Thursday, September 20, 2018

यूरोप भ्रमण और रनिंग -सतीश सक्सेना

यूरोप का ट्रिप ढाई महीने का रहा जो कि 25 सितम्बर को पूरा होगा, इस बार जर्मनी से बाहर खूबसूरत प्राग (चेकोस्लोवाकिया या चेकिया) , इंसब्रुक (ऑस्ट्रिया), वेनिस (इटली),  माउंट टिटलिस ( स्विट्ज़रलैंड) पेरिस ( फ्रांस ) और बार्सिलोना ( स्पेन )
घूमने का मौका मिला ! सिर्फ यूरोप में ही यह सुविधा है कि विभिन्न देशों में जाने के लिए आपको अलग अलग वीसा (फीस 60 यूरो ) अप्लाई  नहीं करना पड़ता ! यूरोप महाद्वीप के 26 देशों ने, अपने नागरिकों को, किसी भी देश में स्वतन्त्रता पूर्वक आने जाने के लिए, पूरी आज़ादी देते हुए अपने बॉर्डर समाप्त कर दिए हैं !

पूरे शेंगेन जोन ( Schengen zone ) में इंटरनेशनल बॉर्डर, मात्र मैप में ही नज़र आता है , 26 देशों के नागरिक बिना किसी पासपोर्ट चेक एवं कण्ट्रोल के एक दुसरे देश में कहीं भी आने जाने के लिए स्वतंत्र हैं ! इसी तरह विश्व के किसी भी देश का नागरिक शेंगेन वीसा के साथ इन 26 देशों में कहीं भी बेरोकटोक घूम सकता है ! यह समस्त देश आपस में बस, ट्रैन और फ्लाइट के माध्यम से जुड़े हुए हैं ! जैसे म्युनिक(जर्मनी) से प्राग(चेकिया), 380 km की दूरी तय करने में, बस का टिकिट 15 euro का है, हाँ बस में बैठने से पहले आपको अपना पासपोर्ट एवं टिकिट ड्राइवर को दिखाना होगा !

यह यात्रा मेरे लिए बेहद आनंद दायक रही क्योंकि मैंने अपने इस विदेश प्रवास में, चाहे वह प्राग का चार्ल्स ब्रिज हो या पेरिस में एफिल टावर के नीचे, सीन नदी का किनारा, बार्सिलोना (स्पेन) का खूबसूरत समुद्री किनारा , या वेनिस की जलभरी गलियां हर जगह दौड़ते हुए पार की ! मुझे याद है कि अपनी जवानी के दिनों में ऐसा करने में एक डर रहता था कि नए देश में रास्ता न भटक जाएँ ! अभी 64 वर्ष की उम्र में बिना परवाह के दौड़ना शुरू करता हूँ 5 km दौड़ने के बाद, जब तक शरीर गर्म होता है तबतक यह छोटे छोटे शहर का दूसरा किनारा नज़र आने लगता है ! मेरी फिलहाल दौड़ने की रेंज लगभग 25 km है उतने में पूरा शहर का चक्कर हो
जाता है सो खोने का कोई गम नहीं !

समय जाते पता नहीं चलता , मैंने सितम्बर 2015 से रनिंग सीखना शुरू किया तब से अबतक 582 बार और इन 582 प्रयासों में मैने अपने 61वें वर्ष के बाद, पिछले तीन वर्षों में, 4285 Km की दूरी दौड़ते हुए तय की ! जबकि पहले साठ वर्ष तक मैंने दौड़ते हुए, 1 km की बात छोड़िये, 100 मीटर की दूरी भी नहीं भाग सका ! मैं 80 वर्ष के यूरोपियन वृद्धों को साइकिल चलाते हुए देखता हूँ तब मैं सोंचता हूँ कि हम लोग अधेड़ होते ही यह क्यों मान लेते हैं कि अब हम इस काम को नहीं कर सकते, अब हमारी उम्र हो गयी है काश हम भारतीय, यह नेगटिव सोंचना बंद करें और मैं कर सकता हूँ इस सोंच के साथ, नया प्रयास आरम्भ करें !

2 comments:

  1. आपकी आँखों से हम भी देख लिये यूरोप। बधाई 4000 किमी से अधिक भाग लेने के लिये। भागते रहें। प्रेरक।

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  2. इतनी सारी उपलब्धियों के लिए बधाई..प्रेरक पोस्ट

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- सतीश सक्सेना

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