कड़वाहट कैसे कर पाए, अनुवाद गीत भाषाओं का !
संवेदनशील भावना से, संवाद विषम भाषाओं का !
झन्नाटेदार शब्द निकलें, जब झाग निकलते होंठों से,
ये शब्द वेदना क्या जानें, अरमान क्रूर भाषाओं का !
ईर्ष्यालु समझ पाएगा क्या, जीवन स्नेहिल रंगों को
संदिग्ध नज़र जाने कैसे, माधुर्य सहज भाषाओं का !
अपने जैसा ही समझा है सारी दुनिया को कुटिलों ने
अनुभूति समर्पण न जाने अभिमान, हठी भाषाओं का !
आस्था, श्रद्धा, विश्वास कहाँ, उम्मीद लगाये बैठे हैं,
भावना शून्य कैसे समझें, आचरण सरल भाषाओं का !
संवेदनशील भावना से, संवाद विषम भाषाओं का !
झन्नाटेदार शब्द निकलें, जब झाग निकलते होंठों से,
ये शब्द वेदना क्या जानें, अरमान क्रूर भाषाओं का !
ईर्ष्यालु समझ पाएगा क्या, जीवन स्नेहिल रंगों को
संदिग्ध नज़र जाने कैसे, माधुर्य सहज भाषाओं का !
अपने जैसा ही समझा है सारी दुनिया को कुटिलों ने
अनुभूति समर्पण न जाने अभिमान, हठी भाषाओं का !
आस्था, श्रद्धा, विश्वास कहाँ, उम्मीद लगाये बैठे हैं,
भावना शून्य कैसे समझें, आचरण सरल भाषाओं का !
आस्था, श्रद्धा, विश्वास कहाँ, उम्मीद लगाकर बैठे हैं,
ReplyDeleteभावनाशून्य कैसे समझें,विश्वास सरल भाषाओं का !
.सच ..ऐसे लोग इंसान की तरह जरूर नज़र आते हैं लेकिन असल में जानवर और शैतान से कुछ ज्यादा ही होते है..
..बहुत सटीक ..
आपको सपरिवार नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं!
बहुत ही सुन्दर भाव ... लाजवाब रचना है सतीश जी ... नव वर्ष मंगलमय हो ...
ReplyDeleteआस्था, श्रद्धा, विश्वास कहाँ, उम्मीद लगाकर बैठे हैं,
ReplyDeleteभावनाशून्य कैसे समझें,विश्वास सरल भाषाओं का !
बहुत सही कहा है...नये वर्ष की शुभकामनायें...
बहुत बढ़िया
ReplyDeleteबहुत सुंदर रचना.
ReplyDeleteबहुत बढ़िया ....सुंदर रचना.
ReplyDeleteक्लिष्ट शब्द,सार्थक भाव--सुन्दर रचना
ReplyDeleteवाह !
ReplyDeleteदेर से आया ।
नेट नहीं चल रहा था ।
दरों की कृपा है :)
दरों को बंदरों पढ़ा जाये :)
Deleteसावन का अंधा क्या जानें , जीवन स्नेहिल रंगों को
ReplyDeleteसंदिग्ध नज़र,जाने कैसे,माधुर्य सहज भाषाओं का !
बिलकुल सही कहा है, सभी पंक्तियाँ सुन्दर लगी !
बिलकुल सही बात कही आपने !
ReplyDeleteVery melodious. Understanding is a complex process which involves similar wave-lengths of minds. People have their designs and agenda in life and are attracted accordingly. You are doing fine job, some people will definitely recognize. Be steadfast in your resolutions. Regards.
ReplyDeleteVery melodious. Understanding others is a complex process which involves similar wavelengths of mind, and all don't appreciate. You are doing a fine job and some will surely acknowledge. So remain steadfast in your resolutions. Regards.
ReplyDeleteबहुत सुन्दर रचना
ReplyDeleteशानदार सार्थक प्रस्तुति...
ReplyDeleteआस्था, श्रद्धा, विश्वास कहाँ, उम्मीद लगाकर बैठे हैं,
ReplyDeleteभावनाशून्य कैसे समझें,विश्वास सरल भाषाओं का !
बहुत सही कहा है....सतीश जी