Monday, October 14, 2024

आदरणीय लोग अधिक ख़तरे में हैं -सतीश सक्सेना

परिवार में दख़लंदाज़ी , बड़प्पन के कारण हर समय तनाव, नींद की कमी ,

अस्वस्थ भोजन के साथ हाई बीपी , मोटापा, शारीरिक गतिविधियों में कमी के कारण बढ़ती डायबिटीज , काफ़ी है आदरणीयों की जान लेने को ! सुबह सुबह वाक करने निकले यह साधन संपन्न लोग अपना सबसे क़ीमती समय, साथ चलते दोस्तों से विगत यशगान करने में बिताते हैं !

आज काल इतने हार्ट अटैक हो रहे हैं उनमें से ऐसा कोई नहीं जो वाक न करता हो , वाक करने का अर्थ यह नहीं कि वह बीमार नहीं पड़ेगा , जीवन में इस प्रकार के निरुत्साह , निरुद्देश्य वाक से कुछ नहीं मिलता , खुश रहकर वाक करना और उस समय एकाग्र चित्त होकर शरीर से बात करना , दिन में कितना और क्या खाते हैं और दिनचर्या क्या है , दवाओं पर निर्भर तो नहीं , तमाम आवश्यक बातें हैं जो मानव कभी सोचता भी नहीं, सुबह वाक करते समय विचार करें एकाग्र होकर और ख़ुद पर लागू करने का संकल्प लें तो उस दिन का वाक सफल मानें !

अभी समय नहीं चला गया आपको आत्मविश्वास बापस लाना होगा और मृत्यु भय का त्याग करना होगा , कायाकल्प संभव है आपकी उम्र में बस एक बार भीष्म प्रतिज्ञा करनी होगी और आप अंत तक स्वस्थ रहकर जीवन का आनंद ले पायेंगे !, सादर 

चमत्कार होगा यकीन करें

Saturday, October 12, 2024

उनके लिए जो वरिष्ठ और सम्मानित हैं -सतीश सक्सेना

अधिकतर महागुरु ( ६० वर्ष से अधिक ) इस बात से चौंकेंगे कि बढ़ती उम्र में वेट लिफ्टिंग सीखना , बॉडी वेट एवं रेजिस्टेंस बैंड एक्सरसाइज उनके लिए आवश्यक ही नहीं , बढ़ती उम्र की आवश्यक जरूरत है और इस

आवश्यकता की पूर्ति के लिए मैं सतीश सक्सेना ( ७०+) यह पूरा वर्ष नौजवानों की तरह जिम ट्रेनिंग में लगाकर अपने शरीर के मसल्स मास को दुबारा ताकत दूँगा और आख़िरी दिन की और बढ़ते हुए भी मैं ,  बढ़ी उम्र में बीमारी मुक्त रहने का संघर्ष जारी रखूँगा !

 कोई डॉ यह नहीं बताता, सबका कहना है कि आराम करिए इस उम्र में नहीं तो आप अपने जॉइंट डैमेज कर लेंगे जबकि तेजी से घटते बॉडी मसल्स और मास को बढ़ाने का सबसे बेहतर तरीका यही है , और हाँ यह मसल्स दुबारा मजबूत बन सकती हैं किसी भी उम्र में, बशर्ते यह विश्वास बना रहे !

मुझे चिंता है उन महर्षियों की जो अपना सारा समय शिष्यों के मध्य ज्ञान बाँटने में गुजारते हैं और अपनी सेहत दवा व्यवसायियों के भरोसे सौंप कर निश्चिंत रहते हैं , अगर नहीं चेते तो कुछ समय में उनके शरीर की दुर्दशा निश्चित है ! “इलाज करा लेंगे “ उन्हें शायद यह पता ही नहीं कि बुढ़ापे में दवाओं के ज़रिये इस शरीर का इलाज संभव ही नहीं , हाँ ढेरों पैसे खर्च कर , वे शरीर में कुछ ख़तरनाक बीमारियां व तीन गुना दवाएं लेकर ही घर वापस आयेंगे !

