Friday, April 20, 2012

शारदा पुत्र राजेश उत्साही -सतीश सक्सेना

जबसे ब्लॉग जगत से जुड़ा हूँ , ईमानदार लेखन, पढने  को लगभग तरस से गए !मगर हाल में गुल्लक पर लिखी राजेश उत्साही की आप बीती  "सूखती किताबों में भीगा मन " पढ़ते पढ़ते, मेरा मन अवश्य भीग गया !

राजेश उत्साही को, मैं ब्लॉग जगत के उन रत्नों में से एक मानता हूँ, जिसका आकलन करने की, उतावले ब्लॉग जगत के पास सामर्थ्य ही नहीं है , वे हिंदी साहित्य लेखकों के  उस विशिष्ट वर्ग से हैं ,जिन पर हिंदी भाषा को गर्व होगा ! कम से कम मैं उन लोगों में से एक हूँ ,जो गर्व से यह कहेंगे मुझे राजेश उत्साही ने स्वयं हस्ताक्षरित पुस्तक "वह जो शेष है " भेंट दी है ! ज्योतिपर्व प्रकाशन के अरुण चन्द्र राय एवं ज्योति राय  की पहल पर छपी, इस किताब में राजेश उत्साही की बेहतरीन रचनाओं का समावेश है ! दिलचस्प यह है कि संयोग से लेखक की तरह अरुण चन्द्र राय खुद बेहद प्रतिभाशाली और संवेदनशील लेखक हैं ! और उन्हें संवेदनशील रचनाओं की अच्छी पहचान है !  निस्संदेह ये दोनों पति पत्नी इस सफल प्रयास के हेतु बधाई के पात्र हैं !  
राजेश की लेखन शैली के बारे में जानना हो तो गुल्लक पर लिखा उपरोक्त लेख पढ़ लें ! अपने आपको बड़े लेखक  साबित करने में लगे हम लोग ,शायद इस लेखक  में ईमानदारी की एक गंध महसूस कर सकें !

बरसों से, बेशकीमत कलम का धनी यह लेखक ,अपने आपको स्थापित करने के संघर्ष में लगे, लेखकों में, हिम्मत की एक मिसाल है !
इस कविता संग्रह में एक कविता  " चक्की पर " की इन लाइनों पर गौर करें ....
स्त्रियाँ अपने में मगन 
सूप में फटकती रहती हैं चिंताएं 
लापरवाह अपनी देह के प्रति 
...
बहरहाल 
मैं और मेरा दोस्त 
चक्की की आवाज के बीच स्वतंत्रता से 
बात कर सकते हैं बिना किसी डर और 
झिझक के 
उनके और उनकी देह के बारे में !
अभावों से उनका सतत संघर्ष उनकी  रचनाओं में  मुखर हैं  ! सामाजिक विषमताओं से जूझते एक  आम आदमी की चीत्कार उनकी हर रचना में दिखाई देती है ! "छोकरा " "मैंने सोंचा " "कल रात" सोंचने को मजबूर कर देती हैं !
इस पुस्तक को पढ़कर राजेश उत्साही के प्रति श्रद्धा बढ़ी है !
इस शारदा पुत्र के सम्मान में, इस लेख को लिख कर, अपने आपको धन्य मान रहा हूँ !

46 comments:

  1. राजेश उत्साही जी नि संदेह बहुत अच्छे ईमानदार रचनाकार है,..
    बढ़िया प्रस्तुति,अच्छी समीक्षा,...

    MY RECENT POST काव्यान्जलि ...: कवि,...

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  2. सुन्दर प्रस्तुति |
    आभार ||

    शुभकामनाये ||

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  3. राजेश उत्साही एक प्रतिभावान रचनाधर्मी हैं -उन पर कई मित्रों की पोस्ट इन दिनों पढ़ा हूँ -आपकी सोने पर सुहागा है !

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  4. शुक्रिया सतीश भाई। मेरे प्रति व्‍यक्‍त किए विचारों से अभिभूत हूं। किन्‍तु यह क्‍या आपने जिस तरह से समीक्षा की शुरूआत की थी,उससे लग रहा था कि आप पूरी किताब पर विस्‍तार से बात करेंगे। यह जो कि वास्‍तव में एक टिप्‍पणी भर ही है,मुझे और अन्‍य पाठकों को अतृप्‍त ही छोड़ देगी।...या मैं समझूं कि यह लेख की पहली किश्‍त है।

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    1. राजेश भाई ,
      स्वागत है आपका ...
      मैं साहित्यिक लेखक बिलकुल नहीं हूँ ...और समीक्षक तो बिलकुल नहीं :)
      मैं अभी भी इस पुस्तक को पढ़ रहा हूँ , इसे और गुल्लक को पढ़कर आपके प्रति मन में जो कुछ आया वह इस पर लिख दिया ताकि मेरे आदरणीय पाठक गण इसका स्वाद ले सकें ...
      शुभकामनायें आपको....

