"है मुमकिन दुश्मनों की दुश्मनी पर सबर कर लेना
मगर यह दोस्तों की बेरुखी , देखी नहीं जाती "
हमारे बड़े कहते रहे हैं कि जब मन शांत न हो तो मौन व्रत रखें , इस बार यह आजमाते हैं !
शुभकामनायें ! हमारे बड़े कहते रहे हैं कि जब मन शांत न हो तो मौन व्रत रखें , इस बार यह आजमाते हैं !
stish ji so buraiyon se bchane ka aek matr farmulaa aapne diya he mubark ho. akhtr khan akela kota rajsthaan
ReplyDelete... उचित व सकारात्मक मार्ग!
ReplyDelete
ReplyDeleteप्राणहारिनी पीड़ादायक असहमत मौन से मुक्ति की कोई दवा बतायें ।
झँडुबाम मल लेने की लँठई भी यदि काम न आये, तो कोई अन्य उक्ति सुझायें ।
यदि आदरणीय कहने के शिष्टाचार का स्वयँ ही निरादर करना हो, तो अबे-तबे से इतर कोई उपयुक्त शब्दावली सँदर्भ दें ।
यदि लोकताँत्रिक मूल्यों की कुटिल काट करनी हो, तो जनहित की दुहाई से अलग अन्य कोई बेहतरीन अकाट्य तर्क सुझायें ।
कुत्ते-बिल्लियों के मध्य अपनी अस्मिता की रक्षा करते हुये इस जग में जीने की राह दिखायें, जो सामने के दरवाज़े की तरफ़ खुलती हो ।
प्रणाम
ReplyDelete......maun.....
ReplyDeletelekin....yahan gurdev kuchh aur kah
rahe hain....kripaya dhyan de......
agar uchit lage to spastikaran bhi..
rajhans ko to jante hi honge...uske
charitra aur prakrit bhi.....
vicharon ki swatantra ke ham samarthak hain...lekin bhaw aur bhasha pachne layak ho...
bakiya aap sab khud gyanijan hain..
pranam.
???????????
ReplyDeleteज़िंदगी में दोस्तों को आजमाते जाइए
तो दुश्मनों से प्यार हो जायेगा
सतीश भाई,
ReplyDeleteपुराने वक्तों में भी दुश्मनी थी
मगर माहौल जहरीला नहीं था
जब न होश हमको, दुश्मनी से डरते थे
अब जो होश आया है दोस्ती से डरते हैं
या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
आपको नवरात्र की ढेर सारी शुभकामनाएं!
चांद पर मक्खन-ढक्कन के हंगामा मचाते-मचाते अचानक ढक्कन मौनी बाबा बन गया...मक्खन ने मौके का फायदा उठाया, ढक्कन के हिस्से की भी चढ़ा कर ज़ोर ज़ोर से गाने लगा-
ReplyDeleteगाली हुजूर की तो लगती दुआओं जैसी,
हम दुआ भी दे तो लगे है गाली,
अपनी तो जैसे-तैसे कट जाएगी,
आपका क्या होगा जनाब-ए-आली...
जय हिंद...
सतीश जी, आप बहुत संवेदनशील व्यक्ति लगते हैं. मनुष्य को संवेदनशील होना भी चाहिए. पर कितना?
ReplyDeleteयह मक्खाना यहाँ भी चैन से नहीं रहने देगा .....
ReplyDeleteसुबह सुबह मोबाइल पर फ़ोन की घंटी बजी तो खुशदीप सहगल का नाम देख सोचा कि यह खुशदीप को भाई की याद कैसे आ गयी !
मगर फ़ोन पर मक्खन की आवाज सुनकर सारा मूड ख़राब हो गया उधर से पूछ रहा था कि सुना है इस नंबर पर कोई मौनी बावा रहते हैं ???
कहीं भी चैन नहीं लेने देगा यह मक्खन...
स्टेडियम में मैच देखने गया तो ले ले ले ले ....
खुद तो कुछ समझ आता नहीं हमें समझने की कोशिश भी नहीं करने देगा ......
खैर जो भी हो दिल का बुरा नहीं है...
कभी-कभी मौन वाणी से भी अधिक मुखर होता हे ।
ReplyDeleteये बेकसी देखी नहीं जाती ये बेकरारी देखी नहीं जाती
ReplyDeleteकुछ तो करों यारों अब उनकी बेखुदी देखी नहीं जाती
(मौलिक शेर ,अरविन्द मिश्र ,८ अक्टोबर २०१०)
सही कह रहे हैं ……………आपने तो मौन कर दिया।
ReplyDeleteनवरात्र की ढेर सारी शुभकामनाएं!
ReplyDeleteसंगीता स्वरुप जी ,
ReplyDeleteबड़ा प्यारा शेर है मगर मुझे इस तरह पता है ...
