इन बुरी अँधेरी रातों में , दिखता है बंदा कोई नहीं !
तारों को हिम्मत दिलवाए, ऐसा भी चंदा कोई नहीं !
बच्चियां सिर्फ खतरा झेलें इंसानों के इस जंगल में
सारी दुनिया के जीवों में, मानव से गंदा कोई नहीं !
वृद्धों को घर में ही लूटा, बिन ममता मोह शातिरों ने
ज़िंदा रहने की चाह नहीं, पर घर में फंदा कोई नहीं !
तारों को हिम्मत दिलवाए, ऐसा भी चंदा कोई नहीं !
बच्चियां सिर्फ खतरा झेलें इंसानों के इस जंगल में
सारी दुनिया के जीवों में, मानव से गंदा कोई नहीं !
वृद्धों को घर में ही लूटा, बिन ममता मोह शातिरों ने
ज़िंदा रहने की चाह नहीं, पर घर में फंदा कोई नहीं !
उस रात बिना पैसे आकर, इक बूढ़ा द्वार सुधार गया
दिखने में बढ़ई लगता था, पर हाथ में रंदा कोई नहीं !
लाखों कतार में राष्ट्रभक्त , बैठे हैं, नोट कमाने को !
इन दिनों राज नेताओं के , धंधे में मंदा कोई नहीं !
इन दिनों राज नेताओं के , धंधे में मंदा कोई नहीं !
बेहतरीन व शानदार रचना , सतीश भाई धन्यवाद !
ReplyDeleteInformation and solutions in Hindi ( हिंदी में समस्त प्रकार की जानकारियाँ )
~ ज़िन्दगी मेरे साथ - बोलो बिंदास ! ~ ( एक ऐसा ब्लॉग -जो जिंदगी से जुड़ी हर समस्या का समाधान बताता है )
जी सही बात
ReplyDeleteहम हैं
पर तब तक बस
जब तक मौका
कोई मिले नहीं :)
जी, सही लिखा है आजकल यही सब देखने को मिल रहा है !
ReplyDeleteसच लिख दिया है आपने.
ReplyDeleteबेहतरीन...
ReplyDeleteवाह!! एकदम सटीक!!
ReplyDeleteघिसी-पिटी सब कहते हैं पर हम तो सच्ची-बात कहेंगे ।
ReplyDeleteतुम नज़र उठा - कर देखो तो चँदा है एक सितारों में ।
राजनेताओं, चोरों अपराधियों ,पंडित पुजारिओं का अपने अपने कारणों से धंदा मंदा होता ही कब है ?
ReplyDeleteउम्दा लिखा है.
ReplyDeleteसारे दलाल हैं राष्ट्र भक्त , ईमान का बाँदा कोई नहीं
ReplyDeleteबहुत सुन्दर आभार