यकीनन बुढापा दिमागी फितूर है , बड़प्पन का फितूर , लोग क्या कहेंगे का फितूर , अब हमारी उम्र हो गयी , का असर और कुछ नहीं , इसे नकारिये और पूरे जीवन स्वस्थ रहिये !
पूरा जीवन रोटी, कपड़ा, मकान , बच्चों की चिंता , पढ़ाई , भविष्य और बाद में उनकी शादी में ही निकल गया , शायद अपने लिए हंसने का भी समय नहीं मिला और जब इनसे निवृत्त हुए तो पता चला बाल सफ़ेद होने लगे लोग हमें बूढा समझने लगे हैं , हमारा आँगन नयी पीढ़ी ने कब का हथिया लिया , जिम्मेदारियों के बोझ तले पता ही नहीं चल पाया !
2014 में रिटायर होते समय ही फैसला कर किया था कि अब अपने लिए समय देना है , वे सारे काम करूँगा जो मन में दबे रह गए और पूरे नहीं कर पाया ! बच्चों की तरह खेलना , सुबह सुबह जाड़ों में शार्ट बनियान पहनकर दौड़ना , मुक्त मन हंसना , विश्व भ्रमण , गाना गाना , तबला बजाना , ड्रमर बनना , मोटरसाइकिल पर लंबी दूरियां तय करना , निर्जन पहाड़ियों में फोटोग्राफी करना आदि सपने पूरा करने का सबसे बेहतरीन समय यही था !
मगर इन सपनों को पूरा करने में एक बाधा थी सही और बढ़िया स्वस्थ बलिष्ठ शरीर नहीं था मेरे पास , पूरे चालीस वर्षों से आराम भोगता, ढीली ढाली मांसपेशियों वाला शरीर, एयरकंडीशंड माहौल का आदी हो चुका था पैरों को चलने की आदत ही नहीं थी वे सिर्फ गाड़ी से उतर कर माल में एक दिन घूमने में थक जाते थे ! पेट इतना बड़ा हो चुका था कि जमीन पर उकड़ूं बैठना एक प्रोजेक्ट लगता था , रात भर पेट में भरी गैस और एसिडिटी के कारण नींद नहीं आती थी उसपर ब्लड प्रेशर बढ़ कर 160/100 को छूने लगा था ! दो मंजिल सीढियां चढ़ने में बुरी तरह हांफना सामान्य हो गया था ! कितने ही मित्र और परिचित इस मध्य हार्ट अटैक के शिकार होकर या तो चले गए थे अथवा ऑपरेशन में जीवन भर की कमाई लगाकर बीमारों की भांति घिसट घिसट कर रोज आसन्न मृत्युभय के साथ जी रहे थे !
मैंने जीवन भर हार का मुंह नहीं देखा था अतः 60 वर्ष बाद स्वास्थ्य को ठीक निश्चय किया, इन दिनों मानव जाति को स्वस्थ रखने का झांसा देते मेडिकल व्यापारी आगे आकर सफल हो चुके थे , उनके अडवेर्टाइजमेंट इस हद तक सफल हो चुके थे कि उनके प्रोडक्ट , अस्वस्थता के साथ , दवा नाम से हर भयभीत मानव के साथ लिपट चुके थे ! किसी की अस्वस्थता में मिलने वालों का सबसे पहला प्रश्न, दवा ले आये ? पूंछना होता था , और यह हाल लगभग पूरे विश्व में था देश चाहे अविकसित हो या विकसित , मेडिकल व्यापार ने मानों पूरे मानवों को स्वस्थ रखने का ठेका ले लिया था , यह जानकर भयभीत मानवों की बुद्धि पर तरस आता था कि मानव मृत्य भय से, बुद्धि का प्रयोग बिना किये व्यापारियों के जाल में आसानी से कैसे फंस जाता है ! शायद ही किसी मानव ने इन निरर्थक जहरीली दवाओं के फायदे पर ध्यान दिया होगा कि आजतक यह तथाकथित मेडिकल साइंस अमेरिका के एक भी राष्ट्रपति या धनवान अरबपति की उम्र एक वर्ष भी बढ़ा नहीं सका , इसमें किसी भी बीमारी का इलाज़ होता तो संसार के अरबपति आज सबसे अधिक जवान दिखते ,यह साइंस के नाम पर सिर्फ धोखा है इस विश्वास के साथ आजतक मैंने एलोपैथिक मेडिसिन का बहिष्कार किया हुआ था !
