जयकार में उठी कलम,क्या ख़ाक लिखेगी
अभिव्यक्ति को वतन में,खतरनाक लिखेगी !
अवसाद में निराश कलम , ज्ञान लिखेगी ?
मुंह खोल जो कह न सके,चर्वाक लिखेगी ?
जिसने किया बरवाद , वे बाहर के नहीं थे !
तकलीफ ए क़ौम को भी इत्तिफ़ाक़ लिखेगी !
किसने दिया था दर्द, वह बतला न सकेगी !
कुछ चाहतें दिल में छिपा, बेबाक लिखेगी ?
सुलतान की जय से ही, वो धनवान बनेगी !
मालिक की जो रज़ा हो वही बात लिखेगी !