प्रणाम आप सबको , हो सके तो बिना चिढ़े इस विषय पर ओपन मन से गौर करियेगा ! सादर सस्नेह

Tuesday, October 8, 2024

सामर्थ्य मानव शरीर की -सतीश सक्सेना

मेरे अधिकतर दोस्त अक्सर पूछते हैं कि साठ वर्ष के बाद आपने कायाकल्प कैसे किया , इसका राज बताइये ? इसके पीछे रिटायर होते समय मेरे शरीर की दुर्दशा ही थी , जिसके कारण मैंने संकल्प लिया कि शीघ्र मरना नहीं है और बीमारियों में फंस कर तो बिलकुल नहीं , उन दिनों मुझे पिछले ४० वर्ष से हर जाड़े में होने वाली खांसी, अस्थमा, एक मंजिल चढ़ते समय साँस फूलना , हाई बीपी , एसिडिटी , कॉन्स्टिपेशन , हाई एलडीएल , हाइपर थायरॉइड , मोटापा और बॉर्डर लाइन डायबिटीज सब कुछ था, रिटायरमेंट पार्टी में मैंने कहा था कि अगर दो वर्ष और जिन्दा रहा तो आश्चर्य होगा मुझे मगर परिवार से बेहद जुड़ाव ने मुझ आलसी को यह संकल्प लेने पर मजबूर किया कि मुझे खुद को स्वस्थ करना होगा , और जिंदगी भर मुहल्ले के पार्क तक में न जाने वाले ने शारीरिक कमजोरियों से लड़ने का फैसला किया

शुरुआत नियमित वाक से हुई , अगले तीन महीने में नियमित तौर पर लगातार तीन घंटे तक वाक और जॉगिंग करने की आदत डाल ली , उसके अगले छह महीने में सुबह ठण्ड में शुरुआत के तीन कपड़ों ने एक कपडे की जगह ले ली थी , ठण्ड लगना कम हो गयी थी , साथ ही दौड़ते दौड़ते खांसना भी कम हुआ था , वजन लगभग २ किलो घटा , इससे हिम्मत में इज़ाफ़ा हुआ कि मैं यह कर सकता हूँ , और यह सब सुबह पांच बजे से इकला चलो रे, के मन्त्र के साथ होता था !

अब अगर आज की बात करूँ तो अब तक 2015 से अबतक लगभग 13000 km दौड़ चुका हूँ , 70+वर्ष के इस शरीर में आज के दिन ऊपर लिखी किसी बीमारी का कोई अंश तक नहीं है , शुरुआत से ही मुझे भरोसा था कि मानव शरीर बहुत ताकतवर होता है बशर्ते हम मृत्यु भय के कारण ,दवा व्यापारियों के बनाये इंजेक्शन , कैप्सूल और विटामिन न उपयोग करें !

भारत डायबिटीज की राजधानी है , हमारे यहाँ घी दूध बटर तेल आदि में इस कदर मिलावट होती है कि उनका सेवन करने से ४० वर्ष में ही लोग हार्ट अटैक के शिकार हो रहे हैं , अज्ञानता इस कदर है कि विश्व के अन्य देशों की जीरो जानकारी के होने के बावजूद हम खुद को विश्व गुरु मानते हैं सो पूरे दिन सिर्फ मुंह चलाते रहते हैं , अभक्ष्य दिन में पांच छह बार खाने, पीने  में और ज्ञान बघारने में !

सो हो सके तो कल से अकेले घर से वाक पर निकलें , और बिना हांफे सामर्थ्य भर वाक करें और घर आएं , यह नियमित रखें कुछ महीने में शरीर इसे अंगीकार कर लेगा , ध्यान रहे वाक का समापन एक से दो मिनट बिना हांफे धीमे धीमे दौड़ कर करें , दौड़ते हुए  अपने शरीर से बात करते रहिये एकाग्रचित्त होकर ! भोजन उतना करें जितनी मेहनत की हो , अगर मेहनत नहीं करते हैं तब एक बार का भोजन से अधिक खाना बीमारी बढ़ाएगा ! दस वर्ष पुराने सतीश में और आज के सतीश में फर्क महसूस करें ! आप भी दौड़ना सीख लेंगे , मुझे विश्वास है  ! 

शुभकामनायें आपको    

Thursday, October 3, 2024

नन्नू बोली को को को -सतीश सक्सेना

किंडरगार्डन तैयारी में  ,
मम्मा पापा से लड़ने पर 
बाबा जब जब गुस्सा होते   
नन्नू बोली , को को को !

गीता बबिता संगीता ने
अनु मनु और तनु बुलाईं 
ओली के दुद्दू को लेकर 
चूंचूं भागा,  को को को !

किस किस की मैं बात बताऊँ 
एक राज की बात बताऊँ 
दादी ने जब दही गिराया 
बाबा बोले,  को को को !