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  5. सच कहा आपने इतनी सरलता कम ही देखने को मिलती है।

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  6. ...बिलकुल प्यार का रस उड़ेल दिया,राजेश भाई पर !

    जिस कविता का जिक्र किया है,इससे लगता है कि आप सार को पकड़ने में भी निपुण हैं !
    राजेशजी ने हमें भी वह अनमोल-पुस्तक भेंट की है !

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  7. राजेश उत्साही के प्रति आपका स्नेह और सम्मान स्पष्ट रूप से झलक रहा है आपके शब्दों में .... शुभकामनाएं....

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  8. राजेश जी एक सरल हृदय व्यक्ति हैं जिन्हें साहित्य का अच्छा ज्ञान है . उनकी लेखनी में अपनी जड़ों से जुड़े होने की झलक साफ दिखाई देती है .
    आपने अच्छा परिचय दिया है . हालाँकि पुस्तक के बारे में जानना अभी बाकि है .

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  9. राजेश जी जैसे साहित्यिक व्यक्तित्व के बारे मे आपके विचार सुखद लगे ………बहुत बढिया और सटीक परिचय दिया है आपने।

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  10. राजेश उत्साही जी निसंदेह रत्नों में से एक है ... उनके साहित्य के बारे में सारगर्वित समीक्षा जानकारी देने के लिए आभार .

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  11. राजेश जी के लिए , उनकी भावनाओं के लिए कितना सही लिखा

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  12. सार्थक पोस्ट, आभार.

    कृपया मेरे ब्लॉग"meri kavitayen" की १५० वीं पोस्ट पर पधारें और अब तक मेरी काव्य यात्रा पर अपनी राय दें, आभारी होऊंगा .

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  13. achchi jankari di.....dhanybad.

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  14. राजेश जी से रु-ब-रु कराने के लिए भाई जी ...
    आप का आभार!

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    1. राजेश भाई के लिए आपका आशीर्वाद आवश्यक था....
      आभार

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  15. राजेश जी को नियमित फोलो करती हूँ.....
    कई समीक्षाएँ पढीं....

    आपका नजरिया भी बहुत अच्छा लगा....
    शुक्रिया.

    अनु

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  16. "बंद लगी होने खुलते ही" वाले अंदाज़ में बिना कौमा के फुल-स्टॉप लगा दिए भाई साहब!! ये क्या!!

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    1. जो शब्द ह्रदय से निकले हैं
      उन पर न कोई संशय आये
      वाक्यों के अर्थ बहुत से हैं ,
      मन के भावों से पहचानें !
      मैंने तो अपनी रचना की, हर पंक्ति तुम्हारे नाम लिखी
      क्या जाने अर्थ निकालेगी, इन छंदों का, दुनिया सारी !

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  17. राजेश उत्साही जी की इस कविता में कितना बड़ा यथार्थ छिपा हुआ है!...आभार सतीश जी!

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  18. हम भी अभी किताब पूरी कर ही नहीं पाये हैं, कविता का रस लेने में समय लगता है। आपकी पोस्ट से ही पता चल रहा है कि आप भी रस लेकर पढ़ रहे हैं।

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    1. वाकई पढ़ रहा हूँ ....
      पाठक बन कर पढ़ा रहा हूँ :)
      आभार !

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  19. राजेश जी जैसे बेहतरीन रचनाकार से जुडी इस सुंदर के लिए आभार ....

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  20. सतीश जी कविता के प्रति राजेश जी की प्रतिबद्धता और ईमानदारी से प्रेरित होकर ही मैंने "वह, जो शेष है" प्रकाशित की है... वास्तव में उनकी पुस्तक तो वर्षो पहले आनी चाहिए थी. लेकिन मेरा सौभाग्य कहिये कि यह पुस्तक "ज्योतिपर्व" से प्रकाशित हुई. एक दिन पहले ही समकालीन हिंदी साहित्य पत्रिका के संपादक और वरिष्ट साहित्यकार श्री प्रभाकर श्रोत्रिय जी को मैंने यह पुस्तक भेंट की है. पुस्तक का कलेवर और सरसरी तौर पर कविता को देखकर उन्होंने कहा कि प्रकाशन में सम्भावना है. एक बात और.. प्रकाशक कभी बड़ा नहीं होता. रचनाकार उसे बड़ा बनता है. इसलिए इस पुस्तक का सारा श्रेय उत्साही जी को ही जाना चाहिए. यदि राजेश जी का दूसरा संग्रह भी ज्योतिपर्व से ही आता है तो वह प्रकाशन की उपलब्धि होगी...

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    1. अरुण जी सही कहे हैं। बाक़ी कल फ़ुरसत में बतियाएंगे।

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    2. सतीश जी, आपके हृदय उद्गार मन को भिंगाते हैं। अनावश्यक शब्दाडंबर के विस्तार में न पड़कर आपने दिल से जो बात कही है, वह किसी आत्मीय जन के लिए ही कही जा सकती है। राजेश जी में कुछ खास है जो सबको प्रेरित करता है। कविताएं तो उनकी लाजवाब हैं ही।

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  21. achhi prstuti, .......yek achhe rachnakar ka parichay mila aabhar ...

