Monday, April 25, 2022

अब और न कुछ कह पाऊंगा, मन की अभिव्यक्ति मौन सही !

अब और न कुछ कह  पाऊंगा, मन की अभिव्यक्ति मौन सही !
कुछ लोग बड़े आहिस्ता से
घर के अंदर , आ जाते हैं !
चाहे कितना भी दूर रहें ,
दिल से न निकाले जाते हैं !
ये लोग शांत शीतल जल में
तूफान उठाकर जाते हैं !
सीधे साधे मन पर, गहरे 
हस्ताक्षर भी कर जाते हैं !
कहने को बहुत कुछ है लेकिन, अब यह अभिव्यक्ति मौन सही  !

इस रंगमंच की दुनिया में
गहरी चोटें खायीं हमने !
कितनी ही रातें नींद बिना   
किस तरह गुजारीं हैं हमने 
जब दिल पर गहरे जख्म लगे 
कुछ आकर मरहम लगा गए 
इन प्यारों द्वारा ही कड़वे 
अवशेष मिटाये जाते हैं !
अहसान न अपनों का होता सो यह अभिव्यक्ति मौन सही !

कुछ चित्रकार आसानी से 
निज चित्र, उकेरे जाते हैं !
आहिस्ता से मुस्कानों के 
गहरे रंग , छोड़े जाते हैं !
पत्थर पर निशाँ पड़े कैसे 
अनजाने, दिल में कौन बसा 
अनचाहे स्मृति चिन्ह बने 
मेटे न मिटाये , जाते हैं !
कहने को जाने कितना है पर यह अभिव्यक्ति मौन सही !

Saturday, April 16, 2022

सबसे आवश्यक स्वास्थ्य सूत्र -सतीश सक्सेना

-मानव के लिए सबसे आवश्यक उदासी और अकेलेपन से मुक्ति है इसके साथ साथ उसे बंधन मुक्त होकर हंसना सीखना होगा ! प्रसन्नचित्त मन से ही संकल्प लेना आसान होगा अन्यथा सब प्रयास विफल होंगे !

-मृत्युभय निकालना होगा अगर ऐसा न कर सके तो बढ़ती बीमारियों का बोझ कम न होकर बढ़ता ही जाएगा आपकी आंतरिक जीवन रक्षा शक्ति को मजबूत बनाने का एक ही तरीका है कि आप बीमारियों को महत्व न दें उनपर ध्यान न दें और ऐसा निडर होकर करें प्राकृतिक तैर पर ठीक होने का विश्वास बनाये रखें कि आपकी आंतरिक रक्षा शक्ति बेहद ताकतवर है और प्रकृति द्वारा शरीर को सौ वर्ष जीवित रखने के लिए डिजाइन्ड है जबकि मेडिकल साइंस के तथाकथित रक्षक खुद को इतने वर्ष नहीं बचा पाते हैं !

-आलस्य को दूर रखने के लिए दिन भर खुद को एक्टिव रखें नए शौक अपनाएँ इससे मन में उत्साह बना रहेगा !

-नकारात्मक विचार आपको कुछ भी करने नहीं देंगे , बुरा विगत भुलाकर आगत का स्वागत नए उत्साह से करें !

-खुद को बड़प्पन मुक्त करें, झिझक त्याग मित्रों का उन्मुक्त स्वागत हाथों को फैलाकर करें , अपने बचपन को अगर वह खो गया है तो दुबारा बापस लाएं , बड़प्पन और आदर सम्मान की भूख आपको बूढ़ा जल्द बनाएगी यह याद रखें !

Wednesday, April 13, 2022

विवाह गीत -सतीश सक्सेना

जिससे रिश्ता जुड़ा था 
जनम जन्म से  
द्वार पर आ गए , 
आज  बारात ले !
उनके आने से, सब 
खुश नुमा हो गया !
नाच गानों से , घर भी चहक सा गया !

पर यह आँखें मेरी, 
संग नहीं दे रहीं 
हँसते हँसते न जाने 
छलक क्यों रहीं  ?
आज बेटी   चलीं, 
अपना दर छोड़कर
घर नया चुन लिया अपना घर छोड़कर !

आज माता पिता 
भाई बहना सभी 
कर रहे स्वागतें 
इक नयी आस में !
जाओ बहना सजाओ 
नया आशियाँ !
हम सभी की शुभाशीष है साथ में !

रचनी होगी तुम्हें , 
विश्व सर्वोत्तमा 
एक हंसती कलाकृति
 हमारे लिए !
हाथ फैलाये हंसती 
कृति विश्व की 
ऎसी  सौगात देना , हमारे लिए  !


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