बाबा मेरे सबसे अच्छे ,
मुझको आइसक्रीम खिलाते 
आइसक्रीम माँगती जब मैं 
पापा करते , को को को !
 

Monday, September 16, 2024

बुढ़ापा , एक सोच ब्लॉक माइंड लोगों की -सतीश सक्सेना


70 वर्ष की उम्र में मैं सुबह ५ बजे से लेकर रात ११ बजे तक ऐक्टिव रहता हूँ , दिन में आज तक नहीं सोया ! सब कुछ सामान्य खाता पीता हूँ , वजन बढ़ने से रोकने के लिए पिछले कुछ साल से रोटी , दूध और शुगर की मात्रा बहुत कम कर दी है ! 

हमारे यहाँ लोग चिंतित रहते हैं कि बुढ़ापे में पौष्टिक खाना , टॉनिक आदि लेना चाहिये, भोजन के ज़रिए अपने शरीर को मजबूर बनाने के

लिए कभी कुछ नहीं खाया , अगर पौष्टिक डाइट की बात करें तो मैंने नाश्ते में सप्ताह में दो बार उनके अंडों के अलावा कुछ नहीं लेता ! 

मैं अपना आदर्श उस ग़रीब रिक्शेवाले को मानता हूँ , जो पूरे दिन १०० किलो वजन लेकर रिक्शा ढोता है और दिन में लगभग ५० किमी रोज़ चलता है ! सुबह चार रोटी सब्ज़ी , लंच में चार ठंडी रोटी सब्ज़ी और रात में घर जाकर जो रखा है उसे खाकर गहरी नींद सोता है ! उसके पास डॉ के पास जाने को पैसा नहीं होते , उसका बुख़ार बिना दवा दो चार दिन में ठीक हो जाता है ! 

मैंने जितने डॉ दोस्तों को जानता हूँ उनमें से कोई अपने घर में पैरासीटामोल तक का उपयोग नहीं करते , वे सब यह दवाएँ अपने रोगियों पर ही चलाते हैं , मैं आज तक इन दवाओं से बचा हूँ ! 

सो अगर स्वस्थ रहना चाहते हो तब यह सूत्र याद रख लें 

- दुख और कष्टों को याद न रखिए , मुक्त होकर ख़ुद को हँसना सिखाइए !

- अगर धन है तब उसे खर्च करना सीखें , वह सब करिए जो कभी न किया हो और मन ख़ुश हो !

- पहली आवश्यकता सबसे अधिक गहरी साँस लेना सीखें दिन में जब याद आए तभी , इससे बरसों से बिना गहरी सांस लिये बंद फ़ेफ़डे खुलेंगे और थके हुए हृदय को ताक़त मिलेगी , स्वच्छ खून पतला होकर रक्त कोशिकाओं और बीमारियों को साफ़ कर देगा !

-दूसरी आवश्यकता पानी की , इसे खूब पीजिए , जब चाहे पीजिए 

- तीसरी आवश्यकता खाना की जिसे कम से कम खायें , केवल उतना जितनी आपने मेहनत की हो , भूख न लगे तो खाना नहीं खाना है !

- बाज़ार का कोई भोजन न खायें , आजकल हार्ट अटैक का कारण नमकीन बिस्किट , ब्रेड आदि सबमें गंदे तेलों का उपयोग करना होता है , पाम आयल दुनियाँ के कितने ही देशों ने बैन कर दिया है मगर हमारे यहाँ धड़ल्ले से उपयोग होता है !

कल सुबह १० किलोमीटर दौड़ने का दिल है सो पाँच बजे निकलूँगा फ़िल्मी गाने के साथ , सुनना हो तो कल मिलना !


प्रणाम आप सबको !

Tuesday, August 27, 2024

संवेदना -सतीश सक्सेना

बीमारी में हाल , न पूछो माली से !
जाकर पूछो बिन पत्तों की डाली से

कितने मूक संदेशा , आये जाली से
नयनों से ही बातें , नयनों वाली से !

प्यार न जाने कितने रूपों में आता
हमने उसे छलकते देखा,गाली से !

दर्द तुम्हें एहसास न होगा , शब्दों से ,
समझ न पाये यदि आँखों की लाली से

कितने घर की गंद छिपाये छाती में !
जाकर पूछो , बाहर गंदी नाली से !

हिन्दी कवि -सतीश सक्सेना

कितनी ही रचनाएँ लोगों ने कॉपी करके अपने नाम से छपवायीं हैं , मुझे कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता !

