आज आपने जीवन की सबसे लम्बी साइकलिंग की , 61 km ,3 घण्टे में पूरे हुए इस बीच 3 मिनट का नेहरूपार्क पर रुक कर बॉडी स्ट्रेचिंग की !
बेहतरीन मौसम में पैडल मारते हुए मैं याद कर रहा था जब 1977 में दिल्ली आया था नौकरी ज्वाइन करने ,तब से अब तक एक भी दिन ऐसा नहीं गया जब मैं कह पाता कि आज मैं पैदल 1 km बिना मोटर साइकिल या कार के चला ,38 वर्ष निकाल दिए मैंने आलस्य में, बिना पैरों का उपयोग किये, यह ज़हालत का सबसे बड़ा नमूना था ! आम आदमी जैसा था मैं, जिसकी सोंच थी कि साधन संपन्न होने का अर्थ अपने शरीर को आराम देना और बढ़िया भोजन बस !
मगर अब मैं आम आदमी जैसा सुस्त और ढीले शरीर का मालिक नहीं, 63 वर्ष की उम्र में मैंने धीरे धीरे अपने शरीर को लगातार घंटो दौड़ना सिखा दिया ,आज 61 km साईकिल 20 km /hour की स्पीड से तय करके शरीर की अपरिमित शक्ति को महसूस कर अच्छा लग रहा है !
#हिन्दी_ब्लॉगिंग
बेहतरीन मौसम में पैडल मारते हुए मैं याद कर रहा था जब 1977 में दिल्ली आया था नौकरी ज्वाइन करने ,तब से अब तक एक भी दिन ऐसा नहीं गया जब मैं कह पाता कि आज मैं पैदल 1 km बिना मोटर साइकिल या कार के चला ,38 वर्ष निकाल दिए मैंने आलस्य में, बिना पैरों का उपयोग किये, यह ज़हालत का सबसे बड़ा नमूना था ! आम आदमी जैसा था मैं, जिसकी सोंच थी कि साधन संपन्न होने का अर्थ अपने शरीर को आराम देना और बढ़िया भोजन बस !
मगर अब मैं आम आदमी जैसा सुस्त और ढीले शरीर का मालिक नहीं, 63 वर्ष की उम्र में मैंने धीरे धीरे अपने शरीर को लगातार घंटो दौड़ना सिखा दिया ,आज 61 km साईकिल 20 km /hour की स्पीड से तय करके शरीर की अपरिमित शक्ति को महसूस कर अच्छा लग रहा है !
#हिन्दी_ब्लॉगिंग
तीन घंटे लगातार साईकिल चलाना.. वाकई मानव के पास अपरिमित क्षमता है, हम कितना कम उपयोग कर पाते हैं इसका, बधाई ! शारीरिक क्षमता की तरह बौद्धिक क्षमता भी इसी तरह बढ़ती रहे इसके लिए ब्लॉगिंग एक अच्छा उपाय है..
ReplyDeleteउम्र का तकाजा है....समझ जरा देर से आती है लेकिन अधिकांश तो सायकिल से चलना मतलब अपना स्टेटस सिंबल गिराना ही समझते है। घर में ही एक्सरसाइज के नाम पर पैडल मारकर काम चला लेंगे लेकिन चार कदम नहीं चलेंगे
ReplyDeleteप्रेरक
आकर्षक स्फुटीकरण ।
ReplyDeleteशरीर को जिस अनुरूप ढालेगे वैसा ही बनेगा।हम सबको शारीरिक क्रियाकलाप के प्रति जागरूक रहना चाहिए ताकि स्वस्थ्य एवम् निरोग रहा जा सके।
ReplyDeleteआपकी स्टेमिना वाकई में काबिले तारीफ है।
आज पहाड़ में तक बच्चे स्कूटी प्रयोग करने लगे हैं पाँच मिनट की दूरी भी पैदल चलना नागवार है। मैंने अभी तक मोटर ना साइकिल ना मोटर साईकिल ली क्योंकि इस बहाने से रोज घर से विद्यालय तक आना जाना एक घंटे का चलना हो जाता है। शुगर की बीमारी का बढ़ना पहाड़ में चिन्ताजनक है। सेना के इलाके में एक पुराना सूचना पट है जिसपर लिखा है "Its fashion to walk in Hills not to ride a Car"
ReplyDeleteकभी लिखा भी था इसपर http://ulooktimes.blogspot.in/2011/11/its-fashion-to-walk-in-hills-and-not-to.html
ReplyDeleteसत्यता को स्वीकार करना बड़ा ही कठिन कार्य है किन्तु आपने इसे बड़े ही सरल ढ़ंग से व्यक्त किया है ,बहुत ख़ूब! आदरणीय ,आभार। "एकलव्य"
ReplyDeleteवीर तुम बढ़े चलो...धीर तुम बढ़े चलो...
ReplyDeleteजय हिन्द…जय #हिन्दी_ब्लॉगिंग
बहुत सही..आप तो प्रेरणास्त्रोत हैं..बनाये रखिये..बधाई
ReplyDeleteऔर कितनों के लिए प्रेरणा
ReplyDeleteyou are great sir.
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