेट में पहुँच रहा है इन सबका अपना अर्थ है कहते है ना जैसा अन्न वैसा मन यह बात बिलकुल सही है !भोजन हमारे रक्त हड्डी मांस मज्जा बनने में ही उपयोगी नहीं समग्र विकास उसपर निर्भर है इसलिए रोज का भोजन हेल्दी हो इस पर ध्यान देना जरुरी है ! ऊपर बतायी हुई चीजे सच में हानिकारक है :)
वाह !
ReplyDeleteहमसे नहीं कहेंगे क्या करने के लिये यही सब ?
माना कि हम बच्चे नहीं भी हैं तो क्या हुआ
:) :) :) :D
बहुत सारी बातें कर भी रहे हैं और बहुत सारी अपनी दिनचर्या में ढ़ालने की कोशिश की, परंतु कहीं ना कहीं या तो कमजोर पड़ गये या फ़िर असफ़ल हो गये.. आपकी बात से फ़िर से धैर्य मिला है..
ReplyDeleteबिलकुल सही ...कोशिश कर रहे हैं और आगे भी जारी रखेंगें ....
ReplyDeleteउपयोगी और सार्थक जानकारी.....समोसा पराठे गुलाबजामुन और जलेबी तो कोंक्रीट के जंगलों की उपज है .....सही कहा आपने.....
ReplyDeleteसुन्दर प्रस्तुति-
ReplyDeleteआभार -
उपयोगी और सार्थक जानकारी.....!
ReplyDeleteRECENT POST - फागुन की शाम.
प्राणायाम बहुत लाभदायक प्रक्रिया है ! सही याद दिलाया है !
ReplyDeleteवाह आज तो आपने नया ही ज्ञान साझा किया है
ReplyDeleteउपयोगी पोस्ट !
ReplyDeleteइन बातों को अपनी जीवनशैली का हिस्सा बनाने की कोशिश करते हैं ,पर कुछ दिनों बाद फिर प्रारम्भिक बिन्दु पर आ जाते हैं .....
ReplyDeleteउपयोगी और सार्थक जानकारी...उपयोगी पोस्ट है
ReplyDeleteप्राणायाम प्रतिदिन आवश्यक है । जिसने अभी शुरु नहीं किया वह अपने स्वास्थ्य के साथ अन्याय कर रहा है । प्राणायाम , जीवन को प्रसन्नता से भर देता है अस्तु सभी से मेरा अनुरोध है कि वे प्राणायाम अवश्य करें ।
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