Friday, January 1, 2021

हो सकें तो उन्मुक्त होकर हंसना सीखें , आप उम्रदराज़ होंगे -सतीश सक्सेना

पिछले वर्ष की भूलें इस वर्ष न हों यही कामना है इस वर्ष , ऐसे मित्रों से रक्षा करे जो सिर्फ दिखावे का प्यार अपनापन जतायें , जिन्हें प्यार की समझ ही न हो ! मैंने जीवन भर दिखावा नहीं किया किसी को भी अगर अपना कहा तब अपनापन का अर्थ समझकर ही कहा और निभाया मगर हमारे समाज में अपनापन है कहां , वहां सिर्फ कहने को अपनापन मिलेगा यह भूल गया , नतीजा यार लोग अपनी औकात दिखा गए !

हमने तो दोस्ती में जान देना सीखा है और वह भी बिना कहे बिना अहसान , अहसास दिलाये , ऐसे लोग हमें नहीं मिले ! खैर अब आगे दोस्ती ही नहीं करना सिर्फ हेलो कैसे हैं , से आगे नहीं जाना, यही संकल्प है अगले कुछ दिन या वर्षों के लिए , जो भी हाथ में हों ! 

आप सब से ऐसी शुभकामनायें चाहिए कि अगले साल "हमें समझ जाने वाले" और "हमारी असलियत जानने वाले" समझदार, कम से कम टकरायें :-)), और कुछ भले और ईमानदार लोगों से भेंट हो तो इन लेखों का लिखना सार्थक हो ! सबसे अंत में ईश्वर से प्रार्थना है कि मेरे पास इतना धन और शक्ति जरूर बचाए रखे कि वक्त आने पर, मेरे दरवाजे से , कोई मायूस होकर, वापस न लौट जाए !किसी का एक आंसू , बिना उस पर अहसान किये, पोंछ सका, तो अगले वर्ष, अपना मन संतुष्ट मान लूँगा ...

आप सब, नववर्ष पर उन्मुक्त नजरें मिला
कर, खुलकर हंसें और हंसाएं , यही कामना है !
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