Wednesday, May 11, 2022

मॉर्निंग वाक मैडिटेशन -सतीश सक्सेना

आपकी कॉलोनी एवं परिचितों में एक भी व्यक्ति ऐसा नहीं होगा जो वाक न करता हो , 40-45 के होते होते हर व्यक्ति हृदय रोग के भय से यंत्रवत वाक करना शुरू कर देता है , और हर चौथे व्यक्ति को इसके बावजूद भी हार्ट अटैक होता है !

कुछ लोग वाक नहीं करते जिसका कारण वे अपने जोड़ों के दर्द को बताकर अपनी मजबूरी बता देते हैं सच्चाई यह है कि शुरू में आलस्य के कारण वाक को तरजीह नहीं दी और अब शरीर इस योग्य नहीं रहा कि वे वाक कर सकें !

वाक करने का समय बेहद महत्वपूर्ण होता है , उसे दोस्तों के साथ अपनी कहानियां सुनाते हुए करना, कोई फल नहीं देगा बल्कि उस वक्त अपने शरीर के हर अंग से बातें करना होता है ! उठते गिरते क़दमों , हाथों, और सांसों में एक तारतम्य होना आवश्यक है उस वक्त इन अंगों और मस्तिष्क में लगातार समन्वय रहना चाहिए और भरपूर ऑक्सीजन मस्तिष्क तक पहुंचती रहनी चाहिए ! चलते हुए मस्तिष्क इन अंगों को लगातार मैसेज भेजता रहे और उन्हें विश्वास दिलाये कि वे ठीक और सुचारु रूप से कार्य कर रहे हैं और करेंगे ! आपस में उठती हुई इन विचार तरंगों का सम्प्रेषण, उन अंगों पर ध्यान केंद्रित रखते हुए लगातार होना चाहिए ! यह शक्तिशाली विचार सम्प्रेषण सुस्त और ख़राब होते अंगों को सक्रिय और स्वस्थ कर देगा !

सबसे पहला योगी कोई भी हुआ होगा मगर उसे योग सिखाने वाला कोई नहीं था , अकेले सुनसान जगह पर एकाग्रचित्त होकर बैठकर, सांसों पर ध्यान केंद्रित कर शरीर के अंगों तक भरपूर ऑक्सीजन पहुंचाना सीख लिया और इन्ही पर नियंत्रण कर बॉडी कोर के अंगों को कम्पन देना आया , यही योग था जिससे उन्हें शारीरिक शक्ति के साथ बौद्धिक शक्ति की भी प्राप्ति हुई !

जिस प्रकार हम लगातार एक ही भोजन से ऊब जाते हैं उसी तरह से शरीर को भी एक जैसा लगातार व्यवहार पसंद नहीं उसे वह आदत में ढाल लेता है और उसका फायदा उठाना बंद कर देता है ! सो लगातार एक जैसा भोजन और वाक में भी बदलाव आवश्यक है और लगातार करते रहना चाहिए ! बचपन से फिक्स आईडिया का त्याग करना आना चाहिए इससे मन में फुर्ती और प्रसन्नता आएगी !

साथ कोई दे, न दे , पर धीमे धीमे दौड़िये !
अखंडित विश्वास लेकर धीमे धीमे दौड़िये !

दर्द सारे ही भुलाकर,हिमालय से हृदय में
नियंत्रित तूफ़ान लेकर, धीमे धीमे दौड़िये !

जाति,धर्म,प्रदेश,बंधन पर न गौरव कीजिये
मानवी अभिमान लेकर, धीमे धीमे दौड़िये !

जोश आएगा दुबारा , बुझ गए से हृदय में
प्रज्वलित संकल्प लेकर धीमे धीमे दौड़िये !
तोड़ सीमायें सड़ी ,संकीर्ण मन विस्तृत करें
विश्व ही अपना समझकर धीमे धीमे दौड़िये !

समय ऐसा आएगा जब फासले थक जाएंगे
दूरियों को नमन कर के , धीमे धीमे दौड़िये !

8 comments:

  1. नमन आपकी लगन और मिशन को।

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  2. उठते गिरते क़दमों , हाथों, और सांसों में एक तारतम्य होना आवश्यक है उस वक्त इन अंगों और मस्तिष्क में लगातार समन्वय रहना चाहिए और भरपूर ऑक्सीजन मस्तिष्क तक पहुंचती रहनी चाहिए ! वाह! ध्यान पूर्वक चलने का अनोखा उपाय!

