Tuesday, August 2, 2022

खान पान, प्रौढ़ावस्था में -सतीश सक्सेना

पिछली पोस्ट में कई मित्रों का खान पान पर लिखने का आग्रह था , सो यह पोस्ट , बस पोस्ट पढ़ने से पहले दोस्तों से अनुरोध है कि लीक से हठ कर विचार करें तभी बात बनेगी शरीर बदलने के लिए हमें अपनी आदतें बदलनी होंगी , खाने में जो अच्छा लगता है , सारे जीवन खाया उसे त्याग दें जो नहीं खाया उसे खाना शुरू करें , रोटी दाल चावल के बग़ैर भी आधी दुनिया रहती है सो भोजन बदलें , मेहनतकश बनें और आप देखेंगे आपका शरीर भी बदल रहा है !  

अधिकतर मित्र लोग ५० का होते होते , इतने आलसी हो जाते हैं कि शरीर हिलते ही दर्द शुरू होने लगता है और वे सोचते हैं कि हमारी उमर हो गयी है , अब हर काम सावधानी से करना होगा , इस उमर के बाद अपने शरीर को चुस्त दुरुस्त रखने के लिए , वे महँगे खानपान की तरफ़ झुकते हैं , उन्हें लगता है कि ड्राई फ़्रूट्स , अंडे , प्रोटीन युक्त भोजन आदि अगले सालों में शरीर को पुष्ट रखेगा और वे ऐसा ही करते हैं, बताइए क्या खाना है ? जबकि शरीर को भोजन की सीमित आवश्यकता ही होती है , मेहनत करने पर जितनी ऊर्जा ख़त्म होती है उसकी भरपायी शरीर एकदम सामान्य भोजन से ही पूरी कर लेता है ! जानवरों के दूध या महँगे ड्राई फ़्रूट्स में ऐसा कुछ नहीं होता जो सामान्य खेत की सब्ज़ी और गेहूं जैसे सामान्य फ़ूड में नहीं होता !

कुछ अन्य लोग रनिंग की ओर ध्यान देते हैं और अति कर देते हैं , यह बेहद ख़तरनाक है , हर एक को अपनी शारीरिक क्षमताओं का पूरा ज्ञान होना चाहिए , बिना इसे समझे, शरीर को हाई इम्पैक्ट एक्सरसाइज़ में झोंक देना , आपके ह्रदय को बर्बाद करने में सक्षम है ! याद रखें कि दौड़ते समय बॉडी कोर में अवस्थित उन नाज़ुक अंगों जैसे किड्नी , लीवर , ह्रदय , फेफड़े , पेंक्रियास आदि में तेज कम्पन और झटके लगते हैं जो पिछले कई वर्षों से बेजान जैसे पड़े रहे हैं ,  नतीजा बढ़ा हुआ ब्लडप्रेशर , धौंकनी जैसे चलते फेफड़े , कांपता पाचन तंत्र आपको किसी भी ख़तरे में डाल सकता है ! यह सब करने के लिए आवश्यक है कि सुस्त शरीर को आहिस्ता आहिस्ता चलाना और फिर इन कम्पनों, झटकों को झेलना सिखाया जायँ , इसमें शरीर की दशा अनुसार महीनों अथवा वर्षों लग सकते हैं , सो पहली बात सुस्त शरीर को पहलवान बनाने में जल्दी न करें अन्यथा जान तक जा सकती है !

अब भोजन का मामला उठाते हैं , अधिकतर लोगों को यह विश्वास होता है शरीर को मजबूत रखने के लिए बढ़िया स्वास्थ्यवर्धक भोजन आवश्यक है ! मेरा विश्वास है कि यह बिलकुल आवश्यक नहीं , भोजन विशिष्ट हो या साधारण उसका असर एक ही जैसा होता है , काजू के आटे की बनी रोटियाँ , शुद्ध घी के पराँठे, फ़र्श सलाद खाएँ, ढेरों फल फ़्रूट खाएँ अथवा सामान्य रोटी , दाल और सब्ज़ी जो रिक्शावाला खाता है , असर एक हो होगा ! कोई व्यक्ति, अखाड़े में लड़ने वाला पहलवान, बढ़िया खाना खाकर नहीं बनता बल्कि पूरे दिन पसीना बहाकर मज़बूत शरीर का मालिक बनता है , और उसे भूख भी अधिक इसीलिए लगती है  ओ खाने पर अधिकार उसी व्यक्ति का अधिक होगा जो मेहनत भी अधिक करता हो , कुर्सी पर बैठे व्यक्तियों को दिन में एक बार का भोजन पर्याप्त होगा , बिना मेहनत तीन बार का भोजन करने वाले लोग सिर्फ़ अपने पूर्वजों की लकीर पीट रहे होते हैं जो बेहद मेहनती थे !