कॉपी करने वाले से हमेशा मूल रचनाकार की रचना ही श्रेष्ठ होती है , अगर आप हिन्दी की जानकार हैं तब ध्यान से मेरी रचनाओं को पढ़िए और तुलना करें भौंडी रचनाओं से जो एक चाटुकार द्वारा लिखी गई हों आपको फ़र्क़ पता चल जाएगा !

फ़ेसबुक पर मेरे लगभग ७००० मित्र हैं उनमें आपको कवि नाम लगाये कोई नहीं मिलेगा , जो ख़ुद को कवि लिखता हो मैं उसे कविता के योग्य ही नहीं मानता , कविता लिखी नहीं जाती बल्कि अंतर्मन से उत्सर्जित होती है ! आज कल के हिन्दी कवि भांड और चाटुकार से अधिक कुछ नहीं जो पूँछ हिलाते मिलते हैं हर उस किसी के आगे , जो उन्हें धन या पद से पुरस्कृत कर सके !

मेरी लगभग ३५० रचनायें फ्री हैं सबके लिए , इन चोरों के लिए भी जो इन्हें अपने नाम से छपवाने चाहे , शौक़ से छपवायें , हाँ भोंडी पेरोडी छापना सिर्फ़ एक सस्ता मजाक है जो नहीं करना चाहिये ! मैंने जो कुछ लिखा समाज के लिए लिखा है अगर किसी काम आ जायें तो मेहनत सफल मानूँगा !

मंच कवियों की भौंडी रचनाओं ने हिन्दी को बर्बाद किया है , सस्ते हिन्दी प्रेमियों को सस्ती रचनायें सुनाते यह भांड गवैये, जब से इन्हें चाटुकारिता के बदले सरकारी पुरस्कार मिले हैं , ख़ुद को साहित्यकार कहने लगे हैं , विश्व में हिन्दी की प्रतिष्ठा धूल में मिला दी है !

काव्यमंच पर आज मसखरे छाये हैं !
शायर बनकर यहाँ , गवैये आये हैं !

पैर दबा, कवि मंचों के अध्यक्ष बने,
आँख नचाके,काव्य सुनाने आये हैं !

रजवाड़ों से,आत्मकथाओं के बदले
डॉक्टरेट मालिश पुराण में पाये हैं !

पूँछ हिलाए लेट लेटकर तब जाकर
कितने जोकर , पद्मश्री कहलाये हैं !

Friday, April 19, 2024

गढ़ दिया तुमने हमें अब, भाग्य अपना ख़ुद गढ़ेंगे -सतीश सक्सेना

आदरणीय रमाकान्त सिंह जी का अनुरोध पाकर, उनकी ही प्रथम पंक्तियों से, इस कविता की रचना हुई , आभार भाई  ! 

गढ़ दिया तुमने हमें अब, भाग्य अपना ख़ुद गढ़ेंगे !

धरा से सहनशीलता ले,
अग्नि का ताप सहा हमने 
पवन के ठन्डे झोंको संग 
सलिल से शीतलता पायी 
यही पर ज्ञान लिया तुमसे
परिश्रम की क्षमता आयी 
अब हुआ विश्वास सचमुच 
छू सकेंगे हम गगन ,अब 
ज्ञान पाकर शारदा से, 
भाग्य अपना खुद लिखेंगे !
गढ़ दिया तुमने हमें अब, भाग्य अपना खुद गढ़ेंगे !

अब हमें विश्वास अपना
रास्ता पाएंगे , हम भी  !
ज्ञान का आधार लेकर ,
विश्व को समझेंगे हम भी 
अपने विद्यालय से ही तो 
मिल सका है बोध हमको 
शक्तिशाली पंख पाकर 
छू सकेंगे चाँद हम ,अब 
प्रबल इच्छाशक्ति  लेकर, 
भाग्य अपना खुद बुनेंगे !
गढ़ दिया तुमने हमें अब , भाग्य अपना खुद गढ़ेंगे !

https://www.facebook.com/ramakant.singh.509

Monday, March 4, 2024

बिना ज़रूरत होते ऑपरेशन -सतीश सक्सेना

क्या आपको पता है कि हमारे देश में 66.8% यूटेरस रिमूवल सर्जरी प्राइवेट हॉस्पिटल में की जाती है , और आप यकीन नहीं कर पाएंगे कि उसमें ९५ प्रतिशत बिना जरूरत की जाती है , थॉमसन रॉयटर फाउंडेशन की एक रिसर्च के हवाले से यह रिपोर्ट  द प्रिंट ने पब्लिश की है ! अधिकतर ऑपरेशन रोगी और उसके परिवार को कैंसर आदि का भय दिला कर की जाती है , जबकि उसका इलाज
बिना ऑपरेशन के आसानी से संभव है , एक रिपोर्ट के अनुसार हृदय के लगभग पचास प्रतिशत ऑपरेशन बिना जरूरत किये जा रहे हैं ! हर महीने ऑपरेशन के टारगेट फिक्स किये जाते हैं , हर माह के अंत में, डॉ को निश्चित मात्रा में अपने टारगेट पाने होंगे अन्यथा उसका प्रमोशन और सैलरी में रूकावट निश्चित है !   
  
