आपको याद होगा जब १९९१ में देश का फोरेक्स रिज़र्व घट कर १ बिलियन डालर से भी कम रह गया था और हमारे पास ३ सप्ताह तक के आयात लायक धन बचा था उस समय आने वाले खतरे से बचने के लिए हमें विदेशों में सोना गिरवी रखने के लिए मजबूर होना पड़ा था !
आज वही देश (लगभग २९५ बिलियन डालर फोरेक्स रिज़र्व के साथ ) अपनी मज़बूत अर्थव्यवस्था के साथ विश्व के अग्रणी देशों की कतार में है ! आज हमारे देश का फोरेक्स रिजर्व , अमेरिका , स्वित्ज़रलैंड , जर्मनी और फ़्रांस जैसे ताकतवर देशों से कहीं अधिक है !
बेहद कीमती आधुनिकतम फाइटर विमानों से लैस, भारतीय वायुसेना ,अमेरिका ,रूस और चीन के बाद चौथे नंबर की मारक शक्ति रखती है ! भारतीय वायु सेना के आधुनिकतम विमान , परमाणु हथियार और मिसाइल ले जाने की क्षमता रखते हैं और विश्व की किसी भी हमले को निष्प्रभावी बनाने में सक्षम हैं !
विश्व के सबसे शक्तिशाली देशों में से एक भारत सुरक्षा परिषद् की स्थायी सीट के लिए सबसे मज़बूत दावेदारों में से एक है और अगले कुछ वर्षों में भारत को सुरक्षा परिषद् में वीटो पावर मिल जाये, तो यह आश्चर्य जनक नहीं होगा !
बरसों बाद कामनवेल्थ देशों के खेलों का सफल आयोजन कर, इन समस्त देशों में दूसरे स्थान पर पंहुचने में कामयाब रहे हैं ! विश्व के विभिन्न कोनों से आकर एकत्र हुए पचास से अधिक देशों के बीच अंततः वह प्रसंशा हासिल करली जिसकी इस समय सबसे अधिक आवश्यकता थी ! समापन समारोह में जिस तरह देश और संगठनों के अध्यक्षों ने हमारे देश की सराहना करते हुए धन्यवाद दिया निस्संदेह हमारे नौजवानों में एक नया उत्साह और आत्मविश्वास जगाने के लिए काफी है !
Thursday, October 14, 2010
इस देश का यारो क्या कहना -सतीश सक्सेना
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राष्ट्रमंडलीय खेल,
सैन्य शक्ति
43 comments:
एक निवेदन !
आपके दिए गए कमेंट्स बेहद महत्वपूर्ण हो सकते हैं, कई बार पोस्ट से बेहतर जागरूक पाठकों के कमेंट्स लगते हैं,प्रतिक्रिया देते समय कृपया ध्यान रखें कि जो आप लिख रहे हैं, उसमें बेहद शक्ति होती है,लोग अपनी अपनी श्रद्धा अनुसार पढेंगे, और तदनुसार आचरण भी कर सकते हैं , अतः आवश्यकता है कि आप नाज़ुक विषयों पर, प्रतिक्रिया देते समय, लेखन को पढ़ अवश्य लें और आपकी प्रतिक्रिया समाज व देश के लिए ईमानदार हो, यही आशा है !
- सतीश सक्सेना
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बहुत अच्छी प्रस्तुति .
ReplyDeleteश्री दुर्गाष्टमी की बधाई !!!
5/10
ReplyDeleteप्रेरक - सार्थक लेखन
आप ओर आप के परिवार को दुर्गाष्टमी की बधाई
ReplyDeleteजय हो !!
ReplyDeleteकामनवेल्थ खेल का सफल आयोजन से भारत की छवि को दुनिया के सामने विस्तृत किया है.
ReplyDeleteकिना अच्छा लगता है जब हमारे देश का नाम ऊँचा होता है । धन्यवाद उन श्रेष्ठ खिलाडियों का जिन्होने जी जान से खेला और उन्हें सुविधाएं उपल्ब्ध कराने वालें का उनके गुरुजनों का । थोडे अवकाश के लिये तो सुरक्षा परिषद की सीट हासिल हो ही गई है जल्द ही स्थायी सीट भी मिल जायेगी । आप की इस सकारात्मक पोस्ट के लिये बधाई ।
ReplyDeleteसही है !
ReplyDeletegyanvardhak, accha aur sarthak lekh.
ReplyDeleteshukriya.
sarthak lekhan....
ReplyDeletesabhee ke liye garv kee baat hai............
हम तो फोरेक्स के ही आदमी हैं, :)
ReplyDeleteवैसे इकोनोमिक्स की ज्यादा जानकारी नहीं है, लेकिन हाँ इतना जरुर है, की हमारा देश "इकोनोमिक पॉवरहाउस जरुर बन जाएगा आने वाले कुछ सालों में...
और सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्य भी हमारा देश जरुर बनेगा...सबसे मजबूत दावेदार हम ही हैं....
जिस दिन अपना देश स्थायी सदस्य बनेगा...उस दिन का इंतज़ार मैं इस लिए भी कर रहा हूँ क्यूंकि जब मैं स्कूल में था तो मैं बहुत अच्छे से पढ़ाती थी जेनरल नॉलेज....यु.एन के बारे में और वीटो के बारे में उन्ही से बहुत कुछ जाना...और उसी समय मेरी माँ कहा करती थी की भारत एक स्थायी सदस्य बन ही जाएगा...:)
हमें देश पर गर्व है ...बस भ्रष्टाचार और कम हो जाये :)
ReplyDeleteजय हिन्द
ReplyDeleteजय हिन्द
जय हिन्द
भारत का भविष्य उज्जवल है.....
ReplyDeleteफ़िलहाल अस्थाई सदस्यता से खुश हो लेते है कॉमनवेल्थ में मिले पदक भी अच्छे है | वेल्थ तो अच्छी हो गई है और ताकत भी अब बस जरा सा अन्तराष्ट्रीय कूटनीति में ध्यान देने की जरुरत है अच्छा हो हम अपना ध्यान पाकिस्तान से हटा कर जरा दूसरे ज्यादा खतरनाक पड़ोसी की तरफ ध्यान दे और उसने जो साईवर वार शुरू किया है उसे गंभीरता से ले |
ReplyDeleteनिस्संदेह हमारे नौजवानों में एक नया उत्साह और आत्मविश्वास जगाने के लिए काफी है....Fir to Olympic ki taiyari...Jay ho !!
ReplyDelete_________________
'शब्द-सृजन की ओर' पर आज निराला जी की पुण्यतिथि पर स्मरण.
यह रचना हमें नवचेतना प्रदान करती है और नकारात्मक सोच से दूर सकारात्मक सोच के क़रीब ले जाती है। बहुत अच्छी प्रस्तुति।
ReplyDeleteसर्वमंगलमंगल्ये शिवे सर्वार्थसाधिके।
शरण्ये त्र्यम्बके गौरि नारायणि नमोsस्तु ते॥
महाअष्टमी के पावन अवसर पर आपको और आपके परिवार के सभी सदस्यों को हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई!
स्वरोदय महिमा, “मनोज” पर!
सतीश जी आपने अपने देश का एक पहलू ही बताया लेकिन जो दूसरा पहलू सबसे अलग है वह है हमारी संस्कृति। जैसा कि समापन भाषण में भी कहा गया कि हम वसुधैव कुटुम्बकम् और सर्वजन हिताय में विश्वास रखते हैं। सारी दुनिया जहाँ भौतिकता के पीछे पड़ी है वहीं हम मानवीय रिश्तों को भी प्राथमिकता देते हैं। इसलिए हमें अपने देश से प्रेम भी है और गर्व भी है। हमने इस देव भूमि पर जन्म लिया इसे अपना सौभाग्य मानते हैं।
ReplyDeleteक्या ये महान भारत वर्ष अपने गौरवशाली अतीत कि तरह फिर से स्थापित हो रहा है.
ReplyDeleteबढिया......
वंदे मातरम
क्या ये महान भारत वर्ष अपने गौरवशाली अतीत कि तरह फिर से स्थापित हो रहा है.
ReplyDeleteबढिया......
वंदे मातरम
गर्व है हमें।
ReplyDeleteसही कहा है यह "हमारे नौजवानों में एक नया उत्साह और आत्मविश्वास जगाने के लिए काफी है "
ReplyDeleteराष्ट्र मंडल खेलों ने हमें फिर से सोने की चिड़िया कहलाने का अवसर दिया है । हमें इस पर गर्व है ।
ReplyDeleteअच्छी प्रस्तुति .
ReplyDeleteइंडिया इज़ ग्रेट!
ReplyDelete.
ReplyDeleteहमारे देश के खिलाड़ियों ने एक बार फिर हमें अपने देश पर गर्व करने का मौका दिया है। आभारी हूँ इन प्रतिभाशाली खिलाड़ियों की।
.
सर्वमंगलमंगल्ये शिवे सर्वार्थसाधिके।
शरण्ये त्र्यम्बके गौरि नारायणि नमोsस्तु ते॥
महाअष्टमी के पावन अवसर पर आपको और आपके परिवार के सभी सदस्यों को हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई!
गर्व का विषय है!!
ReplyDeleteदुर्गाष्टमी की बधाई.
बहुत बहुत बधाई। मेरा भारत महान।
ReplyDeleteजय हिन्द!
