Monday, November 1, 2021

परीक्षा मानव शक्ति की -सतीश सक्सेना

आज लगातार दौड़ते हुए सौवाँ दिन था , इस बार अपनी शक्ति और सामर्थ्य की खुद परीक्षा लेनी थी , भरोसा था पिछले छह वर्षों की सतत
मेहनत और अपने ऊपर विश्वास का जिसके कारण यह एग्जाम पास किया इसमें आप सब मित्रों का प्रोत्साहन और साथ शामिल था , उसके लिए आप सबको प्रणाम !

इन सौ दिनों में तमाम अनुभव हुए, साठ बार 21 km या अधिक दौड़ना और दो बार लगातार 10 दिन तक रोज हाफ मैराथन (21 Km) दौड़ा , रोज लगभग 3 से चार घंटे दौड़ने के कारण वजन बेहद तेजी से घटा और अधिक पौष्टिक भोजन लेने का ध्यान नहीं रखने के कारण दो या तीन बार रुकने पर, चक्कर आते प्रतीत हुए तब यह अहसास हुआ कि इतना अधिक पसीना ( लगभग 3 लीटर रोज ) बहने से शरीर से आवश्यक साल्ट्स सोडियम, कैल्सियम, मैग्निसियम की कमी काफी हुई है और इसका नतीजा जीवन में पहली बार कमजोरी महसूस हुई अतः अगले दिनों नियमित खाना छोड़ 3 कोर्स मील्स लेना शुरू कर दिया , इससे धीरे धीरे सामान्य महसूस करने लगा और सौ दिन पूरे हुए , फायदा यह हुआ है कि 20 km लगातार दौड़ने पर भी पैरों में थकान का नाम नहीं है ! पिछले सौ दिन में 1849 km दौड़ा हूँ एवं पूरे विश्व में दौड़ते 13073 लोगों में मेरा रैंक 68 रहा , यह मेरे लिए भी अविश्वसनीय है , भरोसा नहीं होता कि मैं 67 वर्ष की उम्र में लगातार 100 दिन तक रोज 19 km दौड़ पाया हूँ !

कई बार घुटने में दर्द कमर दर्द हार्ट पल्पिटेशन आदि ने परेशान अवश्य किया मगर भय और चिंता को कभी खुद पर हॉवी नहीं होने दिया , और नतीजा आनंददायक मिला ! शरीर का सारा अनावश्यक फैट गायब और न थकने वाली अथाह शक्ति , और जवानी किसे कहते हैं, इसका अहसास और आखिरकार मैंने कायाकल्प कर दिखाया ! यहाँ लिखने का उद्देश्य सिर्फ अपने हम उम्र साथियों को विश्वास दिलाना मात्र है कि मानव शरीर पर भरोसा न छोड़ें वह बेहद शक्तिशाली है !

साथ कोई दे, न दे , पर धीमे धीमे दौड़िये !
अखंडित विश्वास लेकर धीमे धीमे दौड़िये !
दर्द सारे ही भुलाकर, हिमालय से हृदय में
नियंत्रित तूफ़ान लेकर, धीमे धीमे दौड़िये !
जाति,धर्म,प्रदेश,बंधन पर न गौरव कीजिये
मानवी अभिमान लेकर, धीमे धीमे दौड़िये !
जोश आएगा दुबारा , बुझ गए से हृदय में
प्रज्वलित संकल्प लेकर धीमे धीमे दौड़िये !
समय ऐसा आएगा जब फासले थक जाएंगे
दूरियों को नमन कर के , धीमे धीमे दौड़िये !
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