आदरणीय रमाकान्त सिंह जी का अनुरोध पाकर, उनकी ही प्रथम पंक्तियों से, इस कविता की रचना हुई , आभार भाई !
गढ़ दिया तुमने हमें अब, भाग्य अपना ख़ुद गढ़ेंगे !
धरा से सहनशीलता ले,सलिल से शीतलता पायी
माँ की दवा,को चोरी करते,बच्चे की वेदना लिखूंगा !
आदरणीय रमाकान्त सिंह जी का अनुरोध पाकर, उनकी ही प्रथम पंक्तियों से, इस कविता की रचना हुई , आभार भाई !
गढ़ दिया तुमने हमें अब, भाग्य अपना ख़ुद गढ़ेंगे !
धरा से सहनशीलता ले,रात को करवट बदलते समय गहरी सांस खीचने और निकालने की आदत डाल रहा हूँ , उससे सुबह उठने पर, हाथ और पैरों में सुस्ती की जगह फुर्ती महसूस होने लगी , क्योंकि फेफड़ों ने खून में सोते समय अतिरिक्त
ऑक्सीजन की सप्लाई दे दी , नतीजा खून प्रवाह में फुर्ती और अतिरिक्त शक्ति मिली !यही योग है प्राणायाम है जिस पर गौर करने का समय नहीं है हमारे पास , यह मुफ़्त की दवाई है , जिसे परमात्मा ने हमारे शरीर के साथ ही हमें प्रदान की है , मगर हम इस शक्तिशाली औषधि पर ध्यान ही नहीं देते !
पचास साठ के आसपास के जो महिला या पुरुष , 100 मीटर तेज वाक के समय हांफ जाते हैं वे जान लें कि वे खतरे में हैं, उनकी ह्रदय आर्टरीज़ में रुकावट है और यह आसानी से reversible है सिर्फ जॉगिंग सीखना होगा , फलस्वरूप शरीर के अंगों में उत्पन्न कंपन एवं खुले फेफड़ों से रक्त में मिलती ऑक्सीजन, आसानी से बंद धमनियाँ खोलने में समर्थ हैं !
अन्यथा मेडिकल व्यापारी अपनी फाइव स्टार दुकाने लगाए ओपरेशन टेबल पर उनका इंतज़ार कर रहे हैं उसके बाद अगर बच गए तो भी बचा जीवन धीरे धीरे हलकी आवाज में बात करते, मृत्युभय में ही बीतेगा !
मंगलकामनाएं, सद्बुद्धि के लिए !
जर्मनी में जन्मी चार वर्षीय मीरा , अपने एक हाथ पर मेहंदी से अपना नाम लिखवाते हुए अपनी बुआ से कह रही थी कि बुई , मेरे दूसरे हाथ पर बाबा का नाम लिख देना सतीश सक्सेना !
शायद यह दुनियाँ की पहली लड़की होगी जो अपने बाबा का नाम अपने हाथ पर लिखवाना चाहती है , बाबा के प्रति मासूम प्यार का इससे अच्छा इज़हार और क्या होगा ?
इसके जन्म पर मैंने लिखा था
नन्हें क़दमों की आहट से, दर्द न जाने कहाँ गए ,
नानी ,दादी ,बुआ बजायें ढोल , मंगलाचार के !