Monday, April 25, 2022

अब और न कुछ कह पाऊंगा, मन की अभिव्यक्ति मौन सही !

अब और न कुछ कह  पाऊंगा, मन की अभिव्यक्ति मौन सही !
कुछ लोग बड़े आहिस्ता से
घर के अंदर , आ जाते हैं !
चाहे कितना भी दूर रहें ,
दिल से न निकाले जाते हैं !
ये लोग शांत शीतल जल में
तूफान उठाकर जाते हैं !
सीधे साधे मन पर, गहरे 
हस्ताक्षर भी कर जाते हैं !
कहने को बहुत कुछ है लेकिन, अब यह अभिव्यक्ति मौन सही  !

इस रंगमंच की दुनिया में
गहरी चोटें खायीं हमने !
कितनी ही रातें नींद बिना   
किस तरह गुजारीं हैं हमने 
जब दिल पर गहरे जख्म लगे 
कुछ आकर मरहम लगा गए 
इन प्यारों द्वारा ही कड़वे 
अवशेष मिटाये जाते हैं !
अहसान न अपनों का होता सो यह अभिव्यक्ति मौन सही !

कुछ चित्रकार आसानी से 
निज चित्र, उकेरे जाते हैं !
आहिस्ता से मुस्कानों के 
गहरे रंग , छोड़े जाते हैं !
पत्थर पर निशाँ पड़े कैसे 
अनजाने, दिल में कौन बसा 
अनचाहे स्मृति चिन्ह बने 
मेटे न मिटाये , जाते हैं !
कहने को जाने कितना है पर यह अभिव्यक्ति मौन सही !

8 comments:

  1. बहुत सुन्दर और भावपूर्ण प्रस्तुति सतीश जी!जीवन के कटु और मधुर अनुभवों की खरी अभिव्यक्ति।सरलता और सहजता से सँवरा मधुर गीत हृदय की कोमल भावनाओं को दर्शाता है।हृदयस्पर्शी रचना के लिए बधाई और शुभकामनाएं 🙏🙏

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  2. हृदय की इस मौन अभिव्यक्ति के क्या कहने!👌👌
    कुछ लोग बड़े आहिस्ता से

    घर के अंदर , आ जाते हैं !
    चाहे कितना भी दूर रहें ,
    दिल से न निकाले जाते हैं !
    ये लोग शांत शीतल जल में
    तूफान उठाकर जाते हैं !
    सीधे साधे मन पर, गहरे
    हस्ताक्षर भी कर जाते हैं !
    कहने को बहुत कुछ है लेकिन,
    अब यह अभिव्यक्ति मौन सही !
    👌👌👌👌🙏🙏🙏🌺🌺

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  3. सही है, शब्दों की अपनी सीमा है पर मौन तो अनंत है, जो कहा नहीं गया वही सार्थक है

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  4. सच अपनी और अपने कहलाने वालों की सेहत पर बुरा असर न पडे इसलिए कुछ बातें मौन ही रहे तो अच्‍छी रहती है। बहुत खूब ।

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  5. सच अपनी और अपने कहे जाने वालों की सेहत के लिए कुछ बातें मौन ही रखनी अच्‍छी होती है। बहुत सही

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  6. वाह कितना सुन्दर गीत है .

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  7. बहुत सुन्दर प्रस्तुति

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  8. बहुत सुंदर !

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एक निवेदन !
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- सतीश सक्सेना

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