मेरे शरीर के अंदर उपस्थित वाइटल फाॅर्स बेहद ताकतवर है और वह अकेली ही मेरे शरीर को स्वस्थ रखने की शक्ति रखती है और यही उसका काम भी है , इस विश्वास के साथ मैंने अपने शरीर का पुनर्निर्माण करने का संकल्प लिया और सबसे पहले बॉडी कोर जिसमें हार्ट, फेफड़े, किडनी, लिवर, पेन्क्रियास एवं डायजेस्टिव सिस्टम शामिल थे, को शक्ति देने का फैसला किया और यह काम रनिंग से बेहतर कोई नहीं कर सकता था !
और मैंने यह काम सिर्फ 15 सितम्बर 2015 से शुरू करके फरबरी 2017 तक के समय में पूरा करने में सफलता प्राप्त कर ली , आज शरीर में 25 वर्षीय जवान की फुर्ती है जिसे शायद ही कोई मेडिकल व्यापारी स्वीकार करेगा और इसके लिए मैंने कोई गोली , विटामिन , पौष्टिक भोजन , जूस और दूध के बिना ही किया है ! इस बीच मैंने साधारण रोटी और भोजन लिया और कुछ नहीं , और मेरी वाइटल फाॅर्स ने अपनी शक्ति का सबूत देकर मेरे विश्वास की रक्षा की है ! भय रहित मानव मन किसी भी बीमारी को सही कर सकता है इसमें कोई संदेह नहीं !
इंडियागेट के खुशगवार माहौल में कल की हॉफ मैराथन से पहले, आज एक आसान रन पूरा किया , मेरे पिछले माह किये गए
संकल्प अनुसार इस माह, हर सप्ताह एक हॉफ मैराथन करने के बाद, सात सप्ताह में सात हॉफ मैराथन रन पूरे हो जाएंगे ! 2015 में जहाँ एक हॉफ मैराथन ( 21 Km ) की तैयारी में 3 माह और उसके बाद 15 दिन पैरों की थकान मिटाने में लगते थे वहीँ अब बिना थकान हर शनिवार 21 किलोमीटर दौड़ता हूँ एवं सप्ताह में एवरेज रनिंग 40 किलोमीटर की होती है ! अब रनिंग में वह आनंद आता है जिसे मस्ती कहते हैं , आज इंडियागेट पर दौड़ते हुए जो गाना गा रहा था उसे सुने ....
https://www.youtube.com/watch?v=-11EKfRYU2o
पूरा जीवन रोटी, कपड़ा, मकान , बच्चों की चिंता , पढ़ाई , भविष्य और बाद में उनकी शादी में ही निकल गया , शायद अपने लिए हंसने का भी समय नहीं मिला और जब इनसे निवृत्त हुए तो पता चला बाल सफ़ेद होने लगे लोग हमें बूढा समझने लगे हैं , हमारा आँगन नयी पीढ़ी ने कब का हथिया लिया , जिम्मेदारियों के बोझ तले पता ही नहीं चल पाया !
2014 में रिटायर होते समय ही फैसला कर किया था कि अब अपने लिए समय देना है , वे सारे काम करूँगा जो मन में दबे रह गए और पूरे नहीं कर पाया ! बच्चों की तरह खेलना , सुबह सुबह जाड़ों में शार्ट बनियान पहनकर दौड़ना , मुक्त मन हंसना , विश्व भ्रमण , गाना गाना , तबला बजाना , ड्रमर बनना , मोटरसाइकिल पर लंबी दूरियां तय करना , निर्जन पहाड़ियों में फोटोग्राफी करना आदि सपने पूरा करने का सबसे बेहतरीन समय यही था !
