पापा के कन्धों पै चढ़के
चन्दा तारे सम्मुख देखे !
उतना ऊंचे बैठे हमने,
सारे रंग , सुनहरे देखे !
उस दिन हमने सबसे पहले,
अन्यायी को मरते देखा !
शक्तिपुरुष के कंधे चढ़ कर हमने रावण गिरते देखा !
उनके बाल पकड़कर मुझको
सारी बस्ती बौनी लगती !
गली की काली बिल्ली कैसे
हमको औनी पौनी लगती
भव्य कथा वर्णन था प्रभु का,
जग को हर्षित होते देखा !
उस दिन उनके कन्धों चढ़ कर, अत्याचार तड़पते देखा !
दुनिया का मेला दिखलाने
मुझको सर ऊपर बिठलाया
सबसे ज्यादा प्यार मुझी से,
दुनिया वालों को दिखलाया
एक हाथ में चन्दा लेकर ,
और दूजे में सूरज देखा !
बड़ी गर्व से हँसते हँसते , हमने अम्बर चिढ़ते देखा !
असुरक्षा की ढही दीवारें,
जब वे मेरे साथ खड़े थे
छड़ी जादुई साथ हमेशा
जब वे मेरे पास रहे थे !
उस दिन उनके कंधे चढ़के
जैसे गूंगे का , गुड देखा !
दुनिया वालों ने बेटी को, खुश हो विह्वल होते देखा !
मेला, झूला , गुड़िया लेकर
सिर्फ पिता वापस मिल जाएँ
सारे पुण्यों का फल लेकर
वही दुबारा फिर दिख जाएँ,
बिलख बिलख के रोते मैंने
उंगली छुटा के, जाते देखा !
पर जब जब आँखें भर आईं, उनको सम्मुख बैठे देखा !
उतना ऊंचे बैठे हमने,
सारे रंग , सुनहरे देखे !
उस दिन हमने सबसे पहले,
अन्यायी को मरते देखा !
शक्तिपुरुष के कंधे चढ़ कर हमने रावण गिरते देखा !
उनके बाल पकड़कर मुझको
सारी बस्ती बौनी लगती !
गली की काली बिल्ली कैसे
हमको औनी पौनी लगती
भव्य कथा वर्णन था प्रभु का,
जग को हर्षित होते देखा !
उस दिन उनके कन्धों चढ़ कर, अत्याचार तड़पते देखा !
दुनिया का मेला दिखलाने
मुझको सर ऊपर बिठलाया
सबसे ज्यादा प्यार मुझी से,
दुनिया वालों को दिखलाया
एक हाथ में चन्दा लेकर ,
और दूजे में सूरज देखा !
बड़ी गर्व से हँसते हँसते , हमने अम्बर चिढ़ते देखा !
असुरक्षा की ढही दीवारें,
जब वे मेरे साथ खड़े थे
छड़ी जादुई साथ हमेशा
जब वे मेरे पास रहे थे !
उस दिन उनके कंधे चढ़के
जैसे गूंगे का , गुड देखा !
दुनिया वालों ने बेटी को, खुश हो विह्वल होते देखा !
मेला, झूला , गुड़िया लेकर
सिर्फ पिता वापस मिल जाएँ
सारे पुण्यों का फल लेकर
वही दुबारा फिर दिख जाएँ,
बिलख बिलख के रोते मैंने
उंगली छुटा के, जाते देखा !
पर जब जब आँखें भर आईं, उनको सम्मुख बैठे देखा !