आखिरी रात , याद रखता हूँ ! मुझ पे प्यारों के,कर्ज बाकी हैं ! उनकी सौगात, याद रखता हूँ ! कौन जख्मों को सोंच कर रोये ! हर हसीं रात, याद रखता हूँ ! मौलवी और पंडितों को नहीं !
भले असरात , याद रखता हूँ ! जो कभी साथ ही न चल पाये वे भी आघात, साथ रखता हूँ !
-ये रचनाएं मौलिक व अनगढ़ हैं , इनका बाज़ार में बताई गयी किसी साहित्य शिल्प ,विधा और शैली से कुछ लेना देना नहीं !
-ये रचनाएँ किसी हिंदी धुरंधर को सलाम नहीं करतीं ये ईमानदार व मुक्त हैं और छपने की लाइन में लगना पसंद नहीं करती ! कोई भी इन्हें प्यार से मुफ्त ले जा सकता है !
-यह कलम किसी ख़ास जाति,धर्म,राजनैतिक विचारधारा से सम्बंधित नहीं केवल मानवता को मान देने को कृतसंकल्प है !
मेरी असाहित्यिक रचनाएं बिकाऊ नहीं और न पुरस्कार की चाहत रखती हैं, सहज मन की अभिव्यक्ति हैं, अगर कुछ पढ़ने आये हैं तो निराश नहीं होंगे !
विद्रोही स्वभाव,अन्याय से लड़ने की इच्छा, लोगों की मदद करने में सुख मिलता है ! निरीहता, किसी से कुछ मांगना, झूठ बोलना और डर कर किसी के आगे सिर झुकाना बिलकुल पसंद नहीं ! ईश्वर अन्तिम समय तक इतनी शक्ति एवं सामर्थ्य अवश्य बनाये रखे कि जरूरतमंदो के काम आता रहूँ , भूल से भी किसी का दिल न दुखाऊँ ..