बिज़नेस स्टैण्डर्ड में छपी आज की खबर (४ मार्च २४ ) के अनुसार पॉश ग्रेटर कैलाश दिल्ली के एक हॉस्पिटल में एक गॉल ब्लेडर का ऑपरेशन होस्पिटल में काम करने वाले एक टेक्नीशियन ने किया , जिसे सर्जन बताया गया , नतीजा बीमार की मृत्यु हो गयी और यह काम सिर्फ २००००/- जैसी मामूली रकम हासिल करने के लिए किया गया जिसका अंजाम एक गरीब आदमी की मौत से हुआ, जबकि यह इंसान इस विश्वास के साथ इस अस्पताल में आया था कि वह दर्द से निजात पा जाएगा , यह शुक्र था कि उसकी बिलखती पत्नी को बाद में पता चला कि जिसे सर्जन बताया गया था वह डॉ वहां मामूली टेक्नीशियन है , पुलिस ने इन सबको गिरफ्तार कर जेल भेजा है !

डब्लू एच ओ की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में लगभग ४५ परसेंट फ़र्ज़ी डॉक्टर्स हैं , इनमें से अधिकतर कस्बाई और ग्रामीण इलाकों में कार्यरत है , तगड़ा मुनाफ़ा और अनपढ़ों का इलाज करते समय जीना मरना तो लगा ही रहता है , सो परवाह न हॉस्पिटल करते हैं और न रोगी के परिवार वाले , बहुत काम केसेस में ही यह धंधा उजागर होता है और अब यह धंधा अधिक धन कमाने और मेडिकल पढ़ाई में हुए खर्चे वसूल करने के लिए शहरों और यहाँ तक कि राजधानी में भी आम हो गया है !

अगर अब भी आँखें न खुली हों तब मैं आपको डॉ अरुण गाडरे एवं डॉ अभय शुक्ल की लिखी किताब Dissenting Diagnosis अवश्य पढ़िए आप बुढ़ापा आते ही हर साल टेस्ट कराने बंद कर देंगे ! मैं इन दोनों डॉक्टरों के ज़मीर को सलाम करता हूँ जिन्होंने अपने व्यवसाय में होती गलत प्रैक्टिस का भंडाफोड़ करने की हिम्मत की !

प्रणाम आप सबको !

https://theprint.in/health/95-hysterectomies-in-india-unnecessary-66-8-in-pvt-sector-report-by-obgyn-group-think-tank/1865540/

https://www.thehindu.com/news/cities/Delhi/fake-doctors-racket-owner-performed-at-least-3000-surgeries-a-year-say-police/article67545733.ece

https://satish-saxena.blogspot.com/2016/06/blog-post_85.html 

Wednesday, February 21, 2024

अगर बहता है बहने दो, तुम्हारी आँख का पानी -सतीश सक्सेना

पिछले तीन माह घर में रहने के दौरान मेरी आँखों का कैटरेक्ट अधिक तेज़ी से बढ़ा , आज दौड़ते हुए बायीं आँख से लगातार गाढ़ा पानी निकल रहा था , अपने हेडबैंड से उसे साफ़ करते हुए , आँखों में ठंडी हवा की ठंडक से ,अधिक बेहतर लग रहा था ! पिछले तीन माह में प्रदूषण के कारण दौड़ना नहीं हुआ नतीजा फेफड़े तो सही रहे मगर आँखों पर दुष्प्रभाव पड़ा , दौड़ते समय प्रभावित आँख से गाढ़ा पानी निकलना ही कैटरेक्ट को दूर रखता था , सोते समय रात को यह गाढ़ा पानी आँखों के अंदर ही रह जाता था और कैटरेक्ट अधिक जमा होता था , सो आँखों का नुक़सान तेज़ी से हुआ !