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  3. ये तो आपने बड़े पते की बातें बतायी हैं कि चलते हुए दोस्तों के साथ अपनी कहानियां सुनाते हुए करना, कोई फल नहीं देगा बल्कि उस वक्त अपने शरीर के हर अंग से बातें करना होता है !" प्राय: हम लोगों के साथ भी ऐसा है हम समझते हैं की घूम रहे हैं तो इसी बहाने दो-चार बातें हो जाय। लेकिन आपने सही कहा हैं कि ठते गिरते क़दमों , हाथों, और सांसों में एक तारतम्य होना आवश्यक है उस वक्त इन अंगों और मस्तिष्क में लगातार समन्वय रहना चाहिए और भरपूर ऑक्सीजन मस्तिष्क तक पहुंचती रहनी चाहिए !
    ध्यान देंगे आपकी बातों पर
    और कविता भी लाजवाब है, धन्यवाद

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  4. नमस्ते,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा गुरुवार 12 मई 2022 को 'जोश आएगा दुबारा , बुझ गए से हृदय में ' (चर्चा अंक 4428 ) पर भी होगी। आप भी सादर आमंत्रित है। 12:01 AM के बाद आपकी प्रस्तुति ब्लॉग 'चर्चामंच' पर उपलब्ध होगी।

    चर्चामंच पर आपकी रचना का लिंक विस्तारिक पाठक वर्ग तक पहुँचाने के उद्देश्य से सम्मिलित किया गया है ताकि साहित्य रसिक पाठकों को अनेक विकल्प मिल सकें तथा साहित्य-सृजन के विभिन्न आयामों से वे सूचित हो सकें।

    यदि हमारे द्वारा किए गए इस प्रयास से आपको कोई आपत्ति है तो कृपया संबंधित प्रस्तुति के अंक में अपनी टिप्पणी के ज़रिये या हमारे ब्लॉग पर प्रदर्शित संपर्क फ़ॉर्म के माध्यम से हमें सूचित कीजिएगा ताकि आपकी रचना का लिंक प्रस्तुति से विलोपित किया जा सके।

    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।

    #रवीन्द्र_सिंह_यादव

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  5. नमस्ते,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा गुरुवार 12 मई 2022 को 'जोश आएगा दुबारा , बुझ गए से हृदय में ' (चर्चा अंक 4428 ) पर भी होगी। आप भी सादर आमंत्रित है। 12:01 AM के बाद आपकी प्रस्तुति ब्लॉग 'चर्चामंच' पर उपलब्ध होगी।

    चर्चामंच पर आपकी रचना का लिंक विस्तारिक पाठक वर्ग तक पहुँचाने के उद्देश्य से सम्मिलित किया गया है ताकि साहित्य रसिक पाठकों को अनेक विकल्प मिल सकें तथा साहित्य-सृजन के विभिन्न आयामों से वे सूचित हो सकें।

    यदि हमारे द्वारा किए गए इस प्रयास से आपको कोई आपत्ति है तो कृपया संबंधित प्रस्तुति के अंक में अपनी टिप्पणी के ज़रिये या हमारे ब्लॉग पर प्रदर्शित संपर्क फ़ॉर्म के माध्यम से हमें सूचित कीजिएगा ताकि आपकी रचना का लिंक प्रस्तुति से विलोपित किया जा सके।

    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।

    #रवीन्द्र_सिंह_यादव

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  6. बहुत ही सार्थक जीवन में उतारने योग्य तथ्य।
    उपयोगी पोस्ट।

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  7. शानदार उपयोगी पोस्ट

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  8. आपके स्वस्थ जीवन संबंधी संकल्प तथा काव्य-प्रतिभा, दोनों ही के सम्मुख शीश नत हो गया है। जो आपने अपनी रचना में कहा है, उस पर अमल करने का प्रयास करूंगा।

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एक निवेदन !
आपके दिए गए कमेंट्स बेहद महत्वपूर्ण हो सकते हैं, कई बार पोस्ट से बेहतर जागरूक पाठकों के कमेंट्स लगते हैं,प्रतिक्रिया देते समय कृपया ध्यान रखें कि जो आप लिख रहे हैं, उसमें बेहद शक्ति होती है,लोग अपनी अपनी श्रद्धा अनुसार पढेंगे, और तदनुसार आचरण भी कर सकते हैं , अतः आवश्यकता है कि आप नाज़ुक विषयों पर, प्रतिक्रिया देते समय, लेखन को पढ़ अवश्य लें और आपकी प्रतिक्रिया समाज व देश के लिए ईमानदार हो, यही आशा है !


- सतीश सक्सेना

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