मगर इन सपनों को पूरा करने में एक बाधा थी सही और बढ़िया स्वस्थ बलिष्ठ शरीर नहीं था मेरे पास , पूरे चालीस वर्षों से आराम भोगता, ढीली ढाली मांसपेशियों वाला शरीर, एयरकंडीशंड माहौल का आदी हो चुका था पैरों को चलने की आदत ही नहीं थी वे सिर्फ गाड़ी से उतर कर माल में एक दिन घूमने में थक जाते थे ! पेट इतना बड़ा हो चुका था कि जमीन पर उकड़ूं बैठना एक प्रोजेक्ट लगता था , रात भर पेट में भरी गैस और एसिडिटी के कारण नींद नहीं आती थी उसपर ब्लड प्रेशर बढ़ कर 160/100 को छूने लगा था ! दो मंजिल सीढियां चढ़ने में बुरी तरह हांफना सामान्य हो गया था ! कितने ही मित्र और परिचित इस मध्य हार्ट अटैक के शिकार होकर या तो चले गए थे अथवा ऑपरेशन में जीवन भर की कमाई लगाकर बीमारों की भांति घिसट घिसट कर रोज आसन्न मृत्युभय के साथ जी रहे थे !
मैंने जीवन भर हार का मुंह नहीं देखा था अतः 60 वर्ष बाद स्वास्थ्य को ठीक निश्चय किया, इन दिनों मानव जाति को स्वस्थ रखने का झांसा देते मेडिकल व्यापारी आगे आकर सफल हो चुके थे , उनके अडवेर्टाइजमेंट इस हद तक सफल हो चुके थे कि उनके प्रोडक्ट , अस्वस्थता के साथ , दवा नाम से हर भयभीत मानव के साथ लिपट चुके थे ! किसी की अस्वस्थता में मिलने वालों का सबसे पहला प्रश्न, दवा ले आये ? पूंछना होता था , और यह हाल लगभग पूरे विश्व में था देश चाहे अविकसित हो या विकसित , मेडिकल व्यापार ने मानों पूरे मानवों को स्वस्थ रखने का ठेका ले लिया था , यह जानकर भयभीत मानवों की बुद्धि पर तरस आता था कि मानव मृत्य भय से, बुद्धि का प्रयोग बिना किये व्यापारियों के जाल में आसानी से कैसे फंस जाता है ! शायद ही किसी मानव ने इन निरर्थक जहरीली दवाओं के फायदे पर ध्यान दिया होगा कि आजतक यह तथाकथित मेडिकल साइंस अमेरिका के एक भी राष्ट्रपति या धनवान अरबपति की उम्र एक वर्ष भी बढ़ा नहीं सका , इसमें किसी भी बीमारी का इलाज़ होता तो संसार के अरबपति आज सबसे अधिक जवान दिखते ,यह साइंस के नाम पर सिर्फ धोखा है इस विश्वास के साथ आजतक मैंने एलोपैथिक मेडिसिन का बहिष्कार किया हुआ था !
मेरे शरीर के अंदर उपस्थित वाइटल फाॅर्स बेहद ताकतवर है और वह अकेली ही मेरे शरीर को स्वस्थ रखने की शक्ति रखती है और यही उसका काम भी है , इस विश्वास के साथ मैंने अपने शरीर का पुनर्निर्माण करने का संकल्प लिया और सबसे पहले बॉडी कोर जिसमें हार्ट, फेफड़े, किडनी, लिवर, पेन्क्रियास एवं डायजेस्टिव सिस्टम शामिल थे, को शक्ति देने का फैसला किया और यह काम रनिंग से बेहतर कोई नहीं कर सकता था !
