Wednesday, February 21, 2018

बूढ़े होते हताश मन को, बच्चों सा नचाने को दौड़ें -सतीश सक्सेना

रिश्तों  में होते झगडे का , अवसाद मिटाने को दौड़ें !
बूढ़े होते हताश मन को , बच्चों सा नचाने को दौड़ें !

कमजोर नजर जाने कब से , टकटकी लगाए दरवाजे 
असहाय अकेली अम्मा के,आंसू को सुखाने को दौड़ें ! 

उसने अपना पूरा जीवन, केवल तुम पर कुर्बान किया  
तेरा वैभव काम नहीं आया,ये ग्लानि मिटाने को दौड़ें !

जैसे ही दौलतमंद बने, मेहनत त्यागी, बेकार हुए  
बरसों से जकड़े घुटनों को , दमदार बनाने को दौड़ें !

आजाद देश में देशभक्त, उग आये कुकुरमुत्तों जैसे
खादी पहने इन धूर्तों की , पहचान कराने को दौड़ें !

10 comments:

  1. बहुत सुन्दर। लगता है आप हमे भी दौड़ा कर ही छोड़ेंगे :)

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  2. आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन हर एक पल में ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है.... आपके सादर संज्ञान की प्रतीक्षा रहेगी..... आभार...

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  3. आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन हर एक पल में ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है.... आपके सादर संज्ञान की प्रतीक्षा रहेगी..... आभार...

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  4. आदरणीय / आदरणीया आपके द्वारा 'सृजित' रचना ''लोकतंत्र'' संवाद मंच पर 'सोमवार' २६ फरवरी २०१८ को साप्ताहिक 'सोमवारीय' अंक में लिंक की गई है। आप सादर आमंत्रित हैं। धन्यवाद "एकलव्य" https://loktantrasanvad.blogspot.in/

    टीपें : अब "लोकतंत्र" संवाद मंच प्रत्येक 'सोमवार, सप्ताहभर की श्रेष्ठ रचनाओं के साथ आप सभी के समक्ष उपस्थित होगा। रचनाओं के लिंक्स सप्ताहभर मुख्य पृष्ठ पर वाचन हेतु उपलब्ध रहेंगे।

    निमंत्रण

    विशेष : 'सोमवार' २६ फरवरी २०१८ को 'लोकतंत्र' संवाद मंच अपने सोमवारीय साप्ताहिक अंक में आदरणीय माड़भूषि रंगराज अयंगर जी से आपका परिचय करवाने जा रहा है।

    अतः 'लोकतंत्र' संवाद मंच आप सभी का स्वागत करता है। धन्यवाद "एकलव्य"

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  5. आपकी लिखी रचना "मित्र मंडली" में लिंक की गई है https://rakeshkirachanay.blogspot.in/2018/02/58.html पर आप सादर आमंत्रित हैं ....धन्यवाद!

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  6. बहुत ही बेहतरीन ..
    बहुत खूब....

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  7. सरलता के साथ व्यापक संदेश स्थापित उत्कृष्ट अभिवयक्ति जिसकी अंतिम पक्तियाँ ग़ज़ब ढाती हैं ... बधाई एवं शुभकामनायें.

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- सतीश सक्सेना

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