Wednesday, May 25, 2022

प्रज्वलित संकल्प लेकर धीमे धीमे दौड़िये -सतीश सक्सेना

रोज सुबह एकाग्रचित्त होकर टहलने / दौड़ने निकलना तभी संभव होगा जब आपमें एक धुन या जिद बन जाए कि मैंने मरते समय तक अपने शरीर को फुर्तीला बनाये रखना है यकीनन बीमारियां आपके खूबसूरत गठे हुए शरीर के निकट नहीं आएँगी , वे सिर्फ सुस्त शरीर के मालिकों को ही ढूंढती हैं !

मेडिकल व्यवसाय से मदद की आशा छोड़कर अपने शरीर की आंतरिक रक्षाशक्ति पर विश्वास रखें , आप जीतेंगे !
साथ कोई दे, न दे , पर धीमे धीमे दौड़िये !
अखंडित विश्वास लेकर धीमे धीमे दौड़िये !

4 comments:

  1. आपकी लेखनी के साथ मानस दौड हम भी लगा लेते हैं।

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  2. स्वास्थ्य के प्रति सजग और सचेत करती पोस्ट

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  3. बहुत सुंदर

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  4. आपकी बात स्वीकार्य है, आपकी सलाह अनुकरणीय है।

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एक निवेदन !
आपके दिए गए कमेंट्स बेहद महत्वपूर्ण हो सकते हैं, कई बार पोस्ट से बेहतर जागरूक पाठकों के कमेंट्स लगते हैं,प्रतिक्रिया देते समय कृपया ध्यान रखें कि जो आप लिख रहे हैं, उसमें बेहद शक्ति होती है,लोग अपनी अपनी श्रद्धा अनुसार पढेंगे, और तदनुसार आचरण भी कर सकते हैं , अतः आवश्यकता है कि आप नाज़ुक विषयों पर, प्रतिक्रिया देते समय, लेखन को पढ़ अवश्य लें और आपकी प्रतिक्रिया समाज व देश के लिए ईमानदार हो, यही आशा है !


- सतीश सक्सेना

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