और मैंने यह काम सिर्फ 15 सितम्बर 2015 से शुरू करके फरबरी 2017 तक के समय में पूरा करने में सफलता प्राप्त कर ली , आज शरीर में 25 वर्षीय जवान की फुर्ती है जिसे शायद ही कोई मेडिकल व्यापारी स्वीकार करेगा और इसके लिए मैंने कोई गोली , विटामिन , पौष्टिक भोजन , जूस और दूध के बिना ही किया है ! इस बीच मैंने साधारण रोटी और भोजन लिया और कुछ नहीं , और मेरी वाइटल फाॅर्स ने अपनी शक्ति का सबूत देकर मेरे विश्वास की रक्षा की है ! भय रहित मानव मन किसी भी बीमारी को सही कर सकता है इसमें कोई संदेह नहीं !
इंडियागेट के खुशगवार माहौल में कल की हॉफ मैराथन से पहले, आज एक आसान रन पूरा किया , मेरे पिछले माह किये गए
संकल्प अनुसार इस माह, हर सप्ताह एक हॉफ मैराथन करने के बाद, सात सप्ताह में सात हॉफ मैराथन रन पूरे हो जाएंगे ! 2015 में जहाँ एक हॉफ मैराथन ( 21 Km ) की तैयारी में 3 माह और उसके बाद 15 दिन पैरों की थकान मिटाने में लगते थे वहीँ अब बिना थकान हर शनिवार 21 किलोमीटर दौड़ता हूँ एवं सप्ताह में एवरेज रनिंग 40 किलोमीटर की होती है ! अब रनिंग में वह आनंद आता है जिसे मस्ती कहते हैं , आज इंडियागेट पर दौड़ते हुए जो गाना गा रहा था उसे सुने ....
जीवन को भरपूर जीने के लिए पहली आवश्यकता है स्वस्थ्य देह, इसे बनाये रखने के लिए जहाँ लोग इतना धन और समय खर्च कर देते हैं वहाँ आपने अपनी इच्छा शक्ति के बल पर स्वास्थ्य ही नहीं प्राप्त किया अपने शरीर को बलिष्ठ भी बना लिया, प्रेरणादायक है आपका यह कदम..बहुत बहुत बधाई !
ReplyDeleteप्रेरणादायक।
ReplyDeleteबहुत ही नेक और पुण्य का काम कर रहे हैं आप। .. जरा सी अस्वस्थता में जाने क्या-क्या पापड बेलवा देते हैं डॉक्टर
ReplyDeleteएक नए दिशा और ऊर्जा मिलती है आपकी पोस्ट से
आभार
आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन ’आओगे तो मारे जाओगे - ब्लॉग बुलेटिन’ में शामिल किया गया है.... आपके सादर संज्ञान की प्रतीक्षा रहेगी..... आभार...
ReplyDeleteबहुत ही मार्गदर्शक एवं प्रेरणादायक लेख
ReplyDeleteअरे वाह!! प्रेरणादायक. सचमुच अगर शरीर स्वस्थ है तो ही हम इस जीवन का सम्पूर्ण रूप से आनंद उठा सकते हैं. आपका कदम सराहनीय तो है ही हम युवकों के लिए प्रेरणा स्रोत है.
ReplyDeleteवाह, बधाई हो आपको
ReplyDeleteप्रेरणादायक कार्य कर रहे है आप ..... खुद को प्रकृति से जोड़ कर.....बेहतरीन।
ReplyDeleteरिटायरमेंट के बाद या तो लोग सुबह पढ़े हुये अख़बार की
ReplyDeleteबासी खबरे बार बार पढ़ते रहते है या फिर लोगों के जीवन में
अनावश्यक दखल देते रहते है ! :)
बहुत प्रेरक पोस्ट काश कोई तो प्रेरणा ले आपसे !
बहुत ही बढ़िया article है ..... ऐसे ही लिखते रहिये और मार्गदर्शन करते रहिये ..... शेयर करने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद। :) :)
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