टिकट मशीन |
राज भाटिया के साथ |
हमारे देश में अब अतिथि सत्कार दिखावा और बीते दिनों की बात हो चली है , मगर देश से इतनी दूर , भाटिया दम्पति ने जिस प्यार से विशुद्ध भारतीय भोजन कराया वैसा बहुत कम ही नजर आता है ! भोजन अच्छा तभी लगता है जब वह प्यार से कराया जाय इस मायने में श्रीमती भाटिया साक्षात् अन्नपूर्णा सी लगीं यूँ भी जर्मनी में किसी भी भारतीय घर में, भारतीय भोजन की उपलब्धता होना आसान नहीं, अधिकतर जगह आपका स्वागत वेस्टर्न नाश्ते या भोजन से होगा क्योंकि यहाँ देशी सामग्री इम्पोर्टेड है और अधिकतर सामान जैसे तेल , देशी घी , हरी मिर्च , मसाले सब तलाश करने के लिए इंडियन स्टोर में ही जाना होगा एवं अत्यंत महंगे (गेंहू का आटा 5किलो 1200 रुपया) भी हैं ! 3000 sqft एरिया में बना उनका साफ़ सुथरा घर बॉलीवुड की फिल्म बनाने योग्य था इतने बड़े घर में धूल और अव्यवस्था का नाम नहीं उसके लिए इन दोनों की जितनी तारीफ की जाय वह कम ही होगी !
उसके बाद वे हमें गाँव भ्रमण पर ले गए एक साफ़ सुथरे खेत के बाहर एक छोटे स्टाल पर ताज़ी निकली सब्जियां जिसमें विभिन्न रंग के ऑक्टोपस नुमा कद्दू देखकर हम आश्चर्यचकित थे , सब्जियों पर रेट लिखा था साथ में छोटा सा मनी बॉक्स परन्तु बेंचने वाला कोई नहीं ! आप अपनी मन पसंद सब्जी उठाइये और पैसे बॉक्स में डाल दीजिये कोई देखने वाला नहीं कि आपने पैसे डाले भी कि नहीं .....
एक अन्य जगह अंडे रखे दिखे, यहां भी रेट के साथ मनी बॉक्स था उठाइये, जितने चाहिए और पैसे डाल दीजिये ! आप बेईमानी करना चाहते हैं मुफ्त में ले जाइये कोई आप पर शक नहीं करेगा , सब आपसी विश्वास और भरोसा ! भाटिया जी ने यह भी कहा कि हम अधिकतर समय, घर खुले छोड़ आते हैं कोई ख़तरा नहीं, यहाँ कोई बेईमानी की सोंच भी नहीं सकता ! पुलिस या अन्य सरकारी विभाग रिश्वत लेने अथवा देने की कोई सोंच भी नहीं पाता !
इस छोटे से जर्मन गांव में , जब कोई व्यक्ति जब सड़क या पगडण्डी से, कुत्ते के साथ निकल रहा हो तब उसकी जेब में एक
डॉग पूप के लिए थैली यहाँ से लें |
यहाँ कौन देख रहा .... वाले शब्द बोलने वाले लोगों के देश से आये हुए मेरे जैसे व्यक्ति के लिए यह सब देखना आश्चर्य के सिवा और कुछ नहीं था .....
इस गांव में हर रास्ते में फूल और फल लगे देखे जिन्हें सुबह के अँधेरे में आकर भगवान की पूजा के लिए कोई नहीं चुराता ! पके हुए सेब हर घर में लगे हैं और बाहर भी लटके हैं , इस खूबसूरती की हम अपने यहाँ कल्पना भी नहीं कर सकते , अगर किसी की जेब से टहलते हुए कोई तौलिया रूमाल या मोबाइल गिर जाए तो घबराने की कोई बात नहीं वह अगले दिन सुबह भी वहीँ पड़ा मिलेगा ! इस राम राज्य की कल्पना हमारे पूर्वजों ने सैकड़ों बरसों से की थी और लगता नहीं कि हमारे देश में जहाँ हर व्यक्ति चतुरसेन पहले है, अब कभी भी पूरी होगी ! पश्चिमी देशों की, बिना उन्हें देखे, समझे, मूर्खों की तरह जमकर
उनकी बुराई करते हैं यही हमारी सभ्यता को पहचान बची है ! अगर रामराज्य कहीं है तो वह वाकई इन देशों में है जिन्हें हम गाली देना अपनी शान समझते हैं !