हमें अपने भोजन से अखाद्य को निकालना होगा , प्राकृतिक भोजन से बेहतर कुछ नहीं , तेल अधिकतर इंसानों के लिए नुकसान करता है सो उसका त्याग करना होगा , शुगर की जगह गुड़ का उपयोग बेहतर है ! सीमित भोजन आपके शरीर के तंत्र पर अधिक जोर नहीं डालेगा और उसका फायदा अधिक होगा जबकि लोगों की सोच उसके उलट है क्योंकि बचपन से मन में बैठ चुका है , ब्रेकफास्ट , ऑफिस लंच और घर आकर रात को बीबी के हाथ का बनाया डिनर , शरीर की हाय हाय सुनाई ही नहीं देती , पेट का शेप बदलने लगता है तब भी ध्यान नहीं , शरीर बेचारा थक कर उसे भी आखिर अंगीकार कर लेता है !

सो भोजन उतना ही करना चाहिए जितना श्रम किया है , बिना मेहनत भोजन सिर्फ शरीर को बर्बाद करेगा , अनुरोध है कि मेहनत करना सीखें और भोजन घटाना शुरू करें, भूख पर क़ाबू पाने के लिए खाने से आधा घंटे पहले पानी पीने की आदत डालें , पेट भरा लगेगा ! 
अंत में :
- खुद पर विश्वास रखें कि आपका शरीर बेहद ताकतवर है मानसिक तौर पर ताकतवर लोगों पर, उम्र का कोई ख़ास असर नहीं होता , कम उम्र में ही बूढ़े वे लोग होते हैं जो खुद को कमजोर मानने लगते हैं , आप यक़ीन करें ६८ वर्ष की उमर में मैं वह सब काम आसानी से करता हूँ जो कोई ३५ वर्ष का व्यक्ति कर सकता है , अपने शरीर पर अविश्वास आपको बहुत तेज़ी से कमजोर बनाएगा !
-कोई भी संकल्प बेहद कमजोर और क्षणिक होगा अगर आप ख़ुशमिज़ाज नहीं हैं , मस्तमौला रहना सीखें , कष्टों को भूलना आवश्यक है , ख़ुशियों को हर समय याद रखिए दुःख आपके पास आएँगे ही नहीं ! स्वाभाविक हंसी से स्फूर्ति और ताज़गी आपके शरीर को नौजवानों जैसी शक्ति देने में समर्थ है !
-मृत्युभय, अधिक उम्र में आपको संभावित इलाज के लिए , धन जोड़ने के लिए प्रेरित करेगा और आप धन का उपयोग अपनी ख़ुशियों के लिए नहीं कर पाएँगे जबकि यह बेहद आवश्यक है !
-दिखावा , झूठ, नफ़रत और क्रोध को नज़दीक न आने दें आपके चेहरे की रंगत ही बदल जाएगी ! 
 
मंगलकामनाएँ आप सबको ! 

3 comments:

  1. हमें अपने भोजन से अखाद्य को निकालना होगा , प्राकृतिक भोजन से बेहतर कुछ नहीं, पूर्णतया सही !

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  2. बहुत सुंदर

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  3. भोजन उतना ही करना चाहिए जितना श्रम किया है। आपकी यह एक सामान्य-सी बात विशेषज्ञों के महंगे परामर्शों से अधिक मूल्यवान है सतीश जी। वैसे इस लेख का शब्द-शब्द अमल में लाने योग्य है। आपने उचित मार्ग दिखाया है मुझ जैसों को।

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एक निवेदन !
आपके दिए गए कमेंट्स बेहद महत्वपूर्ण हो सकते हैं, कई बार पोस्ट से बेहतर जागरूक पाठकों के कमेंट्स लगते हैं,प्रतिक्रिया देते समय कृपया ध्यान रखें कि जो आप लिख रहे हैं, उसमें बेहद शक्ति होती है,लोग अपनी अपनी श्रद्धा अनुसार पढेंगे, और तदनुसार आचरण भी कर सकते हैं , अतः आवश्यकता है कि आप नाज़ुक विषयों पर, प्रतिक्रिया देते समय, लेखन को पढ़ अवश्य लें और आपकी प्रतिक्रिया समाज व देश के लिए ईमानदार हो, यही आशा है !


- सतीश सक्सेना

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