- मन प्रफुल्लित रहें , उदास और बेमन आप कभी नहीं दौड़ सकेंगे ! अवसाद और स्ट्रेस दूर करना सीखना हो तो दौड़ना सीखें !
-पूरे दिन में कम से कम १२ गिलास पानी एवं रात का डिनर हल्का और सोने से तीन घंटे पहले करना होगा !
-दौड़ने का समय सुबह ६ बजे के आसपास और खुली जगह में जहां आक्सीजन हो, दौड़ने का अभ्यास करना होगा !
-स्वास्थ्य के लिए दौड़ने में गति का महत्व नहीं, मस्ती से बिना हाँफे दौड़ना अगर नहीं आए तो दौड़ना आपके लिए बेहद ख़तरनाक साबित होगा !
- अंत में अगर आप पसीना नहीं बहा सकते तब दिन में एक बार ही भोजन पर अपना हक़ मानिए ! तीन बार भोजन पर केवल श्रमिक का ही हक़ होता है आप जैसे आलसी और आराम पसंद का नहीं ! सो अगर इसका आनंद लेना है तो सुबह दो घंटे दौड़िए और जम के भोजन खाइए अन्यथा बीमारियाँ झेलने को तैयार रहें ! मुझे देखें ...
मैराथन आसान ,भरोसा हो क़दमों की ताल का
साथ तुम्हारे दौड़ रहा है, बुड्ढा अढसठ साल का !
करत करत अभ्यास, पहाड़ों को रौंदा इस पाँव ने
हार न माने किसी उम्र में, साहस मानवकाल का !
इसी हौसले से जीता है, सिंधु और आकाश भी
सारी धरती लोहा माने , इंसानी इकबाल का !
गिरते क़दमों की हर आहट,साफ़ संदेशा देती है !
हिम्मत,मेहनत,धैर्य,ज़खीरा इंसानों की चाल का !
बहे पसीना कसे बदन से, मस्ती मेहनत की आयी !
रुक ना जाना, उठता गिरता रहे कदम भूचाल सा !
वाह-वाह ! जितने अच्छे एवं अनुकरणीय विचार, उतनी ही प्रभावी काव्यमय अभिव्यक्ति ! आपके पृष्ठ पर आना असीमित आनंद एवं ऊर्जा से भर देता है।
ReplyDeleteजियो l लाजवाब l
ReplyDeleteवाह!सतीश जी ,क्या बात है ...आपकी रचना से प्रेरित होकर पाठक इस जीवन शैली को अपनाए यही इच्छा रखती हूं । स्वस्थ तन में ही स्वस्थ मन का निवास होता है ।
ReplyDeleteराथन आसान ,भरोसा हो क़दमों की ताल का
ReplyDeleteसाथ तुम्हारे दौड़ रहा है, बुड्ढा अढसठ साल का !
करत करत अभ्यास, पहाड़ों को रौंदा इस पाँव ने
हार न माने किसी उम्र में, साहस मानवकाल का !
....बहुत सुन्दर, प्रेरक प्रस्तुति
बहुत बढ़िया प्रस्तुति
ReplyDeletehello
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