यहाँ की सड़क पर स्पीड लिमिट तोड़ने को कोई कोशिश नहीं करता अगर किसी कैमरे में आ गयी तो जुर्माना जो लगभग १५००० रूपये होगा घर आ जाएगा और सफाई देने की कोई गुंजाइश नहीं ! मानव जीवन को यहाँ बहुमूल्य माना जाता है अगर आप
शराब पीकर ड्राइविंग करना आपको कम से कम 40000 रूपये से 120000 रूपये तक महंगा पड़ सकता है यहाँ तक कि आपकी साइकिल पर अगर लाइटिंग इक्विपमेंट नहीं लगे हैं तब 2000 रुपया जुर्माना होगा अगर वह रेड लाइट क्रॉस करता है तो 60 यूरो ( 5000 रूपये ) जुर्माना है और पैदल चलने वाले को भी माफ़ी नहीं है , पेडस्ट्रियन क्रॉसिंग पर अगर आपने पैदल चलते हुए जल्दी से रेड लाइट जंपिंग की है तो 400 रुपया देने को तैयार रहिये !
यहाँ घर पर नौकर रखना और मरम्मत करवाना बेहद खर्चीला साबित होगा क्योंकि कामगरों की तनख्वाह बहुत अधिक हैं उनसे व्यक्तिगत काम कराना नया सामान खरीदने जितना पड सकता है अतः घरों में मरम्मत, रिपेयर, पेण्ट आदि खुद करना होता है !
सो यहाँ के लोग कामचोर नहीं है इसीलिए फिटनेस की कोई समस्या नहीं ! साईकिल से बाजार जाना , बगीचे की तथा अपने घर से बाहर की घास काटना, झाड़ू लगाना, बर्तन धोना , घर का फर्श आदि सब कुछ आपको खुद करना होगा वह और बात है कि अधिकतर काम के लिए आप मशीनों का उपयोग करते हैं !
राज भाई के घर में इन्होने एक कमरा वर्कशॉप में बदल रखा है , उनके पास हर तरह के टूल्स देखकर पता चला कि समय ने इन्हें हर काम खुद करना भी सिखा दिया इनके घर से निकलते समय एक संकल्प मैंने भी लिया कि अब से घर में अधिकतर काम और रिपेयर खुद करना है जब राज भाई यह कर सकते हैं तो मैं क्यों नहीं !
बस वाह। और हम भी देख लिये सब आपकी नजरों से।
ReplyDeleteनमस्ते,
ReplyDeleteआपकी यह प्रस्तुति BLOG "पाँच लिंकों का आनंद"
( http://halchalwith5links.blogspot.in ) में
गुरुवार 6 सितम्बर 2018 को प्रकाशनार्थ 1147 वें अंक में सम्मिलित की गयी है।
प्रातः 4 बजे के उपरान्त प्रकाशित अंक अवलोकनार्थ उपलब्ध होगा।
चर्चा में शामिल होने के लिए आप सादर आमंत्रित हैं, आइयेगा ज़रूर।
सधन्यवाद।
वाह ! इसलिए ही जब कोई भारतीय विदेश जाता है तो लौटने का नाम नहीं लेता..प्रेरणात्मक पोस्ट..राज भाई और श्रीमती भाटिया को हमारी और से भी धन्यवाद कहियेगा, उनकी वजह से आप वहाँ गये और हमें जर्मनी की सुन्दरता का घर बैठे दर्शन हो गया..
ReplyDeleteबेहद सुंदर संस्मरण सर,एक हूक सी उठी मन में।
ReplyDeleteकाश!हमारा भारत भी ऐसा होता।
सादर आभार सर।
शानदार लिखा है आपने। फेसबुक पर भी पढ़ा था। सपना सा ही है सब।
ReplyDeleteसुंदर यात्रा, प्रेरक विवरण। 🙏🙏🙏
ReplyDeleteसुन्दर विवरण। ऐसी चीजों की तो हम कल्पना ही कर सकते हैं।
ReplyDeleteवाह ... बहुत अच्छा लगा ... आपका संस्मरण और जानकारी के साथ भाटिया जी का आतिथ्य सत्कार ..
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