मुझे पहला उल्लेखनीय सम्मान आनंद ही आनंद संस्था ने दिया जब विवेक जी ने मुझे राष्ट्रीय भाष्य गौरव पुरस्कार के लिए हिंदी साहित्य से, लोगों के चयन का जिम्मा लेने के लिए अनुरोध किया था , आश्चर्य यह था कि मैं आनंद ही आनंद संस्था और उसके संस्थापक आचार्य विवेक जी के बारे में पहले से कुछ नहीं जानता था मगर उन्हें मेरे लेखन को पढ़कर मेरी ईमानदारी पर भरोसा हुआ जिसे मैंने इस वर्ष तक सफलता पूर्वक निभाकर अब उनसे इस पदमुक्ति (अध्यक्ष भाष्य गौरव पुरस्कार ) के लिए अनुरोध किया है, लम्बे समय तक एक पद से जुड़े रहना मुझे उचित नहीं लगता !
पिछले माह भारत पेट्रोलियम स्टाफ क्लब में विशिष्ट अतिथि के रूप में आमत्रित किया गया जहाँ मैं किसी को नहीं जानता था, हिंदी साहित्य जगत में लम्बे समय से कार्यरत एवं हिंदुस्तानी भाषा अकादमी के अध्यक्ष सुधाकर पाठक जी का अनुरोध था कि मैं वहां के स्टाफ को अपने स्वास्थ्य अनुभव के बारे में दो शब्द कहूं , इससे पहले सुधाकर पांडेय जी से न कभी भेंट हुई और न कोई परिचय था वे मेरी रचनाओं के मात्र मूक पाठक थे जिनसे मेरा कोई पूर्व परिचय न था !
भारत पेट्रोलियम में मुझे मंच सहभागिता का अवसर मिला जाने पहचाने ओलम्पियन गोलकीपर रोमियो जेम्स के साथ , वे लोग समझना चाहते थे कि रिटायर होने के बाद भी मैं मैराथन कैसे और क्यों दौड़ा और उससे क्या स्वास्थ्य लाभ मिले ? और इस वार्षिक उत्सव के अवसर पर उन्होंने बिना कोई मशहूर नाम के चुनाव के मुझ जैसे एक अनजान व्यक्ति को चुना , मुझे लगता है सुधाकर पाठक का व्यक्तित्व इस नाते विशिष्ट है और उनसे मिलने के बाद विश्वास है कि वे हिंदी जगत में नए आयाम कायम करेंगे !
ऐसे ईमानदार सम्मान अच्छे लगते हैं बशर्ते उसके पीछे अन्य उद्देश्य और प्रयास निहित न हों ! अफ़सोस कि हिंदी जगत में अधिकतर सम्मान प्रायोजित अथवा निहित व्यक्तिगत फायदे लिए होते हैं इस माहौल में आचार्य विवेक जी जैसे व्यक्तित्व का होना सुखद है एवं निश्चित ही शुभ संकेत है !
हिंदी जर्जर, भूखी प्यासी
पिछले माह भारत पेट्रोलियम स्टाफ क्लब में विशिष्ट अतिथि के रूप में आमत्रित किया गया जहाँ मैं किसी को नहीं जानता था, हिंदी साहित्य जगत में लम्बे समय से कार्यरत एवं हिंदुस्तानी भाषा अकादमी के अध्यक्ष सुधाकर पाठक जी का अनुरोध था कि मैं वहां के स्टाफ को अपने स्वास्थ्य अनुभव के बारे में दो शब्द कहूं , इससे पहले सुधाकर पांडेय जी से न कभी भेंट हुई और न कोई परिचय था वे मेरी रचनाओं के मात्र मूक पाठक थे जिनसे मेरा कोई पूर्व परिचय न था !
भारत पेट्रोलियम में मुझे मंच सहभागिता का अवसर मिला जाने पहचाने ओलम्पियन गोलकीपर रोमियो जेम्स के साथ , वे लोग समझना चाहते थे कि रिटायर होने के बाद भी मैं मैराथन कैसे और क्यों दौड़ा और उससे क्या स्वास्थ्य लाभ मिले ? और इस वार्षिक उत्सव के अवसर पर उन्होंने बिना कोई मशहूर नाम के चुनाव के मुझ जैसे एक अनजान व्यक्ति को चुना , मुझे लगता है सुधाकर पाठक का व्यक्तित्व इस नाते विशिष्ट है और उनसे मिलने के बाद विश्वास है कि वे हिंदी जगत में नए आयाम कायम करेंगे !
ऐसे ईमानदार सम्मान अच्छे लगते हैं बशर्ते उसके पीछे अन्य उद्देश्य और प्रयास निहित न हों ! अफ़सोस कि हिंदी जगत में अधिकतर सम्मान प्रायोजित अथवा निहित व्यक्तिगत फायदे लिए होते हैं इस माहौल में आचार्य विवेक जी जैसे व्यक्तित्व का होना सुखद है एवं निश्चित ही शुभ संकेत है !
हिंदी जर्जर, भूखी प्यासी
बहुत बहुत बधाई !
ReplyDeleteसच है बाहरी चकाचौंध स्थाई नहीं रहती , अच्छा लेखन एक दिन खुद बोलता है
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति
Bahut-Bahut Badhaee
ReplyDeleteबहुत बहुत बधाई एवं शुभकामनाएँ आपको आदरणीय सर।
ReplyDeleteलेखन आत्मसंतुष्टि दे तो किसी भी रचनाकार की
सृजनशीलता सार्थक होती है। बहुत सुंदर रचना आपकी।
आपकी लिखी रचना "मित्र मंडली" में लिंक की गई है https://rakeshkirachanay.blogspot.in/2018/02/56.html पर आप सादर आमंत्रित हैं ....धन्यवाद!
ReplyDeleteगजब की लयबद्धता है आपके मारक गीतों में। साधुवाद। लगातार लिखते रहें। शुभकामनाएं।
ReplyDeleteबहुत बहुत बधाई । आप की विशिष्ट शैली और मौलिक लेखन में आपका सरल सहज स्वभाव झलकता है। मैं आपके गीतों और लेखन की प्रशंसक हूँ। इसी तरह हमें प्रेरित करते रहें । सादर । शुभकामनाओं सहित....
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