आज मैराथन रनिंग प्रैक्टिस में दौड़ते दौड़ते इस रचना की बुनियाद पड़ी , शायद विश्व में यह पहली कविता होगी जिसे 21 किलोमीटर दौड़ते दौड़ते बिना रुके रिकॉर्ड किया ! लगातार घंटों दौड़ते समय ध्यान में बहुत कुछ चलता रहता है उसकी परिणति आज इस रचना के रूप में हुई !

कभी छूटी हुई उंगली, किसी की, ढूंढता होगा !
सुना है जाने वाले भी , इसी दुनिया में रहते हैं !
कहीं दिख जाएँ वीराने में शायद खोजता होगा !
कोई सपने में ही आकर, उसे लोरी सुना जाए
वो हर ममतामयी चेहरे में, उनको ढूंढता होगा !
छिपा इज़हार सीने में , बिना देखे उन्हें शायद
पसीने में छलकता प्यार, उनको भेजता होगा !
अकेले धुंध में इतनी कसक मन में लिए, पगला
न जाने कौन सी तकलीफ लेकर , दौड़ता होगा !
छिपा इज़हार सीने में , बिना देखे उन्हें शायद
पसीने में छलकता प्यार, उनको भेजता होगा !
अकेले धुंध में इतनी कसक मन में लिए, पगला
न जाने कौन सी तकलीफ लेकर , दौड़ता होगा !
वाह आपके दौड़ने के जुनून ने तो कविता भी दौड़ा दी :)
ReplyDeleteब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, "पेन्सिल,रबर और ज़िन्दगी “ , मे आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
ReplyDeleteवाह!! सही कहा आपने। दौड़ते हुए हमारे मन में कई विचार उत्पन्न होते हैं। सुन्दर कविता।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर
ReplyDeleteबहुत सुंदर..शुभकामनायें..
ReplyDeleteवाह! अद्भुत
ReplyDeleteआपकी रचना बहुत सुन्दर है। हम चाहते हैं की आपकी इस पोस्ट को ओर भी लोग पढे । इसलिए आपकी पोस्ट को "पाँच लिंको का आनंद पर लिंक कर रहे है आप भी कल रविवार 26 मार्च 2017 को ब्लाग पर जरूर पधारे ।
ReplyDeleteचर्चाकार
"ज्ञान द्रष्टा - Best Hindi Motivational Blog
जीवन एक दौड़ ही तो हैं ........ और हमें हर हाल में दौड़ना हैं।
ReplyDeleteसुन्दर शब्द रचना
बहुत ही मार्मिक वर्णन सुंदर रचना ,मीठी अनुभूतिओं से ओत-प्रोत
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना "मित्र मंडली" में लिंक की गई है http://rakeshkirachanay.blogspot.in/2017/03/12.html पर आप सादर आमंत्रित हैं ....धन्यवाद!
ReplyDeleteदौड़ते-दौड़ते दिल की गहराइयों तक , नस -नस में पहुँचा रक्त जब संगीत बनकर उमड़ा तो जीवन में रिश्तों को इंगित करता भाव अत्यंत मार्मिक बन पड़ा है।
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