"दुश्मनों से प्यार होता जाएगा
दोस्तों को आजमाते जाइए !"
सादर
P
ReplyDeleteE
A
C
E
........Yahi na!
करें क्या अब उनसे शिकवा
ReplyDeleteख़ता कोई हमी से हुई होगी ।
लो भाई एक शेर हमने भी मार डाला ।
ये बेकसी देखी नहीं जाती ये बेकरारी देखी नहीं जाती
ReplyDeleteकुछ तो करों यारों अब उनकी बेखुदी देखी नहीं जाती
(तात्कालिक चोरी का शेर ,ताऊ रामपुरिया ,८ अक्टोबर २०१०)
वैसे मौन शब्दों से ज्यादा अभिव्यक्ति देता है.
रामराम.
मौन तो अपने आप में शांति प्रेरक है।
ReplyDeleteचित का भी मौन धरें।
नवरात्रा स्थापना के अवसर पर हार्दिक बधाई एवं ढेर सारी शुभकामनाएं आपको और आपके पाठकों को भी!!
आभार!!
आज तो सभी दोस्त लोग शेर पैदा कर रहे हैं ...चुरा रहें हैं या मारे डाल रहे हैं ! यह मौन खूब सफल रहा ...
ReplyDeleteबहुत सुंदर रचना, आप सब को नवरात्रो की शुभकामनायें,
ReplyDeleteसही रास्ता है.....
ReplyDeleteउम्दा प्रस्तुति
ReplyDeleteगागर में सागर
bilkul sahi aur skaratmak raah sujhane wali baat..... prernadaayee
ReplyDelete"है मुमकिन दुश्मनों की दुश्मनी पर सबर कर लेना मगर यह दोस्तों की बेरुखी , देखी नहीं जाती "
ReplyDeleteसत्य है सतीश जी की दोस्तों की बेरुखी देखी नहीं जाती लेकिन सब से बड़ी सजा भी यह है की चुप हो जाओ. वैसे दोस्ती पे बहुत सी नसीहतीं यहाँ भी देख सकते हैं "http://aqyouth.blogspot.com/2010/09/blog-post.html" .
"... "
ReplyDeleteआपने कहा "यह मौन खूब सफल रहा "अब अगर आपके उस दोस्त को अपनी ग़लती का एहसास हो गया हो, तो चलिए नवरात्री की शुभकामनाओं के साथ अपनी चुप्पी तोड़ दें.
ReplyDeleteआप सब को नवरात्री की बहुत बहुत शुभकामनाएं
At times silence speaks volumes!!
ReplyDeleteबहुत दिनो बाद यहाँ आया ..क्या हो गया..दूसरी पोस्ट खगालनी पड़ेगी।
ReplyDeleteकभी कभी मौन रख लेना चाहिये।
ReplyDeleteचाचा जी, जब मौन की बात हो रही है तो अपनी एक शेर मैं भी छोड़ दूँ..
ReplyDeleteक्यूँ बनें तमाशे का हिस्सा,
चुप रह के तमाशा देखेंगे..
पर ज़्यादा दिन मौन मत रहिएगा. प्रणाम..
प्रियवर सतीश जी
ReplyDeleteबात क्या है , समझ नहीं पाया
लेकिन , ब्लॉग जगत में भी ऐसे कुछ नमूने हैं ज़रूर
कुछ - स्वघोषित उस्ताद बने बैठे मठाधीश ,
कुछ - दूसरों के अस्तित्व को अस्वीकार करने वाले कुंठित ,
कुछ - लामबंद लंपट
उनको आईना दिखाना भी आवश्यक है , इशारों में ही सही
ज़बह राजेन्द्र को करता ; तुझे मैं मा'फ़ कर देता
मगर तू क़त्ल करने को चला मेरे सुख़नवर को
बहरहाल दिल पर बोझ नहीं रखना चाहिए , अस्तु !
शुभकामनाओं सहित
- राजेन्द्र स्वर्णकार
सतीश जी, बड़ों ने बिलकुल सही कहा है…इसीलिये हम बड़ों को अपना आदर्श मानते हैं…बेहतरीन प्रस्तुती… पूनम
ReplyDeleteदेखना है मौन की शक्ति का कमाल | हिन्दुओं में मौन भी एक व्रत माना गया है |
ReplyDelete"दोस्तों की बेनियाज़ी देख कर ,
ReplyDeleteदुश्मनों की बे-रुखी अच्छी लगी."
बाक़ी तो,,,
सब....
मौन !!
5/10
ReplyDeleteimpressive
सतीश जी, मौन व्रत अभी जारी है??
ReplyDeleteSpeak is GOLD.
ReplyDeleteSilence is DIMOND.
दुश्मनों से प्यार होता जाएगा
ReplyDeleteदोस्तों को आजमाते जाइए !"
wah