कल परसो की खबर थी कि भारत मे पाकिस्तान ओर बंगला देश से ज्यादा भुख मरी हे,वेसे भी इस अमीर देश की आधी जनता अधे पेट सोती हे... उस धन का क्या लाभ जो जनता के काम ना आये, जेसे अनाज सड गया, लेकिन भुखे को नही मिला
ReplyDeleteआह ! इज़्जत बच गई... मैं तो वर्ना डरा हुआ था..
ReplyDeleteइज्जत बची तो अरबों पाये.
ReplyDeleteदुर्गा नवमी एवम दशहरा पर्व की हार्दिक बधाई एवम शुभकामनाएं.
रामराम.
सतीश जी,
ReplyDeleteप्रतिभा सक्सेना जी के ब्लॉग भानमती का कुनबा पर आपकी टिपण्णी पड़ी.....मैंने प्रतिभा जी के व्यक्तित्व पर कोई टिपण्णी नहीं की और मैंने उनके ब्लॉग पर अपना उत्तर उन्हें दे दिया है आप चाहे तो पड़ सकते हैं.....और मेरी टिप्पणी के पीछे उनकी रचना जो ऊपर या नीचे है से कोई सम्बन्ध नहीं है.....दूसरी बात मैं ये ज़रूर कहना चाहूँगा अभी कुछ दिन पहले राजेश उत्साही जी के ब्लॉग पर हरकीरत हीर जी की टिप्पणी पर बहुत विवाद हुआ है ......वहां पर मैंने यही बात लिखी थी की मेरी नज़र में जिसके ब्लॉग पर टिप्पणी की गयी है....टिप्पणी का जवाब देने का हक भी उसी का है .......क्योंकि कई बातें हो सकती हैं जो किसी अन्य की समझ में न आयें |
आपकी बात ख़राब लगने का कोई मतलब नहीं है........क्योंकि आपको पता नहीं था मैं कहाँ बात रहा हूँ.......इसलिए मैंने ऊपर ये बात लिखी........उम्मीद करता हूँ की आप मेरी बात को समझेंगे........अगर कुछ गलत लगा हो तो क्षमा कीजियेगा|
और यही नहीं। जो आया उसने तारीफ भी की ,व्यवहार और सत्कार से प्रभावित भी हुये
ReplyDeleteजब पढ़ता हूँ तो गर्व होता है, जब देखता हूँ तो यकीन नहीं होता..
ReplyDeleteविजयादशमी की अनन्त शुभकामनायें. पोस्ट पढने आती हूं, बाद में.
ReplyDeleteदेश विकास के पथ पर और भी तेज़ी से अग्रसर हो सकता है, बस खादी, खाकी और सफारी अपने रवैये में कुछ तबदीली पैदा कर लें.
ReplyDeleteजो लोग अब भी यही मानते हैं कि इस देश का बेड़ा ग़र्क़ हो रहा है, उनकी आँखें खोलने के लिए यह खबर काफी होनी चाहिए.
ReplyDeleteआजकल आप अध्ययन पर ध्यान दे रहे हैं. ध्यान अच्छी चीज़ है. छोटी छोटी चीज़ों को भी ७० एम. एम. फ्रेम दिला देती है.
सहमत ,आज भारत विश्व में एक सम्मानजनक हैसियत में है
ReplyDeleteसहमत ,आज भारत विश्व में एक सम्मानजनक हैसियत में है
ReplyDeleteदिल्ली, मुंबई, कोलकता और बेंगलौर के वैभव को देखकर सारे देश की खुशहाली का आंकलन करना जायज नहीं है-भाई जी! यह वैभव हाथी के दाँतों जैसा दिखावटी है। इन नगरों से बाहर निकल कर देखिए। अभी भी देश की ८०% जनता को अशिक्षित, बीमार, कुपोषण की शिकार है। बड़ी-बड़ी दुधारू कंपनियाँ जिसमें आम जनता की गाढ़ी कमाई थी उन्हें बेच कर यह सारा वैभव जुटाया गया है। उसमें भी भ्रष्टाचार की आ रही बू किसी से छिपी नहीं है। जब तक आम जनता को शिक्षा, स्वास्थ, पीने के लिए शुद्ध पानी सुलभ नहीं हो जाता वैभव का गुणगान किसी पखंड से कम नहीं। सद्भावी-डॉ० डंडा लखनवी
ReplyDeleteBeautiful presentation....
ReplyDeleteअगर इस देश के कुछ चोरों का काला धन जो स्विस बैंक मैं है, वोह भी हिंदुस्तान आ जाए तो शायद सडकें भी चंडी की बन सकती हैं. देश महान हैं, जनता मेहनती है, नेता लालची हैं.
ReplyDeleteM.Verma@कामनवेल्थ खेल का सफल आयोजन से भारत की छवि को दुनिया के सामने विस्तृत किया है
और वहां चोरी और धांधली ने हम सबके सामने नेताओं को की छवि बिगाड़ के रख दी. जनता महँ है , खिलाड़ी महँ हैं, नेता खून चूस रहे हैं
Beautiful presentation...
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