घर के अंदर , आ जाते हैं !
चाहे कितना भी दूर रहें ,
दिल से न निकाले जाते हैं !
ये लोग शांत शीतल जल में
तूफान उठाकर जाते हैं !
सीधे साधे मन पर, गहरे
हस्ताक्षर भी कर जाते हैं !
कहने को बहुत कुछ है लेकिन, अब यह अभिव्यक्ति मौन सही !
इस रंगमंच की दुनिया में
गहरी चोटें खायीं हमने !
कितनी ही रातें नींद बिना
किस तरह गुजारीं हैं हमने
जब दिल पर गहरे जख्म लगे
कुछ आकर मरहम लगा गए
इन प्यारों द्वारा ही कड़वे
अवशेष मिटाये जाते हैं !
अहसान न अपनों का होता सो यह अभिव्यक्ति मौन सही !
कुछ चित्रकार आसानी से
निज चित्र, उकेरे जाते हैं !
आहिस्ता से मुस्कानों के
गहरे रंग , छोड़े जाते हैं !
पत्थर पर निशाँ पड़े कैसे
अनजाने, दिल में कौन बसा
अनचाहे स्मृति चिन्ह बने
मेटे न मिटाये , जाते हैं !
कहने को जाने कितना है पर यह अभिव्यक्ति मौन सही !
बहुत सुन्दर और भावपूर्ण प्रस्तुति सतीश जी!जीवन के कटु और मधुर अनुभवों की खरी अभिव्यक्ति।सरलता और सहजता से सँवरा मधुर गीत हृदय की कोमल भावनाओं को दर्शाता है।हृदयस्पर्शी रचना के लिए बधाई और शुभकामनाएं 🙏🙏
ReplyDeleteहृदय की इस मौन अभिव्यक्ति के क्या कहने!👌👌
ReplyDeleteकुछ लोग बड़े आहिस्ता से
घर के अंदर , आ जाते हैं !
चाहे कितना भी दूर रहें ,
दिल से न निकाले जाते हैं !
ये लोग शांत शीतल जल में
तूफान उठाकर जाते हैं !
सीधे साधे मन पर, गहरे
हस्ताक्षर भी कर जाते हैं !
कहने को बहुत कुछ है लेकिन,
अब यह अभिव्यक्ति मौन सही !
👌👌👌👌🙏🙏🙏🌺🌺
सही है, शब्दों की अपनी सीमा है पर मौन तो अनंत है, जो कहा नहीं गया वही सार्थक है
ReplyDeleteसच अपनी और अपने कहलाने वालों की सेहत पर बुरा असर न पडे इसलिए कुछ बातें मौन ही रहे तो अच्छी रहती है। बहुत खूब ।
ReplyDeleteसच अपनी और अपने कहे जाने वालों की सेहत के लिए कुछ बातें मौन ही रखनी अच्छी होती है। बहुत सही
ReplyDeleteवाह कितना सुन्दर गीत है .
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति
ReplyDeleteबहुत सुंदर !
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