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  22. निसंदेह महत्‍वपूर्ण है राजेश जी का लेखन.

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  23. आदरणीय उत्‍साही जी के लिए आपकी कलम ने अक्षरश: बहुत ही सही कहा है .. सूखती किताबों में भीगता मन पढ़ने के बाद मुझे भी कुछ ऐसा ही महसूस हुआ था ... आपका बहुत-‍बहुत आभार इस प्रस्‍तुति के लिए ..

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  24. राजेश जी का लेखन और उनके साहित्य के बारे में सारगर्वित
    समीक्षा जानकारी देने के लिए आभार .

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  25. इत्ते से नहीं चलेगा जी, आराम से पढ़िये और उसके बाद समीक्षा भी कीजिये। कवितायें और पुस्तक तो पढ़ ही लेंगे लेकिन एक कवि का दूसरे कवि की कविताओं पर नजरिया जानना भी अच्छा लगेगा। इंतज़ार रहेगा, आभार एडवांस में दिये देते हैं ताकि आप बाद में मुकर न जायें।

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    Replies
    1. @ संजय भाई
      मान गए गुरु ...
      बात तो माननी चाहिए मगर यदि आगे की समझ ही न हो तब ...???
      :-))

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  26. राजेश जी की रचनाओं में जो बैचेनी है उसको महसूस किया जा सकता है ...
    आपने कमाल की समीक्षा की है ...

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  27. पर " की इन लाइनों पर गौर करें ....
    स्त्रियाँ अपने में मगन
    सूप में फटकती रहती हैं चिंताएं
    लापरवाह अपनी देह के प्रति
    राजेश जी बेहद सुन्दर अभिव्यक्ति ..पुस्तक प्रकाशन पर ढेर सी बधाई ...
    समय हो तो ब्लॉग पर आइये ...ताना -बाना .ब्लॉग स्पोट .कोम
    ...

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  28. राजेश उत्साही जी के बारे में पढ कर अच्छा लगा । उनकी रचनाएं जो आपने उध्दृत की हैं नारी और पुरुष की सेच की अंतर स्पष्ट बताती हैं । सुंदर समीक्षा ।

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  29. राजेश जी के साहित्य के बारे में...जानकारी देने के लिए आभार

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  30. राजेश जी के लेखन में ईमानदारी है ,जो मन को छूती है !

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  31. @राजेश उत्साही को, मैं ब्लॉग जगत के उन रत्नों में से एक मानता हूँ ...
    पूर्णॅ सहमति है। राजेश जी के लेखन के मुरीद हम भी हैं। समीक्षा का ट्रेलर अच्छा लगा, पूरी समीक्ष का इंतज़ार है।

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  32. सर आपकी लेटेस्ट पोस्ट पर कमेंट नहीं कर पा रहे हैं...........
    सो इधर आकर लिख रही हूँ...............
    सुंदर रचना के लिए बधाई.............
    your blog is really full of life.........i can smell happiness in ur posts...
    touch wood...
    regards.
    anu

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  33. दिल करे नाचने को यारों,
    माहौल सुगन्धित हो जाए
    जीवन के सुंदर पन्नों में ,
    चन्दन की गंध समा जाये
    इतना लाजवाब गीत है पर आपका कमेन्ट बॉक्स नज़र नहीं आ रहा इस गीत पे ... तो यहीं बता रहा हूँ ... आनद ले रहा हूँ इस गीत का ... आशा की किरण जगाता मंमोहल कीट ... बहुत बधाई सतीश जी ...

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  34. राजेश जी के बारे में आपकी लेखनी द्वारा जानकार
    बहुत अच्छा लगा.बहुत बहुत बधाई और शुभकामनाएँ
    राजेश जी को,आपको और अरुण जी और उनकी
    श्रीमती जी को.

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  35. राजेश जी के बारे में यह जानकारी अच्छी लगी...वैसे उनके ब्लॉग को यदा कदा पढ़ने का सौभाग्य मिलता है.. सादर

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एक निवेदन !
आपके दिए गए कमेंट्स बेहद महत्वपूर्ण हो सकते हैं, कई बार पोस्ट से बेहतर जागरूक पाठकों के कमेंट्स लगते हैं,प्रतिक्रिया देते समय कृपया ध्यान रखें कि जो आप लिख रहे हैं, उसमें बेहद शक्ति होती है,लोग अपनी अपनी श्रद्धा अनुसार पढेंगे, और तदनुसार आचरण भी कर सकते हैं , अतः आवश्यकता है कि आप नाज़ुक विषयों पर, प्रतिक्रिया देते समय, लेखन को पढ़ अवश्य लें और आपकी प्रतिक्रिया समाज व देश के लिए ईमानदार हो, यही आशा है !


- सतीश सक्सेना

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