वोट पाने को हमें , बेहतरीन लोगों पर ,
आज ही विष बुझे कुछ तीर चलाने होंगे !
वोट पाने को तो सौजन्य मुखौटा ही नहीं
कुछ मुसलमान भी , सीने से लगाने होंगे !
हमने पर्वत से तो नाले भी, निकलते देखे !
हर जगह तो नहीं , गंगा के मुहाने होंगे !
धन कमाना हो खूब, मीडिया में आ जाएँ
एक राजा के ही बस , ढोल बजाने होंगे !
आज ही विष बुझे कुछ तीर चलाने होंगे !
वोट पाने को तो सौजन्य मुखौटा ही नहीं
कुछ मुसलमान भी , सीने से लगाने होंगे !
हमने पर्वत से तो नाले भी, निकलते देखे !
हर जगह तो नहीं , गंगा के मुहाने होंगे !
धन कमाना हो खूब, मीडिया में आ जाएँ
एक राजा के ही बस , ढोल बजाने होंगे !
वाह ... क्या बात सतीश जी ... तीखे शेर ...
ReplyDeleteबहुत गहरी और दूर की बात ...
बहुत बढ़िया ।
ReplyDeleteना जाने कब कहाँ कैसे कभी आदमी के भी जमाने होंग़े ?
बहुत ख़ूब!
ReplyDeleteसदियाँ गुजर गईं, दिलों में बनें खाइयों को पाटने में
मुड़ के देख एक बार सही, दस्तूर इंसानियत के गुजरे ज़मानें होंगें।
वाह ...
Deleteराज आचार में, सौजन्य मुखौटा ही नहीं
ReplyDeleteकुछ मुसलमान भी, सीने से लगाने होंगे !
इस बार तो वोट भी मिल गया हैं मौका अच्छा हैं..........
फ़िर ना जाने कब ये मौका मिले............
वाह , बहुत खूब , मंगलकामनाएं !!
Deleteक्या हिंदू,क्या मुसलमान, सभी एक दूजे के साथ प्रेमभाव से रहना सीख लें.... सद्भावना की गंगा बहेगी,जिसमें मिलकर नाले भी गंगा हो जाएँगे... सुंदर भावाभिव्यक्ति !
ReplyDeleteराजनीति की ये चाल ७० साल से दुर्भाग्य है देश के लिए ... तीखे शेर ...
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