अधिकतर आँखों से पानी निकलते ही हम डॉ के पास भागते हैं जबकि यह आँखों को स्वच्छ रखने की, शरीर द्वारा अपनायी सामान्य प्रक्रिया है , इससे आँखें स्वच्छ और पारदर्शी होती हैं ऐसा मेरा विश्वास है , पिछले तीन महीने रज़ाई में लेटे लेटे मुझे यह याद ही नहीं आया और आँखों का बहुत नुक़सान हुआ , अब कोशिश रहेगी कि आँखों को स्वच्छ रखने की यह नियमित प्रक्रिया जारी रहे और शायद यह धुंधली परत धीरे धीरे कम हो जाये !  हमारे पूर्वज गुफ़ामानव अपनी आँख के कैटरेक्ट को ऐसे ही ठीक करते रहे हैं , सो पानी निकलता है तो निकलने दें एवं जल से लगातार धोने की आदत , निस्संदेह कैटरेक्ट को दूर रखने में सहायक होगी !

७० वर्ष होने तक मैंने अभी ख़ुद को मेडिकल व्यापारियों के जाल से बचाये रखा है , अगर शरीर आँखों की इस समस्या को ख़ुद ठीक न कर सका तब आने वाले समय में ऑपरेशन कराना ही होगा जो मेरा आख़िरी विकल्प होगा ! आँखों के सामान्य व्यायाम आदि पर अधिक ध्यान देना होगा ताकि आँखें बिना चश्मा आदि के उपयोग बिना अधिक समय तक साथ दें !

जमा होने नहीं पाये , तुम्हारी आँख का पानी  !
यही ठंडक बहुत देगा, तुम्हारी आँख का पानी !

हमेशा रोकने में ही , लगायी  शक्ति जीवन में  !
न जाने कितनी यादों को समेटे आँख का पानी !

शुभकामनाएँ आप सबको !

Thursday, February 1, 2024

साँसों को न भूलिए -सतीश सक्सेना

रात को करवट बदलते समय गहरी सांस खीचने और निकालने की आदत डाल रहा हूँ , उससे सुबह उठने पर, हाथ और पैरों में सुस्ती की जगह फुर्ती महसूस होने लगी , क्योंकि फेफड़ों ने खून में सोते समय अतिरिक्त

ऑक्सीजन की सप्लाई दे दी , नतीजा खून प्रवाह में फुर्ती और अतिरिक्त शक्ति मिली !

यही योग है प्राणायाम है जिस पर गौर करने का समय नहीं है हमारे पास , यह मुफ़्त की दवाई है , जिसे परमात्मा ने हमारे शरीर के साथ ही हमें प्रदान की है , मगर हम इस शक्तिशाली औषधि पर ध्यान ही नहीं देते ! 

पचास साठ के आसपास के जो महिला या पुरुष , 100 मीटर तेज वाक के समय हांफ जाते हैं वे जान लें कि वे खतरे में हैं, उनकी ह्रदय आर्टरीज़ में रुकावट है और यह आसानी से reversible है सिर्फ जॉगिंग सीखना होगा , फलस्वरूप शरीर के अंगों में उत्पन्न कंपन एवं खुले फेफड़ों से रक्त में मिलती ऑक्सीजन, आसानी से बंद धमनियाँ खोलने में समर्थ हैं !

अन्यथा मेडिकल व्यापारी अपनी फाइव स्टार दुकाने लगाए ओपरेशन टेबल पर उनका इंतज़ार कर रहे हैं उसके बाद अगर बच गए तो भी बचा जीवन धीरे धीरे हलकी आवाज में बात करते, मृत्युभय में ही बीतेगा !

मंगलकामनाएं, सद्बुद्धि के लिए !

Tuesday, January 30, 2024

ख़ुशनसीब बाबा -सतीश सक्सेना

जर्मनी में जन्मी चार वर्षीय मीरा , अपने एक हाथ पर मेहंदी से अपना नाम लिखवाते हुए अपनी बुआ से कह रही थी कि  बुई , मेरे दूसरे हाथ पर बाबा का नाम लिख देना सतीश सक्सेना !

शायद यह दुनियाँ की पहली लड़की होगी जो अपने बाबा का नाम अपने हाथ पर लिखवाना चाहती है , बाबा के प्रति मासूम प्यार का इससे अच्छा इज़हार और क्या होगा ? 

इसके जन्म पर मैंने लिखा था 

नन्हें क़दमों की आहट से, दर्द न जाने कहाँ गए ,

नानी ,दादी ,बुआ बजायें ढोल , मंगलाचार के !

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