घर के अंदर , आ जाते हैं !
चाहे कितना भी दूर रहें ,
दिल से न निकाले जाते हैं !
ये लोग शांत शीतल जल में
तूफान उठाकर जाते हैं !
सीधे साधे मन पर, गहरे
हस्ताक्षर भी कर जाते हैं !
कहने को बहुत कुछ है लेकिन, अब यह अभिव्यक्ति मौन सही !
इस रंगमंच की दुनिया में
गहरी चोटें खायीं हमने !
कितनी ही रातें नींद बिना
किस तरह गुजारीं हैं हमने
जब दिल पर गहरे जख्म लगे
कुछ आकर मरहम लगा गए
इन प्यारों द्वारा ही कड़वे
अवशेष मिटाये जाते हैं !
अहसान न अपनों का होता सो यह अभिव्यक्ति मौन सही !
कुछ चित्रकार आसानी से
निज चित्र, उकेरे जाते हैं !
आहिस्ता से मुस्कानों के
गहरे रंग , छोड़े जाते हैं !
पत्थर पर निशाँ पड़े कैसे
अनजाने, दिल में कौन बसा
अनचाहे स्मृति चिन्ह बने
मेटे न मिटाये , जाते हैं !
कहने को जाने कितना है पर यह अभिव्यक्ति मौन सही !