छलके अाँसू हाथ से पोंछे,दुनियां में इंसान वही है !
प्रेम दया ममता हो मन में,बस्ती में धनवान वही है !
खेत जमीं जंगल आपस में मम्मी पापा बाँट लिए
दोनों फैलें हाथ मुक्तमन,गले मिलें इंसान वही है !
हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई, बच्चे हैं भारत माँ के,
विश्व में ऐसा होते देखे, अपना हिंदुस्तान वही है !
अगर चार बच्चे भी माँ के, उसे अकेला छोड़ गए
सारे जग की माताओं में,लगती निस्संतान वही हैं !
सारे धर्म ग्रन्थ सिखलाए नफ़रत बड़ा गुनाह बताएं
राजनीति के चश्में फेंको,पढ़िए वेद,कुरान वही हैं !
प्रेम दया ममता हो मन में,बस्ती में धनवान वही है !
खेत जमीं जंगल आपस में मम्मी पापा बाँट लिए
दोनों फैलें हाथ मुक्तमन,गले मिलें इंसान वही है !
हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई, बच्चे हैं भारत माँ के,
विश्व में ऐसा होते देखे, अपना हिंदुस्तान वही है !
अगर चार बच्चे भी माँ के, उसे अकेला छोड़ गए
सारे जग की माताओं में,लगती निस्संतान वही हैं !
सारे धर्म ग्रन्थ सिखलाए नफ़रत बड़ा गुनाह बताएं
राजनीति के चश्में फेंको,पढ़िए वेद,कुरान वही हैं !
प्रेम से रहना आ जाये तो सारे दुःख दूर हो जाएँ..बहुत सुंदर बोध देता गीत !
ReplyDeleteबहुत सुंदर.
ReplyDeleteबहुत उम्दा अभिव्यक्ति...! सतीस जी...
ReplyDeleteRECENT POST - आँसुओं की कीमत.
बहुत उम्दा अभिव्यक्ति...! सतीस जी ,,
ReplyDeleteRECENT POST - आँसुओं की कीमत.
सहजीवन के तत्व समझाती पंक्तियाँ, बहुत सुन्दर।
ReplyDeleteसचमुच!
ReplyDeleteबहुत ही सशक्त और सटीक, शुभकामनाएं.
ReplyDeleteरामराम.
बहुत सुंदर रचना वाह !
ReplyDeleteचारो लड़के गए दूर को , अम्मा को घर प्यारा है !
ReplyDeleteसारे गॉँव की माताओं में,लगती निस्संतान वही हैं !
kitni badi sachchai hai
badhai
rachana
चारो लड़के गए दूर को , अम्मा को घर प्यारा है !
ReplyDeleteसारे गॉँव की माताओं में,लगती निस्संतान वही हैं !---कितनी गहरी और मार्मिक बात आपने कितनी सहजता से कहदी ।आपकी इस रचना ने निःशब्द बना दिया ।
बढ़िया कविता
ReplyDeleteबेहतरीन सन्देश प्रद रचना ... सुन्दर कविता ..
ReplyDeleteबहुत खूबसूरत रचना...
ReplyDeleteवाह वाह .... इस गीत के लिए खास दाद कबूल करे
ReplyDeleteछलके आंसू जो पोंछे ,बस दुनिया में इंसान वही है !*
ReplyDeleteप्रेम सम्पदा जिसके मन मे,बस्ती में धनवान वही है !
प्रेम मनुष्य को सच में धनवान बना देता है, सार्थक रचना !
bahut sundar satik abhivyakti !
ReplyDeletenew postकिस्मत कहे या ........
New post: शिशु
bahut sundar shabd chhote ...arth bade ....aapke yad dilane par ..bolo basant likha awashy padhen .....thanks ....
ReplyDeleteअलग-अलग भावों से सही बात रखता गीत। बहुत बढ़िया।
ReplyDeleteबहुत सुंदर गीत .....
ReplyDeleteसारे धर्म ग्रन्थ सिखलाएँ , प्रेम से रहना मानव को !
ReplyDeleteराजनीति के चश्में फेंको,पढ़िए वेद कुरआन वही है !
सुदंर प्रस्तुति...
कोरा गुस्सा कहाँ -षड्यंत्र ही षड्यंत्र ,और अब भी... !
ReplyDeleteअपने अपने धर्म निभाने हैं , गुस्सा छोड़ना होगा !! समय सबको बदलेगा !!
Deleteकितनी हम तारीफ करें इन सुन्दर लिखने वालों की
ReplyDeleteहम जैसों का इम्तिहान जो हर दिन रोज़ लिया करते हैं।
सार्थक .. आज के समय पे सटीक बैठती है ... यही हो जाए तो कितना कुछ आसान हो जाएगा ...
ReplyDeleteसुन्दर गीत…
ReplyDelete~सादर
सशक्त और सटीक, शुभकामनाएं...!!
ReplyDeletedil ko chhoo gaye rachna ke bhaav
ReplyDeleteshubhkamnayen